Monday, January 20

योगी सरकार ने कहा है कि अब से कोई भी संसथान या कंपनी अपनी महिला कर्मचारी को शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच ड्यूटी में नहीं ले सकता है, और अगर जरूरी काम है तो इस समय में महिला स्टाफ को बुलाने के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी। यदि बिना अनुमति लिए किसी महिला को शाम 7 बजे से लेकर सुबह 6 बजे के बीच काम से दफ्तर बुलाया जाता है तो सीधा ऐसा करने वाली कंपनी पर कार्रवाई होगी, और कोई महिला शाम 7 बजे के बाद काम करने से मना करती है तो कंपनी उसे नौकरी से नहीं निकाल सकती है।

लखनऊ(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :  

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने कामकाजी महिलाओं को लेकर बड़ा फैसला लिया है. सरकार के आदेश में कहा गया है कि किसी भी महिला कर्मचारी को उसकी लिखित सहमति के बिना सुबह 6 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। यही नहीं, उपरोक्त घंटों के दौरान काम करने पर मुफ्त परिवहन, भोजन और पर्याप्त पर्यवेक्षण भी प्रदान किया जाए।   यूपी सरकार का यह आदेश सरकारी संस्थानों से लेकर प्राइवेट संस्थानों तक सभी पर समान रूप से लागू होगा।

अपर मुख्य सचिव श्रम सुरेश चन्द्रा ने कहा, “लिखित सहमति के बाद महिला शाम 7 से सुबह 6 बजे के बीच काम कर सकती हैं। उस दौरान कंपनी या संस्था को घर से ऑफिस और ऑफिस से घर तक के लिए फ्री कैब फैसिलिटी देनी होगी। अगर कोई कंपनी ऐसा नहीं करती है तो इसे श्रम कानून का उल्लंघन माना जाएगा। इसमें जुर्माना से लेकर जेल तक हो सकती है।”

चंद्रा ने आगे कहा, “इस आदेश को सभी जिलों में सख्ती से लागू करने के आदेश दिए गए हैं। सबसे ज्यादा महिलाएं कॉल सेंटर, होटल इंडस्ट्री और रेस्त्रां में शाम 7 बजे के बाद काम करती हैं। कॉल सेंटर और होटल इंडस्ट्री में जहां पूरी रात काम होता है। रेस्त्रां भी रात 11 बजे तक खुले रहते हैं। ऐसे में अगर कोई महिला शाम 7 बजे के बाद ड्यूटी नहीं करना चाहती है तो प्रबंधन उसको रोक नहीं सकता है।” जानकारों का यह भी कहना है कि इसमें संस्थान का लाइसेंस तक कैंसिल किया जा सकता है।

महिला अधिकारों से जुड़ी NGO चलाने वाले संदीप खरे इस फैसले को अच्छा बताते हैं। वह कहते हैं, “सरकार के इस आदेश का सबसे ज्यादा फायदा प्राइवेट सेक्टर्स में काम करने वाली महिलाओं को होगा। अनुमान है कि UP में करीब पांच लाख से ज्यादा महिलाएं शाम 7 बजे के बाद भी काम करती है।”

“इनमें ज्यादातर महिलाओं का काम रात 11 बजे तक या उससे पहले खत्म हो जाता है, लेकिन नाइट क्लब, बार, होटल और कॉल सेंटर पर लड़कियां पूरी रात काम करती हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि उनको घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी संस्था को दे दी गई है। इससे सुरक्षा का खतरा नहीं होगा।”

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार की ओर से इसस आदेश को प्रदेश के हर जिले में सख्ती से लागू कराने के आदेश दिए गए हैं। अधिकतर महिलाएँ कॉल सेंटर, होटल इंडस्ट्री और रेस्टोरेंट आदि में शाम को या देर रात तक काम करती हैं। अगर अब कोई महिला कर्मी शाम 7 बजे के बाद काम करने से मना करे तो उसे जबरन रोका नहीं जा सकता वरना कार्रवाई के तौर पर संस्थान का लाइसेंस कैंसिल हो सकता है।

इसके अलावा नए आदेश में जो महिला कर्मचारियों को सुविधा देने की माँग है वो ये कि संस्थान को उन्हें खाना उपलब्ध कराना होगा। उवके लिए शौचालय की व्यवस्था अनिवार्य है। महिला रात में तभी काम करेगी जब उस समय कम से कम अन्य चार महिलाएँ भी स्टाफ की ड्यूटी पर हों। सरकार ने फैसला लिया है कि वर्किंग प्लेस पर महिला का उत्पीड़न रोकने के लिए कमेटी का गठन अनिवार्य होगा।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं से जुड़ी एनजीओ में काम करने वाले संदीप खरे ने योगी सरकार के इस फैसले का स्वागत किया और इसे प्राइवेट सेक्टर्स में काम करने वाली महिलाओं के लिए अच्छा बताया। उन्होंने कहा है कि यूपी में लगभग 5 लाख महिलाएँ हैं जो 7 बजे के बाद भी काम करती हैं। इनमें अधिकांश का काम 11 बजे तक खत्म हो जाता है मगर नाइट क्लब, बार, होटल और कॉल सेंटर पर महिलाएँ रात पर काम करती हैं। ऐसे में अगर उन्हें मुफ्त में घर तक छोड़ने की जिम्मेदारी संस्था को मिली है तो इससे उनकी सुरक्षा को खतरा नहीं होगा।