महाराजा की घर वापीसी – 58 हज़ार करोड़ के कर्जे वाली एयर इंडिया हुई टाटा संस की
टाटा समूह को एयर इंडिया में शत प्रतिशत हिस्सेदारी मिली है। वहीं, विस्तारा एयरलाइन, टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड (एसआईए) का एक ज्वाइंट वेंचर है। इसमें टाटा संस की 51 फीसदी हिस्सेदारी है तो सिंगापुर एयरलाइन का स्टेक 49 फीसदी है। अगर एयर एशिया की बात करें तो इसमें टाटा संस की हिस्सेदारी 83.67 फीसदी है। एयर इंडिया पर करीब 58 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। घाटे से बेहाल महाराजा अब फटेहाल हो गए हैं। 1953 में सरकार द्वारा खरीदी गई इस विमानन कंपनी को 66 साल हो गए हैं। हालांकि अब स्थिति ऐसी हो गई है, कि कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। ऐसे में पायलटों सहित केबिन क्रू और इंजीनियरिंग स्टाफ ने भी नौकरी से इस्तीफा देने की धमकी दी है।
- टाटा सन्स की इकाई Talace Pvt Ltd की बोली रही 18000 करोड़ रुपये
- SpiceJet) के संस्थापक अजय सिंह की ओर से बोली रही 15100 करोड़ रुपये
- लिहाजा एयर इंडिया टाटा सन्स की झोली में चली गई
जेआरडी टाटा ने 1932 में टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। दूसरे विश्वयुद्ध के वक्त विमान सेवाएं रोक दी गई थीं। जब फिर से विमान सेवाएं बहाल हुईं तो 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर उसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया। आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी नेहरू सरकार ने ले ली थी। 1953 में भारत के प्रथम प्रधान मंत्री ने इसे टाटा से एक तरह से हथिया लिया था। तब जेआरडी(जहाँगीर रतनजी दादाभाई) टाटा ने नेहरू से ऐसा न करने की प्रार्थना की थी। आज उनके ही वंशज रत्न टाटा ने इसे 58 हज़ार करोड़ के कर्जे के साथ पुन: ख़रीदा है।
विमानन कंपनी एयर इंडिया (Air India) की खरीद के लिए बोली टाटा सन्स की इकाई द्वारा जीते जाने के बाद टाटा समूह (Tata Group) को बधाइयों का तांता लग गया है। एयर इंडिया के लिए बिडिंग में प्रतिद्वंदी रहे स्पाइसजेट (SpiceJet) के संस्थापक अजय सिंह (Ajay Singh) ने भी टाटा ग्रुप को बधाई दी है। अजय सिंह ने एक बयान में कहा, “मैं एयर इंडिया के लिए बोली जीतने पर टाटा समूह को बधाई देता हूं और उनकी सफलता की कामना करता हूं। एयर इंडिया के लिए बोली लगाने के लिए शॉर्टलिस्ट किया जाना, मेरे लिए सम्मान और सौभाग्य की बात थी। मुझे विश्वास है कि टाटा समूह, एयर इंडिया का गौरव बहाल करेगा और पूरे भारत को गौरवान्वित करेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि मैं अपने पूरे जीवन में एयर इंडिया का प्रशंसक रहा हूं और महाराजा के लिए दुनिया की अग्रणी एयरलाइन के रूप में अपनी स्थिति को पुनः प्राप्त करने का समय आ गया है।
सिंह ने एयर इंडिया के सफल विनिवेश पर सरकार को धन्यवाद दिया और कहा कि सरकार ने इसके लिए एक पारदर्शी और लचीली प्रक्रिया चलाई और भारत के विनिवेश कार्यक्रम को नई गति दी। सिंह की अगुवाई वाले कंसोर्शियम ने भी एयर इंडिया की खरीद के लिए बोली लगाई थी। टाटा सन्स की इकाई Talace Pvt Ltd की बोली 18000 करोड़ रुपये की रही, वहीं सिंह की ओर से बोली 15100 करोड़ रुपये की रही। लिहाजा एयर इंडिया टाटा सन्स की झोली में चली गई।
इंडिगो ने क्या कहा
विमानन कंपनी इंडिगो की ओर से ट्वीट करके कहा गया, ‘टाटा ग्रुप को एयर इंडिया के लिए बोली जीतने की बहुत बहुत बधाई। विमानन उद्योग के लिए यह वास्तव में रोमांचक समय है, और हम सभी इस महान राष्ट्र और इसके लोगों की सेवा करने के लिए तैयार हैं। नीले आसमान में असीम अवसर हैं।’ इंडिगो में कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस और ब्रांड रेपुटेशन की निदेशक छवि लीखा ने भी टाटा ग्रुप को एयर इंडिया की बोली जीतने के लिए बधाई दी।
पेटीएम फाउंडर ने भी दी बधाई
पेटीएम फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने भी रतन टाटा और टाटा ग्रुप को बधाई दी है।
सिंधिया बोले ‘एयर इंडिया लिए नया सवेरा’
नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी बधाई देते हुए कहा कि एयर इंडिया का टाटा ग्रुप के पास वापस जाना, विमानन कंपनी के लिए नया सवेरा है। नए मैनेजमेंट को मेरी ओर से शुभकामनाएं। दीपम के सचिव और नागर विमानन मंत्रालय को इस कठिन टास्क को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बधाई। मुझे उम्मीद है कि एयर इंडिया अपने सफल संचालन के माध्यम से लोगों को करीब लाने के अपने मिशन को पूरा करना जारी रखेगी।’
इंडिया की खरीद में सफल होने पर टाटा ग्रुप को केवल खास लोगों से ही नहीं बल्कि आम लोगों से भी बधाइयां मिल रही हैं। रतन टाटा द्वारा ट्विटर और इंस्टाग्राम पर डाले गए पोस्ट पर कई यूजर्स ने बधाई दी है।