रघुनंदन पराशर, जैतो – 9 नवम्बर :
कपड़ा मंत्रालय ने कहा कि केन्द्रीय वस्त्र, वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य और खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, पीयूष गोयल ने कपास मूल्य श्रृंखला के लिए की गई पहलों की समीक्षा के लिए नई दिल्ली के वाणिज्य भवन में वस्त्र सलाहकार समूह (टीएजी) के साथ तीसरी संवादात्मक बैठक की। इस अवसर पर कपड़ा और रेल राज्य मंत्री श्रीमती दर्शना वी. जरदोश, कपड़ा सचिव श्रीमती रचना शाह, टैग के अध्यक्ष सुरेश कोटक, संबंधित मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी और कपास मूल्य श्रृंखला के हितधारक उपस्थित थे।
गोयल ने नई दिल्ली में आयोजित पिछली संवादात्मक बैठक के बाद शुरू किए गए कार्यों की समीक्षा की। किसान जागरूकता कार्यक्रम, एचडीपीएस और विश्व की सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों के माध्यम से कपास उत्पादकता में सुधार लाने के लिए आईसीएआर-केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान-(सीआईसीआर), नागपुर ने कपास उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक समग्र योजना प्रस्तुत की।श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है जब भारतीय कपास की ब्रांडिंग की जाए और निष्ठा उत्पन्न की जाए। साथ ही उपभोक्ता कस्तूरी ब्रांड के उत्पादों के लिए आकर्षण पैदा करें और यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक स्वागत योग्य कदम है।
गोयल ने इच्छा व्यक्त की कि उद्योग सबसे आगे रहे और भारतीय कपास कस्तूरी की ब्रांडिंग और उसे प्रमाणित करने की जिम्मेदारी लेते हुए स्व-नियमन के सिद्धांत पर काम करे।इसके अलावा, गोयल ने बताया कि भारतीय कपास फाइबर की गुणवत्ता सर्वोपरि है, इसलिए तकनीकी गुणवत्ता मानकों के संदर्भ में कपास की गांठों के मानकीकरण और सभी हितधारकों के लाभ के लिए कपास की गांठ की ट्रेसबिलिटी की पहचान के लिए बीआईएस कानून 2016 के तहत कपास की गांठों के गुणवत्ता नियंत्रण आदेश का कार्यान्वयन जरूरी है।
गोयल ने कस्तूरी कपास की गुणवत्ता, पता लगाने की क्षमता और ब्रांडिंग पर काम करने के लिए उद्योग और उसके नामित निकाय द्वारा किए गए कार्य की सराहना की। सरकार उद्योग के योगदान से मेल खाने वाली धनराशि के साथ पहल का समर्थन करेगी।श्री गोयल ने कस्तूरी मानकों, डीएनए परीक्षण और पता लगाने की क्षमता के अनुरूप परीक्षण सुविधा को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि बीआईएस और टीआरए के माध्यम से पर्याप्त आधुनिक परीक्षण सुविधाएं की जाएंगी।कपास उत्पादकता में वृद्धि के लिए, गोयल ने जोर देकर कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाले कपास के बीज की आपूर्ति समय की आवश्यकता है और संबंधित मंत्रालयों से युद्ध स्तर पर कुछ ठोस कार्रवाई की आवश्यकता है।
उन्होंने उच्च उपज वाले कपास के बीज से संबंधित उन्नत तकनीकों को पेश करने और कपास की उत्पादकता बढ़ाने के लिए उच्च घनत्व रोपण प्रणाली जैसे नवीन कृषि विज्ञान की आवश्यकता पर भी बल दिया। एसआईएमए-सीडीआरए द्वारा विकसित हाथ में लेकर प्रयुक्त होने वाली कपास की कटाई मशीनों के उपयोग से कपास चुनने के मशीनीकरण पर गोयल ने कपड़ा उद्योग और उद्योग संघों से आग्रह किया कि वे मशीनीकरण को बढ़ावा दें और उसे लोकप्रिय बनाएं, इससे किसान उत्पादकों की सहायता होगी। भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ (सिटी) इस परियोजना को कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के वितरण समर्थन के साथ मिशन मोड में लेगा।
उद्योग संघों और उद्योग जगत ने एक साथ 75,000 हाथ में लेकर प्रयुक्त होने वाली कपास की कटाई मशीनों को निधि देने के लिए सहमति व्यक्त की। इसके अतिरिक्त, कपास किसानों को सशक्त बनाने के लिए एफपीओ सक्रिय रूप से शामिल हो सकते हैं। कपास में मिलावट के प्रमुख कारणों में से एक के रूप में जिम्मेदार उर्वरक बैग (जो कपास चुनने और भंडारण में किसानों द्वारा पुन: उपयोग किया जाता है) के रंग बदलने की उद्योग की मांग पर प्रतिक्रिया देते हुए, गोयल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक उर्वरक’ योजना अधिसूचित की है जो इस चिंता को ध्यान में रखकर प्रतीक चिन्ह और स्वरूप को परिभाषित करती है।
उद्योग और कपड़ा मूल्य श्रृंखला के हितधारकों ने परामर्श मोड के माध्यम से अपने मुद्दों को हल करने के लिए श्री गोयल के त्वरित और व्यावहारिक दृष्टिकोण के लिए उनका आभार व्यक्त किया।