‘राजस्थान में तुरंत बदलें CM, नहीं तो होगा पंजाब जैसा हाल’: सचिन पायलट
सूत्रों के अनुसार सचित पायलट प्रदेश के सीएम की कुर्सी पर काबिल होना चाहते हैं। इसलिए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सोनिया गांधी से कहा है कि वह “बिना देरी” राजस्थान के मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं, ताकि राज्य के चुनावों में पार्टी की सत्ता में वापसी सुनिश्चित हो सके। यदि नहीं, तो सचिन पायलट ने कथित तौर पर सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से कहा है, राजस्थान पंजाब की तरह ही हार सकता है, जहां चरणजीत सिंह चन्नी की मुख्यमंत्री के रूप में ग्यारहवें घंटे की नियुक्ति चुनाव में एक महाकाव्य विफल साबित हुई। सचिन पायलट ने सोनिया गाँधी से साफ शब्दों में कह दिया कि यदि राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार रिपीट करनी है तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाना ही होगा।
जयपुर/नई दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट, 28 अप्रैल:
राजस्थान कांग्रेस में लंबे समय से चल रही कलह शांत होने का नाम ही नहीं ले रही है। पार्टी नेता सीएम गहलोत और सचिन पायलट दो खेमों में बटे नजर आ रहे हैं। वहीं राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 भी होने हैं ऐसे में इस समय राजस्थान में अंतरकलह राजस्थान में भी पंजाब जैसा हाल कांग्रेस का कर सकती है। ऐसी ही दो टूक बात या कहें चेतावनी राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कांग्रेस के आलाकमान को दी है।
सूत्रों के हवाले से बताया है कि सचिन पायलट ने पिछले दिनों गाँधी परिवार के साथ तीन बैठकें की है। बताया जाता है कि इस दौरान पायलट ने कॉन्ग्रेस आलाकमान से कहा कि गहलोत को हटाने में देर करने पर राजस्थान में पंजाब जैसी स्थिति हो जाएगी। सूत्रों का यह भी कहना है कि सचिन पायलट ने सोनिया से खुद को सीएम बनाने की माँग भी की है।
सचिन पायलट ने सोनिया गाँधी से साफ शब्दों में कह दिया कि यदि राजस्थान में कॉन्ग्रेस सरकार रिपीट करनी है तो अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाना ही होगा। पायलट से पहले सोनिया गाँधी ने सीएम अशोक गहलोत को नई दिल्ली में मुलाकात के लिए बुलाया था। वहीं पाँच दिन पहले ही 23 अप्रैल को राजधानी जयपुर में राजस्व सेवा परिषद के जयपुर में एक कार्यक्रम में गहलोत ने कहा था कि उनका इस्तीफा तो 1998 से परमानेंट सोनिया गाँधी के पास रखा हुआ है। जब मुख्यमंत्री बदलना होगा तो किसी को कानो-कान खबर तक नहीं लगेगी। यह काम रातो-रात हो जाएगा। इस पर कोई चर्चा और चिंतन नहीं होगा। सोनिया गाँधी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। इसलिए अफवाहों पर ध्यान न दें।
इधर बताया जा रहा है कि किशोर के कॉन्ग्रेस में न आने की वजह गहलोत ही हैं। पीके का पार्टी में न आना गहलोत के लिए फायदेमंद और सचिन पायलट के लिए नुकसानदेह है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रशांत किशोर ने कहा था कि पार्टी में युवा चेहरों को आगे लाना चाहिए। ऐसे में सचिन पायलट को मौका मिल सकता था। वहीं यह फैसला गहलोत के लिए राहत भरा रहा। उन्होंने पिछले दिनों पीके के कॉन्ग्रेस में शामिल होने का विरोध किया था। गहलोत के खास वफादार माने जाने वाले तकनीती शिक्षा मंत्री डाॅ. सुभाष गर्ग ने भी इस तरफ इशारा किया। उन्होंने ट्विटर पर लिखा- “किसी संगठन को मजबूत व ताकतवर केवल नेतृत्व व कार्यकर्ता ही बना सकते हैं। कोई सलाहकार व सेवा प्रदाता नहीं। नेतृत्व के चाणक्य की जरुरत है न कि व्यापारी की।”
हालाँकि, राजस्थान राज्य में सचिन पायलट के खेमे ने कहा है कि पायलट लड़ना बंद नहीं करेंगे, वह किसी भी ‘लॉलीपॉप’ के लिए अपना राजनीतिक स्थान नहीं छोड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में दिसंबर 2023 में चुनाव होने हैं। ऐसे में सचिन पायलट ने अपनी बात पार्टी के प्रमुख के सामने रख दी है। दो साल पहले, पायलट ने जब सीएम के पद के लिए अपनी दावेदारी की थी तो उन्हें 18 विधायकों का साथ मिला था। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने विधायकों को लेकर रिसॉर्ट में रहना पड़ा था।