भगवान हनुमान के जन्मस्थान तय करने को लेकर नासिक में मंगलवार को संतों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। एक संत ने कर्नाटक के संत गोविंदानंद पर मीडिया के माइक से मारने की कोशिश की। अंतत: शास्त्रार्थ से पहले चली तीन घंटे तक चर्चा में कोई समाधान नहीं निकला। धर्म संसद में ये बात तय तो नहीं हो पाई, लेकिन जो साधु-संत बातचीत के लिए इकट्ठा हुए थे, वे लड़ जरूर पड़े। नासिक के कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास और कर्नाटक के किष्किंधा के महंत गोविंदानंद सरस्वती के बीच झगड़ा हो गया। हालात यहां तक आ गए कि, महंत सुधीरदास ने गोविंदानंद सरस्वी को मारने के लिए रिपोर्टर का माइक छीन लिया। हालांकि, मारपीट शुरू होने से पहले हालात नियंत्रण में आ गए। इसके बाद धर्म संसद बिना किसी नतीजे के रद्द हो गई। धर्म संसद में नासिक, त्रयंम्बकेश्वर, कर्नाटक और सोलापुर के करीब 20-25 साधु-संत शामिल हुए थे।
नासिक, नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :
ज्ञानवापी विवाद के बाद अब भगवान हनुमान जी के जन्मस्थान को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। मामले को सुलझाने के लिए महंत श्री मंडलाचार्य पीठाधीश्वर स्वामी अनिकेत शास्त्री देशपांडे महाराज ने 31 मई को नासिक में धर्म संसद बुलाई । स्वामी अनिकेत शास्त्री ने कहा कि धर्म संसद में देश भर के सभी साधु भगवान हनुमान की जन्मभूमि के संबंध में अपने विचार रखते और उसके बाद संसद में जो भी निर्णय होगा उसे सभी स्वीकार कराते। विशेष रूप से, कर्नाटक के एक संत ने दावा किया है कि भगवान हनुमान का जन्म नासिक के अंजनेरी में नहीं बल्कि किष्किंधा, कर्नाटक में हुआ था।
धर्म संसद में ये बात तय तो नहीं हो पाई, लेकिन जो साधु-संत बातचीत के लिए इकट्ठा हुए थे, वे लड़ जरूर पड़े। नासिक के कालाराम मंदिर के महंत सुधीरदास और कर्नाटक के किष्किंधा के महंत गोविंदानंद सरस्वती के बीच झगड़ा हो गया।
हालात यहां तक आ गए कि महंत सुधीरदास ने गोविंदानंद सरस्वती को मारने के लिए रिपोर्टर का माइक छीन लिया। हालांकि मारपीट शुरू होने से पहले हालात नियंत्रण में आ गए। इसके बाद धर्म संसद बिना किसी नतीजे के रद्द हो गई। धर्म संसद में नासिक, त्रयम्बकेश्वर, कर्नाटक और सोलापुर के करीब 20-25 साधु-संत शामिल हुए थे।
दरअसल, नासिक के संतों ने पूछा कि गोविंदानंद सरस्वती किसके शिष्य हैं? तब उन्होंने जगतगुरु शंकराचार्य का नाम लिया। इस पर संत सुधीरदास पुजारी ने कहा कि वो तो कांग्रेस को समर्थन करते हैं। इस पर गोविंदानंद सरस्वती ने उंगली दिखाते हुए कहा कि आप उन्हें कांग्रेसी बोल रहे हैं। माफी मांगिए। इसके बाद सुधीरदास ने गोविंदानंद को मारने के लिए मीडिया का माइक उठा लिया। शास्त्रार्थ शुरू होने के पहले ही आसन और बैठने पर विवाद हो गया। मौके पर मौजूद पुलिस ने गोविंदानंद सरस्वती को एक कमरे में ले जाकर बिठा दिया। महंत गोविंदानंद महाराज नासिक के त्रयंबकेश्वर में आए हुए हैं और अपनी बात को प्रमणित करने के लिए उन्होंने त्रयंबकेश्वर के स्वामी और संतों को शास्त्रार्थ की चुनौती दी है।
हनुमान जयंती के मौके पर कर्नाटक के किष्किंधा और आंध्रप्रदेश के TTD(Tirumala Tirupati Devasthanams) पहुंचा था और हनुमान जन्मस्थान को लेकर एक-एक तथ्य खंगाले थे। हम TTD इसलिए गए थे, क्योंकि वहां हनुमान जी के जन्मस्थान का न सिर्फ दावा किया गया है बल्कि एक बुकलेट भी पब्लिश कर दी गई है, जिसमें जन्मस्थान के प्रमाण दिए गए हैं। यहां TTD निर्माणकार्य भी शुरू करने वाला था, जिस पर आंध्रप्रदेश के हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
हालांकि हमें जो प्रमाण मिले थे, उसमें कर्नाटक के किष्किंधा का दावा ही ज्यादा मजबूत नजर आ रहा है। यहां जन्म के 5 मजबूत प्रमाण मिले हैं। जिसमें गुफाएं, सुनहरा पर्वत, पत्थरों से बनी नगरी, पंपा नंदी, बालि-सुग्रीव किला शामिल है। 45 दिन पहले पब्लिश रिपोर्ट को हम दोबारा आपके साथ साझा कर रहे हैं।
रामानंद संप्रदाय से महंत विद्यादास यहां बीते 25 सालों से पूजन का जिम्मा संभाल रहे हैं। हनुमान जी के जन्म स्थान के बारे में पूछने पर उन्होंने कई प्रमाण दिए। तथ्यों को और ज्यादा टटोलने के लिए हम इतिहासकार, आर्कियोलॉजिस्ट और 20 सालों से भी ज्यादा समय से हंपी और किष्किंधा में रिसर्च कर रहे डॉ. शरणबसप्पा कोलकर के पास पहुंचे। वे कन्नड़ में बातचीत करते हैं, इसलिए हम अपने साथ एक बाइलिंगुअल को भी ले गए। डॉ. कोलकर के मुताबिक हनुमान जी की जन्मभूमि कर्नाटक में हंपी के पास स्थित किष्किंधा ही है।