अभी सस्ता नहीं होगा पेट्रोल-डीजल, वित्त मंत्री बोलीं

वित्‍तमंत्री ने राज्‍यसभा में एक सवाल के जवाब में कहा, ग्‍लोबल मार्केट में सप्‍लाई बाधित होने की वजह से पिछले कुछ सप्‍ताह से क्रूड ऑयल की कीमतों में तेज उछाल आया है। इसके अलावा पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की ओर से जारी किए गए 2 लाख करोड़ रुपये के ऑयल बॉन्‍ड का असर भी पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों पर पड़ रहा है। हालांकि, सरकार इससे निपटने के लिए लगातार कदम उठा रही है। युद्ध के पश्चात क्या पेट्रोल डीजल फिर से पुराने दाम पर मिलेंगे?

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने महंगे फ्यूल के लिए पिछली यानी UPA सरकार पर जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि हम उनके बोझ ढो रहे हैं। ऐसे में पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने की संभावना कम है। ये बात उन्होंने तमिलनाडु सरकार की ओर से एक लीटर पेट्रोल की कीमत 3 रुपए घटाने से जुड़े सवाल पर जवाब में कही।

उन्होंने कहा, सरकारी खजाने पर यूपीए सरकार की ओर से जारी किए गए तेल बांडों के लिए किए जा रहे ब्याज भुगतान का बोझ है। सरकार ने अभी तक केवल ऑयल बॉन्ड पर पिछले पांच साल में 62 हजार करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि साल 2026 तक हमें अभी 37 हजार करोड़ रुपये का भुगतान और करना है। 

वित्त मंत्री ने सोमवार को कहा कि मनमोहन सरकार ने पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के दाम घटाने के लिए 1.44 लाख करोड़ रुपए के ऑयल बॉन्ड जारी किए थे। इसका भुगतान हमें करना पड़ा रहा है। उन्होंने कहा कि 31 मार्च 2021 तक 1.31 लाख करोड़ रुपए की आउटस्टैंडिंग रही। 2026 तक सरकार को ब्याज के रूप में ही 37,340 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। ऐसे में एक्साइज ड्यूटी घटाकर पेट्रोल-डीजल के दाम कम करना मुमकिन नहीं है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 5 साल में ऑयल बॉन्ड पर 70,196 करोड़ रुपए का ब्याज भरा है। UPA सरकार ने 2005-2009 के दौरान ऑयल बॉन्ड जारी कर फंड जुटाया। इससे 2008 में फाइनेंशियल क्राइसेज के बावजूद फ्यूल प्राइसेज के दाम नहीं बढ़े। UPA सरकार ने ऑयल बॉन्ड जारी कर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) से कर्ज लिए। ऐसे में मौजूदा सरकार को इसका भुगतान करने में मुश्किल हो रही है।

वित्त मंत्री ने आगे कहा कि ब्याज भुगतान के बावजूद 1.30 लाख करोड़ से अधिक का मूलधन अभी भी बकाया है। अगर हम पर तेल बॉन्ड का बोझ नहीं होता तो हम ईंधन पर उत्पाद शुल्क कम करने की स्थिति में होते। वित्त मंत्री ने वाहन ईंधन की कीमतों पर वर्तमान में बनी इस स्थिति के लिए पूरी तरह के कांग्रेस की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।