Tuesday, December 24
  • इस पहलकदमी का मकसद निर्धारित समय के अंदर मामलों का निपटारा यकीनी बनाना : अमन अरोड़ा
  • शहरी विकास अथोरिटी को रेगुलेटरी मंजूरी सम्बन्धी सौंपी अहम शक्तियां

राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

           पंजाब सरकार ने ज़मीन के प्रयोग की तबदीली ( सी. एल. यू.) सम्बन्धी सर्टिफिकेट, मुकम्मलता सर्टिफिकेट, ले- आउट और बिलडिंग प्लान सम्बन्धी मामलों के जल्दी निपटारे के लिए रेगुलेटरी मंजूरियां देने सम्बन्धी प्रक्रिया को और आसान बना दिया है। आवास निर्माण और शहरी विकास विभाग की तरफ से रेगुलेटरी मंजूरियों का विकेंदरीकरन करते हुये अपने अधीन शहरी विकास अथोरिटी को और ज्यादा शक्तियां सौंपी गई हैं। 

           राज्य में कारोबार को और आसान बनाने को पंजाब सरकार की मुख्य प्राथमिकता बताते हुये पंजाब के आवास निर्माण और शहरी विकास मंत्री अमन अरोड़ा ने बताया कि यह फ़ैसला निर्धारित समय-सीमा के अंदर मामलों के निपटारे के लिए बेहद अहम सिद्ध होगा क्योंकि आवास निर्माण और शहरी विकास विभाग की तरफ से रेगुलेटरी मंजूरियां देने के लिए स्थानीय स्तर पर अपनी अथोरिटी को अधिकारित किया गया है। 

           उन्होंने कहा कि इस कदम से मोहाली, लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, पटियाला और बठिंडा की शहरी विकास अथोरिटी अपने स्तर पर रेगुलेटरी मंजूरियां देने के समर्थ हो जाएंगी। इन अथोरिटियों का नेतृत्व मुख्य प्रशासक कर रहे हैं। 

           विभाग के प्रमुख सचिव अजोए कुमार सिन्हा ने बताया कि अब मुख्य प्रशासक सभी श्रेणियों की कालोनियों के लिए लायसेंस जारी कर सकेंगे। सम्बन्धित अथोरिटी के सी. ए. की अध्यक्षता अधीन समिति रिहायशी/ औद्योगिक/ व्यापारिक कालोनी, मेगा प्रोजेक्टों और औद्योगिक पार्कों ( मौजूदा प्रोजेक्टों के विस्तार समेत) के ले- आउट प्लान को मंजूरी देगी। इस समिति को 15 एकड़ से अधिक के उद्योगों को छोड़ कर सभी स्टैंडअलोन प्रोजेक्टों के इलावा एक एकड़ से ऊपर के मंज़ूरशुदा प्राईवेट प्रोजेक्टों में औद्योगिक और चंक साईटों समेत एक एकड़ से अधिक की अलाट की/ नीलामी वाली सभी चंक साईटों के बिलडिंग प्लान को मंज़ूरी देने के लिए भी अधिकारित किया गया है। 

           उन्होंने बताया कि सम्बन्धित अथारिटी के अतिरिक्त मुख्य प्रशासक ( ए. सी. ए.) के नेतृत्व वाली समिति के पास एक एकड़ तक की सभी अलाट की गई/ नीलामी वाली चंक साईटों समेत उद्योगों के बिलडिंग प्लान को मंजूरी देने का अधिकार होगा, जिसमें अरबन अस्टेट/ आवास निर्माण और शहरी विकास विभाग के प्रवानित प्रोजेक्टों में एक एकड़ तक के अन्य सभी प्लाट भी शामिल हैं। 

           चीफ़ टाऊन प्लानर पुड्डा को शिक्षा/ मेडिकल/ धार्मिक/ समाजिक चैरिटेबल संस्थाओं, 15 एकड़ से अधिक के फार्म हाऊस और होटल और खाने-पीने वाले स्थानों समेत व्यापारिक अदारों की कम्पाऊंडिंग सम्बन्धी मंजूरी देने के लिए अधिकारित किया गया है। 

           सिन्हा ने बताया कि सम्बन्धित सर्कल के सीनियर टाऊन प्लानर के पास रिहायशी/ औद्योगिक/ व्यापारिक कालोनी, मेगा प्रोजेक्टों और औद्योगिक पार्कों ( मौजूदा प्रोजेक्टों के विस्तार समेत) के ज़ोनिंग प्लान के लिए मंजूरी देने के इलावा सभी स्टैंडअलोन औद्योगिक एम. एस. एम. ई. ज़िला स्तरीय प्रोजेक्टों के बिलडिंग प्लान, उद्योग को छोड़ कर 15 एकड़ तक के सभी स्टैंडअलोन प्रोजेक्टों के बिलडिंग प्लान, शिक्षा/ मेडिकल/ धार्मिक/ सामाजिक चैरिटेबल संस्थाओं की कम्पाऊंडिंग, 15 एकड़ तक के फार्म हाऊस और 10 एकड़ तक की सभी औद्योगिक इमारतों की कम्पाऊंडिंग सम्बन्धी मंजूरी देने के अधिकार होंगे। 

           उन्होंने आगे बताया कि सीनियर टाऊन प्लानर, पी. बी. आई. पी. सारे स्टैंडअलोन औद्योगिक राज्य स्तरीय प्रोजेक्टों और 10 एकड़ से ऊपर की सभी औद्योगिक इमारतों की कम्पाऊंडिंग के लिए मंजूरी देने के लिए अधिकारित होंगे। इसी तरह ज़िला टाऊन प्लानर को राइस शैल्लर, ईंटों के भट्टे, पेट्रोल पंप और स्टोन करशर के बिलडिंग प्लान को मंज़ूरी देने के लिए अधिकारित किया गया है। 

           उन्होंने बताया कि मुकममल/ अंशक मुकममल/ कब्जे सम्बन्धी सर्टिफिकेट जारी करने के लिए समर्थ अथोरिटी ले- आउट प्लान/ बिल्डिंग प्लान को मंज़ूरी देने वाली अथारिटी ही होगी।