भाजपा के शासनकाल में देश में बेरोजगारी के साथ साथ भूखमरी का दंश भी बढ़ति जा रही है : चन्द्र मोहन

पंचकूला 19 अक्टूबर:

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने कहा कि भाजपा के शासनकाल में देश में बेरोजगारी के साथ साथ भूखमरी का दंश भी बढ़ति जा रहा है और यह इस देश का दुर्भाग्य है कि जहां  देश की आजादी के 75 वें साल में देश के लोगों को भूखमरी की विभीषिका का सामना करना पड़ रहा है और केन्द्र सरकार लोगों का मुख्य मुद्दों से   ध्यान भटकाने के लिए अमृत महोत्सव के नाम पर लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ कर रही है।

      चन्द्र मोहन ने केन्द्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि भूखमरी के मामले में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने जो प्रगति की है उसकी भूरि भूरि प्रशंसा की जानी चाहिए क्योंकि भारत में भूखमरी का ग्राफ निरन्तर ही बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व में भूखमरी की हालत की रिपोर्ट विश्वव्यापी कन्सरन आइरिस एड एजेंसी ने  तैयार की है जिसने  विश्व के 116 देशों में भूखमरी की सूची का आकलन किया था और इसमें सबसे बड़ी  चिंता इस बात की है कि जहां भारत वर्ष 2020 में  भूखमरी के मामले में 107 देशों में  विश्व में भारत 94 नम्बर पर था और  अब वह वर्ष 2021 में बढ़कर 116 देशों की सूची में भारत को 101 वहां स्थान पर है। यह भूखमरी बढ़ने का कारण आम आदमी के समझ नहीं  आ रहा है। नेपाल और बांग्लादेश जैसे देश भी भुखमरी के मामले में भारत से बेहतर हैं।

      चन्द्र मोहन ने कहा कि इसके अतिरिक्त देश को एक चिन्ता और खाए  जा रही है, देश में गरीबों के बच्चों में कुपोषण बढ़ रहा है और ऐसा कहा जा रहा है कि विश्व में भारत देश में 2 वर्ष और 5 वर्ष की आयु के बच्चो की कुपोषण के कारण मृत्यु विश्व में भारत देश में सबसे अधिक हो रही है।

     उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि वह बढ़ती मंहगाई पर लगाम लगाने का काम करें ताकि गरीब और मजदूर अपने बच्चों को बेहतर खुराक देकर उनको कुपोषण से बचा सके। उन्होंने कहा कि लोगों को एक महीने में 5 किलो अनाज उपलब्ध करवाकर उनकी भूख और तृष्णा को समाप्त नहीं किया जा सकता है।

त्यौहारों के मद्देनजर पंचकूला के खाद्य सुरक्षा अधिकारी डा0 गौरव शर्मा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने शहर की विभिन्न मिठाई की दुकानों, दूध की डेयरियों, आदि का किया गया औचक निरीक्षण

  • खाद्य पदार्थो के नमूने लेकर विश्लेषण के लिए करनाल स्थित खाद्य प्रयोगशाला में भेजे-खाद्य सुरक्षा अधिकारी
  • दूषित व मिलावटी खाद्य पदार्थध्मिठाई बेचता पाया जाने पर संबंध्तिा दुकानदार के खिलाफ की जायेगी सख्त कार्यवाही-गौरव शर्मा  

पंचकूला, 19 अक्तूबर:

 त्यौहारों के मद्देनजर पंचकूला के खाद्य सुरक्षा अधिकारी डा0 गौरव शर्मा व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने शहर की विभिन्न मिठाई की दुकानों, दूध की डेयरियों, किरयाणे की दुकानों व अन्य स्थानों जैसे कोल्ड स्टोर, खाद्य पदार्थध्मिठाई बनाने की फैक्ट्रीयों आदि का औचक निरीक्षण किया और और खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत खाद्य पदार्थो के नमूने लेकर विश्लेषण के लिए भेजे गए।

इस मौके पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने न खाने योग्य पदार्थों को नष्ट करवाया तथा सभी मिठाई विक्रेताओं एवं निर्माताओं व अन्य खाद्य पदार्थ बेचने वाले दुकानदारों को ताजा व शुद्ध खाद्य पदार्थ बेचने की हिदायत की। इसके साथ-साथ सभी दुकानदारों को दूषित व बासी मिठाई न बेचने की चेतावनी दी गई ताकि यदि कोई भी दुकानदार दूषित व मिलावटी खाद्य पदार्थध्मिठाई बेचता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।

पंचकूला की पांच दुकानों से खाद्य पदार्थोंध्मिठाइयों के लिए सेंपल

उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान माजरी चैंक स्थित गुप्ता स्वीटस से खोया के नमूने लिए गए। इसी प्रकार अनुपम स्वीटस सेक्टर 11से प्लेन बर्फी, अनुपम ईटिंग हाउस, ओद्यौगिक क्षेत्र फेज-1 से गुलाब जामुन, श्री मिष्ठान ओद्यौगिक क्षेत्र फेज-1 से बेसन के लड्डू तथा बीकानेर मिष्ठान भंडार पिंजौर से खोया के नमूने लेकर विश्लेषण के लिए भेजे गए हैं। 

गौ सेवा आयोग के माध्यम से गौ उत्पाद प्रशिक्षण शिविर शुरू

पंचकूला,19 अक्तूबर :

हरियाणा गौ सेवा आयोग के तकनीकी मार्गदर्शन में पिंजौर की श्री कामधेनू गौशाला सेवा सदन में स्थापित गौ अनुसंधान केंद्र में दो दिवसीय गौ उत्पाद प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ, जिसका उद्घाटन श्री कामधेनु गौशाला सेवा सदन के उपाध्यक्ष भारत भूषण बंसल ने किया।

इस अवसर पर मुख्य प्रशिक्षक के तौर पर प्रसिद्ध गो विज्ञानी एवं पारंपरिक चिकित्सक वैद्य राजेश कपूर ने प्रतिभागी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया।
शिविर में हरियाणा गौ सेवा आयोग में पशु चिकित्सक व शिविर के समन्वयक डॉ अश्वनी कुमार, राष्ट्रीय आजीविका मिशन के जिला पंचकुला प्रबंधक राहुल यादव, श्री कामधेनू गौशाला सेवा सदन के कोषाध्यक्ष प्रदीप गोयल विशेष रूप से मौजूद रहे।

यह प्रशिक्षण शिविर केवल महिलाओं हेतु 2 दिन के लिए आयोजित किया गया है। इस दो दिवसीय गौ उत्पाद प्रशिक्षण शिविर में गाय के गोबर से दीपक, गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां, गमले, हवन समिधा, धूप, चटाई, गोमूत्र अर्क, गौ फिनायल, हैंड वॉश, शैंपू, दंतमंजन आदि अनेकों विषयों पर प्रतिभागी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिविर के समापन समारोह पर हरियाणा गौ सेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण कुमार गर्ग प्रशिक्षणार्थी महिलाओं को प्रमाण पत्र बाटेंगे।

बुनियादी ढांचे और विकास से जुड़ी परियोजनाओं को रफ्तार देने के लिए गति शक्ति योजना का शुभारंभ किया गया है- रतनलाल कटारिया

– यह योजना भारत को आने वाले समय में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में सहायक सिद्ध  होगी – कटारिया

पंचकूला अक्टूबर 19:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  द्वारा बुनियादी ढांचे और विकास से जुड़ी परियोजनाओं को रफ्तार देने के लिए  गति शक्ति योजना का शुभारंभ किया गया है l यह योजना न केवल भारत के बुनियादी ढांचे को गतिशीलता प्रदान करेगी बल्कि भारत को आने वाले समय में 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में भी सहायक सिद्ध होगी l
 उक्त आशय की जानकारी आज यहां पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री व सांसद, अंबाला लोकसभा रतनलाल कटारिया ने दी l

कटारिया ने कहा कि  गति शक्ति योजना से देश में करीब 100 लाख करोड़ रुपए का बुनियादी ढांचा खड़ा होगा और लगभग 15-20 केंद्रीय मंत्रालयों व राज्य सरकारों की परियोजनाओं को जोड़ा जाएगा, जो पहले लेट-लतीफी का शिकार होती रहती थी l उन्होंने कहा कि  भारत गति शक्ति योजना से देश में 225 मेगावाट सौर ऊर्जा की उत्पादन क्षमता बढाकर भारत को एनर्जी प्रदान कराने में सहायता प्रदान करेगा, इसी प्रकार से आज देश में रेलवे व हवाई कार्गो की क्षमता बढ़ाने की भी आवश्यकता है l उन्होंने कहा कि जब रेलवे की परिवहन क्षमता 121 करोड़ टन से बढ़कर 160 टन तक पहुंच जाएगी तो हम अपना माल ठीक समय पर पहुंचाने में कामयाब होंगे l

कटारिया ने कहा कि भारत में लॉजिस्टिक की लागत जीडीपी के 14% के बराबर है जबकि विकसित देशों में यह लागत 7% है जब भारत के गांव तक 4G कनेक्टिविटी हो जाएगी और ट्रांसमिशन लाइन 4,54,200 किलोमीटर तक हो जाएगी और 2 लाख  किलोमीटर तक राष्ट्रीय राजमार्ग को ले जाया जाएगा और 17000 किलोमीटर गैस पाइपलाइन को बढ़ा दिया जायेगा तो मोदी सरकार के सभी कदम लॉजिस्टिक्स लागत कम करने में, निर्यात बढ़ाने में और घरेलू स्तर पर लोगों को सस्ता सामान दिलाने में लाभदायक होगी l कटारिया ने कहा कि वर्षों तक परियोजनाओं के लंबित पड़े रहने से सरकार के अनावश्यक खर्चे बढ़ जाते थे l इस योजना से उनमें कमी आएगी और उद्यमियों को भी प्रोजेक्टस की लागतार जानकारी मिलती रहेगी l श्री मोदी आजादी के 75 वे अमृत महोत्सव में भारत को दुनिया के नए निवेश के स्थान के रूप में उभरने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं l

कटारिया ने कहा कि मोदी जी की गति शक्ति योजना से लोगों को ना केवल कम कीमत पर बेहतर जिंदगी जीने का अवसर प्राप्त होगा बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे l उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल मोदी सरकार की हर योजना को प्रदेश में बेहतर ढंग से लागू कर रहे हैं l उन्होंने हरियाणा को प्रति व्यक्ति आय के मामले में हिंदुस्तान का सबसे बेहतरीन और प्रथम राज्य बना दिया है l

Panchkula Police

Police Files, Panchkula – 19 October

पंचकूला पुलिस नें अवैध हुक्का बार के खिलाफ कडा शिकंजा कसतें हुए 10 हुक्का सहित आरोपी को किया काबू ।

                     पुलिस प्रवक्ता नें जानकारी देतें हुए बताया कि प्रबंधक पुलिस थाना चण्डीमन्दिर निरिक्षक अरविन्द कुमार व उसकी टीम नें अवैध हुक्काबार के खिलाफ कडी कार्यवाही करते हुए अवैध हुक्काबार के मामलें में आऱोपी को गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तार कियें गयें आरोपी की पहचान भवर सिह पुत्र स्व. रामकुमार वासी गाँव ख़टौली जिला पंचकूला के रुप में हुई ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस थाना चण्डीमन्दिर की त्यौहारो को लेकर अपराधो की रोकथाम हेतु गस्त पडताल करतें हुए सैक्टर 22 पंचकूला में मौजूद थी । तभी मुखबर खास नें सूचना दी कि रेस्टोरेंट हिंटर लैड नजदीक गांव गुमथला मे आम जनता को हुक्का प्रतिबंध निकोटिन पदार्थ तम्बाकु पिला रहे है । जो सूचना पाकर पुलिस की टीम नें सरकारी के रेस्टोरेंट हिंटर लैड नजदीक गांव गुमथला पहुंचा । जहा अन्दर जाकर देखा कि कई मेजों पर हुक्का परोसा जा रहा है । रेस्टोरेंट मे भंवर सिंह पुत्र स्व श्री रामकुमार हाजिर मिला । जो टेबलों पर बैठे व्यक्ति पुलिस को देखकर उठ कर चले गये । टेबल पर रखे हुक्के की चिलम को खाली करवाया गया तथा साथ बनी रसोई में एक पेटी प्लास्टिक मे 10 डिब्बे व 5 डिब्बियां प्लास्टिक अलग- अलग प्रकार व 4 डिब्बी गत्ता फ्लेवर की बरामद हुई । जो टेबल पर रखे 10 हुक्का वा बरामदा पेटी प्लास्टिक को उसमें रखे डिब्बों तथा डिब्बियों को बतौर वजह सबुत फर्द द्वारा कब्जा पुलिस में लिया गया । आरोपी के खिलाफ पुलिस थाना चण्डीमन्दिर में कोटपा अधिनियम के तहत मामला दर्ज करके आऱोपी को गिरफ्तार करकें कडी कार्यवाही की गई ।

यकीनन ‘वीर’ ही थे सावरकर

राजनाथ सिंह द्वारा दिया गया बयान कि वीर सावरकर ने मोहनदास करमचंद गांधी के कहने पर माफी मांगी थी अथवा माफी के लिए अंग्रेज़ हुकूमत को पत्र लिखा था। इस बात ने देश भर में अनर्गल राजनैतिक बहस छिड़ गईहाई।टीवी चैनल हों या प्रबुद्ध समाचार पत्र सभी इस बहस को दिखा एसएनए अथवा पढ़ा रहे हैं। जब हम उस काल खंड को दहते हैं तो हैरान होते हैं कि जहां सावरकर को दिन में 10 किलो तेल निकालना होता था और उन्हें यह त पता नहीं था कि दो कोठरी छोड़ कर उनका भाई कैद काट रहा है वह पत्र लिख पाये। कोल्हू में बैल कि जगह जुतना और फिर विमर्श पत्र लिखना क्या ही अचंभा है। अब कॉंग्रेस सावरकर को लेकर इतनी दुविधाग्रस्त क्यों है? रत्नगिरी में रहते हुए सावरर दलित बस्तियों में जाने का, सामाजिक कार्यों के साथ साथ धार्मिक कार्यों में भी दलितों के भाग लेने का और सवर्ण एवं दलित दोनों के लिए पतितपावन मंदिर की स्थापना का निश्चय लिया था। जिससे सभी एक स्थान पर साथ साथ पूजा कर सके और दोनों के मध्य दूरियों को दूर किया जा सके। यह भी एक कारण हैं कि कांग्रेस सावरकर की विरोधी बन कर खड़ी हो रही है, वरना 90 के दशक तक तो ऐसा देखने में नहीं आता था। उससे पहले भारत सरकार जब की कांग्रेस सत्तासीन थी ने सावरकर पर डाक टिकट भी जारी किया था। सत्ता के लाले पड़ने पर कॉंग्रेस हमेशा से झूठ सच की राजनीति करती आई है, इस मामले में भी यही हुआ।

राज वशिष्ठ, चंडीगढ़:

मेरे मन में प्रश्न उठता है कि, क्या मोहनदास गांधी कभी पर्यटन के लिए भी कालापानी गए थे? यदि नहीं गए थे तो वीर सावरकर ने गांधी से विमर्श कब किया? साथ ही एक बात और उठती है कि वीर सावरकर को क्या ही अनुमति थी कि वह पत्र व्यवहार कर सकें? क्या हमारी अथवा नयी पीढ़ी को पता भी है कि सावरकर को काला पानी कि सज़ा क्यों हुई थी? क्या उनके उस अपराध के पश्चात भी अंग्रेज़ सरकार उन्हें कागज कलाम पदाने कि हिम्मत जुटा पाती?

इन प्रश्नों के उत्तर खोजना कोई पुआल में सुई ढूँढने जैसा नहीं है। बस थोड़े से प्रयास की आवश्यकता है।

सबसे पहले पहली बात की सावरकर को सज़ा क्यों हुई?

सावरकर को सज़ा देने की पृष्ठ भूमि अंग्रेज़ सरकार बहुत पहले ही से तय कर चुकी थी। सावरकर की 1901 में प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंध का गौरव प्राप्त करती अत्यंत विचारोतेजक पुस्तक ‘1857 का सावतंत्र्य समर’। इस पुस्तक के प्रकाशन की संभावना मात्र से अंग्रेज़ हुकूमत थर्रा गयी थी। फिर भी इस प्स्त्का का गुप्त प्रकाशन एम वितरण हुआ। अंग्रेजों ने कड़ी मशक्कत के बाद इस पुस्तक को नष्ट करने में कोई कोर कसर न छोड़ी।

वीर सावरकर को लंदन में रहते हुए दो हत्याओं का आरोपी बनाया गया। पहली, 1 जुलाई 1909 को मदन लाल ढींगरा द्वारा कर्नल विलियम हट वायली की हत्या जिसका अंग्रेजों ने सूत्रधार वीर दामोदर सावरकर को ठहराया। दूसरी 1910 में हुई नासिक जिले के कलेक्टर जैकसन की हत्या के लिए नासिक षडयंत्र काण्ड के अंतर्गत इन्हें साल 1910 में इंग्लैंड में गिरफ्तार किया गया। 8 अप्रैल,1911 को काला पानी की सजा सुनाई गई और सैल्यूलर जेल (काला पानी) पोर्ट ब्लेयर भेज दिया गया। मुक़द्दमा अंग्रेजों द्वारा अङ्ग्रेज़ी अदालत में चलाया गया और बाकी प्रबुद्ध विचाराओं की भांति इन्हे भी काले पानी की सज़ा सुना दी गयी। इन्हें 25 – 25 वर्ष की दो कारावासों का दंड दिया गया था जिसका अर्थ है की वह अपने आगामी जीवन के 50 वर्ष काला पानी में कोल्हू अथवा अंग्रेज़ मुलाजिमों की बग्घी में जुते रहते।

अब दूसरे प्रश्न पर, क्या मोहन दस करमचंद गांधी कभी अंडेमान राजनैतिक पर्यटन के लिए भी गए थे, तो उत्तर है ‘नहीं’। फिर गांधी – सावरकर कहाँ मिले?

गांधी सावरकर पहली बार इंग्लैंड में मिले थे, अक्तूबर 1906 में मिले थे। यह एक बहुत ही संक्षिप्त सी मुलाक़ात थी। दूसरी मुलाक़ात 24 अक्तूबर 1909 को इंडिया हाउस लंदन में हुई। तब तक वीर सावरर किसी भी आक्षेप को नहीं झेल रहे थे। अब यह प्रश्न कहाँ से उठा की गांधी ने सावरकर को दया याचिका डालने की सलाह कब और कहाँ दी?

इस बाबत व‍िक्रम संपत ने अपनी क‍िताब ‘Echoes from a Forgotten Past, 1883-1924’ में ल‍िखा है क‍ि व‍िनायक दामोदर सावरकर के छोटे भाई नारायण दामोदर सावरकर ने 1920 में एक चौंकाने वाला कदम उठाया। उन्‍होंने अपने भाई के धुर व‍िरोधी व‍िचारधारा वाले मोहनदास करमचंद गांधी को खत ल‍िखा। छह खतों में से यह पहला खत ल‍िखा गया था 18 जनवरी, 1920 को। इसमें उन्‍होंने सरकारी माफी की योजना के तहत अपने दोनों बड़े भाइयों को जेल से र‍िहा करवाने के संबंध में मदद व सलाह मांगी थी।

नारायण सावरकर ने अपने पत्र में लिखा था कि कल (17 जनवरी) मुझे भारत सरकार द्वारा जानकारी मिली कि सावरकार बंधुओं को उन लोगों में शामिल नहीं किया गया है, जिन्हें रिहा किया जा रहा है। ऐसे में अब साफ हो चुका है कि भारत सरकार उन्हें रिहा नहीं करेगी। अपने पत्र में उन्होंने महात्मा गांधी से सुझाव मांगा था कि ऐसी परिस्थितियों में आगे क्या किया जा सकता है। इस चिट्ठी का जिक्र, कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी के 19वें वॉल्यूम के पेज नंबर 384 पर किया गया है।

नारायण सावरकर की इस चिट्ठी का जवाब महात्मा गांधी ने 25 जनवरी 1920 को दिया था, जिसमें उन्होंने सलाह दी थी कि राहत प्रदान करने की एक याचिका तैयार करें, जिसमें तथ्यों के जरिए साफ करें कि आपके भाई द्वारा किया गया अपराध पूरी तरह से राजनीतिक था। उन्होंने अपने जवाब में यह भी लिखा कि वह अपने तरीके से इस मामले में आगे बढ़ रहे हैं। गांधी द्वारा दिए गए इस जवाब का उल्लेख कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी के 19वें संस्करण में भी देखा जा सकता है।

अंग्रेजों से माफी मांगने का। इस मामले पर गांधी ने सावरकर को ‘चतुर’ बताते हुए कहा था कि ‘उन्होंने (सावरकर ने) स्थिति का लाभ उठाते हुए क्षमादान की मांग की थी, जो उस दौरान देश के अधिकांश क्रांतिकारियों और राजनीतिक कैदियों को मिल भी गई थी। सावरकर जेल के बाहर रहकर देश की आजादी के लिए जो कर सकते थे वो जेल के अंदर रहकर नहीं कर पाते।’

गांधी जी के इस कथन से इतना तो साफ है कि सावरकर अंग्रेजों के सामने झुके नहीं थे, बल्कि आगे की लड़ाई के लिए चतुराई दिखाई थी। खैर, बात करते हैं सावरकर से जुड़े तमाम पहलुओं की जो उनपर राय बनाने से पहले जानना जरूरी है।