भर्तियों में जमकर चल रहा है लखी-करोड़ी का सिक्का, हर एक भर्ती में रुपयों की अटैची में बिकती है पारदर्शिता – हुड्डा
- एचसीएस से लेकर ग्रुप-डी तक हर नौकरी का रेट तय, हर नौकरी बिकाऊ- हुड्डा
- सरकार एक घोटाले पर पर्दा डालती है तो दूसरा सामने आ जाता है- हुड्डा
- सीबीआई से करवाई जाए कैश फॉर जॉब, पेपर लीक, ओएमआर शीट भर्ती घोटाले की जांच- हुड्डा
20 नवंबर, चंडीगढ़ः
पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकारी भर्तियों में एक के बाद एक सामने आ रहे घोटालों पर टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार की सभी भर्तियों में जमकर चलता है लखी-करोड़ी का सिक्का, रुपयों की अटैची में बिकती है पारदर्शिता। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में एचसीएस से लेकर ग्रुप-डी तक हर नौकरी का रेट तय है। एचएसएससी के बाद अब एचपीएससी की भर्तियों में हुए महाघोटालों के खुलासे से स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार में हर नौकरी बिकाऊ है। सरकार द्वारा नौकरियों के धंधे में लिप्त लोग लखी और करोड़ी बनाए जा रहे हैं।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पिछले कई सालों से सरकार लगातार भर्तियों में जारी घोटालों को छिपाने की कोशिश कर रही है। लेकिन, घोटालों की भरमार इतनी है कि सरकार चाहकर भी उस पर पर्दा नहीं डाल पा रही। सरकार एक घोटाले को छिपाने की कोशिश करती है तो दूसरा सामने खुलकर खड़ा हो जाता है। सरकार किसी एक आरोपी को बचाने की कोशिश करती है तो दूसरा फंस जाता है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि कांग्रेस लगातार सड़क से लेकर सदन तक प्रदेश में युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे इस खिलवाड़ के खिलाफ आवाज उठा रही है। उनकी तरफ से बार-बार तमाम भर्ती, कैश फॉर जॉब, पेपर लीक, खाली ओएमआर शीट जैसे घोटालों की जांच न्यायाधीश की निगरानी में सीबीआई से करवाने की मांग की गई। यहां तक कि प्रदेश के गृहमंत्री ने भी विपक्ष की इस मांग का समर्थन किया। लेकिन, सरकार ने न तो विपक्ष की मांग मानी और न ही अपने गृहमंत्री की। उसका नतीजा आज प्रदेश की जनता के सामने है।
जो भर्तियां पूरी हो चुकी हैं, उनमें ताबड़तोड़ घोटालों के सबूत अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं। साथ ही, जिन भर्तियों की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है, उसमें गड़बड़झाले के साक्ष्य भी सार्वजनिक हो चुके हैं। जाहिर है जो भर्तियां भविष्य में होंगी उसके लिए भी पहले से ही सेटिंग हो चुकी है। इतने सालों से बड़े पैमाने पर एचएसएससी और एचपीएससी के दफ्तरों में बैठे हुए लोग नौकरियों का कारोबार कर रहे हैं। लेकिन, हैरानी की बात है कि सरकार की तरफ से बार-बार इन लोगों को क्लीन चिट दे दी जाती है। क्या इससे स्पष्ट नहीं हो जाता कि भर्ती माफिया को सरकार का संरक्षण प्राप्त है? अगर ऐसा नहीं है तो सरकार असली गुनहगार का नाम सामने क्यों नहीं लाती? सरकार पूरे मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच क्यों नहीं करवाना चाहती? आखिर सरकार किसको बचाना चाहती है?
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हरियाणा जैसे प्रदेश के युवाओं लिए भर्तियों में घोटाला बेहद गंभीर मुद्दा है। क्योंकि, इस सरकार की नीतियों के चलते प्रदेश में रोजगार और काम धंधे खत्म हो रहे हैं। साथ ही सरकारी नौकरियों को भी लगातार खत्म किया जा रहा है। 2014 में कांग्रेस कार्यकाल के दौरान प्रदेश में लगभग 4 लाख सरकारी कर्मचारी थे। जो इस सरकार के दौरान घटते-घटते महज 2 लाख 80 हजार रह गए हैं। सरकार इतनी भर्तियां भी नहीं कर पा रही, जितने कर्मचारी हर साल रिटायर हो जाते हैं। इस सरकार में जो इक्का-दुक्का भर्तियां हुई हैं उनमें भी सिर्फ घोटाले, लखी, करोड़ी की डील और रुपयों की अटैची चलती है।