महंत गिरि की मृत्यु पर संदेह गहराया, पार्थिव देह को भू – समाधि दी गयी
कल देर शाम टीवी पर चल रही बहस में कॉंग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ताओं ने अपने – अपने वक्तव्य में महंत नरेंद्र गिरि की संदेहास्पद मृत्यु की जांच पर प्रश्न खड़े किए। उन दोनों का मानना था की पुलिस जब प्राथमिक जांच करती है तब वह प्रथम दृष्ट्या जिस कोण से मामले की जांच शुरू करती है फिर घूम फिर कर प्राथमिकी भी उसी की दर्ज की जाती है, यह इतने वर्षों का उनका राजनैतिक अनुभव रहा है। महंत नरेंद्र गिरि की आत्महत्या पत्र की बात उन्होने यह कह कर नकार दी कि स्वर्गवासी महंत जी को लिखना आता ही नहीं था, इसके लिए उन्होने मीडिया में फैल रही सूचनाओं का संदर्भ लिया। गिरि जी आत्म/हत्या कि गुत्थी तो सुलझा ली जाएगी लेकिन एक पुरानी गुत्थी उलझ कर सामने आ गयी। वह गुत्थी है जनेमाने युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत और उनकी मित्र और प्रबन्धक दिशा सालियान की। नग्नावस्था में एक बहुमंजिला इमारत से राजनैतिक रसूख रखने वाले कुछ युवाओं की उपस्थिती में उनही के घर से कूद कर जान दी गयी थी। आत्महत्या की जांच और फिर वही प्राथमिकी) सुशांत सिंह राजपूत की अपने घर के पंखे से लटक कर जान देना वह पंखा और फंदा राजपूत के कद से मेल न खाते हुए भी अत्महत्या की ही प्राथमिकी दर्ज की गयी। महाराष्ट्र में कॉंग्रेस की सरकार है। शायद उनका राजनैतिक अनुभव ठीक ही कहता है।
प्रयागराज/लखनऊ/चंडीगढ़ :
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और बाघम्बरी मठ के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को एक ओर जहाँ आज भू-समाधि दी गई। वहीं, इसी बीच उनके उत्तराधिकारी को लेकर नया विवाद शुरू हो गया। पंचपर्मेश्वर की बैठक में महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट को फर्जी कहा गया है।
इसी के साथ उनके उत्तराधिकारी की घोषणा के लिए 25 सितंबर की तारीख तय की गई है। निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी ने सुसाइड लैटर को फर्जी बताते हुए उत्तराधिकारी की घोषणा करने से मना कर दिया। जिसके बाद संत बलवीर के उत्तराधिकारी बनने पर फिलहाल के लिए फैसला टल गया। बैठक की अगली दिनांक यानी 25 सितंबर को इस बाबत फैसला लेकर घोषणा की जाएगी।
‘आज तक’ से बातचीत में निरंजनी अखाड़ा के रविंद्र पुरी ने कहा कि जो सुसाइड नोट मिला है, वह उनके (महंत नरेंद्र गिरि) द्वारा नहीं लिखा गया है। इस मामले की जाँच होनी चाहिए। ऐसा लगता है किसी बीए पास लड़के ने यह पत्र लिखा है। इस संबंध में अखाड़ा अपने स्तर से भी जाँच कर रहा है।
रविंद्र पुरी ने सवाल किया कि आखिर फाँसी में पीछे चोट कैसे हो सकती है? इसके अलावा न जुबान चढ़ी थी और न आखें…तो ये फाँसी कैसे हो सकती है। पुरी ने जानकारी दी कि महंत के निधन पर अखाड़े में भी 7 दिन का शोक जारी है। उत्तराधिकारी को लेकर उन्होंने कहा कि कथित सुसाइड नोट में बलवीर गिरि लिखा है जबकि वो पुरी हैं। महंत नरेंद्र गिरि ऐसी गलती नहीं कर सकते थे।
इसके अलावा सुसाइड लेटर को लेकर यह बातें भी कही जा रही है कि कुल 12 पन्ने के सुसाइड नोट को दो बार में और दो अलग-अलग कलम से लिखा गया है। पहले आठ पेज 13 सितंबर को लिखे गए जबकि अगले चार पेज 20 सितंबर को। अजीब बात यह है कि 13 सितंबर को जिन पेजों को लिखा गया, उस पर तारीख को काट कर 20 सितंबर कर दिया गया है। शुरुआती पेजों में 25 जगह कटिंग नोटिस की गई है जबकि अगले चार पेजों में 11 जगह।
बता दें कि बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर को फूलों से सजे वाहन में रखकर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर लाया गया। यहाँ उन्हें स्नान कराने के बाद मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ श्री मठ बाघम्बरी गद्दी में उनके गुरु के बगल में समाधि दी गई।
महंत नरेंद्र गिरि पद्मासन मुद्रा में ब्रह्मलीन हुए। अब एक साल तक यह समाधि कच्ची ही रहेगी। इस पर शिवलिंग की स्थापना कर रोज पूजा अर्चना की जाएगी। इसके बाद समाधि को पक्का बनाया जाएगा। इस बीच उनकी आत्महत्या के मामले में ये नया मोड़ ही है जो प्रयागराज में हुई पंचपर्मेश्वर की बैठक में महंत नरेंद्र गिरि के सुसाइड नोट को फर्जी कहा गया। इसके साथ ही उनके उत्तराधिकारी घोषित किए जाने की बात पर भी विवाद हुआ।