Thursday, December 26
  • इंदिरा गांधी सरकार ने पंजाब के पानी पर डाका मारा, फिर प्रकाश सिंह बादल ने उसे आगे बढ़ाया – मलविंदर सिंह कंग
  • बादल सरकार ने 1978 में एसवाईएल के लिए जमीन अधिग्रहण करने का नोटिफिकेशन जारी किया, हरियाणा को 3 करोड़ रुपए किस्त जारी करने के लिए पत्र भी लिखा – कंग
  • कांग्रेस से किया सवाल, पूछा – 2004 में हरियाणा, पंजाब और केंद्र तीनों जगह कांग्रेस पार्टी की सरकार थी फिर कांग्रेस ने एसवाईएल का समाधान क्यों नहीं किया?
  • भाजपा पर भी बोला हमला, कहा- पंजाब को यमुना का पानी क्यों नहीं मिल रहा? बीबीएमबी में पंजाब का प्रतिनिधित्व क्यों खत्म किया गया? पंजाब भाजपा के नेता पीएम मोदी से मांगे जवाब

राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

            सतलुज-यमुना लिंक नहर(एसवाईएल) मुद्दे पर आम आदमी पार्टी(आप) ने भाजपा-अकाली और कांग्रेस को घेरा और कहा कि इसके लिए तीनों पार्टियों की पिछली सरकारें जिम्मेदार है। तीनों पार्टियों ने अपने निजी स्वार्थ के लिए एसवाईएल के मामले को लटकाए रखा।

            शुक्रवार को चंडीगढ़ पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए ‘आप’ पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कांग्रेस पार्टी को एसवाईएल विवाद का जनक बताया और कहा कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पंजाब के पानी पर सबसे पहले डाका मारा। उन्होंने कांग्रेस से सवाल किया कि 2004 में हरियाणा, पंजाब और केंद्र तीनों जगह कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, फिर कांग्रेस ने इसका समाधान क्यों नहीं किया?

            कंग ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल पर एसवाईएल मामले को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया और कहा कि बादल सरकार ने 1978 में एसवाईएल के लिए जमीन अधिग्रहण करने का नोटिफिकेशन जारी किया था। फिर उन्होंने हरियाणा की देवीलाल सरकार को एसवाईएल के लिए तीन करोड़ रुपए की किस्त जारी करने के लिए पत्र भी लिखा था।

            उन्होंने कैप्टन और भाजपा पर भी हमला बोला और कहा कि पंजाब के अधिकार की बात करने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह 1982 में एसवाईएल नहर खोदने के लिए चांदी कि कही (कुदाल) लेकर गए थे।

            कंग ने पंजाब भाजपा के नेताओं से भी सवाल किया और पूछा कि हरियाणा को यमुना का पानी मिल रहा है तो पंजाब को क्यों नहीं मिल रहा? और बीबीएमबी में पंजाब का प्रतिनिधित्व केंद्र सरकार द्वारा क्यों खत्म किया गया? पंजाब भाजपा के नेता इसका जवाब दें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसका स्पष्टीकरण मांगे।