Saturday, June 7
  • जेवी स्कैन ऐप में अपनी आवाज़ रिकॉर्ड करके पूरे शरीर का विस्तृत विश्लेषण पाएं

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ 8 नवंबर : 

            अब आप अपनी आवाज से अपनी सेहत में बदलाव व रोगों का पता लगा सकते हैं। शोधकर्ताओं और डॉक्टरों ने एक एआई-सक्षम तकनीक विकसित की है जो 30 सेकंड के वॉयस सैंपल का उपयोग करके बीमारी से पहले के चरणों में प्रारंभिक और सटीक निदान प्राप्त करती है।वॉयस रिकॉर्डिंग के समय बीमारी के 100 से अधिक बायोमार्कर के साथ-साथ 30 सेकंड में पूरे शरीर को स्कैन करती है और अंग जोखिम गणना, प्रतिरक्षा और चरण सहित विभिन्न स्वास्थ्य स्कोरिंग पर विश्लेषण प्रदान करती है।

            आज चंडीगढ़ प्रेस क्लब में इस ऐप को लांच किया गया। ऐप का नाम ‘जेवी स्कैन’ है जिसे लांच करने के लिए फाउंडर डॉ महेश हुकमनी, को- फाउंडर विनीत और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ हरेंद्र देव सिंह पहुंचे। मीडिया को संबोधित करते हुए, डॉ महेश हुकमनी ने बताया, “हम एक सिंगल वॉयस सैंपल के माध्यम से एक फुल-बॉडी स्कैन प्रदान करते हैं। आपको केवल 30 सेकंड की ऑडियो सैंपल अपलोड करनी है और आपकी आवाज़ के आधार पर यह ऐप आपके शरीर में होने वाले बदलाव व स्वास्थ्य संबंधी रोगों की जानकारी देगी। इसके लिए कोई ब्लड टेस्ट या किसी अन्य टेस्ट की जरूरत नहीं है। ऐप का लेटेस्ट वर्जन प्ले स्टोर पर उपलब्ध है और फ्री वर्जन हमारी वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आपको बस अपनी आवाज का सैंपल जमा करना है और हम आपको आपकी आवाज रिकॉर्ड करने के लिए इंस्ट्रक्शन भेजेंगे जिसे आपके रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर आपकी हेल्थ स्टेटस रिपोर्ट देने के लिए हमारे यूनिक वेब-आधारित डायग्नोस्टिक टूल द्वारा स्कैन किया जाएगा।

            तकनीक के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि केवल एक आवाज के नमूने द्वारा कई स्वास्थ्य जांच की जा सकती हैं: मानसिक स्वास्थ्य, रक्त स्वास्थ्य, शारीरिक स्वास्थ्य, डीएनए हीथ आदि इसके अलावा आपको प्रत्येक अंग की प्रतिध्वनि की गणना करके प्रारंभिक बीमारी का पता लगाने की जानकारी मिल जाती है। जबकि शरीर/ध्वनि आवृत्तियों का उपयोग कई दशकों से विभिन्न स्तरों पर शरीर को ठीक करने के लिए किया गया है, यह पहली बार है कि शरीर की आवृत्तियों का उपयोग पूर्व बीमारी के चरणों और आगे के स्वास्थ्य प्रबंधन में बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है।

            डॉ महेश हुकमनी पेशे से एक नेत्र सर्जन हैं और 1998 में प्रतिष्ठित एस.एम.एस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जयपुर (राज) से नेत्र विज्ञान में एमएस किया है। उन्होंने 2008 तक प्रैक्टिस की और अपनी पसंद के रूप में क्वांटम फिजिक्स और वाइब्रेशनल  मेडिसिन के साथ अनुसंधान के क्षेत्र में काम किया। उन्होंने 2010 की शुरुआत में स्केलर एनर्जी पिरामिड नामक एक नया कंसेप्ट विकसित किया और इसके एंटी-रेडिएशन गुणों और मानव शरीर पर प्रतिरक्षा स्थिति में सुधार करने की क्षमता के लिए उत्कृष्ट परिणामों के साथ परीक्षण किया, जैसा कि पिप स्कैन, ऑरा फोटोग्राफी, ऑरा स्कैन, आदि। स्केलर एनर्जी पिरामिड अब उनके पास एक पेटेंट उत्पाद है। 

            उन्होंने कहा कि वाइब्रेशनल मेडिसिन में मेरा शोध तब तक चला जब तक कि एक दिन मैं वॉयस एनालिसिस के लिए एक सॉफ्टवेयर विकसित करने में कामयाब नहीं हो गया। इसे ज्यूपिटर वॉयस स्कैन या जेवी-स्कैन कहा जाता है। हमारी ऐप रोगों को रोकने के लिए स्वयं के निदान का उपयोग करने में मदद करता है और शुद्ध ध्वनि के माध्यम से उपचार इसे पूरी तरह से दवा रहित, दर्द रहित, उपचार का आसान तरीका बनाती है।

            इस ऐप के कांसेप्ट के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ-जिनेवा कन्वेंशन 1984 द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार पूरा कांसेप्ट विकसित किया गया है। पूरा कांसेप्ट इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स पेटेंट प्रोटेक्शन कॉपीराइट प्रोटेक्शन के तहत संरक्षण में है। 24 जून 2013 को अपनी शुरुआत के बाद पिछले 9 वर्षों में 5000 से अधिक ग्राहकों का सफलतापूर्वक इलाज़ किया गया है। जेवी-स्कैन भारत सरकार के तहत एक स्टार्टअप के रूप में पंजीकृत है।