मिसेज ट्राइसिटी ,मिसेज चंडीगढ़ शालू गुप्ता ने किया स्पॉटलाइट एंटरटेनमेंट का उद्घाटन

चंडीगढ़, 15 अक्तूबर:

‘पुरनूर’ कोरल, पंचकुला :

शहर में युवाओं, बच्चों महिलाओं को उनकी प्रतिभा निखारने का अवसर प्रदान करने के लिए स्पॉटलाईट इंटरटेनमेंट एवं प्रोडक्शन खुल गया है। सेक्टर 46 में खुले इस संस्थान का उदघाटन बल्ले-बल्ले टीवी चैनल के प्रबंधक निदेशक तपन दिवान ने किया। शहर के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कलाकारों ने इसमें हिस्सा लिया।

इस अवसर पर प्रोडक्शन की निदेशक सोनिका शर्मा ने बताया कि हमारा यह प्रयास रहेगा कि हम युवाओं,बच्चों और महिलाओं के साथ साथ उन उम्र दराज लोगों को भी अवसर प्रदान करें जिनमें प्रतिभा तो है,मगर उन्हें आज तक अवसर नहीं मिल पाया है।  उन्होंने बताया कि हम समय समय पर बच्चों युवाओं के फैशन शो करवानेे, पंजाबी वीडियो का निर्माण करने के साथ साथ शॉर्ट फिल्म बनाने की दिशा में भी काम करेंगे। प्रोडक्शन के प्रबंधक निदेशक योगेश्वर शर्मा ने बताया कि हमने मॉडल व एक्टर आर्य सिंह को अपना ब्रांड अबैंसडर बनाया है। उन्होंने यह भी बताया कि हमारी योजना है कि समय समय पर पंजाबी सिनेमा से जुड़े कलाकारों, गायकों को भी यहां लाकर प्रशिक्षुओं से मिलवाया जाए ताकि वे उनके अनुभव का लाभ उठा सकें।

बीएसएफ़ का दायरा बढ़ा, पंजाब और बंगाल का संघवाद खतरे में

अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सालों से चली आ रही नशे और आतंकवाद की तस्करी रोकने में नाकाम रही पंजाब सरकार को झटका लगा है जब केंद्र ने बीएसएफ़ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाते हुए उसे बार्डर से ले कर 50 किलोमीटर तक के क्षेत्र में जांच छापे मारी और किसी भी बनती कार्यवाई के अधिकार दे दिये हैं। वहीं दूसरी ओर बंगाल सरकार का भी यही हाल है, वहाँ 1971 के बाद से बंगलादेशी घुसपैठिए, रोहङियान मुसलमानों को रोकने और गो तसारी को रोकने में ब्री तरह नाकामयाब रही है। गृह मंत्रालय ने तीन राज्यों में बीएसएफ (BSF) का क्षेत्राधिकार बढ़ाया है। इन राज्यों में पंजाब भी शामिल हैं। हालांकि अब इस मामले पर राज्य में सियासी बवाल मच गया है। जानकारी के मुताबिक पंजाब,बंगाल और असम में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बॉर्डर सीमा क्षेत्र के 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक किए जाने को लेकर 2 राज्यों की सरकारों ने आपत्ति जताई है।

  • गृह मंत्रालय ने तीन सीमावर्ती राज्‍यों में बढ़ाया बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र
  • सीमा के 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर भीतर तक होगा दखल
  • पंजाब और पश्चिम बंगाल की सरकारों ने खुलकर किया इस कदम का विरोध
  • मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और नगालैंड में घटाया गया है BSF का इलाका

राजविरेन्द्र वशिष्ठ, चंडीगढ़/नई दिल्ली :

पश्चिम बंगाल, पंजाब और असम में सीमा सुरक्षा बल (BSF) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का विपक्ष ने विरोध किया है। गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार, इन तीन राज्‍यों में BSF का क्षेत्र अंतरराष्‍ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर भीतर तक होगा। पहले यह दायरा 15 किलोमीटर था। BSF के अधिकारी पुलिस की तरह ही तलाशी, जब्‍ती और गिरफ्तारी कर सकते हैं। पंजाब और पश्चिम बंगाल की सरकार ने इस कदम को ‘तर्कहीन फैसला’ बताते हुए कहा कि यह ‘संघवाद पर सीधा हमला’ है। अभी यह साफ नहीं कि फैसले से पहले राज्‍य सरकारों को बताया गया था या नहीं। पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकार की प्रतिक्रियाओं से तो ऐसा नहीं लगता।

केंद्र के इस फैसले से BSF के कार्यक्षेत्र का दायरा काफी बढ़ गया है। अब BSF 50 किलोमीटर के दायर में गश्ती, सर्च ऑपरेशन, गिरफ्तारी और जब्ती जैसी कार्रवाई कर सकेगा। केंद्र के आदेश के मुताबिक, बल 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाली अवैध गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकेगा। इससे पहले BSF को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में 15 किलोमीटर तक ही कार्रवाई करने का अधिकार था, लेकिन नए आदेश के साथ अब इसे केंद्र या राज्य सरकारों से किसी और अनुमति के बिना 50 किलोमीटर तक कार्रवाई को अधिकृत किया गया है।

हालाँकि, नए आदेश के तहत पूर्वोत्तर भारत के पाँच राज्यों- मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय में BSF के अधिकार क्षेत्र में कटौती की गई है। यहाँ पहले इसका अधिकार क्षेत्र 80 किलोमीटर तक था। गुजरात में भी इसके अधिकार क्षेत्र को 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया है। राजस्थान में BSF का अधिकार क्षेत्र 50 किलोमीटर ही रहेगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा 11 अक्टूबर 2021 को जारी अधिसूचना के मुताबिक, “मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय राज्यों और जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल पूरे क्षेत्र तथा गुजरात, राजस्थान में पचास किलोमीटर के भीतर का क्षेत्र और पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम की 50 किमी का दायरा बीएसएफ के अधीन होगा।” केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल अधिनियम 1968 (1968 का 47) की धारा 139 की उप-धारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर यह कदम उठाया है।

पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस फैसले को पंजाब के साथ धोखा करार दिया है। उनका कहना है कि इससे आधे से अधिक पंजाब केंद्र सरकार के कंट्रोल में चला गया है। उन्होंने ट्विटर पर कहा है कि मैं भारत सरकार के इस एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूँ। इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ लगे 50 किलोमीटर के दायरे को बीएसएफ के कंट्रोल में दे दिया गया है। यह संघवाद पर हमला है। वहीं सुनील जाखड़ ने कहा है कि केंद्र के फैसले से 50,000 वर्ग किमी में फैले पंजाब का 25,000 वर्ग किमी का दायरा सीधे तौर पर केंद्र के कंट्रोल में चला जाएगा। अब पंजाब पुलिस केवल खड़ी रह जाएगी। पंजाब प्रांत के 6 जिले अंतर्राष्ट्रीय सीमा से जुड़े हुए हैं, पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरण तरण, फ़िरोज़पुर और फाजिल्का। आतंकी हेपेन, ड्रोन और नशीले पदार्थ इन्हीं जिलों से बाई देश में पहुंचाए जाते हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गृह मंत्रालय के बीएसएफ का दायरा बढ़ाने के फैसले का स्वागत किया और केंद्र के इस फैसले का सम्मान करने की अपील की है। उन्होने कहा कि जिस तरह से पंजाब में ड्रग्स की तस्करी और आतंकी खतरा बढ़ा है, अब केंद्र के फैसले से पंजाब सुरक्षित होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि बीएसएफ की बढ़ी हुई उपस्थिति और शक्तियाँ ही हमें मजबूत बनाएँगी। केंद्रीय सशस्त्र बलों को राजनीति में न घसीटें।

वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र के इस फैसले को तर्कहीन निर्णय और संघवाद पर हमला करार दिया है। बंगाल के मुताबिक, इसके जरिए केंद्र अब राज्यों के अंदरूनी मामलों में केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से हस्तक्षेप करने की कोशिश करेगा। पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री और टीएमसी नेता फिरहाद हकीम ने कहा, “केंद्र सरकार देश के संघीय ढाँचे का उल्लंघन कर रही है। कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रही है।” पश्चिम बंगाल के 8 जिलों पर यह आदेश लागू होगा। यह जिले हैं कूच बिहार, दर्जलिंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी, मालदा, मूषिर्दाबाद, नादिया, उत्तर 24 परगना। इन्हीं जिलों से गौ तस्करी, बंगलादेशी घुसपैठियों और रोहङियान के स्वागत द्वार हैं।

नगर निगम पंचकुला ने खोजा आपदा में अवसर

कोरोना बीमारी के दौरान हुई कोताहियाँ और घोटाले अब निकल निकल कर सामने आने लगे हैं। पंचकूला में पिछले 2 साल में हुई मौतों पर श्मशान घाट , नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े मेल ही नहीं खा रहे । नगर निगम के अनुसार कोरोना की वजह से हुई मृत्यु की संख्या 980 से ऊपर है (जिन मृतकों का संस्कार पंचकूला के श्मशान घाट में हुआ) जबकि श्मशान घाट के रिकॉर्ड के अनुसार यह संख्या साढ़े पाँच सौ और छः सौ के बीच है । स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार 2 साल में कोरोना के चलते 11 अक्टूबर 2021 तक करीब 378 व्यक्तियों की मृत्यु हुई, अब सवाल उठता है यहां किस का रिकॉर्ड सही है?

सूरज तिवारी, पंचकुला :

पंचकूला विकास मंच के देवराज शर्मा ने बताया के नगर निगम 98 लाख से अधिक की पेमेंट करने जा रहा है जोकि सही नहीं है। देवराज शर्मा ने बताया संबंधित विभाग से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार कोरोना से पीड़ित मृतकों का अंतिम संस्कार करने वाले कर्मचारियों को प्रति ₹2000 दिए जाएंगे । श्मशान घाट का रिकॉर्ड देखा जाए तो आज तक कोरोना से 550 से 600 के बीच संस्कार हुए हैं नगर निगम यह आंकड़ा 980 से ऊपर का बताता है और उसी के अनुसार पैसा भी दे रहा है शर्मा ने नगर निगम कमिश्नर आयुक्त को शिकायत में लिखा है विचार व्यक्ति मदनलाल , अजय सूद और परवेश को कोई भी पैसा देना नहीं बनता। क्योंकि रिकॉर्ड में कहीं भी इन चार व्यक्तियों का नाम नहीं लिखा गया। संस्कार करने वालों का ही नाम लिखा गया है। उन्होंने यह सवाल भी किया कि बताया जाए इन व्यक्तियों जिनमें से एक सी एसआई दो ए एस आई और एक सुपरवाइजर है, को किस प्रावधान के तहत पैसे दिए गए हैं।

कोरोना काल में हुई मौतों पर हो रहा खिलवाड़ पैसे की होरी धांधली कमीशन का हो रहा खेल पंचकूला विकास मंच ने जानकारी देते हुए बताया की मौत का आंकड़ा एमसी के माध्यम से कुछ और बता कर इंसेंटिव का पैसा गबन करने की कोशिश की जा रही है जहां पर हरियाणा सरकार के निर्देशानुसार और यूएलबी की गाइडलाइंस के मुताबिक ₹2000 ग्राउंड स्टाफ को इंसेंटिव देना है पर एमसी के द्वारा सी एस आई एस आई को भी पेमेंट दी जा रही है सवाल यह उठता है कि अधिकारियों को अगर पेमेंट दी जा रही है तो सभी अधिकारियों को मिले नहीं तो निर्देश के अनुसार सिर्फ ग्राउंड स्टाफ को पेमेंट बननी चाहिए जहां पर मौत का आंकड़ा भी उपर नीचे हो रहा है सरकारी आंकड़ों की बात करें तो पंचकूला के अंदर 378 लोगों की मौत हुई है जोकि पंचकूला के रहने वाले हैं यह बात राजीव निरवाल द्वारा बताई गई है परंतु उनका यह भी कहना है कि जो एमसी द्वारा क्रीमेशन ग्राउंड में कोरोनावायरस से हुई मौत पर बॉडी जलाई गई है वह आंकड़ा एमसी द्वारा अभी जारी करना है यह बात साफ जाहिर होती है की एमसी अपने ही आंकड़े देगा परंतु ओरिजिनल वालों का यह भी कहना है की ग्राउंड स्टाफ यानी कि 5 की टीम बनाकर जो लोग लाशों को दफनाने या जलाने का काम कर रहे थे उनको पैसे मिलने चाहिए परंतु अधिकारियों को भी पैसे बांटे जा रहे हैं

कमिश्नर द्वारा बताया गया था कि हम इसकी जांच करेंगे और अधिकारियों को पेमेंट नहीं करेंगे लगभग 40 लाख की पेमेंट हो चुकी है 60 लाख की पेमेंट बकाया है
सवाल यह उठता है कि अगर विरोध ना किया जाता तो सबकी जेबे भर जाती, परंतु विरोध करने के बाद जांच किया जा रहा है इसका मतलब क्या एमसी के पास क्रॉस एडिट की कोई तरकीब नहीं है

हो सकता है निगम के अधिकारी इन अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कोई तोड़ निकाल ले लेकिन मृतकों की संख्या में इतने अंतर को किस तरह न्याय संगत ठहराएंगे।
स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सिविल सर्जन राजीव नरवाल की रिपोर्ट के अनुसार 11 अक्टूबर 2021 तक पंचकूला करो ना से पीड़ित इसको की संख्या 378 है उन्होंने बताया यह संख्या केवल पंचकूला की है आसपास के क्षेत्रों के निकायों से संबंधित क्षेत्र के आंकड़े मंगवाए गए हैं । उन्होंने भी माना की पैसा केवल संस्कार करने वाले कर्मियों को ही दिया जाना चाहिए अन्य किसी कर्मचारी या अधिकारी को अगर यह राशि दी जाती है तो यह सही नहीं