कांग्रेस चिंतन शिविर से भी कम नहीं हुई गहलोत और युवा विधायकों की कलह
चिंतन शिविर शुरू होने से पहले होटल जाने के दौरान राहुल गांधी और सीएम अशोक की बगल वाली सीट में बैठे थे. राहुल गांधी सीएम अशोक गहलोत को खासी तवज्जों भी दे रहे थे. दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों को लेकर बातचीत भी हुई. यह भी इस बात के संकेत हैं कि सीएम की कुर्सी पर अभी गहलोत काबिज रहेंगे. आने वाला विधानसभा चुनाव उनके ही नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. गौरतलब है कि सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट में वर्चस्व की जंग चल रही है. शह मात का जो खेल प्रदेश में छिड़ा है उसमें नफा-नुक्सान में अशोक गहलोत रहे या सचिन पायलट, लेकिन उसमें हार कांग्रेस की होगी. पंजाब में इसकी बानगी पार्टी देख चुकी है. जब कैप्टन अमिरंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्दू के बीच के विवाद ने प्रदेश में कांग्रेस को ही सत्ता से बेदखल कर दिया.
सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़/जयपुर :
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित सभी वरिष्ठ नेताओं ने गुटबाजी खत्म कर एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरने का आह्वान किया लेकिन राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे की कलह खत्म होती नजर नहीं आ रही है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव करीब डेढ़ साल बाद होने हैं। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन करने को लेकर उदयपुर में कांग्रेस के नव चिंतन संकल्प शिविर में रणनीति बनाई गई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित सभी वरिष्ठ नेताओं ने गुटबाजी खत्म कर एकजुट होकर चुनाव मैदान में उतरने का आह्वान किया, लेकिन राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे की कलह खत्म होती नजर नहीं आ रही है।
राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के विधायकों ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यूथ कांग्रेस कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा के बाद खेलमंत्री अशोक चांदना ने बगावती तेवर दिखाए हैं। कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में युवाओं को कांग्रेस पार्टी में आगे लाने के लिए 50% पद देने का फार्मूला लेकर आई थी, लेकिन यह फार्मूला प्रदेश के युवा विधायकों की नाराजगी के चलते गहलोत सरकार में फेल होता दिखाई दे रहा है। सचिन पायलट के बाद राजस्थान के ज्यादातर युवा विधायक नाराज हैं। पहले गणेश घोघरा, रामलाल मीना, दिव्या मदेरणा, गिर्राज सिंह मलिंगा के बाद अब खेलमंत्री अशोक चांदना ने गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है।
अशोक गहलोत की कार्यशैली पर सबसे पहले सचिन पायलट ने ही सवाल खड़े किए थे। पायलट को राजस्थान के युवा कांग्रेसियों का प्रतिनिधि माना जाता है। पायलट की गहलोत सरकार के कामकाज से नाराजगी और उनके साथ खड़े कई युवा विधायक युवा नेता ही हैं। अगर उस संख्या को जोड़ दिया जाए तो नाराज युवा विधायकों की संख्या कहीं ज्यादा है। कांग्रेस के चिंतन शिविर में राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने युवाओं को सत्ता और संगठन में 50 प्रतिशत भागीदारी देने का फार्मूला रखा था। जिससे कांग्रेस आलाकमान ने स्वीकृति भी दे दी थी। लेकिन नौकरशाही के रवैये से नाराज होकर इस्तीफा देने की धमकी दे रहे हैं।
यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा के इस्तीफे की धमक शांत भी नहीं हुई कि गहलोत सरकार के मंत्री अशोक चांदना ने इस्तीफा देने की धमकी दे दी। बुधवार को खेलमंत्री चांदना ने मंत्री पद को जलालत बताते हुए मुक्ति की पेशकश सीएम गहलोत से कर दी। चांदना ने सीएम गहलोत के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका को कठघरे में खड़ा किया है। उल्लेखनीय है कि चांदना भी सचिन पायलट की तरह गुर्जर समुदाय से आते हैं। विधायक गणेश घोघरा ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर समीकरण साधने के कवायद की है। चर्चा है कि सीएम गहलोत डूंगरपुर कांग्रेस जिला अध्यक्ष दिनेश खोड़निया को राज्यसभा भेजना चाहते हैं। गणेश घोघरा को यह स्वीकर नहीं है।
अशोक चांदना के बगावती तेवर पर सीएम गहलोत ने स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश की है। गहलोत ने कहा कि चांदना प्रदेश स्तर पर बड़े खेलों का आयोजन कर रहे हैं। टेंशन में होंगे। इसे गंभीरता नहीं लेना चाहिए। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने चांदना के पक्ष में बयान देकर असंतोष को दबाने की कोशिश की है। खाचरियावास ने कहा कि अशोक चांदना एग्रेसिव लीडर है। उनका अपना स्टाइल है। जनता के बीच में रहते हैं। काम का प्रेशर रहा होगा। सीएम गहलोत समस्या का समाधान निकाल लेंगे। इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अशोक चांदना को मुख्यमंत्री आवास बुलाया है। माना जा रहा है कि गहलोत मंत्री चांदना की नाराजगी की वजह जानकर उसे दूर करेंगे। अशोक चांदना ने सीएम गहलोत के प्रमुख शासन सचिव पर निशाना साधा है, लेकिन राज्य के ब्यूरोक्रेसी में कुलदीप रांका बेहद ही सुलझे हुए अफसर माने जाते हैं। जानकारों का कहना है कि कुलदीप रांका की बहाने मंत्री चांदना गहलोत पर दबाव की रणनीति बना रहे हैं।
हमेशा विवादों में रहने वाले बेंगू विधायक राजेंद्र बिधूड़ी ने हाल ही में रीट पेपर लीक मामले में सीएम गहलोत पर निशाना साधा था। राजेंद्र बिधूड़ी ने आरोप लगाया कि सीएम गहलोत ने अपने मंत्री को बचाने के लिए रीट पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई से नहीं करवाई। सांगोद विधायक भरत सिंह ने खान एवं गोपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया के खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोल दिया है। भरतसिंह ने सीएम गहलोत को पत्र लिखकर पंजाब के मुख्यमंत्री तरह खान मंत्री को मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग की है। राज्यसभा से पहले विधायकों की नाराजगी कांग्रेस पार्टी पर भारी पड़ सकती है। राज्यसभा की 4 सीटों के लिए 10 जून को मतदान होगा। लेकिन उससे पहले ही विधायकों के बगावती तेवरों से नुकसान उठाना पड़ सकता है। विधानसभा में मौजूदा संख्याबल के हिसाब से कांग्रेस 4 में से 3 सीट जीत सकती है। जबकि बीजेपी के खाते में एक सीट ही जाती हुई दिखाई दे रही है।