गेहूं की एमएसपी पर प्रति क्विंटल रु 500 बोनस दे सरकार- हुड्डा

कोशिक खान यमुनानगर, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि जब से हरियाणा में बीजेपी सरकार आई है, तब से विकास और कानून व्यवस्था दोनों लापता हैं। इस सरकार ने प्रदेश की ऐसी हालत कर दी है कि स्कूलों में टीचर, अस्पतालों में डॉक्टर और सरकारी दफ्तरों में कर्मचारी नहीं हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि, प्रदेश में जब कांग्रेस सरकार थी तो वह नौकरियां देने की नीति पर चलती थी; इसके विपरीत मौजूदा सरकार नौकरियां छीनने की नीति पर चल रही है। उन्होंने स्कूलों का उदहारण देते हुए बताया कि प्रदेश में 63 स्कूल ऐसे हैं जहां पर एक भी टीचर नहीं है। करीब 40 स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक टीचर है। इनमें यमुनानगर के भी स्कूल शामिल हैं।

हुड्डा यमुनानगर में विधायक बिशन लाल सैनी के आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यमुनानगर में कांग्रेस सरकार के दौरान पावर प्लांट लगाया गया था, ताकि 24 घंटे बिजली मिल सके। लेकिन, आज स्थिति यह है कि यहां पर लोगों को कई-कई घंटों का पावर कट झेलना पड़ रहा है। बाकी हरियाणा की स्थिति का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। यमुनानगर में ही नौकरी से निकाले गए पीटीआई और ड्राइंग टीचर्स लगातार धरना दे रहे हैं। हुड्डा ने दोहराया कि भविष्य में कांग्रेस सरकार बनने पर उन्हें फिर से बहाल किया जाएगा।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश की बीजेपी-जेजेपी सरकार अपनी कोई भी जिम्मेदारी नहीं निभा रही है। इसलिए प्रदेश का किसान, मजदूर, कर्मचारी, कारोबारी, गरीब व मध्यम वर्ग इससे परेशान है। 2014 से पहले कांग्रेस सरकार के दौरान जो हरियाणा प्रति व्यक्ति आय, निवेश, खुशहाली और विकास में नंबर वन था, उसे मौजूदा सरकार ने बेरोजगारी, महंगाई, अपराध और बदहाली में नंबर एक बना दिया है।

किसानों की समस्याओं का जिक्र करते हुए हुड्डा ने बताया कि इस बार मौसम की मार के चलते गेहूं के किसानों को भारी घाटा हुआ है। उत्पादन में काफी गिरावट देखी जा रही है। आज तक सरकार ने बेमौसम बारिश से हुए नुकसान की भी पूरी गिरदावरी नहीं करवाई। इसलिए हिसार समेत कई जगहों पर किसानों को धरना-प्रदर्शन करना पड़ा। किसानों को हुए घाटे की भरपाई के लिए सरकार को गेहूं की एमएसपी पर प्रति क्विंटल ₹500 बोनस देना चाहिए। 

जर्जर कानून व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज प्रदेश में चोरी, लूट, डकैती, हत्याएं आम बात हो गई है। ऐसा लग रहा है कि यहां सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। जश हत्याकांड पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मासूम के हत्यारों को हर हाल में पकड़ा जाना चाहिए। मामले में कोई भी निर्दोष फंसे ना और दोषी बचे ना, इसलिए परिवार की संतुष्टि के लिए सीबीआई जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मासूम के साथ बेहद दर्दनाक वारदात हुई है। इस तरह की निर्दयता कोई इंसान नहीं कर सकता, ऐसा करने वाला कोई राक्षस ही होगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने जश के घर जाकर उनके परिजनों भी मुलाकात की। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया।

उकलाना में सीवरेज साफ करते हुए 4 कर्मियों की मौत पर पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने गहरा दु:ख जताया। उन्होंने परिजनों के लिए उचित आर्थिक मुआवजे और 1-1 सरकारी नौकरी की मांग की। हुड्डा ने कहा कि सरकार को पूरे मामले की जांच करवानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी कोई घटना ना हो।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा यमुनानगर में पूर्व विधायक कृष्णा पंडित के निधन पर आयोजित शोकसभा में पहुंचे। उन्होंने पूर्व विधायक कृष्णा पंडित को श्रद्धांजलि देकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की और शोक संतप्त परिवार से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। इस मौके पर उनके साथ पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा, पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश, विधायक बिशन लाल सैनी, वरूण मुलाना समेत कई वरिष्ठ नेता व स्थानीय गणमान्य लोग मौजूद रहे।

Teachers of UIET met V C of P U today and submitted a representation

Chandigarh April 20, 2022

Teachers of University Institute of Engineering & Technology (UIET) met Vice Chancellor of Panjab University today and submitted a representation to him signed by teachers of UIET. In the representation, teachers of UIET have demanded that individual branches of UIET should be upgraded to full-fledged independent departments. As of now UIET has 6 Engineering branches v.i.z Mechanical, Electrical & Electronics, Computer Science, IT, Biotechnology, and Electronics  that are under administrative control of Director of UIET. Each branch has a Single Point of Contact (SPoC) that is referred to as “Coordinator” to coordinate affairs of a branch and liason with Director of UIET. Coordinator of a branch of UIET has no financial/administrative power and is required to communicate with higher authorities of PU through Director of UIET. Interesting to observe here that in Panjab University, UG as well as PG courses in Chemical Engineering are run by a full-fledged independent department.

Senate Member Dr Parveen Goyal and Professor Manu Sharma from UIET stated that “In University system, existence of a branch of Engineering instead of a department is very disadvantageous for students, teachers and employees of UIET. Each branch of UIET should be upgraded to an independent department of PU and accordingly designation of “Coordinator” should also be upgraded to “Chairperson”. This way, each branch of UIET will have independent budget and the Chairpersons will have financial as well as administrative powers as specified in PU calender”.

Dr Parveen Goyal said that “Upgradation of branch of UIET to an independent department will be a historic step in right direction as it will empower branches of UIET by giving them some financial, administrative and academic autonomy”.

Dr Naresh Mehandia from UIET argued that UIET is largest department of Panjab University with largest strength of students, largest strength of teachers and largest strength of employees. It is practically difficult to manage such a large department in University system. He further stated that administration of such a large department creates unnecessary bottlenecks and now it is high time that for growth of UIET such bottlenecks should be cleared. Vice Chancellor of Panjab University patiently interacted with the delegation and assured the delegation that he will look into the entire matter at his earliest.

Research.com issued the first edition of its top scientists list for Chemistry

Koral ‘Purnoor’, Democratic FrontChandigarh April 20, 2022

Research.com issued the first edition of its top scientists list for Chemistry. Since 2014, it has been one of the key websites for Chemistry research, providing accurate statistics on scientific achievements. The rating includes h-index, publication, and citation data as of December 6th, 2021. Based on a comprehensive study of 166,880 scientists on Google Scholar and Microsoft Academic Graph, the top scientists ranking is a credible list of notable scientists in the field of Chemistry. The goal of this list is to inspire others around the world to investigate where leading experts are headed, as well as to provide an opportunity for the entire scientific community to learn who the leading experts are in specific fields of research, across countries, and within research institutions. The entire ranking for India is available at:
https://research.com/scientists-rankings/chemistry/in

Dr. S.K. Mehta (F.R.S.C), Vice Chancellor of University of Ladakh and Professor in Panjab University, has been ranked 196thamong 1000 scientist of India and is the only person from Panjab University to achieve this feat. Dr. Mehta attained his Doctoral degree in Chemistry from Panjab University and Post-Doc from TechnischeUniversität Berlin, Germany. He is a recipient of Haryana Vigyan Ratan Award, Bronze medal from Chemical Research Society of India (CRSI), Authors award by Royal Society of Chemistry UK and Prof. W.U. Malik memorial award of Indian council of chemists. He was also awarded STE Green Excellence award for his noteworthy contributions in the field of “Colloidal Chemistry” and “Nanochemistry”.

Prof. Mehta has an h-index of 57with 10255citations. He has guided 13 Post-Doctoral/Research associates, 47 Ph.D., 48 M.Sc. and 21 Summer trainees. He has delivered more than 25 International talks and 122 National lectures. His extensive research experience of more than 45 years paved way for new technological insights and breakthroughs. He has extensive research experience in the fabrication of different nanostructures and nano-assemblies, for diverse applications such as drug delivery, photocatalysis, sensing and bioactivity to name a few.

Over the years, Prof. Mehta has relentlessly contributed towards the human health and environment through highly substantial scientific efforts that have led him to be the recipient of several acclaims and awards. The inclusion in the top scientist list of Chemistry has given great joy for everyone associated with Prof. Mehta and congratulated him for this achievement.

तीन प्रदेशों के त्रिकोण पर स्थित कालेश्वर महादेव मठ एतिहासिक मंदिर,शिव अमृत का लाभ ले सभी : चंद्रमोहन

  • पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने मंदिर में टेका माथा,प्रदेश वासियों के सुख समृद्ध जीवन की मनोकामना की

पंचकूला संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट, 20 अप्रैल 2022 :

हरियाणा विधानसभा के लगातार चार बार विधायक और प्रदेश के उपमुख्यमंत्री रह चुके  भाई चन्द्रमोहन  जी ने शिवालिक की पहाड़ियों में स्थित देश के ऐतिहासिक श्री कालेश्वर महादेव मठ कलेसर(यमुनानगर,हरियाणा) में पूर्व चेयरमैन विजय बंसल,पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी नलवा रणधीर पणिहार,पूर्व पार्षद संजीव राजू, दीपांशु बंसल राष्ट्रीय कन्वीनर कांग्रेस छात्र इकाई एनएसयूआई आरटीआई सेल व अन्य लोगो के साथ माथा टेका और पूजा अर्चना करके प्रदेशवासियों के सुख समृद्ध जीवन की मनोकामना की।मंदिर में गुरु शांतिदास व पंडितो द्वारा पूजा करवाई गई और मंदिर के इतिहास के बारे बताया गया।

भाई चंद्रमोहन ने बताया कि यह मंदिर यमुनानगर से 45 किलोमीटर की दूरी पर शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में यमुना नदी किनारे है जोकि श्रद्धालुओं की अटूट श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।मंदिर में स्वयंभू प्राचीन शिवलिंग है,4000 साल पुराना वट वृक्ष है,रामसेतु के निर्माण में लगे दो पत्थर जोकि 5 किलो से ज्यादा का भार होने के बावजूद पानी में नीचे नहीं जाते,मां पार्वती की पिंड मूर्ति दर्शन,हजारों साल प्राचीन मूर्तियां,जड़ी बूटी से तैयार शिव अमृत क्रोनिक डिजीज(किडनी,हार्ट,चर्म रोग,कैंसर) जैसी बीमारियों के उपचार में कारगर औषधि दी जाती है। यह मठ लोक समन्वय का प्रतीक माना जाता है।

भाई चंद्रमोहन ने कहा कि सभी लोग शिव अमृत का लाभ उठाए क्योंकि दूर दूर से लोग इस शिव अमृत के माध्यम से विभिन्न बीमारियों से राहत पा चुके है।

विजय बंसल ने बताया कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के त्रिकोण पर स्थित श्री कालेश्वर महादेव मठ जो प्राचीनतम व धार्मिक ऐतिहासिक है। यहां पर खोदाई में निकले पत्थर शिलाओं से ज्ञात होता है कि प्राचीनकाल की संस्कृति में सांकेतिक भाषाओं का प्रयोग किया जाता था।पौराणिक मान्यता है कि इस मठ में स्वयं भगवान शिव स्वयंभू लिंग के रूप में विराजमान हैं। यह शिवलिंग बहुत अद्भुत है जिसके मूल में ब्रह्मा जी की नाभि, मध्य में विष्णु जी का चक्र और ऊपर भगवान शिव विराजमान हैं।

चंद्रमोहन ने बताया कि यहां पहाड़ पर भगवान शंकर और मां पार्वती की गुफाएं प्राचीनकाल से ही रहस्य बनी हुई थीं। ये गुफाएं पहाड़ पर ठीक उसी स्थिति में हैं जैसे कि यहां कालेश्वर महादेव मठ में भगवान शंकर व मां पार्वती के अलग अलग मंदिर बने हुए हैं। यहां पर स्थित पहाड़ियों को द्रोण घाटियां भी कहते हैं।मान्यता है कि गुरु द्रोणाचार्य ने पांडवों को शस्त्रों का ज्ञान दिया था। महाभारत काल से यहां का नाम काफी जुड़ा हुआ है। पांडवों को 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास मिला, तो उन्होंने विराट नगरी में अज्ञात वर्ष बिताया था। यह विराट नगरी मठ से एक योजन दूर स्थित है, जिसे अब बहराल गांव के नाम से जाना जाता है।

आज जाएष्ठ मास से ग्रीषम ऋतु आरंभ

ग्रीष्म ऋतु साल का सबसे गर्म मौसम होता है, जिसमें दिन के समय बाहर जाना काफी मुश्किल होता है। इस दौरान लोग आमतौर पर  बाजार देर शाम या रात में जाते हैं। बहुत से लोग गर्मियों में सुबह में टहलना पसंद करते हैं। इस मौसम में धूल से भरी हुई, शुष्क और गर्म हवा पूरे दिन भर चलती रहती है। कभी-कभी लोग अधिक गरमी के कारण हीट-स्ट्रोक, डीहाइड्रेशन (पानी की कमी), डायरिया, हैजा, और अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी प्रभावित हो जाते हैं।

राजविरेन्द्र वसिष्ठ, डेमोक्रेटिक फ्रंट, ऋतु वर्णन डेस्क, चंडीगढ़ – वैशाख़ कृष्ण चतुर्थी :

ज्येष्ठ और आषाढ़ ‘ग्रीष्म ऋतु’ के मास हैं। इसमें सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु प्राणीमात्र के लिए कष्टकारी अवश्य है, पर तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह ऋतु अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मई और जून में रहती है।

मादक वसन्त का अन्त होते ही ग्रीष्म की प्रचंडता आरम्भ हो जाती है। वसन्त ऋतु काम से, ग्रीष्म क्रोध से सम्बन्धित है। ग्रीष्म ऋतु, भारतवर्ष की छह ऋतओं में से एक ऋतु है, जिसमें वातावरण का तापमान प्रायः उच्च रहता है। दिन बड़े हो जाते हैं रातें छोटी।  शीतल सुंगधित पवन के स्थान पर गरम-गरम लू चलने लगती है। धरती जलने लगती है। नदी-तलाब सूखने लगते हैं। कमल कुसुम मुरझा जाते हैं। दिन बड़े होने लगते हैं। सर्वत्र अग्नि की वर्षा होती-सी प्रतीत होती है। शरद ऋतु का बाल सूर्य ग्रीष्म ऋतु को प्राप्त होते ही भगवान शंकर की क्रोधाग्नि-सी बरसाने लगा है। ज्येष्ठ मास में तो ग्रीष्म की अखंडता और भी प्रखर हो जाती है। छाया भी छाया ढूंढने लगती है।

  एक और दोहे में कवि बिहारी कहते हैं कि ग्रीष्म की दोपहरी में गर्मी से व्याकुल प्राणी वैर-विरोध की भावना को भूल जाते हैं। परस्पर विरोध भाव वाले जन्तु एक साथ पड़े रहते हैं। उन्हें देखकर ऐसा प्रतीत होता है मनो यह संसार कोई तपोवन में रहने वाले प्राणियों में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होतीं । बिहारी का दोहा इस प्रकार है –

 गर्मी में दिन लम्बे और रातें छोटी होती हैं। दोपहर का भोजन करने पर सोने व आराम करने की तबियत होती है। पक्की सड़कों का तारकोल पिघल जाता है। सड़कें तवे के समान तप जाती हैं –

ग्रीष्म की प्रचंडता का प्रभाव प्राणियों पर पड़े बिना नहीं रहता। शरीर में स्फूर्ति का स्थान आलस्य ले लेता है। तनिक-सा श्रम करते ही शरीर पसीने से सराबोर हो जाता है। कण्ठ सूखने लगता है। अधिक श्रम करने पर बहुत थकान हो जाती है। इस मौसम में यात्रा करना भी दूभर हो जाता है। यह ऋतु प्रकृति के सर्वाधिक उग्र रुप की द्योतक है।

भारत में सामान्यतया 15 मार्च से 15 जून तक ग्रीष्म मानी जाती है। इस समय तक सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर बढ़ता है, जिससे सम्पूर्ण देश में तापमान में वृद्धि होने लगती है। इस समय सूर्य के कर्क रेखा की ओर अग्रसर होने के साथ ही तापमान का अधिकतम बिन्दु भी क्रमशः दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ता जाता है और मई के अन्त में देश के उत्तरी-पश्चिमी भाग में 48डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। उत्तर पश्चिमी भारत के शुष्क भागों में इस समय चलने वाली गर्म एवं शुष्क हवाओं को ‘लू’ कहा जाता है। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रायः शाम के समय धूल भरी आँधियाँ आती है, जिनके कारण दृश्यता तक कम हो जाती है। धूल की प्रकृति एवं रंग के आधार पर इन्हें काली अथवा पीली आंधियां कहा जाता है। सामुद्रिक प्रभाव के कारण दक्षिण भारत में इन गर्म पवनों तथा आंधियों का अभाव पाया जाता है।

त्योहार- ग्रीष्म माह में अच्छा भोजन और बीच-बीच में व्रत करने का प्रचलन रहता है। इस माह में निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत, शीतलाष्टमी, देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा आदि त्योहार आते हैं। गुरु पूर्णिमा के बाद से श्रावण मास शुरू होता है और इसी से ऋतु परिवर्तन हो जाता है और वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है।

रीतिकालीन कवियों में सेनापति का ग्रीष्म ऋतु वर्णन अत्यन्त प्रसिद्ध है।–

रासो काव्य रचनाकार ‘अब्दुल रहमान’ द्वारा लिखी गई सन्देश रासक में षड्ऋतुवर्णन ग्रीष्म से प्रारम्भ होता है…

ग्रीष्म शब्द ग्रसन से बना है। ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा पृथ्वी के रस को ग्रस लेता है।

भागवत पुराण में ग्रीष्म ऋतु में कृष्ण द्वारा कालिया नाग के दमन की कथा आती है जिसको उपरोक्त आधार पर समझा जा सकता है । भागवत पुराण का द्वितीय स्कन्ध सृष्टि से सम्बन्धित है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

शतपथ ब्राह्मण में ग्रीष्म का स्तनयन/गर्जन से तादात्म्य कहा गया है जिसकी व्याख्या अपेक्षित है।

जैमिनीय ब्राह्मण 2.51 में वाक् या अग्नि को ग्रीष्म कहा गया है ।

तैत्तिरीय संहिता में ग्रीष्म ऋतु यव प्राप्त करती है। तैत्तिरीय ब्राह्मण में ग्रीष्म में रुद्रों की स्तुति का निर्देश है। तैत्तरीय संहिता में ऋतुओं एवं मासों के नाम बताये गये है,जैसे :- बसंत ऋतु के दो मास- मधु माधवग्रीष्म ऋतु के शुक्र-शुचिवर्षा के नभ और नभस्यशरद के इष ऊर्जहेमन्त के सह सहस्य और शिशिर ऋतु के दो माह तपस और तपस्य बताये गये हैं।

चरक संहिता में कहा गया हैः …… शिशिर ऋतु उत्तम बलवाली, वसन्त ऋतु मध्यम बलवाली और ग्रीष्म ऋतु दौर्बल्यवाली होती है। ग्रीष्म ऋतु में गरम जलवायु पित्त एकत्र करती है। प्रकृति में होने वाले परिवर्तन शरीर को प्रभावित करते हैं। इसलिए व्यक्ति को साधारण रूप से भोजन तथा आचार-व्यवहार के साथ प्रकृति और उसके परिवर्तनों के साथ सामंजस्य स्थापित करना चाहिए । तापमान बढ़ने पर पित्त उत्तेजित होता है तथा शरीर में जमा हो जाता है। व्याधियों से बचाव के लिए ऋतु के अनुकूल आहार तथा गतिविधियों का पालन जरूरी है।

होलिकोत्सव में सरसों के चूर्ण से उबटन लगाने की परंपरा है, ताकि ग्रीष्म ऋतु में त्वचा की सुरक्षा रहे। आदिकाल से उत्तर भारत में जहाँ तेज गर्मी होती है, गरम हवाएँ चलती हैं वहाँ पर त्वाचा की लाली के शमन के लिए प्राय: लोग सरसों के बीजों के उबटन का प्रयोग करते हैं।

नवरात्री दुर्गा पूजा वर्ष में दो बार आती है। यह जलवायु प्रधान पर्व है। अतः एक बार यह पर्व ग्रीष्म काल आगमन में राम नवरात्रि चैत्र (अप्रैल मई) के नाम से जाना जाता है। दूसरी बार इसे दुर्गा नवरात्रि अश्विन(सितम्बर-अकतूबर) मास में मनाया जाता है। यह समय शीतकाल के आरम्भ का होता है। यह दोनो समय ऋतु परिवर्तन के है।

प्रकृति-चित्रण में बिहारी किसी से पीछे नहीं रहे हैं। षट ॠतुओं का उन्होंने बड़ा ही सुंदर वर्णन किया है। ग्रीष्म ॠतु का चित्र देखिए –

कालिदास ने अभिज्ञानशाकुन्तलम् और ऋतुसंहार में ग्रीष्म ऋतु का वर्णन किया है-

अभिज्ञानशाकुन्तलम्- नाटक के प्रारम्भ में ही ग्रीष्म-वर्णन करते हुए लिखा कि वन-वायु के पाटल की सुगंधि से मिलकर सुगंधित हो उठने और छाया में लेटते ही नींद आने लगने और दिवस का अन्त रमणीय होने के द्वारा नाटक की कथा-वस्तु की मोटे तौर पर सूचना दे दी गई है, जो क्रमशः पहले शकुन्तला और दुष्यन्त के मिलन, उसके बाद नींद-प्रभाव से शकुन्तला को भूल जाने और नाटक का अन्त सुखद होने की सूचक है।

ऋतुसंहार में महाकवि कालिदास कहते हैं- प्रथम सर्ग के ग्रीष्म ऋतु के वर्णन में गीतिकार अपनी प्रियतमा को प्यार भरा सम्बोधन कर कहता है। प्रिये देखो, यह घोर गर्मी का मौसम है। इस ऋतु में सूर्य बहुत ही प्रचण्ड हो जाता है, -चन्द्र किरणें सुहानी लगती हैं, जल में स्नान करना भला लगता है। सांयकाल बड़ा रमणीयहो जाता है क्योंकि उस समय सूर्य का ताप नहीं सताता ! काम भावना भी प्रायः शिथिल पड़ जाता है। संभवतः इस सन्दर्भ में युवा कवि की यह सूचना रही हो कि ऋतु राजबसन्त में कामोद्रेक द्विगुणित हो जाता है।

गर्मी की रात में चन्द्र किरणों से रात्रि की कालिमा क्षी हो जाने से चाँदनी राते बहुत ही सुहावनी लगती है। ऐसे ही उष्पकाल में जिन भवनों में जल यन्त्र (फब्बारे) लगे रहते हैं, वे भी अति मनोरम लगते हैं । ठण्डक देने वाले चन्द्रकान्त मणि और सरस चन्दन का सेवन अति सुखकर लगता है। ग्रीष्म की चाँदनी रातों में धवल भवनों की छतों पर सुख से सोई ललनाओं के मुखों की कालि को देखकर चन्द्रमा बहुत ही उत्कण्ठित हो जाता है और रात्रि समाप्ति की वेला में  उनकी सुन्दरता से लजा कर फीका पड़ जाता है।

ग्रीष्म ऋतु में मयूर, सूर्य के आतप से इतने परितप्त हो जाते है कि अपने पंखों की छाया में धूप निवारण के लिए आ छिपे सॉपों को भी नहीं खाते, जबकि यह सर्प उनके भक्ष्य जंगल में फैली हुयी दावाग्नि का भी सरस चित्रण कवि करता है । पर्वत की गुफाओं में हवा का जोर पकड़कर दवानल बढ़ रहा है। सूखे बॉसों में चर-चर की आवाज आ रही है क्योकि जलने से ये शब्द करते है । जो अभभ दूर थी वहीं दावाग्नि सूखे तिनकों में फैलकर बढ़ती ही जाती है । इसी तरह से इधर-उधर घूमने वाले हरेषों को व्याकुल कर देती है। इस तरह से कवि ने प्रथम सर्ग में ग्रीष्म ऋतु का हृदय हारी वर्णन किया है ।

ज्येष्ठ की गर्मी- ज्येष्ठ हिन्दू पंचांग का तीसरा मास है। ज्येष्ठ या जेठ माह गर्मी का माह है। इस महीने में बहुत गर्मी पडती है। फाल्गुन माह में होली के त्योहार के बाद से ही गर्मियाँ प्रारम्भ हो जाती हैं। चैत्र और बैशाख माह में अपनी गर्मी दिखाते हुए ज्येष्ठ माह में वह अपने चरम पर होती है। ज्येष्ठ गर्मी का माह है। इस माह जल का महत्त्व बढ जाता है। इस माह जल की पूजा की जाती है और जल को बचाने का प्रयास किया जाता है। प्राचीन समय में ऋषि मुनियों ने पानी से जुड़े दो त्योहारों का विधान इस माह में किया है-

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को गंगा दशहरा

ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को निर्जला एकादशी

इन त्योहारों से ऋषियों ने संदेश दिया कि गंगा नदी का पूजन करें और जल के महत्त्व को समझें। गंगा दशहरे के अगले दिन ही निर्जला एकादशी के व्रत का विधान रखा है जिससे संदेश मिलता है कि वर्ष में एक दिन ऐसा उपवास करें जिसमें जल ना ग्रहण करें और जल का महत्त्व समझें। ईश्वर की पूजा करें। गंगा नदी को ज्येष्ठ भी कहा जाता है क्योंकि गंगा नदी अपने गुणों में अन्य नदियों से ज्येष्ठ(बडी) है। ऐसी मान्यता है कि नर्मदा और यमुना नदी गंगा नदी से बडी और विस्तार में ब्रह्मपुत्र बड़ी है किंतु गुणों, गरिमा और महत्त्व की दृष्टि से गंगा नदी बड़ी है। गंगा की विशेषता बताता है ज्येष्ठ और ज्येष्ठ के शुक्ल पक्ष की दशमी गंगा दशहरा के रूप में गंगा की आराधना का महापर्व है।

निर्जला एकादशी- भीषण गर्मी के बीच तप की पराकाष्टा को दर्शाता है यह व्रत। इसमें दान-पुण्य एवं सेवा भाव का भी बहुत बड़ा महत्व शास्त्रों में बताया गया है।  ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी कहलाती है। अन्य महीनों की एकादशी को फलाहार किया जाता है, परंतु इस एकादशी को फल तो क्या जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। यह एकादशी ग्रीष्म ऋतु में बड़े कष्ट और तपस्या से की जाती है। अतः अन्य एकादशियों से इसका महत्व सर्वोपरि है। इस एकादशी के करने से आयु और आरोग्य की वृद्धि तथा उत्तम लोकों की प्राप्ति होती है। महाभारत के अनुसार अधिक माससहित एक वर्ष की छब्बीसों एकादशियां न की जा सकें तो केवल निर्जला एकादशी का ही व्रत कर लेने से पूरा फल प्राप्त हो जाता है।

वृषस्थे मिथुनस्थेऽर्के शुक्ला ह्येकादशी भवेत्‌

ज्येष्ठे मासि प्रयत्रेन सोपाष्या जलवर्जिता।

नवतपा- नवतपा को ज्येष्ठ महीने के ग्रीष्म ऋतु में तपन की अधिकता का द्योतक माना जाता है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ नवतपा शुरू हो जाता है। शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से लेकर 9 नक्षत्रों में 9 दिनों तक नवतपा रहता है। नवतपा में तपा देने वाली भीषण गर्मी पड़ती है। नवतपा में सूर्यदेव लोगों के पसीने छुड़ा देते हैं। पारा एक दम से 48 डिग्री पर पहुंच जाता है। जबकि न्यूनतम तापमान 32 डिग्री तक रहता है। लेकिन नवतपा के बाद एक अच्छी खबर आती है आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक जिस नक्षत्र में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, आगे चलकर उस नक्षत्र में 15 दिनों तक सूर्य रहते हैं और अच्छी वर्षा होती है।

राग दीपक- ग्रीष्म की जलविहीन शुष्क ऋतु में भी कलाकार की रचनाधर्मिता जागृत रहती है। संगीतकार इस उष्ण वातावरण को राग दीपक के स्वरों में प्रदर्शित करता है तो चित्रकार रंग तथा तूलिका के माध्यम से राग दीपक को चित्र में साकार करता है। भारतीय मान्यताओं के अनुसार राग के गायन के ऋतु निर्धारित है । सही समय पर गाया जाने वाला राग अधिक प्रभावी होता है । राग और उनकी ऋतु इस प्रकार है –

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तानसेन और राग दीपक- परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है। ग्रीष्म की तपन के पश्चात आकाश में छाने लगते हैं – श्वेत-श्याम बादलों के समूह तथा संदेश देते हैंजन-जन में प्राणों का संचार करने वाली बर्षा ऋतु के आगमन का। आकाश में छायी श्यामल घटाओं तथा ठंडी-ठंडी बयार के साथ झूमती आती है जन-जन को रससिक्त करतीजीवन दायिनी वर्षा की प्रथम फुहार। वर्षा की सहभागिनी ग्रीष्म की उष्णता आकाश से जल बिंदुओं के रूप में पुन: धरती पर अवतरित होती है किंतु अपने नवीन मनमोहक रूप में। उष्ण वातावरण के कारण घिर आये मेघ तत्पश्चात जीवनदान करती वर्षा का प्रसंग एक किवदंती में प्राप्त होता है जिसके अनुसार बादशाह अकबर ने दरबार में गायक तानसेन से ग्रीष्म ऋतु का राग दीपक‘ सुनने का अनुरोध किया। तानसेन के स्वरों के साथ वातावरण में ऊष्णता व्याप्त होती गयी। सभी दरबारीगण तथा स्वयं तानसेन भी बढ़ती गरमी को सहन नहीं कर पा रहे थे। लगता थाजैसे सूर्य देव स्वयं धरती पर अवतरित होते जा रहे हैं। तभी कहीं दूर से राग मेघ के स्वरों के साथ मेघ को आमंत्रित किया जाने लगा। जल वर्षा के कारण ही गायक तानसेन की जीवन रक्षा हुई। 

आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में कौन सा पकवान और मिष्ठान लाभदायक होता है…

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वसंत ऋतु की समाप्ति के बाद ग्रीष्म ऋतु का आगमन होता है। अप्रैल, मई तथा जून के प्रारंभिक दिनों का समावेश ग्रीष्म ऋतु में होता है। इन दिनों में सूर्य की किरणें अत्यंत उष्ण होती हैं। इनके सम्पर्क से हवा रूक्ष बन जाती है और यह रूक्ष-उष्ण हवा अन्नद्रव्यों को सुखाकर शुष्क बना देती है तथा स्थिर चर सृष्टि में से आर्द्रता, चिकनाई का शोषण करती है। इस अत्यंत रूक्ष बनी हुई वायु के कारण, पैदा होने वाले अन्न-पदार्थों में कटु, तिक्त, कषाय रसों का प्राबल्य बढ़ता है और इनके सेवन से मनुष्यों में दुर्बलता आने लगती है। शरीर में वातदोष का संचय होने लगता है। अगर इन दिनों में वातप्रकोपक आहार-विहार करते रहे तो यही संचित वात ग्रीष्म के बाद आने वाली वर्षा ऋतु में अत्यंत प्रकुपित होकर विविध व्याधियों को आमंत्रण देता है। आयुर्वेद चिकित्सा-शास्त्र के अनुसार ‘चय एव जयेत् दोषं।’ अर्थात् दोष जब शरीर में संचित होने लगते हैं तभी उनका शमन करना चाहिए। अतः इस ऋतु में मधुर, तरल, सुपाच्य, हलके,जलीय, ताजे, स्निग्ध, शीत गुणयुक्त पदार्थों का सेवन करना चाहिए। जैसे कम मात्रा में श्रीखंड, घी से बनी मिठाइयाँ, आम, मक्खन, मिश्री आदि खानी चाहिए। इस ऋतु में प्राणियों के शरीर का जलीयांश कम होता है जिससे प्यास ज्यादा लगती है। शरीर में जलीयांश कम होने से पेट की बीमारियाँ, दस्त, उलटी, कमजोरी, बेचैनी आदि परेशानियाँ उत्पन्न होती हैं। इसलिए ग्रीष्म ऋतु में कम आहार लेकर शीतल जल बार-बार पीना हितकर है।

आहारः ग्रीष्म ऋतु में साठी के पुराने चावलगेहूँदूधमक्खनगुलाब का शरबत, आमपन्ना से शरीर में शीतलतास्फूर्ति तथा शक्ति आती है। सब्जियों में लौकीगिल्कीपरवलनींबूकरेलाकेले के फूलचौलाईहरी ककड़ीहरा धनिया,पुदीना और फलों में द्राक्षतरबूजखरबूजाएक-दो-केलेनारियलमौसमीआमसेबअनारअंगूर का सेवन लाभदायी है। इस ऋतु में तीखे, खट्टे, कसैले एवं कड़वे रसवाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए। नमकीन, रूखा, तेज मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ, बासी एवं दुर्गन्धयुक्त पदार्थ, दही, अमचूर, आचार, इमली आदि न खायें। गरमी से बचने के लिए बाजारू शीत पेय (कोल्ड ड्रिंक्स), आइस क्रीम, आइसफ्रूट, डिब्बाबंद फलों के रस का सेवन कदापि न करें। इनके सेवन से शरीर में कुछ समय के लिए शीतलता का आभास होता है परंतु ये पदार्थ पित्तवर्धक होने के कारण आंतरिक गर्मी बढ़ाते हैं। इनकी जगह कच्चे आम को भूनकर बनाया गया मीठा पनापानी में नींबू का रस तथा मिश्री मिलाकर बनाया गया शरबतजीरे की शिकंजीठंडाईहरे नारियल का पानीफलों का ताजा रसदूध और चावल की खीरगुलकंद आदि शीत तथा जलीय पदार्थों का सेवन करें। इससे सूर्य की अत्यंत उष्ण किरणों के दुष्प्रभाव से शरीर का रक्षण किया जा सकता है।

‘सती अनुसूया’ जयंती

भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय के जन्म के बारे में कथा के अनुसार सती अनुसूया की कोख से ब्रह्मा जी के अंश से चंद्रमा, विष्णु जी के अंश से दत्तात्रेय और शिव जी के अंश से दुर्वासा मुनि ने जन्म लिया था।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, धर्म डेस्क, चंडीगढ़ – 20 अप्रैल :

सती अनुसुया को पतिव्रता धर्म के लिए जाना जाता है। इस वर्ष इनकी जयंती 20 अप्रैल 2022 को मनाई जाएगी। देवी अनुसुईया की पवित्रता और उनका साध्वी रुप सभी विवाहित महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। देवी अनुसुईया जयंती के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा आरती की जाती है। विवाहित महिलाएं इस दिन के व्रत का पालन कर, सती अनुसुईया के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेती है। देवी अनुसुईया प्रसन्न होकर अपने भक्तों के दुख दूर करती हैं और उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का वर देती है। भारत वर्ष के उतराखंड राज्य में देवी अनुसुईया का एक प्रसिद्ध व प्राचीन मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वहीं स्थान है जहां माता देवी की परीक्षा त्रिदेवों ने ली थी। माता अनुसुईया के जन्मदिवस के अवसर पर स्त्रियां अपने वैवाहिक स्त्री धर्म का पालन करते हुए सती अनुसुईयां जयंती का पूजन करती है।

यह माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित माता अनुसुईया के मंदिर में रात्रि में जप और जागरण करने की परंपरा है। इस मंदिर में निसंतान दंपत्ति जप और जागरण कर पूजा अर्चना कर संतान कामना करते है। यह जप-तप, अनुष्ठान शनिवार की रात्रि में करने का प्रावधान है। इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस मंदिर में त्रिदेव माता की परीक्षा लेने के लिए बालक रुप में आए थे और तीनों देवों ने देवी से भोजन कराने की प्रार्थना की। देवी ने अपने सतीत्व से त्रिदेवों को पहचान लिया, इससे त्रिदेव असली रुप में आ गए। माता अनुसुईया से भगवान शिव दुर्वासा के रुप में मिले थे।

दक्ष प्रजापति की चौबीस कन्याओं में से एक थी अनुसूया जो मन से पवित्र एवं निश्छल प्रेम की परिभाषा थीं इन्हें सती साध्वी रूप में तथा एक आदर्श नारी के रूप में जाना जाता है. अत्यन्त उच्च कुल में जन्म होने पर भी इनके मन में कोई अंह का भाव नहीं था.

इनका संपूर्ण जीवन ही एक आदर्श रहा है. पौराणिक तथ्यों के आधार की यदि बात की जाए तो माता सीता जी भी इनके तेज से बहुत प्रभावित हुई थी तथा उनसे प्राप्त भेंट को सहर्ष स्वीकार करते हुए नमन किया. अनुसूया जी का विवाह ब्रह्मा जी के मानस पुत्र परम तपस्वी महर्षि अत्रि जी के साथ हुआ था. अपने सेवा तथा समर्पित प्रेम से इन्होंने अपने पति धर्म का सदैव पालन किया.

कहा जाता है कि देवी अनसुया बहुत पतिव्रता थी जिस कारण उनकी ख्याती तीनों लोकों में फैल गई थी. उनके इस सती धर्म को देखकर देवी पार्वती, लक्ष्मी जी और देवी सरस्वती जी के मन में द्वेष का भाव जागृत हो गया था. जिस कारण उन्होंने अनसूइया कि सच्चाई एवं पतीव्रता के धर्म की परिक्षा लेने की ठानी तथा अपने पतियों शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी को अनसूया के पास परीक्षा लेने के लिए भेजना चाहा.

भगवानों ने देवीयों को समझाने का पूर्ण प्रयास किया किंतु जब देवियां नहीं मानी तो विवश होकर तीनो देवता ऋषि के आश्रम पहुँचे. वहां जाकर देवों ने सधुओं का वेश धारण कर लिया और आश्रम के द्वार पर भोजन की मांग करने लगे. जब देवी अनसूया उन्हें भोजन देने लगी तो उन्होंने देवी के सामने एक शर्त रखी की वह तीनों तभी यह भोजन स्वीकार करेंगे जब देवी निर्वस्त्र होकर उन्हें भोजन परोसेंगी. इस पर देवी चिंता में डूब गई वह ऎसा कैसे कर सकती हैं. अत: देवी ने आंखे मूंद कर पति को याद किया इस पर उन्हें दिव्य दृष्टि प्राप्त हुई तथा साधुओं के वेश में उपस्थित देवों को उन्होंने पहचान लिया. तब देवी अनसूया ने कहा की जो वह साधु चाहते हैं वह ज़रूर पूरा होगा किंतु इसके लिए साधुओं को शिशु रूप लेकर उनके पुत्र बनना होगा.साधुओं का अपमान न हो इस डर से घबराई अनुसूइया ने पति का स्मरण कर कहा कि यदि मेरा पतिव्रत्य धर्म सत्य है तो ये तीनों साधु 6 मास के शिशु हो जाएं। इस बात को सुनकर त्रिदेव शिशु रूप में बदल गए जिसके फलस्वरूप माता अनसूइया ने देवों को अनुसूइया ने माता बनकर त्रिदेवों को स्तनपान  भोजन करवाया. इस तरह तीनों देव माता के पुत्र बन कर रहने लगे.

इस पर अधिक समय बीत जाने के पश्चात भी त्रिदेव देवलोक नहीं पहुँचे तो पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी चिंतित एवं दुखी हो गई  तब नारद ने त्रिदेवियों को सारी बात बताई। त्रिदेवियां ने अनुसूइया से क्षमा याचना की। तब अनुसूइया ने त्रिदेव को अपने पूर्व रूप में ला दिया। प्रसन्नचित्त त्रिदेवों ने देवी अनुसूइया को उनके गर्भ से पुत्र रूप में जन्म लेने का वरदान दिया। तब ब्रह्मा अंश से चंद्र, शंकर अंश से दुर्वासा व विष्णु अंश से दत्तात्रेय का जन्म हुआ।

इस पर तीनों देवियों ने सती अनसूइया के समक्ष क्षमा मांगी एवं अपने पतियों को बाल रूप से मूल रूप में लाने की प्रार्थना की ऐस पर माता अनसूया ने त्रिदेवों को उनका रूप प्रदान किया और तभी से वह मां सती अनसूइया के नाम से प्रसिद्ध हुई. स्त्रियां मां सती अनसूया से पतिव्रता होने का आशिर्वाद पाने की कामना करती हैं. प्रति वर्ष सती अनसूइया जी जयंती का आयोजन किया जाता है. इस उत्सव के समय मेलों का भी आयोजन होता है. रामायण में इनके जीवन के विषय में बताया गया है जिसके अनुसार वनवास काल में जब राम, सीता और लक्ष्मण जब महर्षि अत्रि के आश्रम में जाते हैं तो अनुसूया जी ने सीता जी को पतिव्रत धर्म की शिक्षा दी थी

Rashifal

राशिफल, 20 अप्रैल 2022

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा कोअपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

aries
मेष/aries

20 अप्रैल 2022:  

मुस्कुराएँ, क्योंकि यह सभी समस्याओं का सबसे उम्दा इलाज है। धन की आवाजाही आज दिन भर होती रहेगी और दिन ढलने के बाद आप बचत करने में भी सक्षम हो पाएंगे। किसी धार्मिक स्थल या संबंधी के यहाँ जाने की संभावना है। किसी की प्यार में क़ामयाबी मिलने की कल्पना को सच कराने में मदद करें। अपने काम और प्राथमिकताओं पर ध्यान एकाग्र करें। समय का पहिया बहुत तेजी से चलता है इसलिए आज से ही अपने कीमती समय का सही इस्तेमाल करना सीख लें। शादीशुदा ज़िन्दगी के नज़रिए से चीज़ें काफ़ी अच्छी रहेंगी।

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वृष/Taurus

20 अप्रैल 2022:  

अपने जीवनसाथी के मामले में ग़ैर-ज़रूरी टांग अड़ाने से बचें। अपने काम-से-काम रखना बेहतर रहेगा। कम-से-कम दख़ल दें, नहीं तो इससे निर्भरता बढ़ सकती है। आपकी कोई पुरानी बीमारी आज आपको परेशान कर सकती है जिसकी वजह से आपको हॉस्पिटल भी जाना पड़ सकता है और आपका काफी धन भी खर्च हो सकता है। कुछ लोगों के लिए- परिवार में किसी नए का आना जश्न और उल्लास के पल लेकर आएगा। आज अपने ख़ूबसूरत कामों को दिखाने के लिए आपका प्रेम पूरी तरह खिलेगा। प्रतिस्पर्धा के चलते काम-काज की अधिकता थकावट भरी हो सकती है। इस राशि के जातक खाली वक्त में आज किसी समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर सकते हैं। आप शादीशुदा ज़िन्दगी से जुड़े चुटकुले सोशल मीडिआ पर पढ़कर खिलखिलाते हैं। लेकिन आज जब आपके वैवाहिक जीवन से जुड़ी कई प्यारी चीज़ें आपके सामने आएंगी, तो आप भावुक हुए बिना नहीं रह सकेंगे।

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मिथुन/Gemini

20 अप्रैल 2022 :  

आज का दिन मौज-मस्ती और आनन्द से भरा रहेगा- क्योंकि आप ज़िन्दगी को पूरी तरह जिएंगे। आपका धन आपके काम तभी आता है जब आप फिजूलखर्ची करने से खुद को रोकते हैं आज ये बात आपको अच्छी तरह से समझ में आ सकती है। तनाव का दौर बरक़रार रहेगा, लेकिन पारिवारिक सहयोग मदद देगा। अपने प्रिय की बातों के प्रति आप ज़रूरत से ज़्यादा संवेदनशील रहेंगे- आपको अपने जज़्बात पर क़ाबू रखने की ज़रूरत है और ऐसा कुछ करने से बचें जो मामले को और भी बिगाड़ दे। आज आप दूसरे दिनों की तुलना में अपने लक्ष्यों को कुछ ज़्यादा ही ऊँचा तय कर सकते हैं। अगर परिणाम आपकी उम्मीद के मुताबिक़ न आए, तो निराश न हों। आपके हँसने-हँसाने का अन्दाज़ आपकी सबसे बड़ी पूंजी साबित होगा। वैवाहिक जीवन में चीज़ें हाथ से निकलती हुई मालूम होंगी।

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कर्क/Cancer

20 अप्रैल 2022:  

अपने दफ़्तर से जल्दी निकलने की कोशिश करें और वे काम करें जिन्हें आप वाक़ई पसंद करते हैं। आपके पास आज पैसा भी पर्याप्त मात्रा में होगा और इसके साथ ही मन में शांति भी होगी। लोग आपको आशाएँ और सपने देंगे, लेकिन असल में सारा दारोमदार आपके प्रयासों पर रहेगा। शाम के लिए कोई ख़ास योजना बनाएँ और कोशिश करें कि यह ज़्यादा-से-ज़्यादा रुमानी हो। जो लोग अब तक बेरोजगार हैं उन्हें अच्छी जॉब पाने के लिए आज और अधिक मेहनत करने की जरुरत है। मेहनत करके ही आप सही परिणाम पा पाएंगे। वक्त सेे हर काम को पूरा करना ठीक होता है अगर आप ऐसा करते हैं तो आप अपने लिए भी वक्त निकाल पाते हैं। अगर आप हर काम को कल पर टालते हैं तो अपने लिए आप कभी समय नहीं निकाल पाएंगे। आज आपका वैवाहिक जीवन हँसी-ख़ुशी, प्यार और उल्लास का केन्द्र बन सकता है।

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Leo
सिंह/Leo

20 अप्रैल 2022 :

आज के दिन आप काम को अलग रखकर थोड़ा आराम करें और कुछ ऐसा करें जिसमें आपकी दिलचस्पी हो। रुका हुआ धन मिलेगा और आर्थिक हालात में सुधार आएगा। दोस्त मददगार और सहयोगी रहेंगे। आपको उदार और स्नेह से भरे प्यार का तोहफ़ा मिल सकता है। ऑफिस में आज आपको स्थिति को समझते हुए ही व्यवहार करना चाहिए। अगर आपका बोलना जरुरी नहीं है तो चुप रहें, कोई भी बात जबरदस्ती बोलकर आप खुद को परेशानी में डाल सकते हैं। आज के समय में अपने लिए वक्त निकाल पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन आज ऐसा दिन है जब आपके पास अपने लिए भरपूर समय होगा। वैवाहिक जीवन को अधिक सुखमय बनाने के आपके प्रयास उम्मीद से ज़्यादा रंग लाएंगे।

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कन्या/Virgo

20 अप्रैल 2022 :  

तरोताज़ा होने के लिए अच्छी तरह से आराम करें। बोलते समय और वित्तीय लेन-देन करते समय सावधानी बरतने की ज़रूरत है। घरेलू काम थका देने वाला होगा और इसलिए मानसिक तनाव की वजह भी बन सकता है। आज के दिन रोमांस के नज़रिए से कोई ख़ास आशा नहीं की जा सकती है। अपने उद्देश्यों की ओर शान्ति से बढ़ते रहें और सफलता मिलने से पहले अपने पत्ते न खोलें। इस राशि के लोग बड़े ही दिलचस्प होते हैं। ये कभी लोगों के बीच रहकर खुश रहते हैं तो कभी अकेले में हालांकि अकेले वक्त गुजारना इतना आसान नहीं है फिर भी आज दिन में कुछ समय आप अपने लिए जरुर निकाल पाएंगे। ख़र्चों को लेकर जीवनसाथी से तनातनी संभव है।

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Libra
तुला/Libra

20 अप्रैल 2 2022 :   

आज ख़ास दिन है, क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य आपको कुछ असाधारण काम करने की क्षमता देगा। किसी करीबी रिश्तेदार की मदद से आज आप अपने करोबार में अच्छा कर सकते हैं जिससे आपको आर्थिक लाभ भी होगा। कोई पुराना परिचित आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है। एक लम्बा दौर जो काफ़ी समय से आपको दबोचे हुए था, ख़त्म हो चुका है- क्योंकि जल्दी ही आपको आपका जीवन-साथी मिलने वाला है। आपका प्रतिस्पर्धी स्वभाव आपको दूसरों से आगे रखने में मदद करेगा। आज मौसम का मिजाज कुछ ऐसा रहेगा कि आप बिस्तर से उठने को राजी नहीं होंगे। बिस्तर से उठने के बाद आपको अहसास होगा कि आप अपना कीमती समय बर्बाद कर चुके हैं। आपको महसूस होगा कि आपका वैवाहिक जीवन बहुत ख़ूबसूरत है।

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वृश्चिक/Scorpio

20 अप्रैल 2022 : 

गाड़ी चलाते समय सावधान रहें, ख़ास तौर पर मोड़ पर। नहीं तो किसी और की ग़लती का ख़ामियाज़ा आपको भुगतना पड़ सकता है। नौकरी पेशा से जुड़े लोगों को आज धन की बहुत आवश्यकता पड़ेगी लेकिन बीते दिनों में किये गये फिजुलखर्च के कारण उनके पास पर्याप्त धन नहीं होगा। घर में कुछ बदलाव लाने के लिए पहले बाक़ी लोगों की राय भली-भांति जान लें। अपने प्रिय की छोटी-मोटी भूल को अनदेखा करें। दफ़्तर में स्नेह का माहौल बना रहेगा। इस राशि के छात्र-छात्राएं आज अपने कीमती समय का दुरुपयोग कर सकते हैं। आप मोबाइल या टीवी पर आवश्यकता से अधिक समय जाया कर सकते हैं। आज आपको अपने जीवनसाथी से एक बार फिर प्यार हो जाएगा।

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धनु/Sagittarius

20 अप्रैल 2022 :  

परेशानियों के बारे में सोचते रहने और तिल का ताड़ करने की आपकी आदत आपके नैतिक ताने-बाने को कमज़ोर कर सकती है। आज आपकी कोई चल संपत्ति चोरी हो सकती है इसलिए जितना हो सके इनका ध्यान रखें। पड़ोसियों से झगड़ा आपका मूड ख़राब कर सकता है। लेकिन अपना आपा न खोएँ, इससे सिर्फ़ आग और भड़केगी। अगर आप सहयोग न करें, तो कोई आपसे नहीं झगड़ सकता है। सबसे अच्छा रिश्ता बनाए रखने की कोशिश करें। आपके जीवन-साथी के पारिवारिक सदस्यों की वजह से आपका दिन थोड़ा परेशानीभरा हो सकता है। कामकाज के सिलसिले में आपके ऊपर ज़िम्मेदारियों का बोझ बढ़ सकता है। कुछ लोगों के लिए आकस्मिक यात्रा दौड़-भाग भरी और तनावपूर्ण रहेगी। ख़र्चों को लेकर जीवनसाथी से तनातनी संभव है।

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मकर/Capricorn

20 अप्रैल 2022 : 

स्वास्थ्य के लिहाज़ से बहुत अच्छा दिन है। आपकी ख़ुशमिज़ाजी ही आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी करेगी। आपके पास आज पैसा भी पर्याप्त मात्रा में होगा और इसके साथ ही मन में शांति भी होगी। पारिवारिक सदस्यों के साथ सुकून भरे और शांत दिन का लुत्फ़ लें। अगर लोग परेशानियों के साथ आपके पास आएँ तो उन्हें नज़रअंदाज़ करें और उन्हें अपनी मानसिक शांति भंग न करने दें। अगर आपको लगता है कि आपका लवमेट आपकी बातों को समझ नहीं पाता तो आज उनके साथ वक्त बिताएं और अपनी बातों को स्पष्टता के साथ उनके सामने रखें। आज अनुभवी लोगों से जुड़कर जानने की कोशिश करें कि उनका क्या कहना है। आज आपको ढेरों दिलचस्प निमंत्रण मिलेंगे- साथ ही आपको एक आकस्मिक उपहार भी मिल सकता है। वैवाहिक जीवन के उजले पहलू का अनुभव करने के लिए अच्छा दिन है।

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कुम्भ/Aquarius

20 अप्रैल 2022 : 

तली-भुनी खाने की चीज़ों से किनारा करें। आज आपकी कोई चल संपत्ति चोरी हो सकती है इसलिए जितना हो सके इनका ध्यान रखें। दूसरों को प्रभावित करने की आपकी क्षमता आपको कई सकारात्मक चीज़ें दिलाएगी। आपकी थकी और उदास ज़िन्दगी आपके जीवन-साथी को तनाव दे सकती है। जो कला और रंगमंच आदि से जुड़े हैं, उन्हें आज अपना कौशल दिखाने के लिए कई नए मौक़े मिलेंगे। कुछ लोगों के लिए आकस्मिक यात्रा दौड़-भाग भरी और तनावपूर्ण रहेगी। ख़र्चों को लेकर जीवनसाथी से तनातनी संभव है।

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मीन/Pisces

20 अप्रैल 2022 : 

आपका हँसमुख स्वभाव दूसरों को ख़ुश रखेगा। रियल एस्टेट सम्बन्धी निवेश आपको अच्छा-ख़ासा मुनाफ़ा देंगे। जीवनसाथी ज़िंदगी में बदलाव लाने में मदद करेगा। ख़ुद को एक ज़िंदादिल और गर्मजोशी से भरा इंसान बनाएँ, जो ज़िंदगी की राह अपनी मेहनत और काम से बनता है। साथ ही इस राह में आने वाले गड्ढों और दिक़्क़तों से दिल छोटा न करें। ग़लतफ़हमी या कोई ग़लत संदेश आपका गर्मजोशी भरा दिन ठण्डा कर सकता है। नयी साझीदारी आज के दिन फलदायी रहेगी। अगर आप लंबे समय से अपने जीवन में किसी रोचक चीज़ के होने का इंतज़ार कर रहे हैं, तो निश्चय ही आपको उसके संकेत दिखाई देने लगेंगे। ज़्यादा ख़र्चे की वजह से जीवनसाथी से खट-पट हो सकती है।

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Panchang

पंचांग, 20 अप्रैल 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

नोटः आज ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ, श्री सतीअनुसूइया जयंती है।

माता सतीअनुसूइया जयंती : यह माना जाता है कि उत्तराखंड में स्थित माता अनुसुईया के मंदिर में रात्रि में जप और जागरण करने की परंपरा है। इस मंदिर में निसंतान दंपत्ति जप और जागरण कर पूजा अर्चना कर संतान कामना करते है। यह जप-तप, अनुष्ठान शनिवार की रात्रि में करने का प्रावधान है। इस मंदिर को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस मंदिर में त्रिदेव माता की परीक्षा लेने के लिए बालक रुप में आए थे और तीनों देवों ने देवी से भोजन कराने की प्रार्थना की। देवी ने अपने सतीत्व से त्रिदेवों को पहचान लिया, इससे त्रिदेव असली रुप में आ गए। माता अनुसुईया से भगवान शिव दुर्वासा के रुप में मिले थे।

आज ग्रीष्म ऋतु प्रारम्भ : ज्येष्ठ और आषाढ़ ‘ग्रीष्म ऋतु’ के मास हैं। इसमें सूर्य उत्तरायण की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु प्राणीमात्र के लिए कष्टकारी अवश्य है, पर तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह ऋतु अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मई और जून में रहती है। आज ही से जाएष्ठ मास प्रारम्भ हो जाएगा, ग्रिशम ऋतु 20/21 अप्रैल से 15 जून (आषाढ़ मास की समाप्ती) तक चलेंगी

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः वैशाख़, 

पक्षः कृष्ण, 

तिथिः चतुर्थी, दोपहर 01.53 तक है, 

वारः बुधवार, 

नक्षत्रः ज्येष्ठा रात्रि 11.41 तक है।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।

योगः वरीयान दोपहर काल 01.39 तक, करणः वणिज, 

सूर्य राशिः मेष,  चंद्र राशिः वश्चिक, 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.55,  सूर्यास्तः 06.46 बजे।