Monday, June 9

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला, 8 सितंबर :

            उर्वरक निर्माण में देश की सबसे बडी सहकारी संस्था इफको द्वारा नैनो यूरिया तरल उपयोग  विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन दी पंचकूला केन्द्रीय सहकारी बैंक लि के सभागार में किया।

            कार्यक्रम में डा. सुरेन्द्र यादव, उप कृषि निदेशक, पंचकूला  मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे व राम मूर्ति, महा प्रबन्धक,दी पंचकूला केन्द्रीय सहकारी बैंक लि. विशेष अतिथि थे।

            इस अवसर पर जिला पंचकुला से 11 पैक्सों के 30 प्रबन्धक व बिक्री प्रभारियों ने भाग लिया।

            डा. सुरेन्द्र यादव ने  कहा कि  नैनो तकनीक से निर्मित उत्पाद  भविष्य की खेती की रुप रेखा‌ में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। इनसे पर्यावरण प्रदूषण को कम करने व प्राकृतिक संशाधनों को संरक्षित रखने में मदद मिलेगी। उन्होने कहा कि फसलों में दानेदार यूरिया का उपयोग संस्तूत की गई मात्रा से अधिक हो रहा है जिससे हमारी  मिट्टी की जैविक शक्ति में  गिरावट आई है व भूमिगत पानी भी प्रदूषित हुआ है। फसलें दानेदार यूरिया का केवल 30 प्रतिशत हिस्सा ही प्रयोग कर पाती हैं बाकि का 70 प्रतिशत हिस्सा नाईट्रस ऑक्साईड व नाइट्रेट के रुप में परिवर्तित होकर  वायू व जल प्रदुषण को बढावा दे रहे हैं। दानेदार यूरिया के विकल्प के तौर पर इफको द्वारा नैनो यूरिया  तरल  विकसित किया गया है जिसके उपयोग से फ़सलों में दानेदार यूरिया की मात्रा में 50 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। किसानों को इस बारे में जागरुक करने की आवशयकता है।  कृषि विभाग द्वारा हर खेत की मिट्टी टेस्ट करवाई जा‌ रही है व किसानों को सॉइल हैल्थ कार्ड वितरित किये जा रहे हैं। किसान  सॉइल हैल्थ कार्ड के अनूसार संस्तूत किये गये उर्वरकों का ही प्रयोग करें। हाल ही हरियाणा सरकार द्वारा कई पेस्टिसाईड को धान की फ़सल में प्रयोग करने से प्रतिबंधित किया है ताकि निर्यात होने वाले बासमती चावल में इन पेस्टिसाईड के अंश  न जायें।

राममूर्ति,  महा प्रबन्धक ने पैक्स प्रबंधकों को प्रेरित करते हुये कहा कि सहकारिता किसानों की सेवा करने का सश्कत माध्यम है। हमें पैक्सों पर अपनी सेवाओं का विस्तार करने की आवश्यकता है ताकि पैक्सों को लाभप्रद इकाई बनाया जा सके।

             शमशेर सिंह, उप महा प्रबन्धक, विपणन इफको चण्डीगढ ने नैनो यूरिया तरल के प्रयोग बारे विस्तार से जानकारी देते हुये बताया कि इसमें कणों का आकार 32 नैनो मीटर है जिससे इसका सतही क्षेत्रफ़ल सामान्य यूरिया के मुकाबले दस हजार गुणा अधिक है व पौधे के अन्दर अभिक्रिया की दर ज्यादा है। इसकी आधा लिटर मात्रा एक बोरे के बराबर कारगर है। फ़सल पर इसका पहला स्प्रे फ़ूटाव की अवस्था पर व दूसरा स्प्रे निसारे से पहले करने से सामान्य यूरिया की मात्रा में 50 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है। भारत सरकार द्वारा दो वर्षों के परिक्षणों के उपरान्त ही एफ़सीओ के तहत इसका रजिस्ट्रेशन किया है।

            इस अवसर पर देवीदयाल, मुख्य प्रबन्धक, चन्डीगढ ने इफको गतिविधियों के बारे में विस्तार जानकारी दी।

            जितेन्द्र, तकनीकी सहायक कृषि विभाग ने खाद,बीज, दवाईयों के लाईसेस बनाने की प्रक्रिया व स्टॉक के रिकार्ड रखने की वैधानिक आवश्यकताओं के बारे में जानकारी दी।
प्रवीण कुमार, सहायक क्षेत्र प्रबन्धक इफको अम्बाला  ने कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुये सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया ।