पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 24 अक्टूबर 22 :
नोटः आज नरक चतुर्दशी व्रत (पूर्व अरूणोदय वाली) प्रभात स्नानं, दीपावली श्री महालक्ष्मी पूजन, तैलाभ्यंग रूप चौदश, कुवेर पूजा, दीपदान देवालय, कौमुदि महोत्सव सम्पन्न, महावीर निर्वाण (जैन)।
‘नरक चतुर्दशी’ (Narak Chaturdashi) व्रत दिवाली से एक दिन पहले मनाई जाती है, जिसे ‘नरक चौदस’, ‘रूप चौदस’ और ‘काली चौदस’ भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इस दिन यमराज की पूजा करने और यम दीपक जलाने से नरक की यातनाओं से मुक्ति मिलती है।
दीपावली श्री महालक्ष्मी पूजन : दीपावली पर्व महालक्ष्मी पूजा का विशेष पर्व है। कहते है कि अर्ध्य रात्रि में महालक्ष्मी विचरण करती हैं। दीपक जलाने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती और उस घर में निवास करती हैं। दीपावली में शाम को शुभ लग्न में श्रीगणेश, लक्ष्मी और कुबेर भगवान का पूजन करें।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः कार्तिक़,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः चतुर्दशी सांयः 5.28 तक है,
वारः सोमवार।
वशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः हस्त दोपहर 02.42 तक है,
योगः वैधृति दोपहर 02.32 तक,
करणः शकुनि,
सूर्य राशिः तुला, चंद्र राशिः कन्या,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.32, सूर्यास्तः 05.39 बजे।