मृतकों को 45 – 45 लाख, 1 परिवार जन को सरकारी नौकरी , घायलों को 10 -10 लाख और राजनैतिक परीतान पर पूर्णतया प्रतिबंध
केंद्रिय कृषि क़ानूनों के विरोध में किसान आंदोलन आरंभ ही से अपने उग्र स्वरूप के लिए कुख्यात है। किसान आंदोलन जगह जगह उद्दंड और विध्वंसा होने की कगार पर है। किसान नेताओं के देश विरोधी ब्यान और अब मिडिया घरानों कपो धमकाने के बाद मीडिया कर्मियों की हत्या तक पहुँच चुका है। किसान आंदोलन को भारत में मौजूद विपक्षी पार्टियों का यहाँ तक की उन राज्यों की सरकारों का भी समर्थन प्राप्त है जहां इस कानून का प्रभाव आणून लागू होने से पहले ही से देखा जा रहा है। पंजाब में तो यह कानून अपने क्रूरतम रूप में पहले ही से मौजूद है। लेकिन भाजपा की सरकार को गिरने में शायद अब यही आंदोलन आखिरी कील साबित होगा। यही मान कर हर छोटी बड़ी घटना परराजनैतिक दल, राजनैतिक रोटियाँ सेकने या यूं कहें की गिद्धभोज करने पहुँच जाते हैं और उन्माद बढ़ाते हैं। लेकिन योगी सरकार ने इस पर रोक लगा दी है।
सारिका तिवारी, लखनऊ/पंचकुला:
लखीमपुर खीरी में रविवार को हुई हिंसा में मारे गए किसानों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मुआवजे, सरकारी नौकरी और न्यायिक जांच कराने की घोषणा की है। एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने सोमवार को कहा कि सरकार हिंसा में मारे चार किसानों के परिवार को सरकारी नौकरी, 45 लाख रुपए का मुआवजा देगी। पुलिस अधिकारी ने कहा कि घायलों को 10 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी जीएगी। किसानों की शिकायत पर एफआईआर दर्ज होगी और हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज इस हिंसा मामले की जांच करेंगे। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जिले में धारा 144 लागू होने की वजह से राजनीतिक दलों के नेताओं को लखीमपुर खीरी जाने की इजाजत नहीं दी गई है। हालांकि, किसान संघों के सदस्य यहां आ सकते हैं। पुलिस का कहना है कि घटना के दोषियों को वह आठ दिनों में गिरफ्तार करेगी।
लखीमपुर घटना के बाद प्रदेश में राजनीतिक राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। तमाम दलों के नेता अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के लिए इस मुद्दे को अपने हित में इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। इसको देखते हुए उत्तर प्रदेश प्रशासन ने जिले में राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।
उत्तर प्रदेश के एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि हिंसाग्रस्त लखीमपुर खीरी जिले में सीआरपीसी की धारा 144 लागू कर दी गई है और किसी भी राजनीतिक दल के नेता को यहाँ आने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों के सदस्यों को यहाँ आने पर कोई रोक नहीं है।
लखीमपुर खीरी में किसानों से मिलने निकली कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा को सीतापुर पुलिस ने हरगांव में सुबह 4 बजे हिरासत में ले लिया। पुलिस हिरासत में प्रियंका उपवास पर बैठ गईं। उन्होंने कहा कि जब तक किसानों के परिवारों व अन्य किसानों से वे नहीं मिलेंगी, तब तक अन्न ग्रहण नहीं करेंगी। यहाँ यह स्पष्ट है कि उन्हे केवल मृतक किसानों के यहाँ ही जाना है न तो उन्हे मारे गए पत्रकार से कोई सरोकार है न ही दूसरे मृतकों से।
इधर, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखीमपुर जाने से रोक दिया, जिसके बाद वे अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए। कुछ देर बाद अखिलेश को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। वहीं, इस बीच गौतमपल्ली थाने के पास कुछ अराजक तत्वों ने एक पुलिस वाहन को आग के हवाले कर दिया। इस पर पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने अपने ब्यान में वाहन फ़ूनने का आरोप पुलिस कर्मियों पर ही मध दिया।