राष्ट्रहित के लिए फोन टेपिंग उचित : मनमोहन सिंह
तमाम तरह की मोबाइल फोन सेवा कंपनियों के 10 लाख से ज्यादा कनेक्शन पूरे साल केंद्रीय एजेंसियों की निगरानी में रहते हैं। सरकार अधिकारिक रूप से सिर्फ नई दिल्ली के 6000 फोनों को ही गुप्त रूप से सुनने की बात स्वीकार करेगी। सूची में 468 सैन्य अधिकारी शामिल है 44 के नाम भ्रष्टाचार में लिप्तता के संदेह में नजर रखी जा रही है। कॉर्पोरेट जगत की 200 बड़ी हस्तियां ज्यादा सीट पत्रकार इतनी ही संख्या में बिचौलिए हत्या सुरजनसर सौदागर दो दर्जन एनजीओ और लगभग 100 से ज्यादा हाई सोसाइटी के दलाल नशे के सौदागर और हवाला कॉरपोरेट्स ऑपरेटर शामिल हैं उनके समर्थक और कुख्यात अपराधी भी। सूची में सबसे छोटा नाम हथियारों के दलालों का है। छोटा किन्तु प्रभावी। कहीं यह सारा मामला किसी विशेष परिवार और हथियारों के दलालों से जड़ा हुआ तो नहीं?
‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़/ नयी दिल्ली :
आज जब मानसून सेशन चल रहा है, तो अचानक सेशन शुरू होने से ठीक एक दिन पहले पेगासस सपाईवेयर का डाटा लीक होता है और उसमें से भारत से संबन्धित गुप्त फोन टेपिंग के मामले उजागर हुए। विदेशी समाचार पत्र ने प्रधानमंत्री मोदी को एक बड़ा खलनायक बना कर प्रकाशित किया साथ ही भारत विरोधी विदेशी मीडिया ने इस खबर को हाथों हाथ लिया और खूब मिर्च मसाला ले कर छापा। भारत में यही काम उस मीडिया ने किया जिसे प्रधानमंत्री मोदी से और उनके राष्ट्रहित के कामों में कमियाँ दिखाई देते हैं।
मीडिया की खबरों को हाथों हाथ उठाने वाले विपक्ष ने मानसून सत्र को बाधित किया और इनहि दलों की विशेषकर कॉंग्रेस की क्षेत्रीय इकाइयां सड़कों पर उतार पड़ीं। जगह जगह प्रदर्शन, जगह जगह पत्रकार वार्ता मानों विदेशी मीडिया की देशी संस्कारण ने विपक्ष को संजीवनी चटा दी हो। विपक्ष चौगुने जोश से मोदी – शाह पर आक्रामक है।
जहां कॉंग्रेस पार्टी अपने आक्रामक रवैये और सदन को बार बार बाधित करने से केएचएसएच है वहीं पूर्व प्रधानमंत्री की एक वीडियो वाइरल हो रही है जिसमें वह अपने शासन काल में हु फोन टेपिंग ओ सही ठहरा रहे हैं। इस सब से कॉंग्रेस का दोगला पैन जागर होता है। की जो कुकर्म कॉंग्रेस के समय राष्ट्रहित में थे वही मोदी राज में देश द्रोह हैं।
पेगासस के खुलासे के फोन टैपिंग का मामला फिर गर्म हो गया है। पेगासस प्रोजेक्ट के खुलासों की पहली कड़ी में दावा किया गया है कि भारत सरकार पत्रकारों की जासूसी करा रही है। जासूसी इजराइली कंपनी NSO के स्पाईवेयर पेगासस के जरिए की जा रही है। आने वाले दिनों में और नामों के खुलासे होंगे जिनकी जासूसी हो रही है. माना जा रहा है इसमें पत्रकार, कानूनविद और नेता शामिल हैं। सरकार ने आरोपों से इंकार किया है। फोन टैपिंग के इस ताजा मामलों ने उन मामलों की याद दिला दी है, जिनके कारण कभी भारतीय राजनीति में भूचाल आया था।
इससे पहले भी पेगासस पर लगे थे आरोप
2019 में भी इजराइल द्वारा तैयार किया गया स्पाईवेयर पेगासस सुर्खियों में था. तब व्हाट्सएप की ओर से कहा गया था कि वह इजराइल की इस कंपनी के खिलाफ केस कर रहा है, क्योंकि इसी के जरिए लगभग 1400 लोगों के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की गई थी।
इसमे कई भारतीयों के नाम भी शामिल होने का आरोप था। रिपोर्ट के अनुसार पेगासस ने भारत के तकरीबन दो दर्जन बुद्धिजीवियों, वकीलों, दलित एक्टिविस्ट, पत्रकारों के अकाउंट की जानकारी को हैक किया था।
भारत में फोन टैपिंग के प्रमुख मामले
एक निजी चैनल की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में फोन टैपिंग की शुरूआत पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जमाने में ही हो गई थी। उस समय यह आरोप खुद संचार मंत्री रफी अहमद किदवई ने लगाए थे। उन्होंने यह आरोप तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल पर लगाया था, जिसे उन्होंने तूल नहीं दिया।
- सेना प्रमुख जनरल केएस थिमाया ने 1959 में अपने और आर्मी ऑफिस के फोन टैप होने का आरोप लगाया था।
- नेहरू सरकार के ही एक और मंत्री टीटी कृष्णामाचारी ने 1962 में फोन टैप होने का आरोप लगाया था।
- 1988 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर आरोप
- 1988 में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े के कार्यकाल में भी फोन टैपिंग का बड़ा मामला सामने आया था. विपक्ष का आरोप था कि हेगड़े ने विपक्षी नेताओं के फोन टेप के आदेश देकर उनकी निजता में सेंध लगाई है।
- एक निजी चैनल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2004 से मार्च 2006 के बीच सरकार की एजेंसियों ने 40 हजार से ज्यादा फोन टैप किए थे।
- 2006 में अमर सिंह ने यूपीए सरकार पर आरोप लगाया :
- राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने 2006 में दावा किया था कि इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) उनका फोन टैप कर रही है। अमर सिंह ने केंद्र की यूपीए सरकार और सोनिया गांधी पर फोन टैपिंग का आरोप लगाया था. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय तक चला।
- 2011 में अमर सिंह ने केंद्र सरकार पर लगाए आरोपों को वापस ले लिया है. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अमर सिंह के फोन टेप को मीडिया में दिखाने या छापने पर लगी रोक भी हटा ली।
- अक्टूबर 2007 में सरकार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फोन भी टेप करवाए. नीतीश कुमार तब अपने एक सहयोगी से बात कर रहे थे कि कैसे बिहार के लिए केंद्र से ज्यादा पैसा मांगा जाए।
नीरा राडिया मामले से आया था राजनीतिक भूचाल
देश के बड़े उद्योगपतियों रतन टाटा और मुकेश अंबानी की कंपनियों के लिए पीआर का काम कर चुकी नीरा राडिया के फोन टैप का मामला सामने आने के बाद देश में राजनीतिक भूचाल आ गया था। नीरा राडिया की विभिन्न उद्योगपतियों, राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और पत्रकारों से फोन पर हुई बातचीत के ब्यौरे मीडिया में प्रकाशित हुए थे। ‘आउटलुक’ मैग्जीन ने अपनी वेबसाइट पर प्रमुखता से प्रकाशित एक खबर में कहा था कि उसे नीरा राडिया की बातचीत के 800 नए टेप मिले हैं। इस बातचीत के बाद से ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में नीरा राडिया की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे।
मनमोहन सरकार पर कई नेताओं के फोन टैप करवाने का आरोप
एक साप्ताहिक पत्रिका ने अप्रैल 2010 में दावा किया था कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने देश के कुछ शीर्ष नेताओं के फोन टैप करवाए हैं। इनमें तत्कालीन कृषि मंत्री शरद पवार, कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और सीपीएम के पूर्व महासचिव प्रकाश करात का नाम सामने आया था।
इस मसले में संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग की गई, जिसे यूपीए सरकार ने खारिज कर दिया था।
अरुण जेटली का मामला
फरवरी 2013 में अरुण जेटली राज्यसभा में विपक्ष के नेता थे. उस समय उनके फोन टैपिंग मामले में करीब दस लोगों को गिरफ्तार किया गया था। यह मामला जनवरी में उस समय सामने आया था, जब विपक्ष ने सरकार पर जेटली का फोन टैप कराने का आरोप लगाया था।
जेटली की जासूसी के आरोप में दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने सहायक उपनिरीक्षक गोपाल, हेड कांस्टेबल हरीश, जासूस आलोक गुप्ता, सैफी और पुनीत के अलावा एक अन्य कांस्टेबल को गिरफ्तार किया गया था।
फोन टैपिंग के आरोप में इनकी कुर्सी गई
- अपने राजनीतिक विरोधियों के फोन टेप करवाने के आरोप में कर्नाटक के मुख्यमंत्री रामकृष्ण हेगड़े को 1988 में कुर्सी छोड़ना पड़ी थी।
- 1991 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर फोन टैप कराने का आरोप लगा था, जिसके बाद उन्हें अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था।
और भी मामले हैं…
- हाल ही में कर्नाटक सांसद सुमलता अंबरीश ने दावा किया कि 2018-19 में राज्य में कांग्रेस-जेडीएस (JDS) सरकार के कार्यकाल के दौरान उनका टेलीफोन टैप किया गया था।
- महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कुछ ही दिन पहले विधानसभा में आरोप लगाया था कि साल 2016-17 में जब वो बीजेपी के सांसद थे तब उनका फोन टैप किया जा रहा था।
- राजस्थान में पिछले महीने फोन टैप का मामला गरमाया था. यहां आरोप है कि गहलोत सरकार विधायकों के फोन टैप करवा रही है।