बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने 160 विधायकों के समर्थन के साथ नई सरकार बनाने का दावा भी पेश किया। शाम करीब 4:00 बजे नितीश, फागु चौहान से मिलने पहुंचे और अपना इस्तीफा सौंप दिया। नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ फिर बिहार में सरकार बनाने जा रहे हैं। बिहार के राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद जनता दल यू नेता नीतीश कुमार ने कहा कि हमारे सभी सांसदों और विधायकों के बीच इस बात पर आम सहमति पर है हमें एनडीए छोड़ देना चाहिए। राजभवन से बाहर आते हुए मीडिया कर्मियों से नीतीश कुमार ने कहा कि वह अब एनडीए गठबंधन से बाहर आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी सांसद और विधायक चाहते थे कि एनडीए गठबंधन छोड़ दिया जाए। उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. फैसला पार्टी का है। उन्होंने बताया कि आरजेडी के साथ नई सरकार बनाएंगे इस दौरान नीतीश कुमार ने बताया कि राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। बिहार में पिछले 3 दिनों से जारी राजनैतिक उठापटक का दौर आखिरी दौर में पहुंच गया है।
प्रधानमंत्री बनने का एक ख्वाब ओर एक (झठा) वादा नितीश को मोदी से दूर कर गया। 2024 की इंतज़ार सबको करनी पड़ेगी और देखना पड़ेगा की यहाँ का फदनवीस कौन ? – राजनैतिक विश्लेषक
- जब नीतीश राजभवन से सीधे राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे, तो तेजस्वी यादव उन्हें रिसीव करने बाहर तक आए। राबड़ी के घर राजद, कांग्रेस और माले के विधायक मौजूद हैं।
- पटना में भाजपा ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। मीटिंग में भाजपा कोटे के सभी मंत्रियों और संगठन के नेताओं को भी बुलाया गया है। पार्टी हाईकमान भी इनसे चर्चा कर सकता है।
- RJD विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने 115 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी नीतीश कुमार को सौंपी है। इसमें नीतीश की अगुआई में सरकार बनाने की बात कही गई है।
- सूत्रों के मुताबिक नई सरकार के गठन से पहले तेजस्वी ने गृह मंत्रालय मांगा है, जो अब तक नीतीश के पास था। पिछली सरकार में तेजस्वी यादव के पास पथ निर्माण विभाग था।
सारिका तिवारी(राजनैतिक विश्लेषक) डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/पटना :
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। राजभवन से बाहर निकलने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम एनडीए में थे और अब एनडीए के मुख्यमंत्री पद से मैंने इस्तीफा दे दिया है। एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ सरकार बनाने का फैसला लिया है और इस फैसले के बाद वो राज्यपाल को इस्तीफा देने राजभवन पहुंचे। नीतीश कुमार ने सीएम के पद से इस्तीफा देने के साथ ही विधायकों का समर्थन – पत्र भी गवर्नर को सौंप दिया। इससे पहले मंगलवार को महागठबंधन की बैठक में नीतीश कुमार को समर्थन दिए जाने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि सीएम नीतीश कुमार एनडीए(नरेंद्र मोदी) से अलग होंगे।
पार्टी के विधायकों और सांसदों की बैठक के बाद जेडीयू ने एनडीए से अलग होने का फैसला लिया, हांलाकि इसका औपचारिक ऐलान होना अभी भी शेष है। इस घटना के बाद नीतीश कुमार राज्यपाल फागू चौहान को इस्तीफा देने पहुंचे। कहा जा रहा था कि किसी भी वक्त नीतीश कुमार अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप सकते हैं लेकिन अंततः राज्यपाल ने मिलने के लिए उन्हें शाम करीब 4 बजे का वक्त दिया। नीतीश कुमार राजभवन अकेल ही इस्तीफा देने पहुंचे। उनके इस्तीफा सौंपने के साथ ही बिहार में नई सरकार के गठन का रास्ता भी साफ हो गया है।
इस बीच बड़ी खबर यह है कि महागठबंधन की नई नीतीश सरकार में दो उपमुख्यमंत्री रहेंगे। इनमें आरजेडी से तेजस्वी यादव का नाम तय है। सूत्रों के मुताबिक JDU की मीटिंग में नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा हमेशा हमें कमजोर करने की कोशिश की। भाजपा ने मुझे अपमानित किया। 2013 से लेकर अब तक भाजपा ने सिर्फ धोखा ही दिया।
उपेंद्र कुशवाहा, JDU नेता- नए स्वरूप में नए गठबंधन के नेतृत्व की जवाबदेही के लिए नीतीश कुमार को बधाई। आप आगे बढ़िए। देश आपका इंतजार कर कर रहा है।रोहिणी आचार्य, लालू यादव की बेटी- राजतिलक की करो तैयारी, आ रहे हैं लालटेनधारी।
पशुपति कुमार पारस, केंद्रीय मंत्री- RJD और JDU की सरकार पहले भी बनी थी लेकिन चल नहीं पाई। फिर ये लोग मिलकर सरकार बना रहे हैं। ये बिहार के विकास के लिए शुभ संकेत नहीं है। हमारी पार्टी NDA के साथ थी और आगे भी रहेगी।
नीतीश कुमार 2013 में भाजपा और 2017 में राजद से गठबंधन तोड़ चुके हैं। दोनों ही बार उन्होंने सरकार बनाई थी और सूबे के मुख्यमंत्री बने थे।
पिछले वर्ष बजट सत्र में विधानसभा में हुए भारी हंगामे और विपक्षी विधायकों की ओर से स्पीकर विजय कुमार सिन्हा के साथ किए गए दुर्व्यवहार मसले पर विधानसभा की आचार समिति की सिफारिश के आधार पर 14 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है। राज्य में जारी सियासी गतिविधि के बीच इस मसले पर भी फैसले लिए जाने की आशंका जताई जा रही है।
दरअसल, आचार समिति की सिफारिश अभी स्पीकर के स्तर पर विचाराधीन है। उस रिपोर्ट में क्या कार्रवाई की अनुशंसा की गई है यह सदन में पेश होने पर ही पता चलेगा, पर सूत्रों की मानें तो 14 आरोपी विधायकों की सदस्यता जाने का खतरा बरकरार है।