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पंचांग, 26 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

नोटः आज वरूथिनी एकादशी व्रत, श्रीवल्लभाचार्य जयन्ती है।

वरूथिनी एकादशी व्रत : वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी आज 26 अप्रैल दिन मंगलवार को है.। यह व्रत वरुथिनी एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा करने से कष्ट एवं दुख दूर होते हैं और स्वर्ग की प्राप्ति होती है. जिन पर भगवान विष्णु की कृपा होती है। उनको मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिलता है।

श्रीवल्लभाचार्य

श्रीवल्लभाचार्य जयन्ती : इस बार श्रीवल्लभाचार्य जयंती 26 अप्रैल मंगलवार को है लेकिन शोभा यात्रा आज ही निकलेगी। धार्मिक सामाजिक यात्राओं और जुलूस से हलाकान होते शहर को निजात दिलाने के लिए पहल की गई है। अखण्ड भूमण्डलाचार्य जगद्गुरु महाप्रभु श्रीमद वल्लभाचार्य की 26 अप्रैल को 543वीं वर्षगांठ पर लोधीपुरा सहित शहर के मध्य क्षेत्र में घर-घर दीप प्रज्वलित होंगे। यात्रा मार्ग भी पताकाओं से सजाया जाएगा। 25 व 26 को मंदिर परिसर में कार्यक्रम होंगे। इसमे ठाकुरजी के विभिन्न मनोरथ और आचार्यो व गुरुजनों के वचनामृत होंगे।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण

तिथिः एकादशी 24.49 तक है, 

वारः मंगलवार, 

नक्षत्रः शतभिषा सांय 06.56 तक है। 

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन, मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

योगः ब्रह्म सांय 07.05 तक, करणः बव, 

सूर्य राशिः मेष, चंद्र राशिः कुम्भ, 

राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.49, सूर्यास्तः 06.49 बजे।