- आप और कोंग्रेसी पार्षद सदन के बाहर धरने पर बैठे
- किया शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
नगर निगम की आज यहाँ हुई बैठक मैं निगम में नवनियुक्त 9 मनोनीत पार्षदों ने शपथ ग्रहण की।
उपायुक्त विनय प्रताप सिंह ने मनोनित पार्षदों को गोपनीयता की शपथ दिलाई। मनोनित पार्षदों के शपथ लेते ही अब निगम में चुने और मनोनित मिलाकर पार्षदों की संख्या 44 हो गई है । वहीं जब मनोनीत पार्षद शपथ ग्रहण क्र रहे थे तब सदन के बाहर आम आदमी पार्टी और कोंग्रेसी पार्षद धरने पर बैठे हुए थे और नारेबाजी कर रहे थे। सदन में मनोनित पार्षदों का आज पहला दिन था। इसके बाद शुरू हुई बैठक में चौतरफा विरोध के दौरान बीच-बीच में मनोनित पार्षद भी बहस के साथ जवाब देते नजर आएं। एक दो पार्षद तो अपनी कुर्सी से उठकर बोलने लगे।
हालांकि मनोनित पार्षदों ने कहा कि वे तो मनोनित पार्षद है जिनकी नियुक्त प्रशासन के जरिए हुई हैं इसमें उनका क्या कसूर है ? हंगामा बढ़ता देख मनोनित पार्षदो का सब्र भी टूटता चला गया। महिला मनोनित पार्षद गीता चौहान ने आप पार्षद रामचंद्र यादव को यहां तक कह दिया कि हमे झेलना पड़ेगा ,आदत डाल लो। उनके इस कथन के साथ ही चुने हुए बीजेपी पार्षदों ने समर्थन में टेबल थपथपानी शुरू कर दी। मनोनित महिला पार्षद ने यहां तक कहा कि आप मुद्दों की बात करें । दूसरी तरफ , विपक्षी पार्षदों ने सवाल उठाया है कि भाजपा के नेताओं को मनोनीत पार्षद क्यों नियुक्त किया गया कांग्रेस पार्षद गुरप्रीत सिंह गाबी का कहना था कि पहली बार हुआ है कि किसी भी आर्मी से जुड़े हुए व्यक्ति को मनोनीत पार्षद नहीं बनाया गया क्या शहर में कोई भी रिटायर्ड आर्मी पर्सन इस पद के काबिल नहीं था।
कांग्रेस का विरोध
चंडीगढ़ नगर निगम में कांग्रेस पार्षदों ने आज सदन की बैठक में भाजपा के कार्यकर्ताओं को निगम में मनोनीत पार्षदों के रूप में प्रवेश करने का कड़ा विरोध किया. उन्होंने आरोप लगाया कि कई नामांकित पार्षदों ने यह बात छुपायी कि वह भाजपा के कार्यकर्ता हैं और उन्होंने अपने आप को सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि प्रशासन ने भी किसी भी स्तर पर इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि वे सामाजिक नहीं बल्कि भाजपा से जुड़े राजनीतिक कार्यकर्ता हैं. कांग्रेस पार्षदों ने मांग की कि जिन नामांकित पार्षदों ने नामांकन के लिए आवेदन करते समय अपने बायो डाटा को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है, उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त किया जाना चाहिए. इन नामांकनों को 1994 से चण्डीगढ़ में लागू पंजाब नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों का खुले रुप से उल्लंघन बताते हुए काग्रेंसी पार्षदों ने कहा कि 2001 से 2015 तक जब कांग्रेस पार्टी ने नगर निगम का नेतृत्व किया, तब केवल शहर की प्रतिष्ठित हस्तियों और अपने अपने क्षेत्रों के नामवर विशेषज्ञों को ही पार्षदों के रूप में नामित किया जाता था। इनमें रिटायर्ड फौजी ब्रिगेडियर के.एस चांदपुरी, जनरल ए.एस कांहलो, ब्रिगेडियर सन्त सिहं, शिक्षाविद् पाम राजपूत और के आत्माराम, व्यवसायी एम.पी. एस चावला, टेक्नोक्रेट पी.सी सांघी, प्रशासक के.एस. राजू, मेडिको अमृत तिवारी और कई अन्य गैर-राजनीतिक लेकिन प्रसिद्ध हस्तियां शामिल रहीं।
गाबी का कहना था कि आर्मी से जुड़े हुए लोग भाजपा को माफ नहीं करेंगे साल 2024 के चुनाव में इसका जवाब दिया जाएगा शपथ ग्रहण कार्यक्रम में भाजपा का कोई भी सीनियर नेता शामिल नहीं हुआ है। भाजपा पार्षद सौरभ जोशी ने पार्टी का बचाव किया है उन्होंने कहा है कि जो भी मनोनीत पार्षद नियुक्त हुए हैं वह अपने-अपने फील्ड में एक्सपर्ट हैं । भाजपा पार्षद कुलजीत संधू का कहना था कि पहली बार ग्रामीण इलाकों से जुड़े हुए 4 लोगों को मनोनीत पार्षद बनाया गया है इसका गांव वालों को फायदा मिलेगा। पूरे हंगामे में मेयर बीच-बीच में बोलती रही कि यह गर्वनर की ओर से सीधे नियुक्त हुई है।
वहीं,शपथ ग्रहण समारोह से बीजेपी के सीनियर नेताओं ने किनारा करना ही बेहतर समझाा। सत्ता पक्ष से कोई बड़ा नेता नहीं दिखाई दिया।
यह भी जगजाहिर है कि जब से मनोनित पार्षदों की सूची सर्वाजनिक हुई तब से ही शहर का सियासी पारा चढ़ता चला गया इसका गुबार सदन बैठक में हंगामे के साथ निकाला। सत्ता पक्ष भाजपा के भीतर भी असंतुष्टी का माहौल बना। शहर की गैर-राजनीतिक संगठनों ने भी सूची पर सवाल उठाए थे।
समारोह में आप पार्टी से संयोजक प्रेग गर्ग जरूर मौजूद रहे।
सदन में हंगामा तब मचा जब कांग्रेसी पार्षद गाबी ने कहा कि शपथ लेने वाले मनोनित पार्षदों ने अपने परिचय में अपने राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया कि वे किन-किन पदों पर विराजमान हैं। गाबी का तर्क था कि हम एक आम टीवी डिबेट में जाते हैं तो उसमें क्षेत्र का विशेषज्ञ होने के साथ राजनीति दल का होने का भी परिचय दिया जाता है। उनका आरोप था कि सभी बीजेपी से संबंधित हैं। गाबी के कहते ही हंगमा मचना शुरू हो गया।
वहीं, मनोनित पार्षदों ने सदन के पहले दिन जिस तरह के रंग ढंग दिखाए उससे अंदाजा लगाया जा सकता था कि मानो उन्हें पहले से ही इस स्थिति से निपटने के लिए ट्रेनिंग दी गई हो ।
वहीं, जैसे जैसे सदन की कार्यवाही आगे बढ़नी शुरू हुई तो माहौल सामान्य होता चला गया। जो पार्षद विरोध कर रहे थे वहीं बाद में चुने हुए पार्षदों को बधाई भी देने लगे। भोजन काल के दौरान तो नजारा बिल्कुल बदला हुआ था। ऐसे में सवाल यह भी उठे कि यह हंगामा जनता को खुश करने के लिए क्या महज रानीतिक ड्रामेबाजी से भरा था? सदन में सवाल उठाने वाले भी ऐसा प्रतीत हो रहे थे कि उन्हें भी सीखा-पढ़ाकर भेजा गया था।
माना जा रहा है कि सदन में विपक्षी पार्षदों की काट के लिए ही मनोनित पार्षदों की नियुक्त की गई है। आम तौर पर कई ऐसे प्रस्ताव थे जो त्रिशंकु सदन में वोटिंग की भेंट चढ़ जाते थे। मनोनित पार्षदों के आने से किसी भी प्रस्ताव को पारित कराने में सत्ता पक्ष के बीजेपी पार्षदों की अब ताकत बढ़ने की उम्मीद है।
हालांकि इस समय मनोनीत पार्षदों के पास मेयर चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं है। वोटिंग के अधिकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी विचाराधीन है।
निगम की आज की बैठक के दौरान पार्षद जसबीर बंटी ने सेक्टर 42 में वी-4 सड़क की तत्काल मरम्मत की मांग को लेकर हाउस में ही विरोध प्रदर्शन किया. इस सड़क का उपयोग छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं द्वारा नंगे पांव चलते हुए किया जाता है. बंटी सड़क की तुरंत मुरम्मत कराने के की अपनी मांग को लेकर मेयर के सामने ही धरने पर बैठ गये, जिसके बाद उनका प्रस्ताव एजेण्डे पर लाया गया और पारित हो सका।
पार्षद सचिन गालव ने पंजाब विश्वविद्यालय परिसर में किराएदारों को भेजे गए संपत्ति कर नोटिस को वापस लेने और मकान मालिकों से ही कर वसूलने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे सदन ने पारित कर दिया.
पार्षद गुरबख्श रावत ने शहर में वर्षा जल निपटान प्रणाली को पूरी तरह से मशीनीकृत करने का एक प्रस्ताव पेश किया ताकि सफाई कर्मचारियों को स्वयं सफाई के लिए उतर कर अपनी जान जोखिम में डालने पर मजबूर न होना पड़े।
उधर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारी आज नगर निगम में मनोनीत पार्षदों के शपथ समारोह के बाद विधिवत कार्यभार संभालने पर सभी ने क्राफेड के सीनियर वाइस चेयरमैन उमेश घई को शुभकामनाएं दी व आशा प्रकट की कि चंडीगढ़ की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की समस्याओं का समाधान अब त्वरित रूप से होगा। वही क्राफेड के चेयरमैन हितेश पुरी ने भी उमेश घई को मनोनीत करने पर प्रशासक का आभार जताया व भविष्य में भी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से प्रशासन को हर संभव सहायता की बात दोहराई।