31 अगस्त तक यदि सरकार ने अनुमति नहीं दी तो खुद ही से मंडियाँ लगा दिन जाएंगी – चमन लाल
पंचकुला, 27 अगस्त:
कोविड-19 महामारी की मार सारा समाज झेल रहा है परंतु इस मार को झेलते झेलते मेहनतकश मजदूर वर्ग न केवल भुखमरी के कगार पर है बल्कि अब सरकारी प्रशासनिक और विभागीय उपेक्षा के कारण आत्महत्या करने को विवश हो रहा है । इनमें सब्जी उत्पादक किसान तथा पंचकूला में सप्ताह भर 4 अलग-अलग जगह सेक्टरों मेंअस्थाई मंडियां लगाकर फल और सब्जी बेचकर आजीविका चलाने वाले लोग ,इस कार्य से जुड़े छोटे ट्रांसपोर्ट आदि हजारों ऐसे लोग हैं जिन्हें अब अपना व्यवसाय पुनः शुरू करने की इजाजत नहीं मिल रही है।
इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के सैकड़ों प्रतिनिधि बहुत बार उपायुक्त ,विधायक एवं हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता नगर निगम के मेयर कुलभूषण गोयल ही नहीं हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के मुख्य प्रशासक से मिलकर मंडी लगाने की स्वीकृति देने की गुहार लगा चुके हैं परंतु दर-दर की इस तरह की ठोकरें खाने के बाद भी उन्हें न्याय और रोजगार दोनों नही मिल पा रहे हैं।हालात ये है कि संबंधित अधिकारी तथा प्रभावशाली लोग न तो उनकी सुनवाई कर रहे हैं न ही जनता की जरूरत और अपेक्षाओं पर गौर कर रहे हैं। शहर में अलग-अलग दिन और अलग-अलग जगह फल और सब्जी बिक्री की मंडी लगाने की जो व्यवस्था 1991 से सफलतापूर्वक चल रही थी अब उस व्यवस्था में कोविड-19 में संक्रमण का नाम लेकर न केवल बंद करने की साजिश की जा रही है बल्कि अव्यावहारिक और असंगत तरीके क्रियान्वित कर पहले से इस रोजगार में लगे पेशेवर मेहनतकश लोगों की रोटी रोजी छीनने मतलब उनकी आजीविका के मार्ग को अवरुद्ध कर उन्हें और उनके परिवारों को जिस तरह भगवान भरोसे छोड़ दिया जा रहा है वह बहुत दुखद है।
लगभग 5000 लोग मंडियों के इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं और रोजगार की व्यवस्था न होने के कारण आज उनकी सब तरह की चिंताएं बढ़ी हुई हैं।
उदाहरण लिए यह पर्याप्त है कि पडौस में चंडीगढ़ में सेक्टर 26 में सब्जी मंडी पूरे समय चल रही है। पंचकूला में सेक्टर 20 में सब्जी मंडी में मुट्ठी भर आढ़तियों की आड़ लेकर सैकड़ों लोग सुबह 10:00 बजे तक के रास्ते पर बैठकर फल और सब्जियां बेचते हैं।यह सब आपसी मिलीभगत के कारण हो रहा है । यह सब चल सकता है तो फिर पंचकूला सेक्टर 5 सेक्टर 15 सेक्टर 26 आदि की 4 साप्ताहिक मंडियां शुरू करने में विभाग प्रशासन और सरकार को क्या दिक्कत है ।इस मामले में खास बात यह भी है कि सप्ताहिक फल व सब्जी मंडियों को स्थानीय निवासियों ,रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का पूरा समर्थन प्राप्त है ।इन मंडियो के बंद होने के बाद जहां सब्जी उत्पादकों की उपज की दुर्गति हो रही है वही व्यवस्था बदलने से उपभोक्ताओं को सब्जी आदि पहले से ज्यादा महंगी मिलने लगी है ।लोग यह महसूस कर रहे हैं कि मंडियों की व्यवस्था के समय उन्हें घर के समीप और रीजनेबल दरों पर सारा सामान मिल जाता था अब उनकी भी दिक्कतें बढ़ गई हैं। लगता है इससे प्रशासन और सरकार को कोई सरोकार नहीं है और न जाने क्यों रोजगार तथा जन सुविधा की इस दिक्कत को लेकर प्रशासन क्यों जानबूझकर आंखें मूंदे बैठा है और एक तरह से गरीब मेहनतकश और पेशेवर लोगों को मानसिक और आर्थिक पीड़ा दे रहा है। लगभग 1 वर्ष से बेरोजगारी बेकारी और मानसिक उत्पीड़न झेल रहे मंडियों के उपरोक्त व्यवसाय से जुड़े हजारों लोग सरकार से यह सवाल कर रहे हैं कि वह आजीविका के लिए क्या करें और कहां जाएं। इन्ही सभी लोगों ने विचार विमर्श के बाद अब यह निर्णय लिया है कि प्रशासन और विभाग को आगामी 31 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया जाए। सरकार मतलब प्रशासन ने इस अवधि तक मंडिया चलाने की इजाजत नहीं दी तो फिर एसोसिएशन धरना प्रदर्शन करने और फिर बिना मंजूरी के मंडी लगाने को मजबूर होंगी।