पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 17 अक्टूबर 22 :
नोटः आज अहोई अष्टमी व्रत है।
भारत पूरे विश्वभर में अपनी अनोखी संस्कृति व परम्पराओं के लिए जाना जाता है। यह देश त्योहारों का देश है और यह सभी त्योहार हमारे संस्कारों तथा वैदिक परंपराओं को आज की पीड़ी तक पहुँचाने का एक माध्यम है। अहोई अष्टमी का त्योहार करवाचौथ के चार दिन बाद और दिवाली से 8 दिन पूर्व मनाया जाता है। महिलाओं के लिए यह खास पर्व माना जाता हैं। यह व्रत महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए रखती है। यमाताएं ये व्रत संतान की दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए रखती हैं। महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास करती हैं और रात्रि में तारों की छांव में अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं। अहोई अष्टमी व्रत जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है पर अहोई माता का पूजन किया जाता है। इस दिन को लोग बहुत ही श्रद्धा भाव व हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः कार्तिक़,
पक्षः कृष्ण पक्ष,
तिथिः सप्तमी प्रातः 9.30 तक है,
वारः सोमवार।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
नक्षत्रः पुनर्वसु अरूणोदय काल 05.12 तक है,
योगः शिव सांयः 04.00 तक,
करणः बव,
सूर्य राशिः तुला, चंद्र राशिः मिथुन,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 06.27, सूर्यास्तः 05.45 बजे।