पूजा छाबड़ा की लोकप्रियता का शानदार प्रदर्शन.चुनाव की अपील:घोषणा की प्रतीक्षा
बात घूम कर फिर वहीं आती है कि पूजा छाबड़ा चुनाव लड़ेगी या नहीं लड़ेगी? गुरूशरण छाबड़ा के बलिदान के बाद सूरतगढ़ में राजकीय महाविद्यालय का नाम गुरूशरण छाबड़ा के नाम कर दिया। पुरानी आबादी के उ.मा.विद्यालय का नाम भी गुरूशरण छाबड़ा के नाम कर दिया गया। श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में किसी नेता के नाम से संस्थाएं नहीं हुई। छाबड़ा के कई आंदोलनों का इतिहास पूजा छाबड़ा को सशक्त बनाता है। राजनेतावों की संतति अपने दादा पड़दादा पिता के कामों का श्रेय लेते रहे हैं। पूजा छाबड़ा चुनाव लड़ेगी तो स्व.छाबड़ा के किए कामों का लाभ मिलेगा ही।
- पूजा छाबड़ा के चुनाव लड़ने की घोषणा का इंतजार
- राजनीति करने और चुनाव लड़ने की गरीब पिछड़े लोगों की अपील प्रभावशाली अपील
करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ :
शराबबंदी आमरण अनशन में प्राणोत्सर्ग करने वाले शहीद गुरूशरण छाबड़ा जी की जयंती समारोह में उमड़ी भीड़ के जयकारों से पूजा छाबड़ा के विधानसभा चुनाव लड़ने की जन अपील हो चुकी है। राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी आंदोलन की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूजा भारती को ही घोषणा करनी है। इसमें अभी जल्दबाजी नहीं होगी। बहुत से महत्वपूर्ण राजनैतिक निर्णय होने के बाद विशाल जन सम्मेलन में घोषणा होगी। आशा है कि वह सार्वजनिक घोषणा विशाल पंडाल में होगी।
सूरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र की जनता की प्रथम प्रक्रिया आ चुकी है की शहीद छाबड़ा जी की पुत्रवधू पूजा छाबड़ा यहां से चुनाव लड़े़। स्थानीय सत्ताधारी,सत्ता से दूर, विधायक, पूर्व विधायक, नेता राजनेता यह अपील नहीं करेंगे। यह तथ्य और कथ्य दोनों हैं। जो सत्ता सुख पांच पांच साल भोग चुके हैं वे फिर सत्ता में आने को आतुर हैं। पांच पांच साल राज में जो चाहा किया गया तब और करने के लिए बाकी क्या रह गया कि फिर सत्ता चाहिए और घर में बैठे हुए चाहिए।
सालों से विभिन्न प्रकार की परेशानियां भोग रहे लोगों को जब किसी नेता ने किसी विधायक ने नहीं सुना, बात तक नहीं की तब उन पीड़ित लोगों को पूजा छाबड़ा में भरोसा नजर आया है। उनको भरोसा है कि यह शक्ति जरूर कुछ कर सकती है। पूजा छाबड़ा को चुनाव में उतरने की अपील इस जनता ने की है। ऐसी अपीलें जब जब हुई हैं तब तब परिवर्तन आए हैं।
सूरतगढ़ में 70 सालों में एक बार महिला विजय लक्ष्मी बिश्नोई विधायक रही। उनका कार्यकाल 1998 से 2003 तक रहा। आगामी चुनाव 2023 तक बीस साल हो जाऐंगे। इन बीस सालों में पुरुषों का राज काज देख लिया। महिला विधायक बने और सब का सहयोग मिले तो नारी शक्ति, नारी स्वावलंबन आदि के नारे सार्थक हो जाऐंगे।
राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी और भ्रष्टाचार मुक्ति के प्रयासों में लगी पूजा छाबड़ा में बहुत कुछ भरोसा लगा।
सूरतगढ़ के अग्रसेन भवन में 9 जून 2022 को आयोजित शराबबंदी और समाज सुधार समारोह में जगह कम पड़ गई। अतिथियों के भाषणों के बीच में भी महिलाएं करीब दो घंटे पूजा छाबड़ा को मालाएं पहनाती रही। महिलाओं की भीड़ इससे पहले किसी सामाजिक राजनैतिक कार्यक्रम में नहीं रही। आश्चर्यजनक दृश्य था। महिलाओं की टोलियां पूजा छाबड़ा के नारे लगाते हुए आती रही। सपेरों की टोली बीन बजाते आई और मंच पर पहुंच कर पूजा छाबड़ा को आशीर्वाद दिया।
समारोह में श्री कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृषणम् ने ईश्वर के बाद पहला स्थान दिया और गुरूशरण छाबड़ा की शहादत को समाज के लिए किया बलिदान बताया। मरण व्रत लेना आसान नहीं होता। अपने प्राणों की आहुति देना जिसमें स्वयं के लिए कुछ नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी आते और कहते गए कि राजनीति नहीं कर रहे। यह राजनैतिक मंच नहीं है। उन्होंने कहा राजनीति हर स्थान पर हो रही है तो फिर राजनीति क्यों नहीं की जाए? राजनीति की जानी चाहिए। सरकारें बहरी होती है। जब नहीं सुनती तब ढोल नगाड़े बजाने पड़ते हैं। लोकतंत्र में जब सरकारें नहीं सुनती तब अपनी आवाज के लिए एक ही माध्यम होता है चुनाव लड़ना।
उन्होंने चुनौती पूर्ण रूप में कहा कि जब कोई महारानी सीएम बन सकती है तो पूजा छाबड़ा क्यों नहीं बन सकती।
आचार्य ने कहा कि चुनाव लड़ने का निर्णय पूजा छाबड़ा को ही करना है।
उन्होंने कहा कि यह गांधी का देश है। गांधी जी की तस्वीरें सरकारी कार्यालयों में लगी हैं। गांधी शराब के विरुद्ध थे तो शराबबंदी संपूर्ण देश में लागू होनी चाहिए। गुजरात और बिहार में शराब बंदी लागू है तो राजस्थान में भी हो। राजस्थान के मुख्यमंत्री गांधीवादी कहलाते हैं इसलिए उनको यहां शराबबंदी करनी चाहिए।
पूजा छाबड़ा ने कहा कि उनके पिता ससुर ने शराब बंदी के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए। वह उनके कार्य को ही लेकर चल रही है। शराब को अपराधों की जननी बताते हुए कहा की सब पीड़ाएं नारी भोग रही है। नारी को लड़कियों को रेप जैसे घृणित अपराध का शिकार होना पड़ रहा है। पूजा ने शराब बंदी में मिल रहे जन सहयोग की प्रशंसा की।
बात घूम कर फिर वहीं आती है कि पूजा छाबड़ा चुनाव लड़ेगी या नहीं लड़ेगी? गुरूशरण छाबड़ा के बलिदान के बाद सूरतगढ़ में राजकीय महाविद्यालय का नाम गुरूशरण छाबड़ा के नाम कर दिया। पुरानी आबादी के उ.मा.विद्यालय का नाम भी गुरूशरण छाबड़ा के नाम कर दिया गया। श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों में किसी नेता के नाम से संस्थाएं नहीं हुई। छाबड़ा के कई आंदोलनों का इतिहास पूजा छाबड़ा को सशक्त बनाता है। राजनेतावों की संतति अपने दादा पड़दादा पिता के कामों का श्रेय लेते रहे हैं। पूजा छाबड़ा चुनाव लड़ेगी तो स्व.छाबड़ा के किए कामों का लाभ मिलेगा ही।
गुरूशरण छाबड़ा के आंदोलनों में सहयोगी रहे हजारों लोग वृद्धावस्था में हैं लेकिन वे सहयोग के लिए तत्पर रहेंगे।
करणीदानसिंह राजपूत,(गुरूशरण छाबड़ा के आंदोलनों का साथी)