शारीरिक शिक्षक संघ व सलाह ने सविता पूनियां को किया सम्मानित

अभिभावक शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को खेलों के प्रति करें प्रोत्साहित: सविता पूनियां

सतीश बंसल  सिरसा:

शारीरिक शिक्षक संघ, स्कूल कैडर लैक्चरार एसोसिएशन व राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के समस्त स्टाफ सदस्यों की ओर से द गे्रट वॉल ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर भारतीय महिला हॉकी टीम की गोलकीपर सविता पूनियां के सम्मान में एक कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर सविता पूनियां व उनके पिता महेंद्र पूनियां ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी आत्म प्रकाश मेहरा व स्कूल के प्रिंसीपल मदनलाल मलिक ने संयुक्त रूप से की। सर्वप्रथम सविता पूनियां व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित व पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस मौके पर सविता पूनियां ने कहा कि खेलों में भी करियर की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को खेलों के प्रति भी प्रोत्साहित करें, ताकि बच्चे खेलों में भी अपना भविष्य उज्जवल बना सकें। जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी आत्मप्रकाश मेहरा ने कहा कि सविता पूनियां ने न केवल, जिले व प्रदेश बल्कि देश का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है। युवाओं को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। इस मौके पर सलाह के राज्य मीडिया प्रभारी गुरदीप सैनी व शारीरिक शिक्षक संघ के राज्य उपप्रधान अनिल कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि युवा फिल्मी सितारों को आदर्श बनाने की बजाय अब्दुल कलाम आजाद, महेंद्र सिंह धोनी, रतन टाटा, सविता पूनियां जैसे लोगों को अपना आदर्श बनाएं, जिन्होंने जमीनी स्तर से उठकर एक अलग ही मुकाम हासिल किया है। इस मौके पर सलाह के जिलाध्यक्ष भूप सिंह सिहाग, जिला मीडिया प्रवक्ता शालू भारद्वाज, व केवल कंबोज ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान हॉकी खिलाड़ी सविता पूनियां को स्मृति चिन्ह देकर, उनके पिता महेंद्र पूनियां को भी शॉल ओढाकर सम्मानित किया गया। इसके साथ-साथ सविता के शुरूआती कोच सुंदर सिंह खर्ब व स्टेट अवार्डी जोगेंद्र सिंह को भी सम्मानित किया गया।

स्कूल प्रिंसीपल मदनलाल मलिक ने कार्यक्रम में पहुंचने पर सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम में शारीरिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान भूप सिंह पीटीआई, नवदीप धूडिय़ा, शमशेर शर्मा, विनोद कुमार कांटीवाल, नवीन कुमार सिंगला, सतीश मित्तल, हरबंस सिंह, दयाराम, मानसिंह गोदारा, चरणजीत, कमलेश रानी, अंकुर छाबड़ा, पवन छिंपा, सुनील कुमार वर्मा, राजेंद्र भादू, रामपाल, सतपाल गाट, गौरव वधवा सहित अन्य उपस्थित थे। मंच संचालन शालू भारद्वाज ने बखूबी किया।

मोहिनी देवी की पुण्यतिथि पर बेटे ने लगाया भंडारा

सतीश बंसल  सिरसा:

श्याम मुरारी निःस्वार्थ सेवा संस्थान सिरसा द्वारा संरक्षक सुभाष वर्मा के सौजन्य से उनकी माता मोहिनी देवी की पुण्यतिथि पर अरोड़वंश चौक पर भंडारे का आयोजन किया गया। अध्यक्ष सुमन मित्तल और संरक्षक सुभाष वर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण बाजारों में छाई मंदी के कारणआम जनमानस को जीवन यापन में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है और जरूरतमंद लोगों की सहायता के उद्देश्य से उनकी संस्था द्वारा अपने बुजुर्गों की पुण्य स्मृति में कोई ना कोई सेवा कार्य निरंतर आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में जहां एक ओर बुजुर्गों के लिए आश्रम बनाए जा रहे हैं, वहीं उनकी संस्थान के सदस्य दिवंगत बुजुर्गों के प्रति भी सम्मान प्रगट करते हुए पुरातन सभ्यता और संस्कृति को जिंदा रखने के लिए प्रयासरत हैं। भंडारे में जरूरतमंदों को भोजन वितरित किया गया। सेवा प्रकल्प में स्वयं सुभाष वर्मा, कुसुम वर्मा, अध्यक्ष सुमन मित्तल, उपाध्यक्ष संदीप आहूजा, सचिव प्रवीण महिपाल, कोषाध्यक्ष एसएस जोत, मास्टर सुखबीर सिंह, एमपी गर्ग, सुभाष गावडी, पवन रहेजा सरपंच, नरेश धमीजा, सुमन धमीजा, भूषण कामरा, संजय वालिया ने अपनी सेवाएं दी। सभी ने मोहिनी देवी को श्रद्धांजलि भेंट की और सेवा कार्य के लिए वर्मा परिवार को साधुवाद दिया। अंत में संस्थान द्वारा सुभाष वर्मा को स्मृति चिन्ह दे कर सम्मानित किया गया।

भाविप सिरसा ने किया होनहार छात्राओं को सम्मानित

सतीश बंसल  सिरसा:

  भारत विकास परिषद् शाखा सिरसा द्वारा राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बेगू रोड सिरसा में ‘छात्र वन्दन गुरु अभिनंदन समारोह’ की प्रथम कड़ी के अन्तर्गत होनहार छात्राओं तथा कर्मठ अध्यापकों को सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता भारत विकास परिषद् सिरसा के अध्यक्ष सुरेन्द्र बंसल ने की तथा ‘छात्र वन्दन गुरु अभिनन्दन’ के प्रांतीय संयोजक अशोक गुप्ता ने परिषद् द्वारा किए जाने वाले किए जा रहे सामाजिक कार्यों की रूपरेखा बताई तथा गुरु का महत्व तथा गुरु का कत्र्तव्य बताया तथा छात्रों को गुरु की महिमा के बारे में बताया। यह जानकारी देते हुए सहसचिव विश्व बन्धु गुप्ता ने बताया कि संस्था द्वारा समय-समय पर नि:स्वार्थ भाव से सामाजिक कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आज स्कूल की प्राचार्या जसवीर कौर मान, प्रवक्ता अनिल भाटिया, प्रवक्ता राजकुमार खुंगर, प्रवक्ता शिल्पी, प्रवक्ता मोनिका, प्रवक्ता सर्वजीत को सम्मानित किया गया तथा छात्राओं अनुपमा और कोमल को भी सम्मानित किया गया।

आज के कार्यक्रम में सुरेन्द्र बंसल,अशोक गुप्ता, देवेंद्र पाहूजा, एस.पी. ग्रोवर, नीलम ग्रोवर, विश्व बन्धु गुप्ता, सुरेंद्र जोशी, भगवान दास बांसल, सविता बंसल, मीना गोयल तथा एम.पी. अग्रवाल उपस्थित थे। अंत में स्कूल की प्राचार्य जसवीर कौर मान ने परिषद के सभी सदस्यों का हार्दिक अभिनंदन किया।

फैक्ट्रियों के खिलाफ डीसी द्वार पहुंची भारतीय किसान एकता, सौंपा ज्ञापन

सतीश बंसल  सिरसा:

नरमा व कपास की खरीद को सुचारु रूप से करवाने की मांग को लेकर भारतीय किसान एकता ने उपायुक्त सिरसा को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन के जरिए भारतीय किसान एकता के प्रदेशाध्यक्ष लखविंद्र सिंह ने कहा कि नरमा/कपास की खरीद मंडियों में बोली पर हो, कोई भी फैक्ट्री द्वारा सीधे तौर पर इसकी खरीद न हो, नरमा खरीद के भाव में फेरबदल न हो, जिस भाव पर खरीद हो, उसी भाव पर तुलाई हो, तुलाई मंडी लेबर द्वारा तरपाई कण्डे से ही की जाए, ताकि लेबर को उनकी मजदूरी मिले व किसानों को पैदावार का सही वजन मिल पाए। सभी फैक्ट्रियों में लगे तुलाई के कण्डों की जांच नाप तोल विभाग द्वारा करवाई जाए तथा कण्डो की तुलाई का डिस्पले बाहर की तरफ सुनिश्चित करें ताकि पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी तुलाई में फर्क आने से किसान भाईयों को किसी भी प्रकार के नुकसान का सामना न करना पडे। उपायुक्त सिरसा ने इस मामले में उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस मौके पर मैक्स साहुवाला, प्रदेश सचिव गुरमीत सिंह नकोड़ा, रणजीत सिंह सेखों, अरविंद भारद्वाज मौजूद थे।

आने वाले समय में देश पर नेताओं का नहीं अपितु बड़ी- बड़ी कम्पनियों का राज होगा – चंद्रमोहन

पंचकूला 9 सितंबर:

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री  चंद्रमोहन ने कहा कि भाजपा के शासनकाल में जिस प्रकार से देश में सरकारी संस्थाओं का  निगमीकरण करके उसे नीजि हाथों में सौंपने की तैयारी करके नौकरियों को खत्म किया जा रहा है, उसे आने वाले समय में देश पर  नेताओं का नहीं अपितु बड़ी- बड़ी कम्पनियों का राज होगा जैसा कि ब्रिटिश शासन काल के दौरान ‌हुआ था। 

     उन्होंने कहा कि आजाद भारत में पहली एक ऐसा कानून बनाया गया है कि ओरडीनन्स  फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने और चंदा देने पर जेल की सजा देने और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। देश में पहली  बार हो रहा है कि रक्षा उपकरण बनाने वाली  देश की 41 फैक्ट्रियों का निगमीकरण करने के लिए संसद के इस सत्र में हड़ताल में शामिल होने पर सजा देने का बिल  पास किया गया है। इसके विरोध में इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले 84 हजार कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं।
     पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि आजाद भारत में यह पहली बार हुआ है कि हड़ताल में शामिल होने वाले कर्मचारियों को दो साल की कैद और 15 हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। इसी प्रकार इस युनियन को चंदा देने वाले को भी एक साल की सजा और 10 हजार रुपए जुर्माना भी किया जाएगा। इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है कि डिफेंस का निगमीकरण होने से विदेशी कंपनियों का दखल बढ़ेगा और देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा हो सकता है।     

      चन्द्र मोहन ने केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से आग्रह किया है कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके ,सुरक्षा के कार्य में  सेनानियों का मनोबल बढ़ाने का काम करें और इस निर्णय को वापस लेकर लोकतंत्र की रक्षा करें।

  उन्होंने कहा कि आज देश में भाजपा के शासनकाल में , जिस तरह देश की सम्पत्ति  औने-पौने दामों में खूर्द – बूर्द किया जा रहा है। इस लिए केन्द्र सरकार की इस तानाशाही के खिलाफ सब को एक जूट होकर विरोध करना होगा ताकि देश की रक्षा से संबंधित उपकरणों के उत्पादन को विदेशी कंपनियों के शिकंजे से मुक्त रखा जा सके।

विधानसभा चुनाव 2021 – भवानीपुर सीट पर प्रियंका टिबरेवाल देंगी ममता को टक्कर

भवानीपुर विधानसभा सीट टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के लिए हमेशा से ही सुरक्षित सीट रही है और वो पिछले विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से भाग्य आजमाने से पहले यहीं का प्रतिनिधित्व करती रही हैं। लेकिन, बीजेपी फिर भी बंगाल की सीएम के लिए इस उपचुनाव के जरिए विधानसभा में दाखिल होने का रास्ता आसान नहीं होने देना चाहती। इसलिए माना जा रहा है कि महिला और प्रखर वक्ता होने के नाते प्रियंका टिबरेवाल पर ही वह दांव खेलने की तैयारी की है। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर बंगाल की एंटल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। वहां उन्हें 27.7 फीसदी वोट मिले थे। इस सीट पर टीएमसी के स्वर्ण कमल साहा ने 58,257 वोट से उन्हें हराया दिया था।

कब किसके हाथ में रहा इस सीट की कमान

1972- अध्यापक अमलेश जाना- कांग्रेस
1977- हरिपद जन- जेएनसीप
1982- प्रशांत कुमार प्रधान-सीपीएम
1987-91- प्रशांत प्रधान- सीपीएम 
1996- खानरा अजीत- कांग्रेस
2001-16- अर्धेंदु मैती- टीएमसी 

कोलकाता/नयी दिल्ली, 9 सितंबर:

माना जा रहा है कि कोलकाता की भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ बीजेपी प्रियंका टिबरेवाल को उतार सकती है। पश्चिम बंगाल भाजपा में पेशे से वकील टिबरेवाल कोई नया चेहरा नहीं हैं और वह न्यूज चैनलों पर भी जोरदार तरीके से अपनी पार्टी की वकालत करती रही हैं। हालांकि, चुनावी राजनीति का उनका अभी तक का रिकॉर्ड कोई प्रभावी नहीं रहा है, लेकिन उन्हें लगता है कि अगर पार्टी ने उनपर भरोसा किया और वरिष्ठ नेताओं का आशीर्वाद मिला तो ‘न्याय और अन्याय’ की इस जंग में भवानीपुर के मतदाताओं का उन्हें समर्थन मिल सकता है।

बता दें कि भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से ममता बनर्जी उपचुनाव के लिए शुक्रवार के दिन नामांकन भरेंगी. बता दें कि इस सीट को शोभनदेब चट्टोपाध्याय ने ममता बनर्जी के लिए खाली किया था। बता दें कि ममता बनर्जी को नंदीग्राम में शुभेंदु अधिकारी को हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में मुख्यमंत्री बने रहने के लिए ममता बनर्जी का चुनाव जीतना ही होगा।

प्रियंका भी हार चुकी हैं पिछला चुनाव भवानीपुर विधानसभा सीट टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के लिए हमेशा से ही सुरक्षित सीट रही है और वो पिछले विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से भाग्य आजमाने से पहले यहीं का प्रतिनिधित्व करती रही हैं। लेकिन, बीजेपी फिर भी बंगाल की सीएम के लिए इस उपचुनाव के जरिए विधानसभा में दाखिल होने का रास्ता आसान नहीं होने देना चाहती। इसलिए माना जा रहा है कि महिला और प्रखर वक्ता होने के नाते प्रियंका टिबरेवाल पर ही वह दांव खेलने की तैयारी की है। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के टिकट पर बंगाल की एंटल्ली विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। वहां उन्हें 27.7 फीसदी वोट मिले थे। इस सीट पर टीएमसी के स्वर्ण कमल साहा ने 58,257 वोट से उन्हें हराया दिया था।

कौन हैं प्रियंका टिबरेवाल ?

प्रियंका टिबरेवाल पिछले साल अगस्त से पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष हैं। 41 वर्षीय प्रियंका सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट में वकालत भी करती हैं। पहले वह भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो की लीगल एडवाइजर रह चुकी हैं। 2014 में वह गायक से राजनेता बने बाबुल सुप्रियो की सलाह पर ही भाजपा में शामिल हुई थीं। कहा जाता है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर कमल खिलाने का फैसला किया था। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले 2015 में वह कोलकाता म्युनिसिपल काउंसिल का भी चुनाव भाजपा के टिकट पर ही वार्ड नंबर 58 से ( एंटल्ली) लड़ चुकी हैं, लेकिन वहां भी उन्हें टीएमसी के स्वपन सम्मादार ने हरा दिया था। 7 जुलाई, 1981 को कोलकाता में जन्मीं टिबरेवाल ने स्कूली शिक्षा वेलैंड गोल्डस्मिथ स्कूल से ली है, लेकिन ग्रैजुएशन दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया है। लेकिन, लॉ के लिए वह वापस कोलकाता आ गईं और 2007 में उन्होंने हजारा लॉ कॉलेज से यह कोर्स पूरा किया। वह थाईलैंड एसंप्शन यूनिवर्सिटी से एमबीए भी कर चुकी हैं।

‘न्याय और अन्याय का युद्ध

भवानीपुर से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ उम्मीदवार बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने एक निजी चैनल से कहा है,’पार्टी ने मुझसे संपर्क किया है और मेरी राय ली है कि क्या मैं भवानीपुर से चुनाव लड़ना चाहूंगी या नहीं। कई नाम हैं और मुझे नहीं पता कि कौन उम्मीदवार होगा। मैं अपने सभी वरिष्ठ पार्टी नेताओं को धन्यवाद देना चाहूंगी, जिन्होंने इतने वर्षों में मेरा इतना साथ दिया है।’ उन्होंने साफ कहा है कि ‘अगर मेरी पार्टी ममता बनर्जी के खिलाफ मुझे भवानीपुर से उतारती है, तो मैं अपना बेस्ट दूंगी और मुझे विश्वास है कि लोग न्याय और अन्याय के इस युद्ध में मेरा समर्थन करेंगे…..मुझे पूरा भरोसा है कि लोग सत्ताधारी टीएमसी के कुशासन के खिलाफ मतदान करेंगे। यह चुनाव बाद हिंसा और बंगाल के लोगों की तकलीफों के खिलाफ हमारी लड़ाई है।’

30 सितंबर को होगी वोटिंग भवानीपुर सीट पर 30 सितंबर को उपचुनाव होना है और 3 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी। ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बने रहने के लिए यहां से उनका जीतना जरूरी है। क्योंकि, नंदीग्राम सीट पर उन्हें भाजपा प्रत्याशी सुवेंदु अधिकारी ने विधानसभा चुनाव में हरा दिया था और वह इस समय विधानसभा की सदस्य नहीं हैं। संविधान के अनुच्छेद 164 के तहत मुख्यमंत्री को शपथ लेने के 6 महीने के अंदर विधानसभा (या विधान परिषद का जो कि बंगाल में नहीं है) का सदस्य चुना जाना जरूरी है। कांग्रेस ने इस सीट पर ममता के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है और सीपीएम ने श्रीजीब बिस्वास को उतारने का निर्णय किया है। (तस्वीरें सौजन्य- प्रियंका टिबरेवाल के फेसबुक और ट्विटर से)

ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर का ASI द्वारा सर्वेक्षण पर अलाहबाद उच्च न्यालय की रोक

भारत में बने इस मंदिर के जीर्णोद्धार का उल्लेख सतयुग में मिलता है जब सत्यवादी महाराज हरिश्चंद्र ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था फिर विरामी संवत के प्रारम्भिक वर्षों में महाराजा विक्रमादित्य ने करीब 2050 विकर्मी संवत के वरशूँ पूर्व करवाया था। मुगल काल के दिनों में महारानी अहल्या बाई होल्कर ने सान 1780 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था जिसका मौजूदा स्वरूप हमें दहने को मिलता है। 1664 में मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर उसके अवशेषों पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया था जिसकी वास्तविकता जानने के लिए मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराना जरूरी है। मंदिर पक्ष का दावा है की मस्जिद परिसर की खुदाई के बाद मंदिर के अवशेषों पर तामीर मस्जिद के सबूत अवश्य मिलेंगें. इस लिए एएसआई सर्वेक्षण किया जाना बेहद जरूरी है। मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण से यह साफ हो सकेगा की मस्जिद जिस जगह तामीर हुई है वह जमीन मंदिर को तोड़कर बनाई गई है या नहीं।

प्रयागराज/चंडीगढ़ :

वाराणसी में विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद की जमीन का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के सिविल कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी है। जस्टिस प्रकाश पाडिया की सिंगल बेंच ने सर्वेक्षण पर रोक लगाते हुए सभी पक्षों से 2 हफ्ते में नए सिरे से जवाब दाखिल करने को कहा है। तब तक के लिए निचली अदालत के फैसले पर रोक लगी रहेगी। अदालत ने 1991 में दायर मुख्य मुकदमे की कार्यवाही पर भी अगली सुनवाई तक रोक लगाई है। अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी। अदालत के फैसले से मुस्लिम पक्षकारों को फौरी राहत मिली है।

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिका पर स्टे का फैसला देते हुए अदालत ने वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के आदेश को निराधार बताया। अदालत ने कहा, रिकार्ड से यह स्पष्ट है कि इस अदालत ने सभी लंबित याचिकाओं पर निर्णय 15 मार्च 2021 को सुरक्षित रख लिया था। निचली अदालत को इस बात की पूरी जानकारी थी। इसे ध्यान में रखते हुए निचली अदालत को आगे सुनवाई कर सर्वेक्षण का आदेश नहीं देना चाहिए था, बल्कि इस अदालत के समक्ष लंबित याचिकाओं पर फैसला आने का इंतजार करना चाहिए था।

8 अप्रैल 2021 को वाराणसी के सीनियर डिवीजन सिविल जज ने वाद मित्र की याचिका पर पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। एएसआई से खुदाई कराकर सर्वेक्षण के जरिए हकीकत का पता लगाने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाने को कहा था। मुस्लिम पक्षकारों ने सिविल जज के इस आदेश पर असहमति जताते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 31 अगस्त को सुनवाई पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।

यह है पूरा मामला

ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने आदि को लेकर वर्ष 1991 में मुकदमा दायर किया गया था। मामले में निचली अदालत व सत्र न्यायालय के आदेश के खिलाफ 1997 में हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट से कई वर्षों से स्टे होने से वाद लम्बित रहा। 10 दिसंबर 2019 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत में आवेदन देकर अपील की थी कि ढांचास्थल के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए निर्देशित किया जाये। दावा किया कि ढांचा के नीचे काशी विश्वनाथ मंदिर के पुरातात्विक अवशेष हैं। 

अपील में कहा गया कि मौजा शहर खास स्थित ज्ञानवापी परिसर के 9130, 9131, 9132 रकबा नं. एक बीघा 9 विस्वा लगभग जमीन है। उक्त जमीन पर मंदिर का अवशेष है। 14वीं शताब्दी के मंदिर में प्रथमतल में ढांचा और भूतल में तहखाना है। इसमें 100 फुट गहरा शिवलिंग है। भारत में बने इस मंदिर के जीर्णोद्धार का उल्लेख सतयुग में मिलता है जब सत्यवादी महाराज हरिश्चंद्र ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था फिर विरामी संवत के प्रारम्भिक वर्षों में महाराजा विक्रमादित्य ने करीब 2050 विकर्मी संवत के वरशूँ पूर्व करवाया था। मुगल काल के दिनों में महारानी अहल्या बाई होल्कर ने सान 1780 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

यह भी कहा गया कि 100 वर्ष तक 1669 से 1780 तक मंदिर का अस्तित्व ही नहीं रहा बीएचयू के प्राचीन भारतीय इतिहास के विभागाध्यक्ष एएस अल्टेकर ने बनारस के इतिहास में लिखा है कि प्राचीन विश्वनाथ मंदिर में ज्योतिर्लिंग 100 फीट का था। अरघा भी 100 फीट का बताया गया है। लिंग पर गंगाजल बराबर गिरता रहा है, जिसे पत्थर से ढक दिया गया। यहां शृंगार गौरी की पूजा-अर्चना होती है। तहखाना यथावत है। यह खुदाई से स्पष्ट हो जाएगा। 

सिविल कोर्ट ने सर्वेक्षण का आदेश दिया

वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत ने पुरातात्विक सर्वेक्षण का आदेश देते हुए पांच सदस्यीय कमेटी गठित करने का भी निर्देश दिया। कहा है कि इसमें दो अल्पसंख्यक जरूर हों। सर्वेक्षण सम्बंधित कार्य एएसआई की ओर से नियुक्त आब्जर्वर की निगरानी में होगा। 

मुस्लिम पक्ष ने सर्वेक्षण का किया विरोध

विपक्षीगण अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ता रईस अहमद अंसारी, मुमताज अहमद और सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अभय यादव व तौफीक खान ने पक्ष रखा कि जब मंदिर तोड़ा गया तब ज्योतिर्लिंग उसी स्थान पर मौजूद था, जो आज भी है। उसी दौरान राजा अकबर के वित्तमंत्री टोडरमल की मदद से स्वामी नरायन भट्ट ने मंदिर बनवाया था जो उसी ज्योतिर्लिंग पर बना है। ऐसे में ढांचा के नीचे दूसरा शिवलिंग कैसे आया। ऐसे में खुदाई नहीं होनी चाहिए। 
 रामजन्म भूमि की तर्ज पर पुरातात्विक रिपोर्ट मंगाने की स्थितियां विपरीत थीं। उक्त वाद में साक्षियों के बयान में विरोधाभास होने पर कोर्ट ने रिपोर्ट मंगाई थी। जबकि यहां अभी तक किसी का साक्ष्य हुआ ही नहीं है। अभी प्रारम्भिक स्टेज पर है। ऐसे में साक्ष्य आने के बाद विरोधाभास होने पर रिपोर्ट मांगी जा सकती है। सिर्फ साक्ष्य एकत्र करने के लिए रिपोर्ट नही मंगाई जा सकती है।

एक कथित ‘हिंदू विरोधी’ विज्ञापन के वायरल होने के बाद ट्विटर ने एक बार फिर #BoycottMyntra को ट्रेंड करते देखा।

व्यापार/वाणिज्य डेस्क चंडीगढ़:

@hindutvaoutloud नाम के एक इंस्टाग्राम पेज ने उन सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के बारे में एक पोस्ट किया, जिन्होंने ‘हिंदू-विरोधी’ उत्पाद और विज्ञापन डाले हैं। स्लाइड की शुरुआत एक विज्ञापन से होती है जिसमें भगवान कृष्ण को मिंत्रा पर लंबी साड़ी के लिए ऑनलाइन खरीदारी करते देखा जा सकता है क्योंकि पृष्ठभूमि में ‘द्रौपदी चीरहरण’ होता है।

विज्ञापन से नाराज कई लोगों ने ट्विटर पर शॉपिंग वेबसाइट Myntra का बहिष्कार किया।

हालांकि, उन्होंने जो कुछ याद किया वह “www.scrolldroll.com” एक छोटे से फ़ॉन्ट में लिखा गया था।

इस विज्ञापन ने 2016 में विवाद खड़ा कर दिया जब लोगों ने मान लिया कि यह Myntra का एक विज्ञापन है। हालाँकि, यह स्क्रॉलड्रोल की एक पोस्ट थी, जो यह जानना चाहता था कि अगर देवता 21वीं सदी की तकनीक का उपयोग करते तो क्या होता।

उस समय, मिंत्रा ने भी एक ट्वीट कर पुष्टि की थी कि यह विज्ञापन उनके द्वारा प्रकाशित नहीं किया गया था। स्क्रॉलड्रोल ने पहले इस विज्ञापन की जिम्मेदारी ली थी

हालाँकि, विज्ञापन 2021 में एक बार फिर ट्विटर पर वायरल हो गया है, जो हिंदुओं को नाराज कर रहा है जो न केवल Myntra का बहिष्कार कर रहे हैं बल्कि Flipkart को अनइंस्टॉल भी कर रहे हैं।

NIRF 2021 लिस्ट जारी

भारत के टॉप कॉलेज और यूनिवर्सिटी की सूची कुल 11 कैटेगरीज में जारी की गई है। इनमें यूनिवर्सिटी, मैनेजमेंट, कॉलेज, फार्मेसी, मेडिकल, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूट ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स (ARIIA 2021), लॉ एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट्स और ऑवरऑल शामिल हैं। आधिकारिक वेबसाइट nirfindia.org पर पूरी सूची देख सकते हैं। आइए जानते हैं कैटेगरी वाइज टॉप भारत के टॉप विश्वविद्याल और महाविद्याल कौन से हैं।

  • NIRF रैंकिंग 2021 लिस्ट जारी।
  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की घोषणा।
  • कुल 11 कैटेगरी में जारी हुई एनआईआरएफ रैंकिंग लिस्ट।

नयी दिल्ली (ब्यूरो):

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की ओर से हर वर्ष नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) रैंकिंग जारी की जाती है। देश के विश्वविद्यालयों, इंजीनियरिंग, मैनेजमेन्ट और फार्मेसी संस्थानों की रैंकिंग के लिए एनआईआरएफ संस्था बनाई है। इससे पूर्व रैकिंग के लिए कोई सरकारी संस्था नहीं थी।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गुरुवार को वर्ष 2021 की एनआईआरएफ रैंकिंग (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) जारी कर दी। इस वर्ष भी ओवरऑल कैटेगरी में आईआईटी मद्रास को देश का बेस्ट शैक्षणिक संस्थान चुना गया है। वहीं आईआईएससी बेंगलुरु दूसरे और आईआईटी बॉम्बे तीसरे स्थान पर हैं। बेस्ट यूनिवर्सिटी कैटेगरी में आईआईएससी बेंगलुरु पहले, जेएनयू दूसरे और बीएचयू तीसरे पायदान पर हैं। इस वर्ष रैंकिंग फ्रेमवर्क में टॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट्स की कैटेगरी भी शामिल की गई है। इस कैटेगरी में इस वर्ष आईआईएससी बेंगलुरु पहले, आईआईटी मद्रास दूसरे और आईआईटी बॉम्बे तीसेर स्थान पर रहे।

  • मिरांडा हाउस, दिल्ली
  • लेडी श्री राम कॉलेज ऑफ वुमेन, दिल्ली
  • लोयोला कॉलेज, चेन्नई
  • सेंट जेवियर कॉलेज, कोलकाता
  • रामकृष्ण मिशन विद्यामंदिर, हावड़ा
  • पीएसजीआर कृष्णम्मल कॉलेज फॉर वूमेन, कोयंबटूर
  • प्रेसिडेंसी कॉलेज, चेन्नई
  • सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली
  • हिंदू कॉलेज, दिल्ली
  • श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, दिल्ली

गौरतलब है कि साल 2016 में एनआईआरएफ लिस्ट 4 श्रेणियों में तैयार की गई थी, जो साल 2019 में बढ़कर 9 हो गए. इस साल एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2021 की घोषणा कुल दस श्रेणियों के लिये की गई है. इसमें विश्वविद्यालय, प्रबंधन, कॉलेज, फार्मेसी, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, आर्किटेक्‍चर, ARIIA (नवाचार उपलब्धियों पर संस्थानों की अटल रैंकिंग) और लॉ जैसी कैटगरीज शामिल हैं.

Panjab University up by 3 Notches in NIRF 2020-21

Chandigarh September 9, 2021

PU Pharmacy Retains the second best spot in the country.

            In the latest National India Rankings (NIRF 2021) released today, Panjab University Chandigarh took a leap of three spots in University Category. The university has been ranked 38th in the overall category and 23rd among the Universities. 

            This year PU has achieved a score of 50.12 in Perception in University category in contrast to 42.39 last year. In terms of score, PU has secured 48.88 points in teaching, learning and resources (TLR), 40.86 in research and professional practices (RP), 71.57 in graduation outcomes (GO), 53.49 in Outreach and Inclusivity (OI) and 37.31 in perception in Overall Category.

            Prof. Raj Kumar, Vice-Chancellor has expressed his happiness on the consistent performance of the Panjab University and congratulated the faculty and research scholars and staff of the University for their continued efforts even in these difficult times. He was appreciative of the fact that Panjab University has very recently faired well in the Times Rankings and, now in the NIRF rankings also it has improved on its past years performance. He has congratulated the University Institute of Pharmaceutical Sciences (UIPS) which has over the years retained its second spot in the country in terms of its excellence.

            Dr. Ashish Jain, Director (IQAC) congratulated the entire faculty and the IQAC office team for working tirelessly. Dr. Jain commented that this time the improvement in the university ranking is largely due to improvement in the perception of the university which essentially can be credited to continued efforts of its faculty and university as a whole with a very positive outlook.

            Panjab University has been consistently improving its rankings in various ranking agencies over the last couple of years and Dr. Jain was hopeful that this streak will continue in future also if we strive to maintain the pace that we all are on presently.