भारती किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर द्वारा 16 को पंजाब में चक्का जाम व धरना 

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 3 नवम्बर :

            जिला फरीदकोट  भारती किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर की बैठक प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह ढल्लेवाल की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि 16 नवम्बर को सुबह 10 बजे डी.सी. फरीदकोट कार्यालय के बाहर बड़ी सभा होगी और 16 नवम्बर को ही पंजाब के चार जिलों श्री अमृतसर साहिब, टैहना टी. प्वाइंट फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब और मानसा में सरकार द्वारा स्वीकृत मांगा को लागू नहीं करने के विरोध में चक्का जाम व बड़ी सभाएं की जाएंगी।

            जगजीत सिंह ढल्लेवाल ने कहा कि पंजाब सरकार की कथनी और करनी में अंतर इस बात से ही पता लगाया जा सकता है कि 6 अक्तूबर को गैर राजनीतिक संयुक्त किसान मोर्चा के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने किसानों की मांगों को स्वीकार किया। 

            उन्होंने कहा कि किसी किसान के भू-अभिलेख में रेड एंट्री दर्ज नहीं होगी या किसी किसान पर पराली जलाने की घटना नहीं होगी। लेकिन सरकार जहां वादे का उल्लंघन कर रही है वहीं किसानों पर पराली जलाने और जमीन जमाखोरी के मामले में रेड एंट्री की जा रही है।

            उन्होंने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि  कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल कृषि विभाग के 4 अधिकारी जिनमें एक अधिकारी भी शामिल है, जिन्हें कुछ दिन पहले सरकार ने उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया था, किसानों पर पराली जलाने के लिए पर्चियां दर्ज नहीं कराने का आरोप लगाते हुए बिना जानकारी दिए और जवाब तलब करते हुए उन्हें निलंबित भी कर दिया गया है।

            अधिकारियों को सस्पैंड कर आम आदमी पार्टी सरकार ने अपनी नाकामियों को छुपाने की कोशिश की है क्योंकि न तो सरकार ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पराली न जलाने के लिए किसानों को मुआवजा दिया है और न ही ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सरकारों को दिया है।

            आदेशों के अनुसार पराली के प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा किसानों को मुआवजा नहीं दिया गया है और न ही मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान द्वारा पराली न जलाने पर किसानों को 2500 रुपए मुआवजा देने का वादा पूरा किया गया है। भारतीय किसान यूनियन एकता सिद्धूपुर के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह ढल्लेवाल ने कहा कि भगवंत मान सरकार किसानों को संघर्ष करने पर मजबूर कर रही हैं।