आदिवासी आस्था की बहाली और दोषियों पर असम पुलिस की कार्रवाई पर खुलकर बोले सरमा

मुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि असम पुलिस ने पिछले दो महीनों के दौरान नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल 1,897 लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि इस दौरान 28 किलोग्राम हेरोइन व 41 किलोग्राम अफीम समेत अन्य को जब्त किया गया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य विधानसभा को सूचित किया कि सरकार पिछले दो महीनों में जब्त की गई दवाओं को 17 और 18 जुलाई को सार्वजनिक रूप से जलाएगी।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

दुनिया के स्थापित धर्मों की ओर से आक्रामक प्रचार किए जाने के चलते असम के मूल निवासियों की संस्कृति तबाह हो गई है। असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। सरमा ने राज्य में मूल निवासियों की आस्था और संस्कृति पर शोध के लिए नए बने विभाग पर चर्चा करते हुए यह बात कही। गुरुवार को विधानसभा सत्र के शून्यकाल में सरमा ने कहा कि असम की बोडो और मिसिंग जनजातियां बाथोउ और दोनई पोलो परंपरा को मानती हैं। ये मूलनिवासियों की संस्कृति का हिस्सा हैं। दरअसल बाथोउ बोडो समुदाय के बीच एक परंपरा है, जिसके तहत 5 सिद्धांतों को जगह दी गई है।

साथ ही मिसिंग जनजाति के बीच दोनई पोलो परंपरा का पालन किया जाता है। सरमा ने कहा कि बाथोउ परंपरा को मानने वाले लोगों वृक्षों की पूजा करते हैं। इसके अलावा दोनई पोलो संस्कृति को मानने वाले सूरज और चंद्रमा की पूजा करते हैं। लेकिन संस्कृतियों के विस्तार और अलग-अलग समूहों और धर्मों की ओर से आक्रामक प्रचार किए जाने के चलते मूल निवासियों की संस्कृति तबाह होने की ओर है। उन्होंने कहा कि आदिवासी समुदाय के लोग तो अपनी भाषा तक खो रहे हैं। वहीं मंदिरों, मस्जिदों और चर्च को डोनेशन मिल रही है।

एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सरमा ने बताया कि ड्रग्स, गौ तस्करी और मानव तस्करी इन अपराधों के लिए पुलिस को कड़ी कार्यवा अरने क छूट द गयी है। अपराध के प्रति ‘शून्य संवेदना’(Zero Tolerence) का प्रदर्शन किया जाएगा।

उन्होने बताया असम सरकार 12,000 किलो ग्राम अफीम सिर्फ दो दिनों में जलाई जाएगी. जब्त नशीले पदार्थों को पुलिस 17 जुलाई को दीफू व गोलाघाट और 18 जुलाई को नगांव व होजई में जलाएंगी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उनकी सरकार ने ड्रग्स के खतरे के खिलाफ ‘शून्य संवेदना’ की नीति अपनाई है।”

उन्होंने आगे कहा, “2 महीने में मवेशियों की तस्करी में शामिल 504 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस की फायरिंग के दौरान केवल चार घायल हुए। सभी का पुलिस ने अच्छे से अच्छा इलाज करवाय़ा है।” आलोचना को लेकर भाजपा नेता ने कहा कि सहानुभूति अच्छी बात है, लेकिन गलत सहानुभूति बहुत ही खतरनाक है।

गौरतलब है कि असम मानवाधिकार आयोग ने मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर इस पुलिस एनकाउंटर के मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। 7 जुलाई 2021 को राज्य मानवाधिकार आय़ोग ने राज्य सरकार से उन परिस्थितियों की जाँच करने को कहा था, जिनके कारण आरोपितों की पुलिस फायरिंग में मौत हुई या फिर वो घायल हुए था। एएचआरसी के सदस्य नबा कमल बोरा ने बताया, “समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार सभी आरोपित हिरासत में थे और हथकड़ी में थे, इसलिए हमें यह जानने की जरूरत है कि क्या हुआ था।”