प्रियंका गांधी ‘वाड्रा’ को अपने लक्ष्य में कितनी सफलता मिलेगी इस सवाल के जवाब के लिए मतगणना तक इंतजार करना होगा, लेकिन यह तो तय है कि ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ के नारे और 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देकर पार्टी ने सबका ध्यान अपनी ओर जरूर खींचा है। इस सबके बीच एक कुछ सवाल बने हुए हैं, मसलन यूपी चुनाव के बाद प्रियंका गांधी की कांग्रेस में भूमिका क्या होगी? प्रियंका के राजनीतिक सफर पर यूपी चुनाव का कितना असर होने जा रहा है? यदि कांग्रेस को अपक्षेति सफलता नहीं मिली तो क्या पार्टी के भीतर राहुल गांधी की तरह कुछ नेता प्रियंका के नेतृत्व पर भी सवाल उठा सकते हैं?
संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट – लखनऊ/नयी दिल्ली :
यूपी चुनाव में प्रियंका गांधी ‘वाड्रा’ के रोल को लेकर संस्पेंस लगभग खत्म हो गया है. कांग्रेस यूथ मेनिफेस्टो जारी करते हुए प्रियंका गांधी ने इशारों-इशारों में बता दिया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो सीएम का चेहरा कौन होगा?
देश में पहली बार कांग्रेस-नेहरू परिवार का कोई सदस्य सीएम पद का उम्मीदवार होगा। पार्टी की यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने सीएम पद के चेहरे से संबंधित सवाल पर कहा कि प्रदेश में पार्टी का उनके अलावा कोई और चेहरा नहीं है। राजनीतिक हलकों में इसके गहरे निहितार्थ माने जा रहे हैं। विश्लेषकों की नजर में भी इस फैसले से यूपी में कांग्रेस काफी सीटों पर मुकाबले में जरूर दिखेगी।
प्रियंका से पूछा गया कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के चेहरे को लेकर सवाल उठते रहे हैं। लेकिन, पार्टी की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है। क्या पार्टी बिना चेहरे के यूपी में चुनाव लड़ेगी। प्रियंका ने जवाब दिया कि क्या आपको (मीडिया को) यूपी में कांग्रेस पार्टी की तरफ से किसी और का चेहरा दिख रहा है? इस पर पुन: पूछा गया कि क्या आप ही चेहरा होंगी। प्रियंका ने कहा कि प्रदेश में हर जगह पर उन्हीं का चेहरा दिख रहा है।
वीडियो के 38वें मिनट में कॉन्ग्रेस के सीएम फेस को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रियंका गाँधी ने कहा, “आपको किसी और का चेहरा दिख रहा है?” उन्होंने कहा कि ‘हर तरफ मेरा चेहरा दिख रहा है।’ इस दौरान उन्होंने तौकीर रजा के बयान से भी किनारा कर लिया। प्रियंका गाँधी ने कहा कि हमारी विचारधारा अलग है। तौकीर रजा कॉन्ग्रेस पार्टी में नहीं हैं।
बीएचयू के राजनीति शास्त्र विभाग के प्रो. कौशल किशोर मिश्रा कहते हैं कि यूपी में सीएम पद के चेहरे को लेकर प्रियंका गांधी का जवाब गोलमोल है। अगर वह सीएम पद का चेहरा हैं तो उन्हें स्वयं चुनाव मैदान में उतरकर किसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए। सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से लड़ रहे हैं और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी करहल से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। मायावती भी कह चुकी हैं कि चुनाव नहीं लड़ेंगी, पर अगर उनकी पार्टी बहुमत में आती है, तो वह ही मुख्यमंत्री बनेंगी। वह कई बार सीएम रह चुकी हैं, इसलिए उनका ऐसा कहना तर्कसंगत लगता है। लेकिन, प्रियंका ने तो आज तक कोई चुनाव लड़ा ही नहीं। गांधी परिवार के किसी सदस्य का सीएम पद के चेहरे के बाबत इस तरह की बात करना वाकई राजनीति में नया परिवर्तन है। क्योंकि, इस परिवार के सदस्य हमेशा प्रधानमंत्री पद के दावेदार ही रहे हैं।
दिल्ली विवि के जाकिर हुसैन कॉलेज के शिक्षक व राजनीतिक विश्लेषक डॉ. लक्ष्मण यादव कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी के सीएम पद के चेहरे को लेकर जिस तरह से प्रियंका का बयान आया है, वो पार्टी की खोई जमीन को वापस लाने में मददगार साबित हो सकता है। अभी भाजपा चाहती है कि लड़ाई उसके और सपा के बीच रहे, ताकि हिंदू-मुस्लिम के आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण हो सके। प्रियंका के बयान से यूपी की 30-40 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबले में आ सकती है। बसपा का अपना आधार वोट है। कांग्रेस के भी प्रभावी भूमिका में आने से धर्म के आधार पर ध्रुवीकरण नहीं हो सकेगा। इससे धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक ताकतों को फायदा होगा।