चुनावी संघर्ष के दौरान नवजोत को सर्वोच्च न्यायालय से गैर इरादतन हत्या वाले केस में सवाल
पीड़ित परिवार ने याचिका दाखिल कर रोज रेज केस में साधारण चोट नहीं बल्कि गंभीर अपराध के तहत सजा बढ़ाने की मांग की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने साधारण चोट का मामला बताते हुए सिर्फ ये तय करने का फैसला किया था कि क्या सिद्धू को जेल की सजा सुनाई जाए या नहीं। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान विशेष पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस संजय किशन कौल के सामने याचिकाकर्ता पीड़ित परिवार की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कई पुराने मामलों में आए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सड़क पर हुई हत्या और उसकी वजह पर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से भी साफ है कि यह हत्या का माला है और चोट हमले की वजह से आई थी न कि हार्ट अटैक से मौत हुई। याचिकाकर्ता के वकील ने वकील की लिहाजा दोषी को दी गई सजा को और बढ़ाया जाए। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसले को उलट दिया और उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी।
डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ :
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सामने चुनावी संघर्ष के बाद एक और नई मुश्किल खड़ी हो गई है। करीब 33 साल पुराने सड़क दुर्घटना के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराने और तीन साल की सजा सुनाने के फैसले पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया गया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित पक्ष की याचिका पर फिर से मामले को सुनने का फैसला किया है। अब शीर्ष अदालत तय करेगी कि सिद्धू को जेल की सजा दी जाए या नहीं। शिकायककर्ता की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सिद्घू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सर्वोच्च न्यायालय ने नवजोत सिंह सिद्धू से जवाब देने को कहा
सर्वोच्च न्यायालय ने नवजोत सिंह सिद्धू से उनके खिलाफ 33 साल से अधिक पुराने इस रोड रेज केस में रिव्यू पिटिशन का दायरा बढ़ाने की मांग वाली याचिका पर जवाब देने को कहा है। न्यायमूर्ति एसके कौल की अगुवाई वाली एक पीठ ने सिद्धू से पीड़ित परिवार की उस याचिका पर जवाब देने को कहा, जिसमें कहा गया था कि उनके अपराध को सिर्फ चोट पहुंचाने से ज्यादा गंभीर माना जाए और उसके अनुसार उसकी सजा बढ़ाई जाए।
पी चिदंबरम ने की सर्वोच्च न्यायालय में सिद्धू के केस की पैरवी
बेंच ने मामले की दो हफ्ते बाद आगे की सुनवाई निर्धारित की है। सिद्धू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने पुनर्विचार याचिका का दायरा बढ़ाने के अदालत के फैसले का विरोध किया। सर्वोच्च न्यायालय ने 3 फरवरी को उस याचिका पर सुनवाई टाल दी थी जिसमें 1988 के रोड रेज मामले में सिद्धू को 1,000 रुपये के जुर्माने से मुक्त करने के अपने 2018 के आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी। इस मामले में गुरनाम सिंह नामक व्यक्ति की मौत हो गई थी।
समीक्षा याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने बेंच से नोटिस के दायरे का विस्तार करने और हत्या के आरोपों पर दोषसिद्धि को पुनर्जीवित करने पर विचार करने का आग्रह किया। सिद्धू को शीर्ष अदालत ने 15 मई, 2018 को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया था, लेकिन मृतक को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया और 1,000 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया था।
सितंबर 1999 में निचले न्यायालय ने सिद्धू को बरी किया था
सर्वोच्च न्यायालय ने 12 सितंबर 2018 को अपने 15 मई, 2018 के आदेश की समीक्षा की मांग वाली याचिका पर विचार करने पर सहमति जताई है। सिद्धू को “सजा की मात्रा तक सीमित” नोटिस जारी करते हुए, यह उन्हें दी गई सजा पर पुनर्विचार करने के लिए सहमत हो गया है। सिद्धू पर शुरू में हत्या का मुकदमा चलाया गया था लेकिन सितंबर 1999 में निचली अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। हालांकि, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फैसले को उलट दिया और उन्हें गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया और उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी।