दिल्‍ली सरकार की नई एक्‍साइज पॉलिसी पर बवाल, एलजी ने CBI जांच बैठाई

नई आबकारी नीति के जरिए दिल्‍ली सरकार शराब खरीदने का अनुभव बदलना चाहती थी। नई पॉलिसी में होटलों के बार, क्‍लब्‍स और रेस्‍टोरेंट्स को रात 3 बजे तक ओपन रखने की छूट दी गई है। वे छत समेत किसी भी जगह शराब परोस सकेंगे। इससे पहले तक, खुले में शराब परोसने पर रोक थी। बार में किसी भी तरह के मनोरंजन का इंतजाम क‍िया जा सकता है। इसके अलावा बार काउंटर पर खुल चुकीं बोतलों की शेल्‍फ लाइफ पर कोई पाबंदी नहीं होगी।

  • दिल्‍ली सरकार की आबकारी नीति पर टेढ़ी हुईं एलजी की नजरें
  • एलजी विनय कुमार सक्‍सेना ने सीबीआई जांच के आदेश दिए
  • चीफ सेक्रेटरी की रिपेार्ट में कई नियमों के उल्‍लंघन की बात
  • इसी रिपोर्ट के आधार पर हुई सीबीआई जांच की सिफारिश

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/नयी दिल्ली :

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने एक और बड़ा झटका दिया है। उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी की सीबीआई जांच की सिफारिश की है। बताया जा रहा है कि मुख्य सचिव की रिपोर्ट के बाद एलजी ने यह कदम उठाया है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में कई नियमों की अनदेखी की बात कही गई है। लाइसेंस बांटने में गड़बड़ी का आरोप लगा है।

केजरीवाल सरकार पर नई आबकारी नीति के तहत शराब की दुकानों के टेंडर में गड़बड़ी का आरोप है। आरोप है कि नई आबकारी नीति में नियमों की अनदेखी करते हुए शराब की दुकानों के टेंडर दिए गए। 

एलजी ने दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी की रिपोर्ट के बाद सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इसी महीने की शुरुआत में तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार केजरीवाल सरकार पर जीएनसीटीडी एक्ट 1991, व्यापार लेनदेन नियम 1993, दिल्ली आबकारी नीति 2009 और दिल्ली आबकारी नियम 2010 के उल्लंघन का आरोप है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें दावा किया गया था कि की GNCTD अधिनियम 1991, व्यापार नियमों के लेनदेन (TOBR)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियम-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन किया गया है। इसके अलावा एक्साइज पॉलिसी में नियमों को ताक पर रखकर शराब बेचने वालों को टेंडर बाँटे गए। शुक्रवार (22 जुलाई 2022) को अधिकारियों ने कहा कि इसी रिपोर्ट के आधार पर एलजी ने सीबीआई जाँच की सिफारिश कर दी है।

गौरतलब है कि नई आबकारी नीति 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था, जिसके तहत दिल्ली को 32 जोन में बाँटा गया था। इसके तहत शहर भर में 849 दुकानों के लिए निजी बोलीदाताओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए थे। शहर के गैर-पुष्टि क्षेत्रों में स्थित होने के कारण कई शराब की दुकानें नहीं खुल सकीं। उन्होंने बताया कि नगर निगमों ने ऐसे कई ठेकों को सील कर दिया है।

मुश्किल में पड़ सकते हैं मनीष सिसोदिया

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आबकारी विभाग की भी जिम्मेदारी दी गई है। मुख्य सचिव की रिपोर्ट में उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसमें इस बात का खुलासा किया गया है कि नई आबकारी नीति के जरिए कोरोना का बहाना बनाकर लाइसेंसिंग फीस को माफ कर दिया गया था। आरोप है कि दिल्ली सरकार ने शराब कारोबारियों को टेंडर प्रक्रिया के जरिए 144.36 करोड़ रुपए का लाभ पहुँचाया है।

तिलमिला गई आम आदमी पार्टी

CBI जाँच की सिफारिश होते ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी तिलमिला गई है। आप नेता सौरभ भारद्वाज ने केंद्र सरकार पर राजनीतिक कार्रवाई करने का आरोप लगाया। भारद्वाज ने कहा, “सीएम केजरीवाल की देश भर में बढ़ती प्रतिष्ठा पंचायत चुनाव में भी केंद्र के लिए खतरा बन गई है। हम कह रहे हैं कि पंजाब की जीत के बाद बीजेपी की केंद्र सरकार हमसे डरी हुई है। आने वाले दिनों में पूछताछ शुरू की जाएँगी।”

AAP नेता ने आरोप लगाया, “अब 2016 की स्थिति आने वाली है। हमें रोकने के लिए सीबीआई, आयकर, ईडी द्वारा पूछताछ शुरू की जाएगी। हमारे काम में बाधा डालने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के बाद अब उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को टार्गेट किया जा रहा है।”

दिल्‍ली में शराब के दीवानों के लिए क्‍या बदल चुका है?

  • हर दुकान पर वॉक-इन जैसा अनुभव। इसी मकसद से दुकान की डिजाइनिंग।
  • ग्राहकों को दुकान के बाहर भीड़ लगाने की इजाजत नहीं।
  • हर ग्राहक दुकान के भीतर आएगा, शराब चुनेगा और दुकान के भीतर ही लेन-देन पूरा होना चाहिए।
  • दुकानों में क्‍लोज्‍ड ग्‍लास डोर होना चाहिए, एयर-कंडीशंड और रोशन की पर्याप्‍त व्‍यवस्‍था होनी चाहिए।
  • हर दुकान में और आसपास सुरक्षा के पर्याप्‍त इंतजाम हों।

किन बातों की इजाजत नहीं?

  • दुकान को लेकर आसपास के लोगों की कोई बड़ी शिकायत नहीं आनी चाहिए।
  • दुकान के चलते आसपास रहने वालों को कोई समस्‍या न हो।
  • ग्राहकों को कोई खास ब्रैंड खरीदने के लिए न कहा जाए।
  • दुकान के बाहर किसी तरह की ब्रैंडिंग नहीं होगी।
  • एक वार्ड में शराब की अधिकतम 27 दुकानें