चंडीगढ़ कांग्रेस को फिर बड़ा झटका, एक और पार्षद गुरचरण सिंह काला हुए भाजपा में शामिल

दिसंबर में निगम चुनाव में कांग्रेस 8 सीटें जीती थी। हरप्रीत बबला के जाने के बाद 7 सीटें रह गई थी और अब 6 पार्षदों के साथ कांग्रेस हाउस में आएगी। हाल ही में भाजपा ने कांग्रेस के एक सचिव अजय शर्मा समेत हजार के लगभग कार्यकर्ताओं को भाजपा जॉइन करवाई थी। यह सब शहर की सांसद किरण खेर की मौजूदगी में हुआ था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद का कहना है कि कांग्रेसी पार्टी की नीतियों से तंग आकर भाजपा में आ रहे हैं और उनका स्वागत है। एक और कांग्रेसी पार्षद के भाजपा में आने से सांसद का वोट मिला भाजपा के 15 वोट हो गए हैं। वहीं आप पहले से ही 14 पर बनी हुई है। कांग्रेस के 6 और शिरोमणि अकाली दल का भी 1 पार्षद है।

कोरल ‘पुरनूर’, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 8 जून :

  एक तरफ जहां कांग्रेस की पंजाब इकाई से नेता बीजेपी में आ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ चंडीगढ़ इकाई का भी यही हाल है। यानि पंजाब कांग्रेस के साथ-साथ चंडीगढ़ कांग्रेस के भी नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। कांग्रेस के लिए नेताओं का यूं जाना एक बड़े झटके की बात है। फिलहाल तो खबर चंडीगढ़ से ही है, जहां कांग्रेस के गिनती के पार्षदों में एक और पार्षद कम हो गया है। अब इस पार्षद ने बीजेपी में दाखिला ले लिया है।

आज एक और कांग्रेसी पार्षद गुरचरण जीत सिंह काला भाजपा में शामिल हो गए। वह 20 नंबर वार्ड से जीते थे। सेक्टर 33 स्थित भाजपा के कमलम दफ्तर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद और शहर की सांसद किरण खेर एवं मेयर सर्बजीत कौर की मौजूदगी में आज उन्होंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

अरुण सूद ने बताया कि गुरचरण जीत सिंह काला ने भाजपा में घर वापसी की थी। वर्ष 2006 और 2008 में भाजपा के प्रदेश किसान मोचा के महामंत्री रहे हैं। किसी कारणवश काला ने इस बार कांग्रेस की टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ा था। वह जीते भी थे। शहर की मेयर ने सबसे पहले उनके ही वार्ड हल्लोमाजरा में विजिट किया था। यहां विकास कार्यों की रुपरेखा तैयार की गई। हालांकि काला की ही पार्टी कांग्रेस ने और आप ने उनके क्षेत्र के विकास कार्यों के एजेंडों का विरोध किया। हालांकि भाजपा ने एजेंडे के पक्ष में वोटिंग की। इसी से प्रभावित होकर उन्होंने घर वापसी की है।

बता दें कि 2 दिन पहले भी कांग्रेस के प्रदेश सचिव अजय शर्मा अपने समर्थकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। उसके बाद से कांग्रेस के कई नेता भाजपा के संपर्क में हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि यह उनकी ओर से कोई भी अभियान नहीं चलाया गया बल्कि कांग्रेस के नेता अपनी ही पार्टी से नाराज होकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।

कांग्रेस के एक और पार्षद के भाजपा में आने से पार्टी की स्थिति मजबूत हो गई। भाजपा अगले साल होने वाले मेयर चुनाव को देखते हुए दूसरे दलों के पार्षदों को पार्टी में शामिल करवा रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के कुछ और नेताओं और पार्षद को भाजपा की सदस्यता दिलाई जाएगी। इस समय मेयर चुनाव के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी के 14-14 वोट हैं, भाजपा को मेयर का चुनाव जीतने के लिए इससे अतिरिक्त वोटों की जरूरत है।

इसलिए भाजपा दूसरे दलों के पार्षदों पर नजर गड़ाए हुए हैं। वही कांग्रेस अपने नेताओं को भाजपा में शामिल होने से नहीं रोक पा रही। क्योंकि कांग्रेस में गुटबाजी खूब हावी है। इस समय कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष बदलने की भी चर्चा जोरों पर है। बीते साल दिसंबर में हुए नगर निगम चुनाव के तुरंत बाद कांग्रेस नेता दविंदर सिंह बबला पार्षद पत्नी हरप्रीत कौर के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। हरप्रीत को बबला इस समय नगर निगम की पार्षद हैं। बबला के भाजपा में शामिल होने के बाद ही भाजपा मेयर का चुनाव जीत पाई थी। इस समय बबला कांग्रेस को निरंतर डेंट (नुकसान) डाल रहे हैं और कांग्रेस नेताओं को भाजपा में शामिल करवा रहे हैं। जबकि किसी समय बबला कांग्रेस में रहते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल के काफी करीबी थे।

दिसंबर 2021 में हुए नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के 8 पार्षद जीते थे। बबला के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस के पास 7 पार्षद रह गए थे। अब एक और पार्षद भाजपा में शामिल हो रहा है, ऐसे में कांग्रेस के छह पार्षद ही नगर निगम में रह जाएंगे। एक के बाद एक सीनियर नेता भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की परेशानी बढ़ गई है।