केन्द्र सरकार के कारण GST बढ़ाने से महगांई रुपी जिन्न फिर बाहर निकल जायेगा : पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन

पंचकूला 30  दिसंबर:  

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने केन्द्रीय वित्त मंत्री सीतारमण से मांग की है कि 1 जनवरी 2022 से कपड़ा, रेडीमेड कपड़ों , जूते और चप्पलों पर  जी एस टी  की दरें 5 प्रतिशत से बढ़ाकर कर 12 प्रतिशत करने के निर्णय को वापिस लेकर महंगाई  रुपी  जिन्न से गरीबों को छूटकारा  दिलवाने के लिए सार्थक कदम उठाए। उन्होंने कहा कि गरीब व्यक्ति महगांई के बोझ के नीचे पहले से ही दबा जा रहा है और जी एस टी की दरें बढ़ने से एक बार फिर महगांई रुपी जिन्न फिर बाहर निकल जायेगा और इसकी सबसे अधिक मार समाज के 80 प्रतिशत  गरीब लोगों पर ही पड़ेगी।

                  चन्द्र मोहन ने कहा कि अब फैक्ट्री से निकलने वाले 200 रुपए का कपड़ा   210 रुपए में मिलता है तो वह 1 जनवरी के बाद जी एस टी बढ़ने से   224 रुपए में मिलेगा। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों में रेडीमेड कपड़ा सस्ता है इससे देश का निर्यात भी घटेगा और  छोटे व्यापारी और कपड़ा उद्योग तबाह हो जायेगा और इसका सीधे रुप से जिम्मेदार केन्द्र सरकार होगी।

                     उन्होंने कहा कि चप्पल गरीब का गहना है और इस पर भी जी एस टी की दरें 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने से मोदी सरकार का गरीब विरोधी चेहरा  स्पष्ट रूप से उजागर हो गया है। कोरोना और महगांई रुपी राक्षस से गरीब लोगों का जीना पहले ही दुष्कर हो गया है और जी एस टी के दरें बढ़ने से उन पर और अधिक बोझ पड़ेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  ने जहां गरीब चप्पल वाले को भी हवाई जहाज में सफर करने का प्रलोभन दिखलाया और अब उन्ही चप्पल वालों का साईकिल पर भी चलना दुश्वार हो सकता है । प्रधानमंत्री का चप्पल वाले का हवाई सफर करने का सपनाक्षभी एक जुमला सिद्ध हुआ है।

                         चन्द्र मोहन ने कहा कि अभी तो गरीब कोरोना की मार  से उभर भी नहीं पाया था और अब जी एस टी की बढ़ी दरें लागू करने से  80 प्रतिशत लोगों पर इसका सीधा असर पड़ेगा जिनसे  जी एस टी प्राप्त होता है। इस फैसले से  जहां निर्यात घटेगा  वहीं 15 लाख लोग बेरोजगार हो जायेंगे। उन्होंने केन्द्रीय वित्त मंत्रीसे मांग की है कि वह गरीब लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ करना बंद करदे और जी एस टी की बढ़ी हुई दरें वापिस लेने के आदेश जारी करें ताकि कोविड की तीसरी लहर की आंशका को देखते हुए गरीबों पर बोझ डालने की बजाय उनको राहत देने का प्रयास  करना चाहिए ताकि गरीबो को राहत मिल सके और वह महगांई के दंश से बच सकें।