पालिकाध्यक्ष ओमप्रकाश, ईओ विजयप्रताप सिंह पर मुकदमा : डेढ करोड़ घोटाले का आरोप

करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ :

गंगाजल मील के विधायक काल में खास रहे पूर्व पालिकाध्यक्ष बनवारी ने मील के वर्तमान सत्ता विहीन काल में खास पालिकाध्यक्ष मास्टर ओमप्रकाश कालवा पर सीवरेज घोटाले का मुकदमा कर दिया। मामला है सीवरेज कं को 1 करोड़ 48 लाख रूपये भुगतान करने का। इसमें फर्जी दस्तावेज बनाने और गलत भुगतान कर पालिका को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। यह मामला लगातार चर्चा में रहा। परसराम भाटिया और बनवारीलाल ने भुगतान से संबंधित दस्तावेजों और माप पुस्तिका की प्रमाणित नकलें मांगी जो धरने प्रदर्शन करने के बाद में दी गई। ओमप्रकाश कालवा ने एक प्रेस कान्फ्रेंस भी की जिसमें यह भी कह दिया था कि परसराम भाटिया ब्लॉक अध्यक्ष का पद इस्तेमाल कर रहा है, इसे तो हटाया जा चुका है। 

यह कागजी युद्ध काफी समय तक चलते हुए मुकदमा होने की स्टेज तक पहुंच गया। इस मुकदमें  में अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह और एकाउंटेंट भी लपेटे गए हैं। अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा सीवरेज कं को यह भुगतान दिलाने में इंटरेस्टेड रहा हो तो भी सरकार के प्रतिनिधि अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह को तो रोकना था। 

इस मुकदमें की पुलिस जांच कुछ दिनों में शुरू हो जाएगी। कानून के जानकार मानते हैं कि पुलिस अनुसंधान को कभी भी कमतर नहीं मानना चाहिए। यह एक पंक्ति मुसीबतों का पहाड़ है। 

ओमप्रकाश कालवा और बनवारीलाल मेघवाल में काफी समय से नाराजगी चल रही थी। ओमप्रकाश कालवा के नाराजगी की तरफ ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष परसराम भाटिया भी खड़े हैं। मील ने भाटिया को भी नहीं रोका।

कागजी युद्ध  चलते के बीच में ही कुछ महीने पहले बनवारीलाल मेघवाल को कांग्रेस में पुनः प्रवेश गंगाजल मील ने कराया था। लेकिन बनवारी लाल को ओमप्रकाश कालवा के विरुद्ध शिकायतें करने से नहीं रोका। बनवारीलाल को मुकदमा करने से भी नहीं रोका। यह बहुत विचारणीय बिंदु है। 

 मील रोकते तो ओमप्रकाश कालवा पर मुसीबत नहीं आती। वर्तमान में ओमप्रकाश कालवा मील के खासमखास हैं और नगरपालिका के हर काम में उनको बुलाते रहे हैं। अभी अभियान में पट्टे उनके हाथों से बंटवाने का कार्य भी कराया। मील नगरपालिका सदन के सदस्य और जनप्रतिनिधि भी नहीं। 

ऐसा तो नहीं है कि कांग्रेस में बाहर जो चलता दीख रहा है वह अंदर नहीं हो अंदर कुछ और चल रहा है। ओमप्रकाश कालवा ने ठेकों के भुगतान में पट्टे आदि देने में भी खास समझे जा रहे लोगों को चक्कर कटवाए वे राजी नहीं हैं।

ओमप्रकाश कालवा की स्थिति मुकदमेंं से कमजोर और अध्यक्ष वाली कुर्सी डगमग होने के संकेत हैं।०0०