International World Bamboo Day Celebration 2021

Chandigarh September 20, 2021

DST-Centre for Policy Research (CPR) at Punjab University, Chandigarh in collaboration with World Bamboo Organization, USA successfully organized a virtual webinar for the celebration of International World Bamboo Day 2021 on September 18 (Saturday). The theme of the webinar was Scope of Skill Development and Entrepreneurship in Bamboo Sector.

Eminent speakers from various national and international organizations shared their thoughts and approach towards proliferating bamboo for sustainable development and consumption in India. Susanne Lucas, the Executive Director, World Bamboo Organization (WBO), USA shared a special message on the bamboo and role of WBO to promote it worldwide.

The prominent experts and speakers for the event were Mr. Sanjeev Karpe, Founder, Director, Konkan, Bamboo and Cane Development Centre, Maharashtra, Dr. Merdelyn, Vice Chancellor, Research and Extension, University of Philippines, Dr. Ajit SIngh Naosekpam, Consultant, South East Asia, Bamcore, Chandigarh; Dr. Santosh Oinam, Scientific Officer, DST-CPR at PU; Dr. Natasha Saini, Assistant Professor, Abhilashi Group of Institutions, Mandi, H.P.; Dr. Harjit Kaur Bajwa, Assistant Professor, Chandigarh University, Mohali. The speakers showcased various technologies, applications and utility of Bamboo. They also deliberated upon the issues on policy perspective in India and emphasized that India can be a leader in the global market. They also deliberated that in coming future, if farmers in India will focus on growing bamboo and commercializing it worldwide, they can contribute to address the economic challenges being faced by Indian farmers. According to Prof. Nirmala Chongtham, the World Bamboo Ambassador from India and Coordinator of DST-CPR at PU, Chandigarh, an agreement has been signed between the WBO and Vietnam government on 18th September to hold the 4th World Bamboo Workshop in Vietnam in 2022.

Research Scholar of Department of Environment Studies, PU, won First prize

Chandigarh September 20, 2021

Nitasha Vig

Nitasha Vig, Ph.D. Research Scholar of Department of Environment Studies, Panjab University, Chandigarh, won First prize for her research paper in Virtual National Conference on Emerging Trends to Heal the Earth and Environment (ETHEE), held on 18th September 2021.  Nitasha Vig presented paper on “Evaluation of heavy metal pollution in groundwater and associated health risk in the proximity of a Coal Thermal Power Plant”. The co-authors of this study also include Dr. Suman Mor, Department of Environment Studies, Panjab University Chandigarh and Dr. Ravindra Khaiwal, Department of Community Medicine and School of Public Health, PGIMER, Chandigarh.  The jury members appreciated the work presented by Nitasha as it included robust statistical analysis and interpretation. She examined the extent and spread of heavy metal pollution in groundwater near a coal power plant. Arsenic and lead pollution were associated with identifiable human health risks, if used for drinking purposes.

Dr. Suman Mor, Chairperson, Department of Environment Studies, Panjab University Chandigarh, congratulated Nitasha for the prize. This conference was jointly organized by saving the Environment (STE), Kolkata and School of Interdisciplinary and Department of Trans-Disciplinary Studies, Indira Gandhi National Open University (IGNOU).

AWARDS TO VOLUNTEERS OF NSS-PU

Chandigarh September 20, 2021

Mohd. Amzad
Ms. Ritika Verma

It is a matter of great pride and honour for Panjab University that two volunteers of NSS-PU, Ms. Ritika Verma of Department of Anthropology, PU and Mohd. Amzad of Post Graduate Govt. College, Sector -11 are to be awarded in virtual ceremony on 24th September, 2021 by Ministry of Youth Affairs and Sports, Government of India.                 

Prof. Ashwani Koul, Programme Coordinator congratulated both the volunteers for the great accomplishment and appreciated them for outstanding performance. Prof. Koul further asked all volunteers to aspire more in life so as to reach these milestones and motivated them to contribute more in dealing with various societal and ecological issues. NSS team of Panjab University is always at forefront and consistently contributing significantly to society in all possible ways.

कॉंग्रेस के पहले दलित मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी 100 दिनों के लिए किसकी कुर्सी संभालेंगे ?

आजादी के बाद से राज्य पर शासन करने वाले 15 मुख्यमंत्रियों में से कोई भी दलित समाज से नहीं हुआ है। 1966 में राज्य के बंटवारे से पहले पंजाब के तीन मुख्यमंत्री हिंदू मूल के थे। उसके बाद से लगभग सभी मुख्यमंत्री (ज्ञानी जेल सिंह को छोड़कर) जट सिख समुदाय से हुए हैं। जो राज्य की आबादी का 19 फीसदी ही है. 1972 से 1977 तक राज्य के सीएम रहे ज्ञानी जैल सिंह ओबीसी समुदाय के रामगढ़िया समूह से ताल्लुक रखते थे।

चरणजीत सिंह चन्नी आज पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री बने। इंका कार्यकाल आने वाले 100 दिनों का होगा।

चंडीगढ़:

पंजाब का सियासी तूफान अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा। चरणजीत सिंह चन्नी के शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही सुनील जहद के एक ट्वीट ने हलचल मचा दी है जिसमें जकड़ ने पंजाब मामलों के कांग्रेस प्रभारी को शाब्दिक लताड़ लगाई है। ट्वीट के अनुसार रावत ने म्ख्यमंत्री शपथ से पहले ही मानों च्नावोन की घोषणा कर दी है और मुख्यमंत्री के इतर सिद्धू का महिमा मंडन किया है, जो कि न केवल अंचित है अपितु मुख्यमंत्री कि गरिमा को घटाने वाला भी है।

खूब बात यह है की चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पीछे केवल सिद्धू -कैप्टन की आपसी कलह है।

कॉंग्रेस पार्टी दावा कर रही है कि उन्होने पंजाब को पहला दलित मुख्यमंत्री दिया है। यह बात अलग है कि यह पद मात्र 100 दिनों के लिए ही है। कॉंग्रेस इसे आगामी चुनावों में शियाद/बसपा, आआपा और भाजपा पर अपनी विजय बता रहे हैं। लेकिन वह इन तीनों दलों कि तरह यह बताने में असमर्थ रहे हैं कि चन्नी ह आगामी चुनावों में पार्टी का चेहरा होंगे। यह पूछने पर कि चुनावों में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। यहाँ पर कॉंग्रेस मौन हैं।

शपथा समारोह में राहुल गांधी के आने की बात काही जा रही थी। 20 मिनट बाद भी राहुल गांधी की अनुपस्थिति में ही समारोह आरंभ हुआ। और शपथ ग्रहण पूरा होने त राहुल गांधी नहीं पहुंचे थे। बाद में सरकारी वक्तव्य में देरी का कारण महिंद्रा के बदले सोनी के नाम की कवायद को बताया गया। जो भी हो जब राहुल गांधी पहुंचे तब तक नए मुख्य मंत्री अपने दोनों उपमुख्य मंत्रियों के साथ सभागार से बाहर आ चुके थे। राहुल चरते प्लेन से आने के पश्चात भी देर से आए।

आज के इस शपथ समारोह से कैप्टन अमरीनद्र सिंह ने दूरी बनाए राखी। सोनिया गांधी द्वारा कैप्टन का इस्तीफा मांगा जाना कैप्टन को स्पष्ट संकेत था कि अब काँग्रेस में कैप्टन मान्य नहीं हैं। कैप्टन ने भी विधाया दल कि बैठक का बहिष्कार किया। महामहिम गवर्नर को त्यागपत्र सौंपने ए बाद कैप्टन ने पत्रकारों ओ संबोधित कराते हुए आहा था कि वह कॉंग्रेस पार्टी के शीर्ष परिवार से आहत हैं। अत: न्होने कॉंग्रेस पार्टी कि अंदरूनी कलह को विराम देने की कोशिश की।

कैप्टन के त्यागपत्र से सिद्धू का कद पार्टी के भीतर बढ़ गया। कल त श्जिंदर सिंह का नाम म्ख्यमंत्री के तौर पर सामने आ रहा था। सुख्जिंदर सिंह सिद्धू समर्थक उन 40 विधायकों में से थे जिनहोने कैप्टन के खिलाफ अविश्वास जताया था, और उन्हे कल तक उन्हे सिद्धू और शीर्ष परिवार द्वारा मुख्यमंत्री पद की कुर्सी बतौर इनाम दी जा रही थी। लेकिन कल ही उन्होने पुन: कैप्टन में आस्था जाता दी और न्हे अपना राजनाइत्क गुरु तक कह डाला। नतीजा कल ही मुख्यमंत्री के तौर पर चरणजीत चन्नी का नाम आगे ला दिया गया। दलील यह दी गाय की चन्नी दलित हैं।

पंजाब कॉंग्रेस में सिद्धू के बढ़ते कद के कारण ब्रह्म महिंद्रा कैप्टन के बेहद करीबी माने जाने वाले नेता को शपथ समारोह से एन पहले ओपी सोनी के साथ बादल दिया गया। यह भी आलाकमान द्वारा अमरेन्द्र सिंह को दिया गया दूसरा झटका है।

अब चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री के साथ ओपी सोनी और सुख्जिंदर सिंह ने उप मुख्यमंत्री की शपथ ली है। पंजाब में अब सिद्धू समर्थकों की बल्ले बल्ले है।

panchang

पंचांग, 20 सितंबर 2021

पूर्णिमा श्राद्ध को श्राद्धि पूर्णिमा तथा प्रोष्ठपदी पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इस बार श्राद्ध पूर्णिमा सोमवार 20 सितंबर को है। 21 सितंबर को श्राद्ध के दिन शुरू होंगे। पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। यह ध्यान देना आवश्यक है कि पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिए महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है, यह पितृ पक्ष का भाग नहीं है। सामान्यत: पितृ पक्ष, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से आरंभ होता है। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध, जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रोहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गए हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।

यह भी पढ़ें : कल से पितृ पक्ष होगा आरंभ जानें कौन-सी तिथि को किसका श्राद्ध करने का महत्व है

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः भाद्रपद़, 

पक्षःशुक्ल पक्ष, 

तिथिः पूर्णिमा अरूणोदय काल 05.25 तक है। 

वारः सोमवार, 

नक्षत्रः पूर्वाभाद्रपद रात्रि 04.02 तक हैं, 

योगः शूल अपराहन् काल 03.23 तक, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः कन्या चंद्र राशिः कुम्भ, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.12, सूर्यास्तः 06.16 बजे।

नोटः आज भाद्रपद पूर्णिमा, श्री सत्यनारायण व्रत व पूर्णिमा का श्राद्ध है। प्रोष्ठपदी-महालय श्राद्ध प्रारम्भ।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही, शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

कल से पितृ पक्ष होगा आरंभ जानें कौन-सी तिथि को किसका श्राद्ध करने का महत्व है

पूर्णिमा श्राद्ध को श्राद्धि पूर्णिमा तथा प्रोष्ठपदी पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इस बार श्राद्ध पूर्णिमा सोमवार 20 सितंबर को है। 21 सितंबर को श्राद्ध के दिन शुरू होंगे। पूर्णिमा श्राद्ध भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि को किया जाता है। यह ध्यान देना आवश्यक है कि पूर्णिमा तिथि पर मृत्यु प्राप्त करने वालों के लिए महालय श्राद्ध भी अमावस्या श्राद्ध तिथि पर किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है, यह पितृ पक्ष का भाग नहीं है। सामान्यत: पितृ पक्ष, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से आरंभ होता है। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध, जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रोहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गए हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।

धर्म/संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़ :

आइए जानते हैं कौन-सी तिथि को किसका श्राद्ध करने का महत्व है। 

आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पूरे 16 दिनों तक पूर्वजों का तर्पण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज किसी न किसी रूप में परिजनों के आसपास विचरणकरते रहते हैं। अत: इन तिथियों पर उनका श्राद्ध कर्म करना आवश्यक हो जाता है।

पूर्णिमा श्राद्धपूर्णिमा को मृत्यु प्राप्त जातकों का श्राद्ध केवल भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा अथवा आश्विन कृष्ण अमावस्या को किया जाता है। इसे प्रोष्ठपदी पूर्णिमा भी कहा जाता हैं। 

पहला श्राद्धजिस भी व्यक्ति की मृत्यु प्रतिपदा तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती है उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता है। प्रतिपदा श्राद्ध पर नाना-नानी के परिवार में कोई श्राद्ध करने वाला नहीं हो और मृत्यु की तिथि ज्ञात न हो तो उनका श्राद्ध प्रतिपदा को किया जाता है।

दूसरा श्राद्ध द्वि‍तीया श्राद्ध में जिस भी व्यक्ति की मृत्यु द्वितीय तिथि (शुक्ल/कृष्ण पक्ष) के दिन होती है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

तीसरा श्राद्ध जिस भी व्यक्ति की मृत्यु तृतीया तिथि के दिन होती है उनका श्राद्ध तृतीया के किया जाता है। इसे महाभरणी भी कहते हैं।

चौथा श्राद्ध शुक्ल/कृष्ण पक्ष दोनों में से किसी भी चतुर्थी तिथि को जिस भी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध चतुर्थ तिथि के दिन किया जाता है।

पांचवां श्राद्ध जिनकी मृत्यु अविवाहित स्थिति में हुई है उनके लिए पंचमी तिथि का श्राद्ध किया जाता है। यह कुंवारों को समर्पित श्राद्ध है।

छठा श्राद्ध षष्ठी तिथि पर जिस भी व्यक्ति की मृत्यु इस दिन होती है उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता है। इसे छठ श्राद्ध भी कहते हैं।

सातवां श्राद्धशुक्ल या कृष्ण किसी भी पक्ष की सप्तमी तिथि को जिस भी व्यक्ति की मृत्यु होती है, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।

आठवां श्राद्धयदि निधन पूर्णिमा तिथि को हुई हो तो उनका श्राद्ध अष्टमी, द्वादशी या पितृमोक्ष अमावस्या को किया जा सकता है।

नवमी श्राद्धयदि माता की मृत्यु हो गई हो तो उनका श्राद्ध मृत्यु तिथि को न कर नवमी तिथि को करना चाहिए। नवमी के दिन श्राद्ध करने से जातक के सभी कष्ट दूर होते हैं। जिन महिलाओं की मृत्यु की तिथि मालूम न हो, उनका भी श्राद्ध नवमी को किया जाता है।

दशमी श्राद्धदशमी तिथि को जिस भी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, उनका श्राद्ध महालय की दसवीं तिथि के इसी दिन किया जाता है।

एकादशी श्राद्धएकादशी तिथि को संन्यास लेने वाले व्य‍‍‍क्तियों का श्राद्ध करने की परंपरा है।

द्वादशी श्राद्धजिनके पिता संन्यासी हो गए हो उनका श्राद्ध द्वादशी तिथि को किया जाना चाहिए। यही कारण है कि इस तिथि को ‘संन्यासी श्राद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है।
त्रयोदशी श्राद्धश्राद्ध महालय के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को बच्चों का श्राद्ध किया जाता है।

चतुर्दशी श्राद्धजिनकी मृत्यु अकाल हुई हो या जल में डूबने, शस्त्रों के आघात या विषपान करने से हुई हो, उनका चतुर्दशी की तिथि में श्राद्ध किया जाना चाहिए।

अमावस्या श्राद्धसर्वपितृ अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध करने की परंपरा है। इसे पितृविसर्जनी अमावस्या, महालय समापन आदि नामों से जाना जाता है।