इस साल देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है, आइये जानते हैं की राष्ट्रपति कैसे चुने जाते हैं
इस साल देश के नए राष्ट्रपति का चुनाव होना है, ऐसे में सरकार और विपक्ष की ओर से इसकी तैयारी शुरू हो गई है। इस बीच जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसके अनुसार विपक्ष कांग्रेस और विपक्ष अपना अलग राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार उतार सकता है जबकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी एनडीए के साथ मिलकर राष्ट्रपति का उम्मीदवार मैदान में उतार सकती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अलग राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार मैदान में उतार सकते हैं। राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और उनको देश का प्रथम नागरिक माना जाता है। भारत में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका काफी अनूठा है क्योंकि इसमें कई देशों के चुनाव के तरीकों को शामिल किया गया है।
राजनैतिक विश्लेषक सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने आयोग में अपने साथी अनूप चन्द्र पांडेय के साथ गुरुवार को विज्ञान भवन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में राष्ट्रपति के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की। राजीव कुमार ने बताया कि राष्ट्रपति पद के लिए 15 जून को अधिसूचना जारी की जाएगी। 29 जून तक नामांकन किए जा सकते हैं। सभी नामांकन दिल्ली में ही किए जा सकेंगे। नाम वापसी की अंतिम तिथि 2 जुलाई होगी। एक से अधिक उम्मीदवार होने पर मतदान 18 जुलाई को किए जायेंगे और इनके नतीजे 21 जुलाई को आयेंगे। मतगणना दिल्ली में रिटर्निंग ऑफिसर (राज्यसभा के महासचिव) की निगरानी में होगी।
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति के लिए लोकसभा और राज्यसभा सांसद तथा राज्यों की विधानसभाओं ( दिल्ली और पुडुचेरी केन्द्र शासित प्रदेशों की विधानसभा सहित) के सदस्य मतदान करते हैं। संविधान के अनुसार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए होने वाले मतदान में राजनीतिक दल अपने विधायकों व सांसदों को किसी एक को मत देने के लिए व्हीप जारी अर्थात बाध्य नहीं कर सकते।
चुनाव आयोग ने आज राष्ट्रपति चुनाव का एलान कर दिया है। दोपहर तीन बजे इसे लेकर आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। चुनाव प्रक्रिया 15 जून से शुरू होगी। 18 जुलाई को मतदान होगा तो नतीजे 21 जुलाई को आएंगे।
चुनाव की ये प्रक्रिया कब तक पूरी होगी? राष्ट्रपति चुनाव आम चुनाव से कितना अलग होता है? कौन राष्ट्रपति चुनाव लड़ सकता है? इस चुनाव में कौन वोट डाल सकता है? क्या अलग-अलग वोटर के वोट की वैल्यू भी अलग-अलग होती है? वोट की वैल्यू तय कैसे होती है? आइए जानते हैं…
कब तक पूरी होगी चुनाव की प्रक्रिया?
15 जून को चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून तक है। मतदान 18 जुलाई को होगा। वहीं नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। इसके बाद 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नए राष्ट्रपति को शपथ दिलाएंगे।
25 जुलाई को ही क्यों शपथ लेते हैं नए राष्ट्रपति?
हर पांच साल पर 25 जुलाई को देश को नया राष्ट्रति मिलता है। ये सिलसिला 1977 से चल रहा है। जब उस वक्त के राष्ट्रपति फकरुद्दीन अली अहमद का कार्यकाल के दौरान फरवरी 1977 में निधन हो गया।
राष्ट्रपति के निधन के बाद उप राष्ट्रपति बीडी जत्ती कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। नए राष्ट्रपति की चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद नीलम संजीव रेड्डी 25 जुलाई 1977 को राष्ट्रपति बने। इसके बाद से ही हर पांच साल पर 25 जुलाई को राष्ट्रपति चुने जाते हैं।
पूरे विश्व में भारत सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं। भारत के राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना जाता है। राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है और वह तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है। राष्ट्रपति को शपथ इसलिए दिलाई जाती है ताकि संविधान और भारत के कानून को संरक्षित और सुरक्षित किया जा सके।
राष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा-राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट कौन डालता है?
राष्ट्रपति का चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा के सभी सांसद और सभी राज्यों के विधायक वोट डालते हैं। इन सभी के वोट की अहमियत यानी वैल्यू अलग-अलग होती है। यहां तक कि अलग-अलग राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू भी अलग होती है। एक सांसद के वोट की वैल्यू 708 होती है। वहीं, विधायकों के वोट की वैल्यू उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होती है।
वोट डालने की प्रक्रिया भी आम चुनाव जैसी नहीं होती है। वोटर्स को चुनाव आयोग की ओर से एक विशेष पेन दी जाती है। उसी पेन से उम्मीदवारों के आगे वोटर को नंबर लिखने होते हैं। एक नंबर उसे सबसे पसंदीदा उम्मीदवार के नाम के आगे डालना होता है। ऐसे दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के आगे दो लिखना होता है। अगर आयोग द्वारा दी गई विशेष पेन का इस्तेमाल नहीं होता तो वह वोट इनवैलिड हो जाता है।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने वोटर्स होंगे?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानसभा के सदस्य वोट डालते हैं। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में से 233 सांसद ही वोट डाल सकते हैं। 12 मनोनीत सांसद इस चुनाव में वोट नहीं डालते हैं। इसके साथ ही लोकसभा के सभी 543 सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेंगे। इनमें आजमगढ़, रामपुर और संगरूर में हो रहे उप चुनाव में जीतने वाले सांसद भी शामिल होंगे।
इसके अलावा सभी राज्यों के कुल 4 हजार 33 विधायक भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालेंगे। इस तरह से राष्ट्रपति चुनाव में कुल मतदाताओं की संख्या 4 हजार 809 होगी। हालांकि, इनके वोटों की वैल्यू अलग-अलग होगी।
राज्यवार विधायकों के वोट की कितनी अहमियत होती है?
देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट की वैल्यू सबसे ज्यादा 208 होती है। वहीं, इसके बाद झारखंड और तमिलनाडु के एक विधायक के वोट की वैल्यू 176 तो महाराष्ट्र के एक विधायक के वोट की वैल्यू 175 होती है।
बिहार के एक विधायक के वोट की वैल्यू 173 होती है। सबसे कम वैल्यू सिक्किम के विधायकों की होती है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू सात होती है। इसके बाद नंबर अरुणाचल और मिजोरम के विधायकों का आता है। यहां के एक विधायक के वोट की वैल्यू आठ होती है।
किस राज्य के विधायक के वोट की वैल्यू कितनी है?
राज्य | सदस्यों की संख्या | एक सदस्य के वोट की वैल्यू | सभी सदस्यों के वोट की वैल्यू |
आंध्र प्रदेश | 175 | 159 | 27,825 |
अरुणाचल प्रदेश | 60 | 08 | 480 |
असम | 126 | 116 | 14,616 |
बिहार | 243 | 173 | 42,039 |
छत्तीसगढ़ | 90 | 129 | 11,610 |
गोवा | 40 | 20 | 800 |
गुजरात | 182 | 147 | 26,754 |
हरियाणा | 90 | 112 | 10,080 |
हिमाचल प्रदेश | 68 | 51 | 3,468 |
झारखंड | 81 | 176 | 14,256 |
कर्नाटक | 224 | 131 | 29,344 |
केरल | 140 | 152 | 21,280 |
मध्य प्रदेश | 230 | 131 | 30,130 |
महाराष्ट्र | 288 | 175 | 50,400 |
मणिपुर | 60 | 18 | 1,080 |
मेघालय | 60 | 17 | 1,020 |
मिजोरम | 40 | 08 | 320 |
नगालैंड | 60 | 09 | 540 |
ओडिशा | 147 | 149 | 21,903 |
पंजाब | 117 | 116 | 13,572 |
राजस्थान | 200 | 129 | 25,800 |
सिक्किम | 32 | 07 | 224 |
तमिलनाडु | 234 | 176 | 41,184 |
तेलंगाना | 119 | 132 | 15,708 |
त्रिपुरा | 60 | 26 | 1,560 |
उत्तराखंड | 70 | 64 | 4,480 |
उत्तर प्रदेश | 403 | 208 | 83,824 |
पश्चिम बंगाल | 294 | 151 | 44,394 |
दिल्ली | 70 | 58 | 4060 |
पुडुचेरी | 30 | 16 | 480 |
कुल | 4033 | ———— | 5,43,231 |
* जम्मू कश्मीर की विधानसभा अभी भंग है।
सांसदों के वोट की क्या होगी वैल्यू?
राज्यसभा के 245 में से 233 सांसद राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालते हैं। लोकसभा में 543 सांसद वोट डालते हैं। राज्यसभा और लोकसभा सदस्यों के एक वोट की कीमत 700 होती है। दोनों सदनों में सदस्यों की संख्या 776 है। इस लिहाज से सांसदों के सभी वोटों की वैल्यू 5,43,200 होती है। अब अगर विधानसभा सदस्यों और सांसदों के वोटों की कुल वैल्यू देखें तो यह 10 लाख 86 हजार 431 हो जाती है। मतलब राष्ट्रपति चुनाव में इतने वैल्यू वाले वोट पड़ेंगे।
एक वोट की कीमत अलग-अलग क्यों होती है?
- हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की जनसंख्या अलग-अलग है। इस चुनाव में हर एक वोट की कीमत राज्य की जनसंख्या और वहां की कुल विधानसभा सीटों के हिसाब से तय होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि हर वोट सही मायने में जनता की नुमाइंदगी करे।
- वोटों की ये वैल्यू मौजूदा या आखिरी जनगणना की जनसंख्या के आधार पर तय नहीं होती है। इसके लिए 1971 की जनसंख्या को आधार बनाया गया है। राष्ट्रपति चुनाव में जनगणना का आधार 2,026 के बाद होने वाली जनगणना के बाद बदलेगा। यानी, 2031 की जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद 1971 की जगह 2031 की जनगणना के आधार पर सांसदों और विधायकों के वोट की वैल्यू तय होगी।
- अब बात विधायक और सांसद के वोट का मूल्य की। दोनों के मूल्य तय करने का तरीका अलग-अलग है। विधायक के वोट का मूल्य एक साधारण सूत्र से तय होता है। सबसे पहले उस राज्य की 1971 की जनगणना के मुताबिक जनसंख्या को लेते हैं। इसके बाद उस राज्य के विधायकों की संख्या को सौ से गुणा करते हैं। गुणा करने पर जो संख्या मिलती है उससे कुल जनसंख्या को भाग दे देते हैं। इसका नतीजा जो आता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का मूल्य होता है।
- इसे एक उदाहण से समझ सकते हैं। जैसे 1971 में उत्तर प्रदेश की कुल आबादी 8,38,49,905 थी। राज्य में कुल 403 विधानसभा सीटें हैं। कुल सीटों को 1000 से गुणा करने पर हमें 403000 मिलता है। अब हम 8,38,49,905 को 403000 से भाग देते हैं तो हमें 208.06 जवाब मिलता है। वोट दशमलव में नहीं हो सकता इस तरह उत्तर प्रदेश के एक विधायक के वोट का मूल्य 208 होता है।
- अब बात सांसदों के वोट की कीमत की करते हैं। सांसदों के वोट की कीमत निकालने के लिए सभी विधायकों के वोट की कीमत को जोड़ लिया जाता है। जोड़ने पर जो संख्या आती है उसे राज्यसभा और लोकसभा के कुल सांसदों की संख्या से भाग दे देते हैं। वही एक सांसद के वोट की कीमत होती है। जैसे उत्तर प्रदेश के कुल 403 विधायकों के वोट की कुल कीमत 208*403 यानी 83,824 है।
- इसी तरह देशभर के सभी विधायकों के वोट की कीमत का जोड़ 543,231 है। राज्यसभा के 233 और लोकसभा के 543 सासंदों का जोड़ 776 है। अब 5,43,231 को 776 से भाग देने पर हमें 700.03 मिलता है। इस पूर्णांक में 700 लिया जाता है। इस तरह एक सांसद के वोट का मूल्य 700 होता है। विधायकों और सांसदों के कुल वोट को मिलाकर ‘इलेक्टोरल कॉलेज’कहा जाता है। यह संख्या 10,86,431 होती है।
क्या पार्टियां इस चुनाव के लिए भी व्हिप जारी करती हैं?
व्हिप एक तरह आदेश होता है तो पार्टियां अपने सांसदों और विधायकों को जारी करती हैं। व्हिप का उल्लंघन करने पर संबंधित सांसद या विधायक की सदस्यता भी चली जाती है। हालांकि, राष्ट्रपति चुनाव में पार्टियां व्हिप जारी नहीं कर सकती हैं। सांसद और विधायक इस चुनाव में वरीयता के आधार पर वोट करते हैं। यानी, जो आपका पसंद का उम्मीदवार है उसे पहली वरीयता देनी होती है। यानी, उसके नाम के आगे एक लिखना होता है। दूसरी पसंद वाले उम्मीदवार के नाम के आगे दो नंबर लिखना होता है। सबसे पहले पहली वरीयता वाले वोट गिने जाते हैं। अगर पहली वरीयता में उम्मीदवार को पचास फीसदी से ज्यादा मूल्य के वोट नहीं मिलते तो दूसरी वरीयता के वोटों की गनती होती है।
कौन लड़ सकता है राष्ट्रपति चुनाव?
चुनाव लड़ने वाला भारत का नागरिक होना चाहिए। उसकी उम्र 35 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। चुनाव लड़ने वाले में लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए। इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए।