टिहरी बांध पर अतिक्रमण को लेकर चल रहा है विवाद, शासन-प्रशासन की नियत पर भी उठे सवाल

डॉ. प्रमोद उनियाल कहते हैं कि टिहरी बांध के कामकाज के लिए एक कंपनी आई थी। उस कंपनी के मजदूरों में कुछ लोग मुस्लिम समुदाय से भी जुड़े थे। ये लोग दोबाटा के पास नमाज पढ़ने लगे। कंपनी चली गई और 2006 में झील का पानी बढ़ गया तो दोबाटा का वह क्षेत्र भी लबालब हो गया। टिहरी बांध से संबंधित कामकाज के लिए दूसरी कंपनी आई। अब इस कंपनी के मुस्लिम श्रमिकों ने खांडखाला के नजदीक नमाज पढ़ने की जगह तलाश ली।

  • ट्विटर पर #RemoveTehriMosque हैशटैग हो रहा है ट्रेंड, लंबे समय से चल रहा विवाद
  • टिहरी बांध पर अतिक्रमण को लेकर चल रहा है विवाद, शासन-प्रशासन पर भी उठे सवाल
  • डॉ. प्रमोद उनियाल ने दी चेतावनी, बोले- नतीजा नहीं निकला तो हम जल्द उठाएंगे कदम

उत्तराखंड ब्यूरो :

उत्तराखंड में टिहरी बाँध के पास लैंड जिहाद का मामला सामने आया है। रिपोर्टों के अनुसार, 2000 के दशक की शुरुआत में खंड-खाला कोटि कॉलोनी में साइट पर एक अवैध मस्जिद बनाई गई थी, जो बाँध के करीब है और तब से हिंदू संगठनों ने इसे हटाने के लिए कई बार कोशिशें की है। हाल ही में, सितंबर 2021 के पहले सप्ताह में, स्थानीय हिंदुओं के एक समूह ने मस्जिद के खिलाफ नए सिरे से विरोध प्रदर्शन शुरू किया और 150 वर्ग मीटर से अधिक भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करने के प्रयासों को तेज किया।

इतिहास देखें तो असम के दरांग जिले के धोलपुर में गत बृहस्पतिवार (23 सितंबर) को सरकारी जमीन पर से अवैध कब्जा हटाने की प्रक्रिया में जो हिंसा हुई वह पूरी तरह से अप्रत्याशित नहीं थी। इसलिए नहीं कि राज्य सरकार इसके लिए तैयार थी बल्कि इसलिए क्योंकि सरकारी संपत्ति पर से कब्ज़ा हटाने की प्रक्रिया ऐसी ही होती रही है जिसमें हिंसा का एक पूरा सिलसिलेवार इतिहास रहा है और यह किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। रेलवे की जमीन, राज्य सरकारों की जमीन, केंद्र सरकार के किसी विभाग की जमीन हो, ऐसी हिंसा समय-समय पर कई जगहों पर देखने को मिली है। इस बात के भी उदाहरण हैं जब सरकारों या उनके विभागों द्वारा चलाए गए ऐसे बेदखली अभियान असफल भी रहे हैं। 

हिंसा अप्रत्याशित नहीं रही हो पर जो बात ध्यान देने योग्य है वह ये है कि बेदखली के इस अभियान के पहले राज्य सरकार और अवैध कब्ज़ा करने वालों के बीच एक न्यूनतम समझौता हुआ था जिसके अनुसार कब्ज़ा हटाने के परिणामस्वरूप विस्थापितों को राज्य सरकार के नियमों के तहत जमीन दी जानी थी। ऐसे में यह प्रश्न स्वाभाविक है कि पहले से तयशुदा प्रक्रिया के बावजूद असम पुलिस पर इस तरह का हमला क्यों हुआ और इसके पीछे अवैध कब्जाधारकों की क्या मंशा थी? साथ ही यह प्रश्न भी उठता है कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा हिंसा के पीछे जिस षड्यंत्र की बात कर रहे हैं, उसे क्या बिना छानबीन के नजरअंदाज किया जा सकता है? अवैध घुसपैठियों द्वारा इतनी बड़ी सरकारी जमीन और संसाधनों की ऐसी लूट क्या कोई देश चुपचाप सहन कर सकता है? 

असम के बाद ही एक मामला उत्तराखंड में हुआ जिसमें टिहरी बाँध पर बनी एक मस्जिद को हटाने की माँग को लेकर प्रशासन और स्थानीय लोगों में एक झड़प हुई और उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। थोड़ा पीछे जाएँ तो इस महीने के शुरुआत में दिल्ली के फ्लाईओवर पर एक छोटी सी मस्जिद हटाने की माँग करने वाले स्थानीय लोगों और उस इलाके के पुलिस अफसर के बीच एक झड़प हुई थी और उसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। आज गुरुग्राम में सार्वजनिक जगह पर लगातार नमाज पढ़ने को लेकर स्थानीय लोगों ने यह कहते हुए आपत्ति जताई कि नमाज पढ़ने वालों के जुटने की वजह से इलाके में महिलाओं का आना-जाना दूभर हो गया है। इस तरह की तमाम घटनाएँ आये दिन सोशल मीडिया पर न केवल रिपोर्ट होती हैं बल्कि उन्हें लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएँ भी देखने और पढ़ने को मिलती हैं। 

ये घटनाएं हमारे समय का दस्तावेज हैं और हमें किसी तरह का संदेश दे रही हैं। उस संदेश को समझना हमारे लिए चुनौती है पर उससे भी बड़ी चुनौती यह है कि संदेश समझने के बाद हम क्या करते हैं। यदि हम असम की घटना को ही देखें तो यह हमसब के लिए आश्चर्य की बात होगी कि जब देश के छोटे किसानों (करीब 65 प्रतिशत) के पास औसत रूप से एक एकड़ से भी कम जमीन है तब असम के एक जिले में प्रति व्यक्ति करीब 200 बीघे जमीन पर घुसपैठियों ने न केवल अवैध कब्ज़ा कर रखा है बल्कि उसे छोड़ने के एवज में जमीन की माँग भी करते हैं।

इस अवैध कब्ज़े को हटाने के लिए लगभग दो महीने से सरकार और कब्ज़ाधारकों के बीच बातचीत हो रही थी। सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसे तमाम अवैध कब्ज़े होंगे जिन्हें हटाने के लिए सरकारों को बड़ी मेहनत करने की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए अधिकतर सरकारें इस मेहनत से बचती रहती हैं जिसका परिणाम यह होता है कि अवैध कब्ज़े की जमीन बढ़ती जाती है। 

यही कारण है कि दशकों की यथास्थिति को बदलने की मंशा और वादे करके आई सरकारों के लिए ऐसे अवैध कब्ज़े बहुत बड़ी चुनौती है। यह आम भारतीय के लिए ख़ुशी की बात होनी चाहिए कि वर्तमान की असम और उत्तर प्रदेश सरकार ऐसे अवैध कब्ज़े हटाने का प्रयास तो करती हैं। ऐसा करने के लिए केवल संविधान और कानून लागू करना चुनौती है और इसके लिए जिस नैतिक बल की आवश्यकता है वह अधिकतर राज्य सरकारों और उसके नेतृत्व में नहीं मिलता। दशकों के अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का परिणाम यह है कि देश के बहुत बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा हो गया है और उसे हटाना केवल सरकारों के लिए कानून व्यवस्था की चुनौती नहीं बल्कि राष्ट्रीय सभ्यता के लिए भी चुनौती है। 

भारतवर्ष पर अवैध कब्ज़े केवल देश के बंटवारे और विस्थापितों का परिणाम नहीं है। यह परिणाम है अवैध घुसपैठ, राजनीतिक तुष्टिकरण और योजनाबद्ध धार्मिक विस्तारवाद का। जब देश के प्रधानमंत्री देश को अपने संबोधन में बताते हैं कि; देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का पहला अधिकार है तो वह बात देश के पास बाद में पहुँचती है और कब्ज़ा ग्रुप के पास पहले पहुँचती है। जब अवैध घुसपैठियों को देश के संविधान और कानून के तहत अपराधी नहीं बल्कि वोटर समझा जाता है तो उसके दूरगामी परिणाम होते हैं। जब विपक्ष में रहने वाला नेता अवैध घुसपैठ पर सत्ता में आने के बाद यू-टर्न लेता है तब उससे अवैध कब्ज़ा ग्रुप को बल मिलता है। यथास्थिति को बदलने के लिए प्रयासरत सरकारें क्या कर पाती हैं, इस प्रश्न का उत्तर भविष्य के गर्भ में छिपा है।

स्वस्थ जीवन शैली के लिए दिनचर्या में योग को करें शामिल: प्रियंका गोयल

सतीश बंसल, सिरसा:

बरनाला रोड स्थित योग शक्ति स्टूडियो-द स्कूल ऑफ  योगा द्वारा नि:शुल्क योग शिविर का आयोजन किया गया। शिविर की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय योग शिक्षिका व योग शक्ति की संस्थापिका प्रियंका गोयल ने की। इस मौके पर प्रियंका गोयल ने बताया कि वर्तमान की व्यस्त दिनचर्या में सुकून मिलना बड़ा ही मुश्किल है और ऐसे में अपनी बॉडी को फिट रखने के लिए समय निकाल पाना भी आसान नहीं होता है। लेकिन फिर भी अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए हर रोज योग के लिए कुछ समय निकालना जरूरी है। गोयल ने बताया कि स्वस्थ जीवनशैली के लिए योग करने की आदत एक महत्वपूर्ण व प्रभावी आदत बन सकती है। कोरोना संक्रमण काल में महामारी से उपजी परेशानियों के निवारण के लिए विशेषज्ञ भी योग करने की सलाह दे रहे हैं। लोगों को बताया गया की किस प्रकार प्राणायाम के अभ्यास से वे अपनी इम्यूनिटी बढ़ा सकते हैं। प्रियंका गोयल द्वारा धारणा एवं ध्यान का भी अभ्यास कराया गया। दूर श्रवणम व ज्योति त्राटक का अभ्यास करवाकर उनकी महत्ता के बारे में बताया गया। उन्होंने शिविर में आए लोगों से मानसिक स्वास्थ्य का भी ध्यान रखने का आह्वान किया। डिप्रेशन, स्ट्रैस मनुष्य की शारीरिक अवस्था पर किस तरह प्रभाव डालता है व शारीरिक स्तर पर कई बीमारियों का कारण भी बनते हैं। इसी दौरान लोगों को योग निद्रा का अभ्यास भी कराया गया। उन्होंने शिविर में आए लोगों को योगिंग-जोगिंग, सूर्य नमस्कार, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी के अभ्यास कराए। इस मौके पर महेश गोयल व गौतम कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।

ऐलनाबाद उपचुनाव में पीटीआई सरकार का डटकर करेंगे विरोध

सतीश बंसल, सिरसा:

पीटीआई का संघर्ष लगातार जारी है और आज उन्हें धरने पर बैठे हुए 471  दिन हो गए  है पर सरकार इस मामले में अभी तक मूक दर्शक  बनी हुई है , प्रदेश के मुख्यामंत्री  कई वार आश्वासन दे चुके है पर अभी तक बर्खासित पीटीआई   की बहाली नहीं हो सकी I हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 6 अक्टूबर  2020  को पीटीआई के साथ बैठक करके   वायदा किया था कि मैं  पीटीआई  के चुल्हे ठन्डे नहीं होने दूंगा पर आज 16  महीने बीत चुके है ,मुख्यमंत्री ने जो वायदा किया था ,उस वायदे को वह भूल गए हैं I   यह बात आज लघु सचिवालय में अपनी बहाली की मांग को लेकर पिछले 414  दिनों से धरने पर बैठे   पीटीआई को सम्बोधित करते हुए हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान कुलवंत सिंह खीवा ने कहा कि अगर सरकार 29 सितम्बर  2021 को हाई कोर्ट में हमारे केस की अच्छी तरह पैरवी नहीं करती तो राज्य स्तर पर एक वड़ा आंदोलन छेड़ा  जायेगा और याद रहे कि ऐलनाबाद उपचुनाव में जो 30 अक्टूबर को होने है उसमे डटकर विरोध किया जायेगा और सरकार को आइना दिखाने का काम करेंगे और साथ ही सरकार की  जनविरोधी नीतिओं को जन- जन तक पहुंचाने का काम करेंगे 1 श्री खीवा ने कहा कि पीटीआई  को धरने पर बैठे हुए 16 महीने हो गए है ,  जो सरकार सबका साथ सबका विकास का नारा देकर सत्ता में आई थी, वह अब सबका विनाश कर रही है , सरकार प्रदेश की खुशहाली व् समृद्धि का झूठा ढिंढोरा पीटकर अपने प्रचार प्रसार के करोड़ों रुपये पानी की तरह वहा रही है , आम लोगो का रोज़गार छीना जा रहा है  इसलिए सभी वर्ग इस सरकार से तंग है , खीवा ने बताया कि पीटीआई मामले में गलती भर्ती  बोर्ड की है   लेकिन  सजा पीटीआई भुगत रहे है   I उन्होंने कहा कि  भाजपा सरकार लोगों को बड़े बड़े  सपने दिखाकर अपने जाल में फंसाकर  सत्ता में आई और अपने तानाशाही रवैये अपनाकर लोगों का जीना मुहाल कर रही है I  इस मौके  पर जीवन , रमेश , सुरेंदर ,  बंटी , महेन्दर , सतपाल , यशपाल  , विनोद , जगसोहन , भूपेंदर , जगदीश , संदीप , परविंदर , नैन  ,उषा , सुमन अंजलि ,रोहित लिम्बा , रितु  ,शर्मीला  , बलजिंदर कौर ,  राधिका , रोशनी ,  सुमित्रा , संतोष  आदि  उपस्थित रहे  I

शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भाग लें युवा: रोहताश कुमार

क्लब की पहली वर्षगांठ पर खेल प्रतियोगिताएं आयोजित

सतीश बंसल, सिरसा:

युवा जेबीटी क्लब, डिंग द्वारा क्लब का एक साल पूरा होने के अवसर पर बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। युवा जेबीटी क्लब के प्रधान मांगे राम ने बताया कि इस कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि रोहतास कुमार पहुंचे।  भारतीय सेना से सेवामुक्त सज्जन कुमार इस अवसर विशिष्ठ अतिथि के रूप शामिल हुए। इस अवसर बच्चों की विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया गया। मुख्यातिथि ने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ खेलों में भाग लेने और नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित किया। उन्हेंने सभी प्रतिभागियों को सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि युवा जेबीटी क्लब, डिंग ने अपने एक साल के कार्यकाल में अब तक एक विशाल अंतरराज्यीय नेशनल कबड्डी टूर्नामेंट, दो रक्तदान शिविर आयोजित किये हैं। क्लब के उपप्रधान राहुल कुमार ने बताया कि क्लब द्वारा नशे के खिलाफ  लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा, ताकि युवाओं को नशे से बचाया जा सके। क्लब की अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों में पर्यावरण सुरक्षा के लिए वृक्षारोपण तथा जरूरतमंद मेधावी छात्रों के लिए पुस्तकों की व्यवस्था करवाना शामिल रहा। क्लब द्वारा गांव में पुरानी पुस्तक दान करो अभियान के तहत पुरानी किताबें एकत्रित करके जरूरतमंद विद्यार्थियों में वितरित की गई। क्लब की तरफ  से समाज कल्याण के प्रयासों में सहायता करने के लिए समस्त गांववासियों का आभार व्यक्त किया गया। इस अवसर पर सभी क्लब सदस्यों ने प्रण लिया कि वे भविष्य में भी समाज कल्याण की गतिविधियों को जारी रखेंगे। कार्यक्रम के अंत में क्लब सदस्यों द्वारा समाज कल्याण की गतिविधियों का शानदार एक वर्ष पूरा होने की खुशी में केक काटा गया तथा बच्चों को जलपान करवाया गया।

देशभक्त यादगार लोक केन्द्र ने धूमधाम से मनाया शहीद भगत सिंह का जन्मदिन

सतीश बंसल, सिरसा:

 देशभक्त यादगार लोक केन्द्र द्वारा शहीदे आजम सरदार भगत सिंह का 150वां जन्मदिवस  भगत सिंह पार्क में धूमधाम के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थितजनों द्वारा ‘इन्कलाब जिन्दाबाद’ के साथ शहीद की प्रतिमा पर माल्र्यापण किया गया। संस्था के अध्यक्ष रमेश मेहता एडवोकेट ने युवाओं को शहीदों के दिखाए गए मार्ग पर चलने का आह्वान करते हुए कहा कि शहीद भगत सिंह भारत माता के सच्चे सपूत थे, अल्पायु में उनकी देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम का जज्बा दशकों बाद भी याद किया जाता है, आज के युवा शहीद भगत सिंह के जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश भक्ति को सर्वोपरि रखते हुए सशक्त भारत के निर्माण में सहयोग दें। इस दौरान संस्था द्वारा एक क्विंटल लड्डुओं का प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर हैप्पी बख्शी, बलजीत ढिल्लों, सुरेन्द्र वर्मा, जगरूप चौबुर्जा, विक्की संधु, मेजर गिल, छिंदा रंधावा, सुखदीप गोला, पप्पू रांझा, अनमोल संधु, जस संधु, प्रिंस, गुग्गु गिल, प्रभ संधु, पिंका शर्मा आदि उपस्थित थे।

संयम है जीवन है’ शासनश्री साध्वी मंजुप्रभा

सतीश बंसल, सिरसा:

अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह का आज तीसरा दिन ‘अणुव्रत प्रेरणा दिवस’ के रूप में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण की विदुषी सुशिष्या शासनश्री साध्वी मंजुप्रभा जी ठाणा-4 के पावन सान्निध्य में व अणुव्रत समिति के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में मनाया गया। शासनश्री साध्वी मंजुप्रभा ने अणुव्रत की प्रेरणा देते हुए कहा – अणुव्रत जाति, धर्म, भाषा, प्रांत आदि भेदभावों से ऊपर उठकर इन्सान को आत्मसंयम की ओर प्रेरित करता है। अणुव्रत आत्मानुशासन, प्रामाणिकता, अहिंसा, नैतिकता, सद्भावना व नशामुक्ति का संदेश देता है। अणुव्रत का प्रमुख आधार करूणा, संवेदनशीलता, सहिष्णुता, सहअस्तित्व व मानवीय एकता है। जिस व्यक्ति में करूणा और संवेदनशीलता होगी, उसके लिए दूसरों के दु:खों का निवारण हो सकता है। उसके सामने सदा ‘सर्वेभवन्तु सुखिन:-सर्वे भवन्तु निरामया-सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:ख भाग भवेत्’ का लक्ष्य रहेगा। उन्होंने समाज को अणुव्रत के 11 नियमों का पालन सजगता से करने को कहा। साध्वी जयन्तप्रभा जी ने अणुव्रत के बारे में बताया कि यह अणुव्रत आंदोलन शैतान को इन्सान, मानव को महामानव, हिट को सुपरहिट बनाने का नैतिक अभियान है और यह व्यक्ति, समाज व राष्ट्र के चारित्रिक उत्थान के लिए प्रेरित करता है। कार्यक्रम में सिरियारी संस्थान के ट्रस्टी व हरियाणा अणुव्रत प्रभारी मक्खन लाल गोयल ने अणुव्रत आचार संहिता का वाचन किया व इसे आचरण करने को कहा। समाज के श्रद्धानिष्ठ श्रावक हनुमानमल गुजरानी, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष रविन्द्र गोयल एडवोकेट ने अणुव्रत पर अपने सुविचार रखे। महिला मण्डल की अध्यक्षा सुमन बी गुजरानी व संगीता गुजरानी ने अणुव्रत गीत की प्रस्तुति देकर मंगलाचरण किया। ज्ञानशाला की बच्ची मन्नत जैन ने अणुव्रत कविता पेश की। कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन करते हुए अणुव्रत समिति के निवर्तमान अध्यक्ष चम्पा लाल जैन ने अणुव्रत प्रेरणादायक मुक्तक भी पेश किए। इस अवसर पर शासनसेवी पदम जैन और समाज के सभी श्रावकगण व श्राविकाएं  व समिति के सदस्यगण उपस्थित थे।

भाई कन्हैया आश्रम में सादगी से मनाया मानकचंद जैन ने जन्मदिन

सतीश बंसल, सिरसा:

गत दिवस शहर के प्रसिद्ध समाजसेवी मानकचंद जैन ने हर वर्ष की भांति भाई कन्हैया आश्रम के 300 से भी अधिक विशेष लोगों में फल वितरित किए। इस सादे समारोह में 10 गीत भी गाकर उनका मनोरंजन किया गया। गीतों की शुरूआत सुख के सब साथी दुख में न कोए इत्यादि गीतों से मनोरंजन किया गया व प्रयास किया गया कि आश्रम के विशेष बच्चों को समाज की मुख्य धारा से जोडा जाए। गायकों में भोला नागराज, विजय रामावत, मनमोहन सिंह, सब इंस्पेक्टर सुभाष तरड ने विशेष रूप से भाग लिया। मानकचंद जैन ने अपने भाव एक लघु कथा के माध्यम से रखते हुए कहा कि हम सभी अपनी खुशियां रेस्तरां, होटल, रिजोर्ट की अपेक्षा इन लोगों के मध्य सांझा करें, ऐसा मेरा सभी से अनुरोध है। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शील कौशिक, बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान  रमेश मेहता एडवोकेट, एलआईसी अधिकारी इंद्र गोयल, सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर एसएन शर्मा व राजकुमार जैन, बैंक मैनेजर केके ग्रोवर, मदन वर्मा, अविनाश फुटेला, अश्विनी, ललित जैन, मुख्य सेवक गुरविंद्र सिंह सहित सभी स्टॉफ सदस्य मौजूद थे।

स्टेट स्केटिंग प्रतियोगिता में छाए सिरसा के बच्चे, जीते पदक

सतीश बंसल, सिरसा:

गुरुग्राम में आयोजित हरियाणा स्टेट ओपन स्केटिंग प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए जननायक चौधरी देवीलाल स्केट पार्क सिरसा के स्केटिंग खिलाड़ियों ने पदक हासिल किए है। इस सिलसिले में अकादमी प्रबंधक सुमन ने बताया कि चेरी ने 500 मीटर रेस में गोल्ड मेडल, जबकि 1000 मीटर रेस में सिल्वर मेडल हासिल किया है। प्रभनूर ने 500 मीटर रेस में कास्यं पदक हासिल किया है। विजेता खिलाडियों को अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया। इस मौके पर प्रबंधक सुमन, कोच मनीष व रवीना ने विजेता खिलाडियों के उज्जवल भविष्य की कामना की है।

सुनियोजित ढंग से हुए थे दिल्ली दंगे : दिल्ली उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में एक आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि शहर में कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए पूर्व नियोजित साजिश थी और घटनाएं पल भर में नहीं हुआ”। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की कथित हत्या के मामले में मोहम्मद इब्राहिम द्वारा दायर जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा कि घटनास्थल के आसपास के इलाकों में सीसीटीवी कैमरों को सुनियोजित तरीके से काट दिया गया और नष्ट कर दिया गया।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की कथित हत्या से संबंधित मामले में आरोपी मोहम्मद इब्राहिम द्वारा दाखिल जमानत याचिका पर विचार करते हुए कहा कि घटनास्थल के आसपास के इलाकों में सीसीटीवी कैमरों को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया गया।

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों में हेड कॉन्सटेबल रतन लाल की हत्या मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने मोहम्मद इब्राहिम की बेल याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने बताया कि मौजूदा सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि शहर में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए एक पूर्व नियोजित साजिश रची गई थी।

कोर्ट ने कहा, “फरवरी 2020 में देश की राष्ट्रीय राजधानी को दहलाने वाले दंगे स्पष्ट तौर पर एकदम से नहीं हुए। वीडियो और फुटेज में दिखने वाला प्रदर्शनकारियों का बर्ताव जिसे अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड में रखा गया, साफ तौर पर दिखाता है कि यह सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने का एक सुनियोजित प्रयास था।”

अदालत ने यह भी कहा कि सीसीटीवी कैमरों को भी व्यवस्थित ढंग से नष्ट किया गया था जो शहर में कानून व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए एक पूर्व नियोजित साजिश के अस्तित्व की पुष्टि करता है। अदालत ने कहा, “यह (पूर्व नियोजित साजिश) इस तथ्य से भी साफ होती है कि असंख्य दंगाइयों ने बेरहमी से पुलिस अधिकारियों पर लाठी, डंडे, बैट चलाए।”

दिल्ली हिंदू विरोधी दंगों के दौरान मारे गए हेड कॉन्सटेबल रतन लाल के मर्डर केस में आरोपित की बेल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता इस प्रकार दुरुपयोग नहीं की जानी चाहिए कि समाज के ताने बाने को अस्थिर करके खतरा हो और दूसरों को चोट पहुँचे।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, “इस न्यायालय ने पहले एक लोकतांत्रिक राजनीति में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व पर विचार किया है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दुरुपयोग इस तरह से नहीं किया जा सकता है जिससे सभ्य समाज के ताने-बाने को अस्थिर करने का प्रयास किया जाता है। यह और अन्य व्यक्तियों को चोट पहुँचाता है।”

इब्राहिम के ख़िलाफ़ केस

सीसीटीवी फुटेज में मोहम्मद इब्राहिम को नेहरू जैकेट, सलवार कुर्ता, और इस्लामी टोपी पहने साफ देखा गया था। अभियोजन पक्ष ने तीन वीडियो सबूत के तौर पर पेश किए थे कि ताकि साबित हो कि हेड कॉन्सटेबल रतन लाल की मौत पूर्व-नियोजित थी। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली दंगे कुछ ऐसा नहीं थे जो अचानक भड़क गए हों।

कोर्ट ने बेल याचिका को नकारते हुए कहा, भले ही इब्राहिम क्राइम सीन पर न दिखा, लेकिन वह भीड़ का हिस्सा था। वह जानबूझकर अपने इलाके से  1.5 किलोमीटर दूर तक गया। उसके हाथ में तलवार थी जिसका इस्तेमाल किसी भी नुकसान के वक्त किया जा सकता था। कोर्ट ने कहा, “इसी प्रकाश में याचिकाकर्ता की तलवार के साथ वाली फुटेज काफी भयानक है जो याचिकाकर्ता को हिरासत में रखे रखने के लिए पर्याप्त है।”

बता दें कि आरोपितों की ओर से पेश हुए कई वकीलों की दलीलें सुनने के बाद इस संबंध में पिछले माह आदेश सुरक्षित रख लिया गया था। अभियोजन पक्ष की ओर से एएसजी एसवी राजू और विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद मामले में पेश हुए थे। इब्राहिम की जमानत याचिका 11 जमानत आवेदनों में सुरक्षित आदेशों का हिस्सा थी। गौरतलब है कि, अदालत ने मामले में शाहनवाज और मोहम्मद अय्यूब नाम के अन्य आरोपितों को जमानत दे दी, लेकिन सादिक और इरशाद अली के आवेदनों को खारिज कर दिया। 5 अन्य आरोपितों- मो. आरिफ, शादाब अहमद, फुरकान, सुवलीन और तबस्सुम को इस महीने की शुरुआत में जमानत मिली थी।

24 फरवरी को दिल्ली दंगों के समय इस्लामी भीड़ डंडा, लाठी, बास्केट बैट, लोहे की रॉड और पत्थरों लेकर वजीराबाद रोड पर करीब 1 बजे इकट्ठा हुई। कुछ देर में ये हिंसक हो गए। स्थिति संभालने के लिए पुलिस को आंसू गैस छोड़ने पड़े। मौजूदा पुलिसकर्मी बताते हैं कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों को मारना शुरू कर दिया था। भीड़ ने डीसीपी शाहदरा, एसीपी गोकुलपुरी और हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल पर भी हमला किया। दोनों सड़क पर गिर गए और गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल को मृत घोषित कर दिया गया।

दलित, मुस्लिम तुष्टीकरण में राजनैतिक भविष्य तलाशती कॉंग्रेस

बीजेपी से मुकाबले में लगातार पिछड़ती जा रही कांग्रेस अब अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की कवायद में जुट गई है। पहले पंजाब में दलित नेता चरणजीत चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया और फिर उत्तराखंड में दलित सीएम का दांव चलने के बाद अब कांग्रेस गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को पार्टी ने गले  लगाया है।  इस तरह से कांग्रेस अब बीजेपी से दो-दो हाथ करने के लिए पुन: अल्पसंख्यक और दलित एजेंडा सेट करती नजर आ रही है।

  • कन्हैया कुमार भारतीय राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष और अखिल भारतीय छात्र संघ के राष्ट्रीय नेता के रूप में कार्य किया। वह वर्तमान में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद के सदस्य के रूप में कार्यरत थे।
  • जिग्नेश मेवाणी एक वकील कार्यकर्ता और पूर्व पत्रकार हैं जो गुजरात विधानसभा में वडगाम निर्वाचन क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत हैं। वह एक स्वतंत्र विधायक और राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक हैं।

सारिका तिवारी, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :

कॉंग्रेस की द्विधा है की वह यह तय नहीं कर पा रही की उराजनीति करनी भी है या नहीं। दुविधाग्रस्त कॉंग्रेस अपना राजनीति भविष्य दलित और मुस्लिम तुष्टीकरण में तलाश रही है।   एक पुरानी कहावत है कि राजनीति में कोई भी स्थायी शत्रु नहीं होता है। ताजा मामला जेएनयू के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष और CPI सदस्य कन्हैया कुमार और गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी से जुड़ा हुआ है। कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवाणी आज (28 सितंबर) कांग्रेस ज्वाइन करने वाले हैं। ये दोनों युवा नेता हैं और इन्हें दक्षिणपंथी राजनीति का विरोध करने की वजह से देश में सुर्खियां मिलीं थीं।

कहा जा रहा है कि कन्हैया कुमार को कांग्रेस ज्वाइन कराने में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई है। वह कुछ समय पहले जेडीयू के पूर्व नेता पवन वर्मा के आवास पर कन्हैया से मिले थे।

कांग्रेस में शामिल होने से क्या फर्क पड़ेगा: 

कन्हैया और जिग्नेश युवा हैं और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं। पीएम मोदी के खिलाफ कैंपेन में इन दोनों नेताओं के उतरने से कांग्रेस के लिए एक चुनावी माहौल तैयार होगा, जिसका फायदा कांग्रेस उठा सकती है। कहा जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के महत्व को ना ही कम करके आंका जा सकता है और ना ही खारिज किया जा सकता है।

मेवाणी और कन्हैया कुमार हिंदुत्व की विचारधारा के खिलाफ बोल्ड तरीके से अपनी बात रखते हैं, ऐसे में ये दोनों कांग्रेस के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। ऐसे में एंटी बीजेपी वोटरों के बीच कांग्रेस ये संदेश देने में भी कामयाब हो सकती है कि भाजपा की प्रमुख विरोधी पार्टी आज भी कांग्रेस ही है।

हालांकि, एक और तरह का वोटर है जिसके बीच मेवाणी और कुमार की मौजूदगी शायद ज्यादा काम न आए और इस वर्ग के बीच मेवाणी और कुमार सबसे अच्छे चेहरे भी नहीं हो सकते हैं।

इसका एक उदाहरण ये भी है कि एक युवा वोटर आर्थिक मोर्चे पर भाजपा से नाराज हो सकता है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में भाजपा का समर्थन भी करता है। ऐसे वोटरों को लुभाना मेवाणी और कुमार के लिए बड़ी चुनौती होगी।

कौन हैं कन्हैया कुमार: 

कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं और सीपीआई से प्रभावित परिवार से आते हैं। उन्होंने बेगूसराय से सीपीआई के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन बीजेपी के गिरिराज सिंह से बड़े अंतर से हार गए थे। हालांकि, वह राष्ट्रीय जनता दल-कांग्रेस के उम्मीदवार से आगे रहे थे।

इसके बाद से उन्होंने बिहार में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम (CAA) के विरोध के दौरान कई रैलियों को संबोधित किया। हालांकि बिहार चुनाव अभियान के दौरान वह शांत दिखाई दिए।

अगले साल 2022 में यूपी, उत्तराखंड, पंजाब समेत कुल पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है। ऐसे में कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी का साथ मिलना कांग्रेस को चुनावी रेस में कितना आगे ले जाता है, ये आगे की बात होगी। 

बिहार से ताल्लुक रखने वाले जेएनयूएसयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार  देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में शुरुआत से ही भाजपा सरकार के निशाने पर रहते हैं। बिहार में उनका अपना वोट बैंक है। आगामी 2024 में लोकसभा चुनाव और बिहार विधानसभा चुनाव में कन्हैया कुमार कांग्रेस के काफी काम आ सकते हैं।  

ऐसी जानकारी मिली है कि गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष हार्दिक पटेल काफी दिनों से कन्हैया कुमार और गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी के संपर्क में है। सूत्रों से पता लगा है कि दोनों ने पार्टी में एंट्री के लिए अपनी सहमति दे दी है।

बिहार से ताल्लुक रखने वाले कन्हैया कुमार ने पिछले लोकसभा चुनाव में बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ भाकपा के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था, हालांकि वह हार गए थे। दूसरी तरफ, दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जिग्नेश गुजरात के वडगाम विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक हैं।

कौन हैं जिग्नेश मेवाणी:

 जिग्नेश मेवाणी की राजनीति गुजरात के दलितों के बीच भाजपा के खिलाफ बढ़ रही नाराजगी से शुरू होती है। जिग्नेश मेवाणी इस समय उत्तरी गुजरात में बनासकांठा जिले के वडगाम निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से सीट जीती थी।

2016 में हुई ऊना घटना के बाद मेवाणी ने दलितों द्वारा कई विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया था और वह गुजरात में दलितों के लिए भूमि अधिकारों के लिए भी लड़ रहे हैं। हालांकि, मेवाणी की राजनीति का दायरा सीमित है और वह राष्ट्रीय स्तर पर वोटरों को लुभाने में इतना कारगर साबित नहीं हो सकते हैं।