हरक के कांग्रेस में शामिल होने से पहले विरोध शुरू, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा- ऐसे लोगों को दूर रखें

प्रदीप टम्टा ने कहा कि उनका व्यक्तिगत मत है कि ऐसे दलबदलू लोगों को पार्टी से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस तरह की जोड़तोड़ में विश्वास नहीं करते हैं। बावजूद इसके यदि शीर्ष नेतृत्व हरक सिंह को पार्टी में लेने का निर्णय लेता है, तो हम पार्टी से बाहर नहीं जाएंगे। पार्टी को भी निर्णय लेते समय 2016 में हुए अपराध का संज्ञान लेना चाहिए। माफी मांग लेने भर से कुछ नहीं हो जाता। इसकी क्या गारंटी है कि उन्होंने (हरक सिंह) जो पहले किया है, उसे फिर से नहीं दोहराएंगे।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, उत्तराखंड(ब्यूरो) :

बीजेपी से निष्कासित पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत 6 साल बाद एक बार फिर से कांग्रेस में वापसी को बेकरार दिख रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से 100 बार माफ़ी मांगने की बात भी कही है। बावजूद इसके कांग्रेस आला कमान में हरक सिंह रावत की एंट्री को लेकर को बात अभी तक नहीं बन पायी है। मिल रही जानकारी के मुताबिक हरक सिंह रावत लगातार कांग्रेस के संपर्क में हैं। लेकिन हरीश रावत की वजह से उनकी जॉइनिंग पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है। हरीश रावत ने हालांकि हरक सिंह रावत को माफ़ करने की बात तो कही, लेकिन साथ ही उन्हें अपराधी भी बता दिया।

भाजपा से निष्कासित पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की कांग्रेस में एंट्री से पहले ही विरोध शुरू हो गया है। केदारनाथ विधायक मनोज रावत के बाद राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने भी हरक को पार्टी में नहीं लिए जाने की बात कही है। अमर उजाला से बातचीत में सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि जो लोग आज हरक सिंह रावत को पार्टी में शामिल किए जाने की पैरवी कर रहे हैं, शायद वह वर्ष 2016 की घटना को भूल गए हैं, जब षड़यंत्र के तहत लोकतंत्र की हत्या की गई थी।

इस साजिश के शामिल डॉ. हरक सिंह रावत ने पांच साल सरकार में रहकर कभी भाजपा की गलत नीतियों की आलोचना नहीं की। लेकिन अब जब उन्हें पार्टी ने निकाल दिया है, तब उन्हें फिर कांग्रेस याद आ रही है। वह जानते हैं कि इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है। इसलिए कांग्रेस पार्टी का रुख करना चाहते हैं। हम जनता को क्या जवाब देंगे।

टम्टा ने कहा कि उनका व्यक्तिगत मत है कि ऐसे दलबदलू लोगों को पार्टी से दूर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस तरह की जोड़तोड़ में विश्वास नहीं करते हैं। बावजूद इसके यदि शीर्ष नेतृत्व हरक सिंह को पार्टी में लेने का निर्णय लेता है, तो हम पार्टी से बाहर नहीं जाएंगे। पार्टी को भी निर्णय लेते समय 2016 में हुए अपराध का संज्ञान लेना चाहिए। माफी मांग लेने भर से कुछ नहीं हो जाता। इसकी क्या गारंटी है कि उन्होंने (हरक सिंह) जो पहले किया है, उसे फिर से नहीं दोहराएंगे।

पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की कांग्रेस पार्टी में ज्वानिंग नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि पूर्व सीएम हरीश रावत के कारण ऐसा हो रहा है। जबकि हरीश रावत का कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर तो वह उन्हें (डॉ. हरक) बहुत पहले माफ कर चुके हैं, लेकिन यह मामला व्यक्तिगत नहीं है। उन्हें घाव लगा है, इसलिए हो सकता है, वह निष्पक्ष होकर निर्णय नहीं ले पाएं, लेकिन पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जो भी निर्णय लेगा, वह उसके साथ होंगे। 

डॉ. हरक सिंह के मुद्दे पर अमर उजाला से बातचीत करते हुए पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि इस मामले में वह पिक्चर में नहीं हैं। पार्टी का जो निर्णय होगा, वह उसे मान लेंगे। हरक सिंह रावत अगर यह कह रहे हैं कि मैंने माफी दे दी है तो यह हरीश रावत का व्यक्तिगत मामला नहीं है। वह तो इस बात को अपने मन से बहुत पहले ही हटा चुके हैं। बकौल हरीश, हमारे जीवन में यह घटना होनी थी, हो गई, हम इसे झेल रहे हैं। हम ही क्या, सभी उसका परिणाम झेल रहे हैं।

उस दौरान यदि तीन-चार माह और सरकार रहती तो काम करने के तमाम अवसर मिलते। लेकिन इन्होंने (हरक सिंह) ऐसा नहीं होने दिया। इन्होंने सरकार का एक प्रकार से पूरा एक वित्तीय वर्ष खत्म कर दिया। इस दौरान उत्तराखंड के विकास का जो नुकसान हुआ, उसका सवाल बड़ा है। लोकतंत्र का नुकसान हुआ, उसका भी सवाल है। इसके लिए आप (हरक सिंह) भले ही सर्वाजनिक रूप से बात करें या माफी मांगे, लेकिन यह पार्टी को देखना है कि इनके आने से फायदा है या नुकसान है। यह पार्टी को तय करना है, मैं इस मसले पर नहीं फंसना चाहता हूं। हरीश रावत ने आगे जोड़ा कि उन्हें घाव लगा था, इसलिए हो सकता है, वह निष्पक्ष तरीके से नहीं सोच पा रहे हों। वह इतना ही कहना चाहते हैं कि पार्टी के सामूहिक निर्णय में हरीश रावत का निर्णय भी शामिल होगा।

पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश जोशी की कांग्रेस भवन में मौजूदगी के दौरान रायपुर विधानसभा क्षेत्र के कुछ कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस मुख्यालय भवन में डॉ. हरक सिंह रावत के विरोध में नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। 

बताया जा रहा है कि प्रदर्शन कर रहे कार्यकर्ता दो माह पूर्व ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए महेंद्र नेगी गुरुजी के समर्थक थे। महेंद्र नेगी रायपुर से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। डॉ. हरक सिंह रावत के कांग्रेस में शामिल होने और रायपुर सीट से दावेदारी जताने की आशंका में उम्मीदवार पहले ही विरोध दर्ज करा देना चाहते हैं।

शायद यही वजह रही कि पर्यवेक्षक नियुक्त होने के बाद पहली बार कांग्रेस मुख्यालय भवन पहुंचे मोहन प्रकाश जोशी की मौजूदगी के समय विरोध दर्ज कराने का समय चुना गया। जिस वक्त पर्यवेक्षक मोहन प्रकाश जोशी कांग्रेस भवन में पहली मंजिल पर बने वार रूम का निरीक्षण कर रहे थे, उसी वक्त कार्यालय प्रांगण में कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे।