लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने से प्रेग्नेंसी-अबॉर्शन पर होगा असर : गायनेकोलोजिस्ट
तृणमूल कांग्रेस की सांसद डोला सेन ने सरकार के कदम का विरोध करते हुए एनडीटीवी से कहा, “देखिए बुरा मत मानिए. मोदी रिजीम चल रहा है। मोदी हैं तो मुमकिन है। औरतों को क्या मानते हैं। वो बुरा माने या भला। इनको क्या फर्क पड़ता है. हम क्या खाएंगे या क्या पहनेंगे… कितने साल पर शादी करेंगे. सब मोदी जी के हाथ में है।” साथ ही शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि “जो भी फैसले हो रहे हैं महिलाओं से बग़ैर पूछे… बिना उनकी राय के लिए गए. जब वोटिंग ऐज (मतदान की उम्न) 18 साल है तो शादी के लिये 21 साल। कैबिनेट यह फैसला करेगी कितनी पढ़ाई करनी है, किससे शादी करनी है, कब बच्चा पैदा करना है… तो महिलाएं क्या करेंगी. चाइल्ड मैरिज भी बढ़ी है।”
नयी दिल्ली (ब्यूरो) :
भारत में लड़कियों की शादी की उम्र में संशोधन के लिए पिछले साल बनाई गई टास्क फोर्स की सिफारिशों पर आधारित प्रस्ताव को बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पास कर दिया है। जिसमें लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 करने का प्रस्ताव रखा गया है। लिहाजा लड़कियों के विवाह की कानूनी उम्र बढ़ने को लेकर कुछ लोग समर्थन कर रहे हैं तो कई संगठन इसका विरोध जता रहे हैं। देश में मातृत्व की उम्र से संबंधित मामलों, मातृ मृत्यु दर को कम करने की जरूरतों और, पोषण आदि में सुधार को ध्यान में रखते हुए उम्र में संशोधन करने की बात कही गई है, ऐसे में लोगों का अभी भी यह सवाल है कि क्या इसे फैसले से सच में महिलाओं और लड़कियों को फायदा मिलेगा? या इससे नुकसान होगा ?
इस संबंध में ए टीवी चैनल ने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुड़गांव की निदेशक और हेड व दिल्ली एम्स की पूर्व हेड ऑफ द डिपार्टमेंट ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी डॉ. सुनीता मित्तल से बात की हैं. वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनीता का कहना है कि शादी की उम्र बढ़ाने से पहले भी भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए कई कानून बने हैं लेकिन सबसे बड़ी जरूरत किसी भी कानून के लिए होती है कि वह सही तरीके से देशभर में लागू किया जाए। ऐसे में इस प्रस्ताव के कानून बन जाने के बाद यह अगर सही तरीके से लागू होता है तो इसका बड़ा फायदा महिलाओं को मिलेगा।
उम्र बढ़ने से महिलाओं के स्वास्थ्य पर ये होगा असर
डॉ. मित्तल कहती हैं कि शादी का सीधा संबंध प्रेग्नेंसी से है। ऐसे में इस कानूनी प्रस्ताव का सीधा असर महिलाओं के स्वास्थ्य पर पड़ेगा। अगर मेडिकली देखें तो टीनएज प्रेग्नेंसी में कठिनाइयां और दिक्कतें अपेक्षाकृत ज्यादा होती हैं। मेडिकल टर्म में टीनएज यानि 19 साल से कम उम्र की लड़कियां। अगर 19 साल से कम उम्र में कोई लड़की गर्भवती होती है तो उसकी गर्भावस्था से लेकर प्रसव यानि डिलिवरी तक कई परेशानियां पैदा होने की संभावना ज्यादा होती है। या कहें कि ये प्रमुख दिक्कतें आती ही हैं। यही वजह है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ हमेशा लड़कियों को शादी के बाद सलाह देते हैं कि दो से तीन साल के अंतर के बाद ही गर्भवती हों, तक तक शारीरिक और मानसिक रूप से मैच्योरिटी भी आ जाएगी।
गर्भपात या अबॉर्शन के मामले।
डॉ. मित्तल कहती हैं टीनएज या अर्ली एज में लड़कियों में गर्भपात या मिसकैरेज के मामले बढ़ जाते हैं। जबकि 21 के बाद ये आशंका कम होती है। लिहाजा शादी की उम्र बढ़ने से अबॉर्शन या मिसकैरेज के मामले घटने का अनुमान है।
प्री-मैच्योर या अंडर वेट बच्चा होना या बच्चे की मृत्यु होन।
डॉ. कहती हैं कि अगर स्वस्थ प्रेग्नेंसी की बात करें तो यह उम्र 21 साल से 28-30 तक होती है। इस उम्र के बीच जो भी महिलाएं गर्भवती होती हैं वे अपेक्षाकृत स्वस्थ बच्चे को जन्म देती हैं। इनके बच्चे भी स्वस्थ और पूरे वजन वाले होते हैं. इसके अलावा कम उम्र में बच्चे पैदा होने के बाद बच्चों की भी मृत्यु दर ज्यादा रही है और मांओं को भी खतरा पैदा हो जाता है।
महिला और बच्चे का स्वास्थ्य।
डॉ मित्तल कहती हैं कि 21 से 25 के बीच में प्रेग्नेंसी होने पर मां और बच्चे को पोषण संबंधी परेशानियां भी कम होती हैं। अभी भी 18 से कम उम्र में भी शादियां हो रही हैं जो सही नहीं हैं।
सीजेरियन डिलिवरी की संभावना बढ़ना।
डॉ. मित्तल कहती हैं कि कम उम्र में गर्भावस्था होने से सामान्य डिलिवरी के बजाय सीजेरियन या सी सेक्शन डिलिवरी के मामले थोड़े बढ़े हैं।
पोषण।
20 की उम्र से पहले किसी भी लड़की को अपने लिए ही ज्यादा न्यूट्रीशन की जरूरत पड़ती है। ऐसे में शादी होने के बाद अगर इस समय में वह प्रेग्नेंट भी हो जाए तो इसका असर उसके स्वास्थ्य पर पड़ता है, जो सही नहीं है. लिहाजा प्रेग्नेंसी की सही उम्र होनी चाहिए।
गर्भ निरोध।
प्रेग्नेंसी के बाद जल्दी ही गर्भ निरोधक उपाय जैसे स्टेरलाइजेशन आदि भी लड़कियां या महिलाएं करवा लेती हैं लेकिन कोई अनहोनी होने के बाद वे वापस अपनी उपायों को हटवाने या ट्यूब खुलवाने के लिए आती हैं जो उनके लिए जटिल हो जाता है।