भाजपा का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव से ही विपक्षी की फूट सामने आ गई है। वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति चुनाव में आगे रहने वाली ममता बनर्जी ने यह भी ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी उपराष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेगी। उनका कहना है कि उपराष्ट्रपति उम्मीदवार तय करने से पहले उनसे नहीं पूछा गया था। वहीं आम आदमी पार्टी का भी रुख अभी इस बारे में स्पष्ट नहीं है। विपक्ष जहां 2024 में लामबंद होकर भाजपा का मुकाबला करने का प्लान बना रहा था वहीं राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में यह बिखराव किसी झटके से कम नहीं है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, नयी दिल्ली :
देश की राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को हुए मतदान के बाद गुरुवार को हुई मतगणना में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बड़े अंतर से जीत मिली है। मुर्मू को करीब 500 से ज्यादा सांसदों के वोट हासिल हुए और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा 200 सांसदों को ही अपने पक्ष में खड़ा कर सके। नतीजों से साफ है कि आदिवासी समाज से आने वाली द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी। उनकी जीत पर बीजेपी कार्यकर्ता जश्न मना रहे हैं साथ ही उनके गृहराज्य ओडिशा में भी खुशी की लहर दौड़ चुकी है।
अधिकारियों के मुताबिक सभी सांसदों के वोटों की गिनती पूरी होने के बाद उसमें से 15 सांसदों के वोट अमान्य पाए गए थे। वहीं राष्ट्रपति चुनाव में आठ सांसदों ने वोट नहीं डाला। अधिकारियों ने बताया कि इस राष्ट्रपति चुनाव में हर सांसद के वोट का मूल्य 700 है और मुर्मू को मिले कुल मतों का मूल्य 5,23,600 हासिल है। जो कि सांसदों के कुल वैध मतों का 72.19 प्रतिशत है, यह उनके पक्ष में कुछ क्रॉस वोटिंग के संकेत देता है।
मुर्मू को आधिकारिक रूप से समर्थन देने वाले दलों की संख्या बल के अतिरिक्त उन्हें पांच से छह और सांसदों के वोट मिलने का अनुमान है। चुनाव से पहले विभिन्न दलों के 538 सांसदों ने मुर्मू को अपना समर्थन दिया था, लेकिन उनमें से कुछ ने वोट नहीं दिया। दूसरी ओर, सिन्हा के कुल वोटो का मूल्य 1,45,600 था, जो कुल वैध मतों का 27.81 प्रतिशत है। अधिकारियों ने बताया कि मतगणना के दूसरे दौर में विधायकों के मतों की गिनती हुई है।
देश के नए राष्ट्रपति का शपथग्रहण 25 जुलाई को होना है। उससे एक दिन पहले यानी 24 जुलाई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल खत्म हो रहा है।