सामान नागरिक संहिता को लागू करने की ओर कदम बढ़ाए केंद्र सरकार – दिल्ली उच्च न्यायालय

यूसीसी (Uniform Civil Code) के मुद्दे को मुसलिम समुदाय के ख़िलाफ़ प्रचारित किया जाता है। लेकिन मुसलिम समुदाय ही नहीं बल्कि ईसाई प्रतिनिधि भी यूसीसी का विरोध करते रहे हैं। पारसी समुदाय संख्या में ज़रूर छोटा है लेकिन आर्थिक और शैक्षिक रूप से बहुत समृद्ध है। क्या यूसीसी पर ईसाई और पारसी समुदाय से कोई राय-मशविरा किया जाएगा? सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि समान नागरिक संहिता में क़ानूनों की समानता का आधार क्या होगा? क्या यह बहुसंख्यक समाज यानी हिंदू धर्म की मान्यताओं के आधार पर होगा, जैसाकि ईसाई और मुसलिम धर्मगुरुओं की आशंका है? अथवा यूसीसी क़ानून आधुनिक और पश्चिमी मान्यताओं के आधार पर होगा? अगर ऐसा होता है तो यूसीसी जवाहरलाल नेहरू और डॉ. आंबेडकर के विचारों वाला होगा। क्या नरेंद्र मोदी, नेहरू और आंबेडकर के सपनों का यूसीसी लाएँगे? दरअसल, नरेंद्र मोदी का यूसीसी हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि हिंदुत्व के मानकों पर आधारित होगा। तब अल्पसंख्यकों की आशंका को निर्मूल कैसे कहा जा सकता है?

  • दिल्ली हाई कोर्ट ने समान नागरिक संहिता के पक्ष में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है
  • इसके साथ ही, देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है
  • सभी धर्मों के लिए अलग-अलग पर्सनल लॉ की जगह एक कानून लागू करने की मांग लंबे समय से हो रही है
  • एस स समय हो रहा है जब महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को शरीया कानून ‘ The Prophet Act‘ लागू करने की जोरदार कोशिश की जा रही है।

दिल्ली(ब्यूरो):

आज दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारत सरकार को निर्देश द्ये हैं की भारत में सामान नागरिक संहिता लागू करने की ओर कदम बढ़ाए। हर बार न्यायपालिका का दर दिखा कर अपने ही चुनावी मुद्दों से भटकने वाली या कहें की टालमटोल करने वाली राजनीति करने वाली केंद्र सरकार अब क्या ब्यान देती है?

UCC के संबंध कोर्ट के प्रेक्षण:

मीणा समुदाय के दो पक्षों के बीच उत्पन्न विवाद पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिंह ने कहा कि अदालतों को कई बार पर्सनल लॉ से उत्पन्न हुए संघर्षों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग समुदाय, जाति अथवा धर्म के जो लोग वैवाहिक संबंध स्थापित करते हैं उन्हें इन पर्सनल लॉ के कारण विवादों से गुजरना पड़ता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के युवाओं को बार-बार (खासकर शादी और तलाक के मुद्दे पर) असमानता से जुड़े इन मुद्दों से जूझने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

दिल्ली हाई कोर्ट कि टिप्पणी

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने फैसला सुनाते हुए टिप्पीणी की, ‘आज का हिंदुस्तान धर्म, जाति, कम्युनिटी से ऊपर उठ चुका है। आधुनिक भारत में धर्म, जाति की बाधाएं तेजी से टूट रही हैं। तेजी से हो रहे इस बदलाव की वजह से अंतरधार्मिक अंतर्जातीय विवाह या फिर विच्छेद यानी डाइवोर्स में दिक्कत भी आ रही है। आज की युवा पीढ़ी को इन दिक्कतों से जूझना न पड़े इस लिहाज से देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए। आर्टिकल 44 में यूनिफॉर्म सिविल कोड की जो उम्मीद जताई गई थी, अब उसे केवल उम्मीद नहीं रहना चाहिए बल्कि उसे हकीकत में बदल देना चाहिए।’

हाई कोर्ट ने 1985 में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी एक निर्देश का हवाला देते हुए निराशा जताई कि तीन दशक बाद भी इसे गंभीरता से नहीं लिया गया है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने भी गोवा के यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ की थी। बतौर सीजेआई गोवा में हाई कोर्ट बिल्डिंग के उद्घाटन के मौके पर चीफ जस्टिस ने कहा था कि गोवा के पास पहले से ही ऐसा यूनिफॉर्म सिविल कोड है जिसकी कल्पना संविधान निर्माताओं ने की थी। बहरहाल, आइए जानते हैं कि आर्टिकल 44 में क्या है जिसका उल्लेख दिल्ली हाई कोर्ट ने किया है…

क्या कहता है आर्टिकल 44
संविधान के भाग चार में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत का वर्णन है। संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 के जरिए राज्य को विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर सुझाव दिए गए हैं और उम्मीद की गई है कि राज्य अपनी नीतियां तय करते हुए इन नीति निर्देशक तत्वों को ध्यान में रखेंगी। इन्हीं में आर्टिकल 44 राज्य को उचित समय आने पर सभी धर्मों लिए ‘समान नागरिक संहिता’ बनाने का निर्देश देता है। कुल मिलाकर आर्टिकल 44 का उद्देश्य कमजोर वर्गों से भेदभाव की समस्या को खत्म करके देशभर में विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच तालमेल बढ़ाना है।

संविधान सभा में प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान निर्माण के वक्त कहा था कि समान नागरिक संहिता अपेक्षित है, लेकिन फिलहाल इसे विभिन्न धर्मावलंबियों की इच्छा पर छोड़ देना चाहिए। इस तरह, संविधान के मसौदे में आर्टिकल 35 को अंगीकृत संविधान के आर्टिकल 44 के रूप में शामिल कर दिया गया और उम्मीद की गई कि जब राष्ट्र एकमत हो जाएगा तो समान नागरिक संहिता अस्तित्व में आ जाएगा।

डॉ. आंबेडकर ने संविधान सभा में दिए गए एक भाषण में कहा था, ‘किसी को यह नहीं मानना चाहिए कि अगर राज्य के पास शक्ति है तो वह इसे तुरंत ही लागू कर देगा…संभव है कि मुसलमान या इसाई या कोई अन्य समुदाय राज्य को इस संदर्भ में दी गई शक्ति को आपत्तिजनक मान सकता है। मुझे लगता है कि ऐसा करने वाली कोई पागल सरकार ही होगी।’

International Webinar on Newer Markers of Breast Cancer and Associated Bone Metastasis in Women by PU

Chandigarh July 9, 2021

University Institute of Pharmaceutical Sciences (UIPS), Panjab University, Chandigarh organised an International Webinar on “The ZNF217 oncogene is a key mediator and early indicator of metastasis in breast cancer” under UIPS Expert Talk series, today.

Professor Indu Pal Kaur, Chairperson UIPS, extended a cordial welcome and introduced the renowned speaker Professor Pascale A. Cohen who is currently a Professor in Molecular Biology and Biotechnology Faculty of Pharmacy University of Lyon, France. Professor Indu Pal Kaur and Professor Pascale A. Cohen were US Fulbright colleagues.

Chief Guest, Professor Amanjit Bal, Department of Histopathology, PGIMER, Chandigarh, sensitised the audience about the rising cases of breast cancer which has surpassed cervical cancer. She emphasised that the mechanism underlying metastasis is still unexplored and there is a dire need for more targets which can be utilised for the development of therapies. 

Professor Pascale A. Cohen shared the contribution of her group, one of the leader teams in the “Zinc-Finger Protein 217 (ZNF217)” field, in deciphering ZNF217’s driven deleterious functions and biomarker value in breast cancer. Her talk focussed mainly on recent research on ZNF217-driven molecular functions in human breast cancers, revisiting major hallmarks of cancer and highlighting the ZNF217’s downstream molecular targets and signaling pathways. She apprised the audience that ZNF217 is a new indicator for the emergence of bone metastasis, and future therapies targeting ZNF217 may be beneficial for patients by preventing the development of bone metastases.

 The talk was followed by an extensive Q&A session and was concluded successfully with a vote of thanks by the Chairperson Professor Indu Pal Kaur and Professor Poonam Piplani. Almost 140 participants joined the webinar and included students, researchers, UIPS and PU faculty and distinguished guests.

Police Files, Chandigarh – 09 July

‘Purnoor’ Korel, CHANDIGARH – 09.07.2021

One arrested under NDPS Act

Chandigarh Police arrested Ravi R/o # 6402/B, Sector-56, Chandigarh (Age 35 years) and recovered 7 gm heroin from his possession near Satsang Bhawan, Maloya Colony, Chandigarh on 08.07.2021. A case FIR No. 93, U/S 21 NDPS Act has been registered in PS-Maloya, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

One arrested under Arms act

Chandigarh Police arrested Rahul Kumar R/o # 1133, Rajiv Colony, Sector-17, Panchkula, (HR)  (age 28 years) and recovered one knife from his possession near light point Hallo Majra to Vikas Nagar Road, Chandigarh on 07.07.2021. A case FIR No. 78, U/S 25-54-59 Arms Act has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

One arrested for MV theft

Daya Shankar R/o # 391/A, Small Flats, Dhanas, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s Activa Scooter No. CH01BB3916 parked near his residence on the night intervening 30/06-01-07-2021. Later a person namely  Dhan Kumar @ Dhanni R/o # 85 Village- Dhanas, Chandigarh (age 32 years) has been arrested in this case. A case FIR No. 72, U/S 379, 411 IPC has been registered in PS-Sarangpur, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Cheating

          A case FIR No. 91, U/S 420, 120B IPC has been registered in PS-11, Chandigarh on the complaint of Tarsem Lal R/o # 308, Block-B, Adarsh Nagar, Naya Gaon (PB) who reported that persons namely Sarda Bhargav, Mr. Nirmal, Mr. Khullar, Mr. Rohit Walia, Madan Shukla and others cheated complainant Rs. 48,46,864/- in the name of investment in Davis Club and other companies. Investigation of the case is in progress.

                A case FIR No. 92, U/S 420, 120B IPC has been registered in PS-11, Chandigarh on the complaint of Sandeep Kumar Sindhu R/o # 2428/3, Sector-24/C, Chandigarh who reported that Pooja Plantation, Nanhera Link Road, Kuldeep Nagar, Ambala taken Rs. 6,84,800/- through online transactions for providing Axocasan G4 Extract but alleged person neither provided the product and nor return his money. Investigation of the case is in progress.

                A case FIR No. 123, U/S 419, 420, 120B IPC has been registered in PS-36, Chandigarh on the complaint of Netram Meena R/o # 2288, Sector-42/C, Chandigarh who reported that a girl on facebook messenger expressed her desire to come to India for donating money. Later complainant got a call from her that she reached on airport and got deposited Rs. 1.06 lakh from complainant’s account in the name of custom clearance. Investigation of the case is in progress.

MV Theft

Bhupinder Singh R/o # 147 colony No. 2, Khudda lahora, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s two E-Rickshaw’s No. CH-01TE-2539, HR-2021TR-0384F while parked near his house on the night intervening 03/04-07-2021. A case FIR No. 73, U/S 379 IPC has been registered in PS-Sarangpur, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

A lady resident of Sector-41, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s Activa Scooter No. CH-01AE-3931 from parking Mandi Ground, Sector-40, Chandigarh on 03-07-2021. A case FIR No. 182, U/S 379 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Ashish Kumar R/o # 15, Shivalik Vihar, Naya gaon (PB) reported that unknown person stole away complainant’s Activa Scooter No. PB-65AY-6691 from parking Nukkad Dhaba, Sector-22, Chandigarh on 03-07-2021. A case FIR No. 106, U/S 379 IPC has been registered in PS-17, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Jatin Mandal R/o # 1029, Sector-45, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s Mahindra Pick Up No. CH-01TA-0186 parked near # 2205, Sector-45, Chandigarh on 08-07-2021. A case FIR No. 108, U/S 379 IPC has been registered in PS-34, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Snatching

A lady resident of Kalka (HR) reported that two unknown persons occupants of motor cycle snatched away hand bag containing mobile phone, ATM card, Aadhar card and cash Rs. 300/- near BSNL turn, Manimajra, Chandigarh on 08-07-2021. A case FIR No. 122, U/S 379A, 34 IPC has been registered in PS-MM, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Theft

Jai Kumar R/o # 2517, DMC, Chandigarh reported that complainant’s nephew stole away gold & silver jewelry, piggy banks, two mobile phones & cash Rs. 28,000/- from his house on 04.07.2021. A case FIR No. 94, U/S 380 IPC has been registered in PS-Maloya, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

माधोक के विद्यार्थी परिषद ने किया 73वें वर्ष में प्रवेश

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़ :

आज से ठीक 72 वर्ष पहले यानि 9 जुलाई 1949 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता प्रो बलराज मधोक ने स्थापना की।
संघ परिवार के सदस्यों मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को अग्रज की संज्ञा दी जाए तो गलत न होगा। इसके बाद ही शिक्षा परिषद , जनसंघ और अन्य संस्थान अस्तित्व में आये । भारतीय जनता पार्टी का सृजन तो आपातकाल के बाद किया गया।

दृढ़ निश्चयी , अनुशासित, राष्ट्रवाद के पुरोधा, विचारक आदि नाना प्रकार के गुणों से प्रोत मधोक को भले ही उतना महत्व न दिया जाता हो लेकिन तथा कथित राष्टवादी और हिन्दूवादी संगठनों द्वारा उठाये जा रहे मुद्दे असल मे उन्हीं की देन हैं।

भारत पर गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने की माँग करने वाले बलराज मधोक पहले शख़्स थे. उन्होंने पूरे भारत में घूम कर गौ हत्या विरोध का माहौल बनाने की कोशिश की थी। वो पहले नेता थे जिन्होंने 1968 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद हिंदुओं के हवाले करने की माँग उठाई थी, उसके बदले में उन्होंने हिंदुओं द्वारा मुसलमानों के लिए उसके बदले एक भव्य मस्जिद बनाने की पेशकश की ।

“मुसलमानों को भारत की मुख्यधारा में लाने की ज़रूरत है.

उदारवादी बलराज मधोक ने कहा था, “मुसलमानों को भारत की मुख्यधारा में लाने की ज़रूरत है. उसके लिए दो क़दम ज़रूरी है. पहला क़दम ये है कि उनके दिमाग से निकालो कि मुसलमान बनने के कारण तुम्हारी संस्कृति बदल गई. संस्कृति तुम्हारी वही है जो भारत की है. भाषा तुम्हारी वही है जो तुम्हारे माँ बाप की थी। उर्दू हिंदी का एक स्टाइल है, मैं भी उसे पसंद करता हूँ, क्योंकि मेरी शिक्षा भी उर्दू मे हुई है. लेकिन उर्दू मेरी भाषा नहीं है, मेरी भाषा पंजाबी है”।

भारत विभाजन के विरोधी मधोक ने 1947 में हुए भारत विभाजन को कभी स्वीकार नहीं किया और जीवनभर हर मंच पर उसका विरोध करते रहे और अखंड भारत का सपना देखते रहे।

सांझा संस्कृति की बात भारत विभाजन के साथ ही समाप्त हो गयी थी।

मधोक का कहना था, “दुर्भाग्य ये हुआ कि उस समय हमने विभाजन तो स्वीकार कर लिया लेकिन उससे निकलने वाले परिणामों को अनदेखा कर दिया. विभाजन ने दो बातें साफ़ कर दीं, ये जो साझा संस्कृति को जो बात थी वो ख़त्म हो गई। हर मुल्क की साझा संस्कृति होती है लेकिन कोई इसे साझा नहीं कहता। “गंगा के अंदर अनेक नदियाँ मिलती हैं , लेकिन मिलने के बाद गंगा जल हो जाता है. ये गंगा – जमुनी की बात ग़लत है। जब जमुना गंगा मे मिल जाती है तो कोई गंगा के पानी को गंगा -जमुनी पानी नहीं कहता, वह गंगाजल कहलाता है।”

भले ही अपनी बेबाकी की वजह से संघ के राजनीतिक पटल पर अड़ियल कार्यकर्ता के रूप में दिखे और छद्दम संघियों की राजनीति का शिकार हुए लेकिन प्रो बलराज मधोक के योगदान अविस्मरणीय हैं।

Panchang

पंचांग 09 जुलाई 2021

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में अमावस्या पड़ती है। अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है और आषाढ़ माह की अमावस्या 9 जुलाई, 2021 को है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से घर में रहकर ही स्नान करने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें। स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान जरूर करें। आषाढ़ अमावस्या पर कुछ उपाय करने से पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। 

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः आषाढ़, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः अमावस तिथि की वृद्धि है जो कि (शनिवार को प्रातः 6.47 तक है ), 

वारः शुक्रवार, 

नक्षत्रः आद्र्रा रात्रि 11.14 तक हैं, 

योगः धु्रव सांय 04.45 तक, 

करणः चतुष्पद, 

सूर्य राशिः मिथुन, 

चंद्र राशिः मिथुन, 

राहु कालः प्रातः 10.30 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक 

सूर्योदयः05.34, 

सूर्यास्तः07.18 बजे।

नोटः आज आषाढ़ अमावस, पितृ कार्येषु है।

विशेषः आज पश्चिम दिशा की यात्रा न करें। शुक्रवार को अति आवश्यक होने पर सफेद चंदन, शंख, देशी घी का दान देकर यात्रा करें।

पितृ दोष और कालसर्प योग से मुक्ति दिलाती है आषाढ़ अमावस्या

हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में अमावस्या पड़ती है। अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व होता है। इस समय आषाढ़ का महीना चल रहा है और आषाढ़ माह की अमावस्या 9 जुलाई, 2021 को है। अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान का बहुत अधिक महत्व होता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस की वजह से घर में रहकर ही स्नान करने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान करें। स्नान करते समय मां गंगा का ध्यान जरूर करें। आषाढ़ अमावस्या पर कुछ उपाय करने से पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। 

धर्म/संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़ :

आषाढ़ अमावस्या पर कुछ उपाय करने से पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। 

कालसर्प दोष

  • ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुंडली में जब राहु और केतु के मध्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण हो जाता है। कालसर्प दोष की वजह से व्यक्ति को जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 
  • उपाय – कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के पावन दिन विधि- विधान से भगवान शिव की पूजा- अर्चना करनी चाहिए। इस दिन दूध, गंगा जल, इत्यादि से भोलेनाथ का अभिषेक करें। भोलेनाथ को भोग भी लगाएं और उनकी आरती करें। भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। 

पितृ दोष

  • ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें और दसवें भाव में सूर्य राहु या सूर्य शनि की युति बनने पर पितृ दोष लग जाता है। सूर्य के तुला राशि में रहने पर या राहु या शनि के साथ युति होने पर पितृ दोष का प्रभाव बढ़ जाता है। इसके साथ ही लग्नेश का छठे, आठवें, बारहवें भाव में होने और लग्न में राहु के होने पर भी पितृ दोष लगता है। पितृ दोष की वजह से व्यक्ति का जीवन परेशानियों से भर जाता है। 
  • पितृ दोष उपाय-  इस दोष से मुक्ति के लिए अमावस्या के दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों का स्मरण कर पिंड दान करना चाहिए और अपनी गलतियों के लिए माफी  भी मांगनी चाहिए।

आषाढ़ मास में की जाने वाली पूजा का जीवन में शुभ फल प्राप्त होता है।  मान्यता है कि भगवान विष्णु को आषाढ़ मास प्रिय है।  इस मास में भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में आने वाली परेशानियां दूर होती हैं और सुख समृद्धि प्राप्त होती है।  आषाढ़ मास में अमावस्या की तिथि को विशेष महत्व दिया गया है।  इस अमावस्या को अलग अलग स्थानों पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है-

  • आषाढ़ अमावस्या
  • हलहारिणी अमावस्या
  • अषाढ़ी अमावस्या

आषाढ़ मास की अमावस्या का संबंध कृषि से भी है।  आषाढ़ मास की ये अमावस्या जीवन में कृषि और अन्न की अहमियत को बताी है।  इसी कारण इसे हलहारिणी अमावस्या भी कहा जाता है।  इस दिन कृषि कार्य से जुड़े लोग कृषि कार्य में प्रयोग में लाए जाने वाले उपकरणों की पूजा की जाती है।  मुख्यत: इस दिन हल की पूजा की जाती है।  कृषक इस दिन अच्छी फसल की कामना करते हैं। 

ज्योतिष विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अमावस्या तिथि पर एक वृक्ष लगाया जाए तो वो बहुत पुण्यदायी होता है।  इससे पितर बहुत प्रसन्न होते हैं और जैसे जैसे वो पौधा बढ़ता जाता है, वैसे वैसे जीवन की तमाम समस्याएं दूर होती जाती हैं. लेकिन इन पौधों को लगाने के बाद इनकी सेवा भी करनी चाहिए।  यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है, तो आपको अमावस्या के दिन उनके निमित्त पौधे लगाने चाहिए ताकि उनको सद्गति प्राप्त हो और परिवार को पितरों का आशीर्वाद मिल सके।  जानिए उन पौधों के बारे में जिन्हें अमावस्या पर लगाना शुभ माना जाता है। 

पीपल

पीपल के वृक्ष को सनातन धर्म में पूज्यनीय माना गया है।  भगवान कृष्ण ने इसे कलयुग में अपना साक्षात अवतार बताया है।  पितरों को शांति देने के लिए अमावस्या पर इसे लगाना विशेष शुभ माना जाता है।  इसके अलावा अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाना भी काफी शुभ होता है।  अगर कुंडली में गुरु चांडाल योग हो तो पीपल जरूर लगाना चाहिए। 

बरगद

बरगद को शास्त्रों में मोक्षदायी वृक्ष माना जाता है।  अमावस्या के दिन इसे लगाने से पितरों को सद्गति प्राप्त होती है ​और उसका परिवार खूब फलता फूलता है. परिवार के सदस्यों की उम्र बढ़ती है. । इस दिन बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर महादेव की पूजा करना भी काफी शुभ माना जाता है. पूजा के बाद वृक्ष की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए। 

बेल

बेल का वृक्ष महादेव का प्रिय वृक्ष माना जाता है।  अमावस्या के दिन इसे लगाने से पितृ तृप्त होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।  इसके अलावा शिवलिंग पर पितरों के नाम से गंगाजल अर्पित करके बेलपत्र चढ़ाने से भी पितरों को शांति मिलती है। 

तुलसी

तुलसी के पौधे को भी बैकुंठ ले जाने वाला पौधा माना जाता है।  अमावस्या के दिन पितरों के नाम से इस पौधे को लगाना बहुत अच्छा माना जाता है. इससे पितरों को मुक्ति मिलती है।  यदि पितृ पक्ष में तुलसी के पौधे को लगाया जाए तो ये और भी शुभ होता है।  कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है।  वहां वास्तु दोष खत्म हो जाता है और परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। 

वन-टाईम रजिस्ट्रेशन के नाम पर बेरोजगारो से एचएसएससी ने किए करोड़ो रूपए इक्टठें: सुरेंन्द्र राठी

  • गलत नीतियों और फैसलों के कारण बेरोजगारी में बेतहाशा इजाफा
  • जुमला नही युवाओं को चाहिए रोजगार

पंचकूला:

आम आदमी पार्टी पंचकूला के जिला अध्यक्ष सुरेन्द्र राठी ने कहा कि प्रदेश व केन्द्र सरकार की गलत नीतियों और फैसलों के कारण बेरोजगारी में बेतहाशा इजाफा हुआ है और महंगाई चरम सीमा पर है बेरोजगार युवाओं पर दोहरी मार पड़ रही है। एक तो उनके पास रोजगार नहीं है बेरोजगार होने की वजह से रोटी खाने के लाले पड़े हुए है। बेरोजगारी के कारण प्रदेश का युवा सड़को पर है। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने बेराजगार युवाओं से नौकरी के नाम पर रजिस्ट्रेशन के नाम पर 500 रूपए फीस रखी है। प्रदेश का गरीब बेरोजगार 500 रूपए कहा से जमा करवाएगां। वन-टाईम रजिस्ट्रेशन के नाम पर एसएसएससी ने करोड़ो रूपए इक्टठें कर लिए है।

जिस देश के आम आदमी के पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा हो। सरकार से आप रोजगार की उम्मीद कैसे कर सकते है। युवाओ को रोजगार देना तो दूर की बात, केंद्र सरकार ने केवल महंगाई को काबू कर पाने में नाकामयाब रही है। आकंड़ो के अनुसार मई में जहां शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर 14.7 फीसदी है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में यह 10.6 फीसदी है। जहां तक राज्यों की बात है तो एक समय में औद्योगिक हब कहा जाने वाला हरियाणा आज बेरोजगारी में नंबर एक पर आ गया है। सीएमआईइ की रिपोर्ट के अनुसार सभी राज्यों में हरियाणा बेरोजगारी के मामले में सबसे आगे है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में बेरोजगारी दर 35 फीसदी हो चुकी है और बेरोजगारी के मामले में हरियाणा पूरे हिंदुस्तान में नंबर एक पर आ गया है। बेरोजगारी को देखते हुए आम आदमी पार्टी शुक्रवार 9 जुलाई 2021 को पूरे हरियाणा में हर विधानसभा पर प्रदर्शन करेंगी। इसी संदर्भ में पंचकूला में भी बेरोजगारी को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रही है।

… महंगाई डायन खाये जात है

पुरनूर’ कोरेल, चंडीगढ़/पंचकुला इनपुट : नारायण गढ़, अंबाला, जगाधरी, नूह

हरियाणा कांग्रेस सरकार के विरुद्ध सड़को पर उतर आई है, कारण है बढ़ती महंगाई।
परसों यानी 10 जुलाई को पंचकूला सहित कई जिलों में महंगाई के खिलाफ साइकिल रैली का आयोजन किया जा रहा है। अम्बाला में इसी कड़ी में 15 जुलाई को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की मांग को लेकर प्रदेश के सभी पेट्रोल पंपों पर आम जनता से हस्ताक्षर लिए जाएंगे।

आम आदमी पार्टी के पंचकूला जिलाध्यक्ष सुरेंद्र राठी ने भाजपा सरकार को बिल्कुल नाकारा और नाकामयाब बताया है। भाजपा के कार्यकाल के दौरान ब्लैक मार्केटिंग और जमाखोरी पर कोई लगाम नहीं कसी जा रही। डीजल पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और अन्य वस्तुओं पर जी एस टी के अलावा उपकर लगा कर सरकार स्वयं महंगाई को बढ़ावा दे रही है। स्थिति यह है कि कुछ मध्यम वर्ग के परिवार अब गरीबी की रेखा से नीचे पहुँच गए हैं। इधर कांग्रेस भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में पीछे है और आम आदमी पार्टी विपक्ष की भूमिका निभा रही है।

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी रहे चन्द्रमोहन से इस बाबत वक्तव्य लेने के लिए कई बार सम्पर्क करने के बाद उन्होंने ने वक्तव्य देने की बजाए कहा कि वह व्यस्त हैं इसलिए 10 जुलाई साइकिल रैली में ही आ जाना ।


एस के जैन जो कि लेखक और स्तम्भकार हैं कहीं न कहीं कोरोना, बढ़ती जनसंख्या और अंतराष्ट्रीय बाजार में तेजी को मानते हैं।

रेसिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन सेक्टर16 के महा सचिव सुभाष पपनेजा मानते हैं कि सरकार के पास आय का स्रोत है कर लगाना जो जायज भी है लेकिन कर भी विवेकपूर्ण ढंग से लगाया जाए कि सरकार को आय भी हो और जनता की कमर भी न टूटे।

सेक्टर 6 में फ़ूड कॉर्नर चलाने वाले जसविंदर सिंह मानते हैं कि इस समस्या से पार पाने के लिए जनता को सत्ता परिवर्तन के लिए कदम उठाने चाहिए। एक ओर कोरोना की मार से आमदनी के साधन सीमित हो गए हैं उस पर महंगाई की मार से दाल रोटी चलाना मुश्किल हो गया है।

दूसरी ओर हरियाणा भाजपा की प्रवक्ता रंजीता मेहता ने बढ़ती महंगाई का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराया। रंजीता की सुनें तो पिछली सरकार ने ऑइल बॉन्ड खरीद कर भाजपा सरकार पर बोझ डाला है।ऑइल बॉन्ड का ब्याज ही इतना ज़्यादा है कि पेट्रोल डीजल की किमतें बढ़ती जा रही हैं और नतीजन हर वस्तु पर इसका असर हो रहा है।

जैसा कि आप जानते हैं कि खाद्य वस्तुओं की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस नेता किरण बाला जैन की अगुवाई में कांग्रेसियों ने सरकार के खिलाफ थालियां बजाकर रोष जताया। जगाधरी गेट पर एकजुट हुए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मुख्य बाजार में थालियां व बेलन बजाकर दुकानदारों को भी महंगाई के खिलाफ एकजुट होने का संदेश दिया।ऐसे ही महिला कार्यकर्ता थाली, चम्मच व बेलन आदि लेकर जगाधरी गेट पर पहुंची थी। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष वकील रोहित जैन ने कहा कि कांग्रेस अब केंद्र सरकार के खिलाफ जनविरोधी नीतियों को लेकर लगातार आवाज उठाती रहेगी।

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हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के उप नेता व नूंह विधायक चौधरी आफताब अहमद की अगुवाई में बुधवार को मेवात कांग्रेस की अलग अलग इकाईयों ने जिला मुख्यालय पर बीजेपी सरकार के खिलाफ खाद्य पदार्थों की लगातार मूल्य वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन किया। कांग्रेसी कार्यकर्ता जिला मुख्यालय से पैदल मार्च करते हुए शहर के मुख्य बाजार पहुंचे जहां घंटों तक बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे।


अहमद ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के आह्वान पर ये प्रदर्शन किया गया और उनके नेतृत्व में जब तक कांग्रेस प्रदर्शन करती रहेगी जब तक बीजेपी सरकार को महंगाई कम करने के लिए बाध्य नहीं कर दिया जाता। बीजेपी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए सीएलपी उप नेता चौधरी आफताब अहमद ने कहा कि एक तरफ लोग कोरोना से त्रस्त हैं तो दूसरी तरफ महंगाई से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पिछले एक साल में पेट्रोल व डीजल पर 20 रुपए प्रति लीटर पर बढ़ाए हैं जो शर्मनाक है। रसोई गैस 414 रुपए से बढ़कर 910 रुपए प्रति सिलेंडर बीजेपी सरकार में हो गया है तो सरसों के तेल के दाम कांग्रेस सरकार में 52 रुपए प्रति किलो थे तो आज बीजेपी राज में 180 रुपए पहुंच गए हैं।

राजकीय उच्चतर आदर्श माध्यमिक विद्यालय 35 में पौधरोपन कर मनाया वन महोत्सव

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम संवाददाता :

राजकीय उच्चतर आदर्श माध्यमिक विद्यालय 35, चंडीगढ़ में स्कूल केमूख्याध्यापक देवेंद्र गोसाईं द्वारा लक्ष्मी तरु का पौधा लगाकर वन महोत्सव की शुरुआत की गई। इसके साथ ही विद्यालय के प्रांगण में अंजीर, महुआ, बड़हल (धेहु या टेहु) और महोगनी के आयुर्वेदिक औषधीय गुणों से भरपूर कईं प्रजातियों के पौधे रोपित किये गये।

इस वन महोत्सव कार्यक्रम में स्कूल के अध्यापकों, विद्यालय प्रबंधन कमेटी के सदस्यों और चतुर्थ श्रेणी के सभी कर्मचारियों ने भाग लिया। वन महोत्सव कार्यक्रम में उपस्थित सभी को जागरूक करते हुए विद्यालय के मुख्याध्यापक देवेंद्र गोसाईं ने कहा हमें जब भी समय मिले पौधारोपण कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए ताकि पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाया जा सके। इतना ही नहीं हमें पेड़-पौधों की देखभाल बच्चों की तरह करनी चाहिए। पेड़-पौधे बादलों को आकर्षित करते हैं इसलिये जहां पेड़-पौधे अधिक होते है वहां वर्षा भी अधिक होती है।

         वहीँ विद्यालय के खेल अध्यापक कुलदीप मेहरा ने बताया कि वह कईं वर्षों से पौधारोपण करते आ रहें है। वह अब तक हजारों पौधें लगा चुके है।

उन्होंने बताया कि वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाता है।  जो 1960 के दशक  में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन था। तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने इसका सूत्रपात किया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य मानव द्वारा निर्मित वनों का क्षेत्रफल बढ़ाना एवं जनता में वृक्षारोपण की प्रवृत्ति पैदा करना। इसलिए हमें वन महोत्सव में स्कूल, कॉलेजों, सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ घर के आंगन में जहाँ भी उचित जगह मिलें वहां पर अधिकाधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिये।

लगायें गये औषधीय पौधों की विशेषताऐं:

लक्ष्मी तरु:-
यह पौधा मुलत: उत्तरी अमेरिका का पेड़ है। इसके बीजों से खाद्य तेल बनता है। इसे “स्वर्ग का पेड़” (पैराडाइज ट्री) कहा जाता है। भारत में यह पेड़ सबसे पहले 2006 में आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर जी ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा लगवाया गया था। इस पेड़ के पत्तों से जहां सेकंड स्टेज तक के कैंसर का खात्मा संभव है, वहीं आंखों के रोग, एनीमिया, अंदरूनी फोड़ा, रक्तस्राव, पाचन प्रणाली, गैस एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, डायरिया, कोलाइटिस, चिकन गुनिया, हेपेटाइटिस, मलेरिया, फीवर, मासिक धर्म, सफेद पानी समेत अनेक रोगों को भी बहुत जल्द ठीक करता है। लक्ष्मी तरु पेड़ की कुछ पत्तियां मात्र एक कप पानी में उबाल कर खाली पेट पानी पीना होता है।

अंजीर:-
ऐसा माना गया है कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे पुराने फलों में से एक अंजीर भी है। यह अत्यंत स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर फल होता है जब औरतों में प्रेगनेंसी के दौरान खून की कमी हो जाती है डॉक्टर भी अंजीर खाने का सुझाव देते है क्योंकि अंजीर में विटामिन ए, बी1, बी2, कैल्शियम, आयरन और फास्फोरिक जैसे कई लाभकारी तत्व पाए जाते हैं। इसे फल और ड्राईफ्रूट दोनों प्रकार से खाया जाता है। यह फल मुख्यतः भारत ओर यदि विश्व की बात करें तो यह प्रमुखतः दक्षिणी तथा पश्चिमी अमरीका और मेडिटेरेनियन तथा उत्तरी अफ्रीकी देशों में उगाया जाता है।

महुआ:-
महुए का फूल, फल, बीज, छाल, पत्तियाँ सभी का आयुर्वेद में अनेक प्रकार से उपयोग किया जाता है। महुए का धार्मिक महत्व भी है। रेवती नक्षत्र का आराध्य वृक्ष है।

बड़हल या बड़हर (धेहु या टेहु):-
एक फलदार वृक्ष है। इसके फल गोलाकार या बेडौल होते हैं। हरे रंग का कच्चा फल पकने पर पीला हो जाता है जिसे खाया जाता है। यह नेत्र रोग, कर्ण खुजली, ज्वर रोग, मुख्शोधनार्थ, प्रवाहिका, कुष्ट वर्ण घाव, स्वादिष्ट आचार भी बनाया जाता है

महोगनी:
महोगनी एक औषधीय पौधा है। इसके फल व पत्तों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी, मधुमेह सहित अन्य रोगों की दवाएं बनाई जाती हैं। यह पौधा 5 वर्ष में एक बार बीज देता है।
इस वन महोत्सव कार्यक्रम में सरकारी मॉडल स्कूल सेक्टर-35 चंडीगढ़ के प्रिंसिपल देवेंद्र गोसाईं, स्पोर्ट्स टीचर कुलदीप मेहरा, सविता, रीना विज, सुनील ध्यानी, समीर शर्मा, मनु शर्मा, नवप्रीत कौर सहित स्कूल मैनेजमेंट कमेटी से परमिंदर सिंह, योगेश कुमार, विनीत अवस्थी, अश्वनी कुमार, महिंद्र सिंह उपस्थित रहें। इसके साथ ही स्कूल के सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने भी भाग लिया जिसमें मुख्य रूप से शिवबरन, रामराज, बालेश्वर, सुंदर, संतोष कुमार और रवि कुमार उपस्थित रहें।

सिंधिया की ‘उड़ान’ पर पायलट गहलोत द्वारा सिरे से नकारे गए अभी भी हैंगर में

ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया के कॉंग्रेस छोड़ भाजपा में जाने पर आहत हुए राहुल गांधी ने मीडिया को बताया था की वह और सिंधिया कोपलेज के समय से एक दूसरे के मित्र हैं और सिंधिया का यह कदम उनकी कोंग्रेसी विचारधारा से मेल नहीं खाता। आरएसएस ने उन्हें मात्र इस्तेमाल कर मध्य प्रदेश की सत्ता हथियाने के लिए किया है, जिस सम्मान और पद के लिए वह वहाँ गए हैं उन्हें वह इज्जत और गरिमामय स्थान वहाँ नहीं मिलेगा। कल जब सिंधिया को उड्डयन मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार दिया गया तो कोंग्रेसी खेमे में मायूसी छा गयी। सिंधिया को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में स्थान मिलते ही रास्थान में पायलट को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गयी है। गहलोत अपने पुराने साथी को किसी भी सम्मानजनक स्थिति में देखना पसंद नहीं कर रहे। यहाँ तक कि उन्होने आलाकमान के सचिन को लेकर सुझाए गए फार्मूले को भी सिरे से नकार दिया। सिंधिया को मिले केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सम्मान से सचिन सोच में तो पड़े होंगे?

  • एक साल बाद जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया को केन्द्रीय मंत्रिपद मिला वहीं गहलोत ने पायलट को सिरे से खारिज कर दिया
  • ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ी तो सचिन पायलट का भाव बढ़ने का अनुमान जताया जाने लगा था
  • हालांकि, लंबा वक्त बीतने के बाद भी पायलट खुद को कांग्रेस पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैंज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में केंद्रीय मंत्री पद मिलने के बाद पायलट को लेकर कयासों का बाजार गरम
  • सोशल मीडिया पर पायलट की कांग्रेस में दाल नहीं गलने और अब बीजेपी के विकल्प पर चर्चे

सरीका तिवारी, जयपुर/नयी दिल्ली/ चंडीगढ़:

राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार पर सियासी संकट को गुजरे अब एक साल पूरा हो चुका है। पिछले साल जुलाई में ही पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने सरकार में सम्मानजन स्थिति को लेकर गहलोत नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी। मामला बिगड़ने के बाद आलाकमान के दखल पर एक कमेटी का गठन कर कुछ समय के लिये खींचतान के माहौल को शांत कर दिया गया, लेकिन रुक-रुककर पायलट और समर्थक विधायकों की टीस फिर से उठती रही है। कांग्रेस का हाथ छोड़ बीजेपी में आये ज्योतिरादित्य सिंधिया को मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में मिली पॉजिशन के बाद फिर से बगावती सुर सामने आये हैं।सोशल मीडिया पर ‘पायलट’ ट्रेंड करने रहा है। पायलट समर्थक विधायक पर फिर से बगावती तेवर और मानेसर या दिल्ली का रास्ता इख्तियार करने की स्थिति बनी तो पीछे नहीं हटने की बात कर रहे हैं।

जुलाई 2020 के बाद 2021 का जुलाई भी आ गया है। इस दौरान राजनीति में जो सवाल सबसे ज्यादा पूछा गया वह है कि सचिन पायलट कब कॉन्ग्रेस छोड़ेंगे? ज्योतिरादित्य सिंधिया के कॉन्ग्रेस छोड़ने के कुछ ही समय बाद उन्होंने भी बगावत का मूड दिखाया था। लेकिन बगावती तेवर दिखाने के बावजूद सिंधिया की तरह आखिरी फैसला नहीं कर पाए। अब एक बार फिर उसी सिंधिया को मोदी कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने के बाद पायलट के कॉन्ग्रेस छोड़ने को लेकर कयास तेज हो गए हैं।

पायलट ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उनके समर्थक विधायकों के बीच हलचल दिख रही है। जो संकेत मिल रहे हैं कि उससे लगता है कि इस बार आगे बढ़ने पर समर्थक शायद ही कदम पीछे खींचने को राजी हों। इसकी एक वजह कॉन्ग्रेस के राजस्थान प्रभारी अजय माकन के दौरे के बावजूद गहलोत और पायलट गुट के बीच सहमति नहीं बन पाना है।

एक दैनिक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार सुलह के फॉर्मूले को लेकर माकन ने दो दिन तक गहलोत के साथ मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों और कॉन्ग्रेस संगठन में नियुक्तियों पर चर्चा की। लेकिन, गहलोत अपनी कैबिनेट में पायलट गुट को मनमाफिक जगह देने को तैयार नहीं हैं। वे विधायकों की संख्या के अनुपात में मंत्री बनाने का तर्क दे रहे हैं, जबकि पायलट ने बगावत ही ज्यादा प्रतिनिधित्व को लेकर की थी। कुछ रिपोर्टों में तो यहाँ तक कहा गया है कि पायलट समर्थकों को कैबिनेट में जगह देने से ही गहलोत ने साफ इनकार कर दिया है। वे संगठन में इस गुट को प्रतिनिधित्व देने को राजी बताए जा रहे हैं।

गौरतलब है कि 2018 में जब राजस्थान में कॉन्ग्रेस की सत्ता में वापसी हुई थी तो उसका श्रेय सचिन पायलट को दिया गया था। असल में 2013 में गहलोत के नेतृत्व में करारी शिकस्त के बाद पायलट को कॉन्ग्रेस ने केंद्रीय राजनीति से प्रदेश में भेजा था और बतौर प्रदेश अध्यक्ष उन्हें कमान दी थी। 2014 के आम चुनावों में कॉन्ग्रेस का खाता नहीं खुलने के बावजूद पायलट जमीन पर जुटे रहे और 2019 के विधानसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस को उनकी मेहनत का फल भी मिला। लेकिन मुख्यमंत्री चुनते वक्त उन्हें किनारे कर दिया गया। गहलोत कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री का पद मिला पर शुरुआत से ही उन्हें और उनके समर्थकों को सरकार में उपेक्षा का दंश झेलना पड़ा। प्रियंका गाँधी से मुलाकात के बाद पायलट ने पिछली बार पैर पीछे खींच लिए थे और उसके बाद से वे सरकार तथा उनके समर्थक अलग-थलग पड़े हैं।

पिछले दिनों जब बीजेपी ने कॉन्ग्रेस से आए हिमंत बिस्वा सरमा को असम का मुख्यमंत्री बनाया था तब भी इसे पायलट के लिए संकेत के तौर पर देखा गया था। अब देखना यह है कि पायलट कॉन्ग्रेस के अपने पुराने साथी सिंधिया की तरह उड़ान भरने की हिम्मत जुटा पाते हैं या कॉन्ग्रेस के ओल्ड गार्ड के रहमोकरम तले मौका मिलने की अंतहीन उम्मीद के साए तले जीते रहेंगे।