सूरतगढ़:पूर्व पालिकाध्यक्ष को पट्टा क्यों नहीं दिया:ईओ ने बताया कारण
करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ – 26 जुलाई :
पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष को वर्तमान अध्यक्ष द्वारा अभियान होते हुए भी पट्टा नहीं दिये जाने से अनेक प्रश्न पैदा हो गए हैं कि आखिर क्या कारण हैं जो पट्टा बनाने में बाधा है। नगरपालिका प्रशासन पर पट्टे नहीं देने के आरोप हैं। ऐसी स्थिति में पूर्व पालिकाध्यक्ष को पट्टा नहीं दिया जाने का मामला भी जुड़ा है। आवेदक सन् 1974 में पालिकाध्यक्ष रहे जब केवल 12 सदस्य होते थे। यह मामला इसलिए अधिक चर्चित हो गया कि वार्ड के पार्षद ने भी उक्त पट्टा दिए जाने की मांग नगरपालिका अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी से की तथा जिला कलेक्टर तक को इससे अवगत कराया।
नगरपालिका अध्यक्ष ओमप्रकाश कालवा और अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह पर पट्टे नहीं देने के आरोप कुछ पार्षद लगा रहे हैं। पीपा बजाकर बोला गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बार बार निर्देश दिए हैं। अनेक नियमों को साधारण भी बना दिया। उपखंड अधिकारी सूरतगढ़ को नोडल अधिकारी भी बनाया ताकि अधिक कार्य हो सके।
नगरपालिका प्रशासन से 22 जुलाई 2022 को पूर्व अध्यक्ष को पट्टा नहीं दिए जाने का कारण पूछा गया।
अधिशासी अधिकारी विजयप्रताप सिंह से यह कारण पूछा गया। उस समय वार्ड पार्षद मदन ओझा भी उपस्थित थे।
प्रश्न बहुत साधारण ही था
अधिशासी अधिकारी ने बताया कि पूर्व अध्यक्ष आवासीय पट्टा नहीं मांग रहे, वे व्यावसायिक पट्टा मांग रहे हैं। वे पुराने बाजार स्थित व्यावसायिक भूखंड का पट्टा मांग रहे हैं। उन्होंने जो दस्तावेज लगाए हैं जिनसे भूखंड पर उनका मालिकाना हक साबित नहीं होता। उनके दस्तावेज किराये लेनदेन वाले हैं जिनसे मालिक होना साबित नहीं होता।
एक प्रश्न और किया गया कि यदि शपथपत्र दिया जाए तब पट्टा बनाया जा सकता है? अधिशासी अधिकारी ने उत्तर दिया कि शपथपत्र से भूखंड का मालिक नहीं माना जा सकता। भूखंड का मालिक कौन है और यह स्थिति या सही सही जानकारी पूर्व अध्यक्ष ही दे सकते हैं। पूर्व अध्यक्ष अपनी बात दस्तावेज आदि प्रेसकान्फ्रेंस आयोजित करके खुलासा कर सकते हैं कि नगरपालिका पट्टा क्यों नहीं दे रही? पालिका प्रशासन ने जो कारण बताए हैं कि मालिकाना अधिकार साबित नहीं हो रहा है, उस पर भी सही जानकारी दे सकते हैं। अभी प्रशासन शहरों की ओर चल रहा है इसलिए अभियान के दौरान शीघ्र ही सही स्थिति का खुलासा हो तो पट्टे के मामले में नगरपालिका को सक्रिय होना पड़ेगा।