ਮਾਰਕੀਟ ਸੈਕਟਰ -35 ਡੀ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਵਿੱਚ ਲਗਾਏ ਗਏ ਖੂਨਦਾਨ ਕੈਂਪ ਵਿੱਚ 25 ਖੂਨਦਾਨੀਆਂ ਨੇ ਖੂਨਦਾਨ ਕੀਤਾ

ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ 19 ਜੂਨ 2021:

ਟਰਾਈਸਿਟੀ ਦੇ ਹਸਪਤਾਲਾਂ ਵਿਚ ਖੂਨ ਦੀ ਘਾਟ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਨ ਲਈ, ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਫਾਉਂਡੇਸ਼ਨ ਅਤੇ ਰਾਜੀਵ ਜਵੈਲਰੀ ਹਾਉਸ ਨੇ ਸ਼ਨੀਵਾਰ ਨੂੰ ਸੈਕਟਰ 35 ਡੀ ਦੇ ਮਾਰਕੀਟ ਵਿਚ ਬੂਥ ਨੰਬਰ 299 ਦੇ ਸਾਮ੍ਹਣੇ ਪਾਰਕਿੰਗ ਖੇਤਰ ਵਿਚ ਖੂਨਦਾਨ ਕੈਂਪ ਲਗਾਇਆ। ਇਹ ਕੈਂਪ ਇੰਡੀਅਨ ਰੈਡ ਕਰਾਸ ਸੁਸਾਇਟੀ, ਪੰਜਾਬ ਸਟੇਟ ਬ੍ਰਾਂਚ ਦੇ ਸਹਿਯੋਗ ਨਾਲ ਲਗਾਇਆ ਗਿਆ । ਕੈਂਪ ਵਿਚ ਸਮਾਜਿਕ ਦੂਰੀ, ਮਖੌਟਾ ਅਤੇ ਸਵੱਛਤਾ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਧਿਆਨ ਰੱਖਿਆ ਗਿਆ । 25 ਖੂਨਦਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲਿਆਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਮਰਜ਼ੀ ਅਤੇ ਉਤਸ਼ਾਹ ਨਾਲ ਦੂਜਿਆਂ ਦੀਆਂ ਜ਼ਿੰਦਗੀਆਂ ਬਚਾਉਣ ਲਈ ਖੂਨਦਾਨ ਕੀਤਾ।

ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਫਾਉਂਡੇਸ਼ਨ ਦੀ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਸਾਧਵੀ ਨੀਲਿਮਾ ਵਿਸ਼ਵਾਸ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਕੈਂਪ ਦਾ ਉਦਘਾਟਨ ਰਾਜੀਵ ਜਵੈਲਰੀ ਹਾਉਸ ਦੇ ਮਾਲਕ ਰਾਜੀਵ ਸਹਿਦੇਵ ਨੇ ਖੂਨਦਾਨ ਕਰਨ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਬੈਜ ਲਗਾ ਕੇ ਕੀਤਾ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਕੰਪਿਊਟਰ ਐਸੋਸੀਏਸ਼ਨ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸ੍ਰੀ ਸੁਲਿਤ ਗੁਪਤਾ ਅਤੇ ਮਾਰਕੀਟ ਸੈਕਟਰ 35 ਦੇ ਵਿਨੋਦ ਮਹਾਜਨ ਵੀ ਮੌਜੂਦ ਸਨ। ਬਲੱਡ ਬੈਂਕ ਪੀਜੀਆਈ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਦੀ ਟੀਮ ਨੇ ਡਾ: ਸੀਰਤ ਕੌਰ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਹੇਠ ਖੂਨ ਇਕੱਤਰ ਕੀਤਾ। ਪੀਜੀਆਈ ਬਲੱਡ ਬੈਂਕ ਵਲੋਂ ਭੇਜੀ ਗਈ ਇਕ ਏਅਰ ਕੰਡੀਸ਼ਨਡ ਮੋਬਾਈਲ ਵੈਨ ਵਿਚ ਖੂਨ ਇਕੱਤਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। ਇਸ ਖੂਨਦਾਨ ਕੈਂਪ ਵਿਚ ਆਏ ਸਾਰੇ ਖੂਨਦਾਨੀਆਂ ਨੂੰ ਪ੍ਰਸ਼ੰਸਾ ਪੱਤਰ, ਮਾਸਕ, ਸਾਬਣ ਅਤੇ ਤੋਹਫੇ ਦੇ ਕੇ ਉਤਸ਼ਾਹਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ। ਇਸ ਮੌਕੇ ਅਵਿਨਾਸ਼ ਸ਼ਰਮਾ, ਵਰਸ਼ਾ ਸ਼ਰਮਾ, ਵਰਿੰਦਰ ਗਾਂਧੀ, ਰਾਕੇਸ਼ ਕੁਮਾਰ ਸਹਿਗਲ, ਸ਼ਤਰੂਘਨ ਕੁਮਾਰ, ਨੀਰਜ ਯਾਦਵ, ਵਿਸ਼ਾਲ ਕੁੰਵਰ ਬਲੱਡ ਬੈਂਕ ਦੇ ਡਾਕਟਰ ਅਤੇ ਹੋਰ ਪਤਵੰਤੇ ਵੀ ਮੌਜੂਦ ਸਨ।

Police Files, Chandigarh – 19 june

‘Purnoor’ Korel, CHANDIGARH – 19.06.2021

Action against illicit liquor

Chandigarh Police arrested Sonu R/o # 1822, Mauli Complex, Chandigarh and recovered 30 quarters of whisky, 14 halves of whisky and 3 bottles of whisky from his possession near H.No. 1836, Mauli Complex, Chandigarh on 18.06.2021 and. A case FIR No. 69, U/S 61-1-14 Excise Act has been registered in PS-Mauli Jagran, Chandigarh. Later, he bailed out. Investigation of the case is in progress.

MV Theft

          Vikram Kumar R/o # 21/1, Village Buterla Sector-41B, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s Zen Car No CH-03J-8944 which was parked near his house on the night intervening 15/16-06-2021. A case FIR No. 157, U/S 379 IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Investigation of the case is in progress. 

          Jogender Dass R/o # 416/1, Pipli Wala Town, Mani Majra, Chandigarh reported that unknown person stole away silencer of complainant’s car No. RJ-31CB-9227 parked near his residence between 02.06.2021 to 11.06.2021. A case FIR No. 114, U/S 379 IPC has been registered in PS-Manimajra, Chandigarh. Investigation of the case is in progress. 

Theft

Baljit Singh R/o Jhuggi No. 2305, DBC, Sector-25, Chandigarh reported that unknown person stole away refrigerator and some utensils from his house between 08-06-2021 to 18-06-2021. A case FIR No. 84, U/S 380 IPC has been registered in PS-11, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Accident

A case FIR No. 46, U/S 279, 337 IPC has been registered in PS-03, Chandigarh on the complaint Inderjeet R/o # 343, 1st Floor, Palsora Colony, Sector-56, Chandigarh who alleged that driver of Discover motor cycle No CH-01BD-1597 namely Balak Ram R/o # 992, Kishangarh, Chandigarh hit to complainant’s motor cycle No. PB65Q(T)-8068 near Hera Singh Chowk, Chandigarh on 17-06-2021. Complainant got injured and admitted in PGI, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Burglary

Harmail Singh R/o # 185, Ram Darbar, PH-1, Chandigarh reported that unknown person stole away donation box from Guru Singh Sabha Gurudwara, Ph-1, Ram Darbar, Chandigarh after broken the main door locks on 18-06-2021. A case FIR No. 81, U/S 341, 342, 380, 457 IPC has been registered in PS-31, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Snatching

A lady resident of Sector-41/B, Chandigarh, reported that unknown person on Motor cycle snatched away complainant’s purse containing cash Rs 500/- and one mobile phone near Radhe market, sector-41, Chandigarh on 18.06.2021. A case FIR No. 158, U/S 379A, IPC has been registered in PS-39, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

पंजाब विश्वविधालय, 19/06/2021, वेबिनर ‘महाराणा प्रताप के जीवन पर एक नजर और हल्दीघाटी के युद्ध की सच्चाई’

Chandigarh June 19, 2021

उपकुलपति पंजाब विश्वविधालय, प्रो राज कुमार ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए प्रो° अशोक सिंह का वेबिनार ‘महाराणा प्रताप के जीवन पर एक नजर और हल्दीघाटी के युद्ध की सच्चाई’ में स्वागत किया। महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व के बारे में बताते प्रो राज कुमार ने बताया की हल्दी घाटी युद्ध की कहानियों से हर व्यक्ति में एक अलग सी ऊर्जा का संचार होता है । त्याग की मूरत महाराणा प्रताप ने सृष्टि मात्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण उदहारण पेश की है। वे कष्ट की जिंदगी जीते हुए भी मातृ भूमि की रक्षा करते रहे। आज के विद्यार्थियों को भी महाराणा प्रताप से प्रेरणा लेनी चाहिए, मात्र भूमि से प्रेम करना चाहिए। वाणी को विराम देते हुए उन्होंने प्रो अशोक जी का पुनः स्वागत किया। 

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रो एस. के. तोमर जी , डीन छात्र कल्याण पंजाब विश्वविद्यालय ने बताया कि हल्दी घाटी की गाथा और महाराणा प्रताप की जीवनी समाज को भविष्य का रास्ता दिखाता है। महाराणा प्रताप जी ने प्रजा और मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दीया। उनका यह बलिदान आगे आने वाली पीढ़ियां याद रखेगी। किताबो में लिखी बातें पूर्णतः सच नही है, महाराणा प्रताप ने हल्दी घाटी युद्ध जीता है।

महाराणा प्रताप जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए प्रो दिवेंदर जी, सेक्रेटरी कुलपति पंजाब विश्वविद्यालय ने कई कथाकथित बहुत सी बाते बताई और प्रो अशोक का स्वागत भी किया। 

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो अशोक सिंह जी ने विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महाराणा प्रताप जी के जीवन के बारे में शोध संकलन के लिए यूनिटाइड नेशन और भारत सरकार ने एक के कार्य शुरू किया जिसने उन्हें काम करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इतिहास में बताया गया है की मुगलों को धूल खिलाने में महाराणा प्रताप ने कोई कमी नही छोड़ी। हल्दी घाटी का युद्ध उदयपुर के पास राजसमद नमक जगह पर लड़ा गया। अकबर और महाराणा प्रताप के बीच में लड़ा गया युद्ध इतिहास में एक बड़ा हिस्सा रखता है। प्रताप को मेवाड़ का राज सिंहासन बचपन में ही मिल गया थी। भारत के लोगो ने मुगलों की हिंसा को देखते हुए जोहर शुरू किया। महाराणा ने अपने शासन को मजबूत किया और सम्पूर्ण मेवाड़ पर जीत प्राप्त की।

महाराणा ने कभी भी अधीनता स्वीकार न की। मान सिंह ने अकबर की सेना छोड़ कर प्रताप का साथ दिया। मानसिंह ने मित्रता को बढ़ने के लिए प्रताप को एक ही थाली में खाना खाने का आग्रह किया पर महाराणा ने इंकार कर बोला कि अपने अपने घर की बेटी किसी ओर के घर ब्याही है राजपूतों को यह बात शोभा नही देती इसलिए हम मित्र नही हो सकते। प्रो अशोक ने बताया कि महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की सेना पहाड़ों और मैदानों दोनो मे लड़ने<

झूरीवाला में डंपिंग ग्राउंड बनाने के विरोध में हर मोर्चे पर स्थानीय निवासियों के साथ कांग्रेस पार्टी : चंद्रमोहन

  • डंपिंग ग्राउंड का निर्माण नियमो की अवेहलना,हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवमानना : विजय बंसल
  • विजय बंसल ने गांव भानू में डंपिंग ग्राउंड शिफ्ट करने के लिए 2011 में दायर की थी जनहित याचिका 

पंचकूला – 19 जून 2021 :

झुरिवाला डंपिंग ग्राउंड के खिलाफ़ रेसिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन,स्थानीय निवासियों द्वारा आयोजित धरना प्रदर्शन को समर्थन देने के लिए श्री चंद्रमोहन(पूर्व उपमुख्यमंत्री, हरियाणा) के नेतृत्व में श्री विजय बंसल(प्रदेश अध्यक्ष,शिवालिक विकास मंच व पूर्व चेयरमैन हरियाणा सरकार), शशि शर्मा (वरिष्ठ कांग्रेस नेता),पूर्व मेयर उपीनदरं कोर आहलुवालीया, रविन्द्र रावल ( पूर्व प्रधान नगर परिषद पंचकूला) व पार्षद अकक्षदीप चोधरी व पार्षद संदीप सोही,अन्य कांग्रेस नेता पहुंचे। 

चंद्रमोहन ने कहा कि झुरिवाला डंपिंग ग्राउंड के विरोध में आयोजित हर मोर्चे के प्रदर्शन पर कांग्रेस पार्टी स्थानीय निवासियों के साथ खड़ी है।जब पूर्व महापौर एमसी पंचकूला ने 21.06.2017 को आयोजित एमसी पंचकूला की बैठक में प्रस्तावित झूरीवाला डंपिंग ग्राउंड को घग्गर पार सेक्टरों की आवासीय आबादी से दूर स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए पारित प्रस्ताव की एक प्रति सीएम के पास भेज दी थी और वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष व विधायक श्री ज्ञान चंद गुप्ता ने दिनांक 02.06.2018 को पंचकूला विधायक की हैसियत से पत्र भेजकर प्रस्तावित झुरीवाला सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को घग्गर पार सेक्टरों की आवासीय आबादी से तत्काल स्थानांतरित करने की सिफारिश की थी तो ऐसे में जनप्रतिनिधियों को दरकिनार कर एक कमरे में बैठकर निर्णय लिया जाना गलत है।

शिवालिक विकास मंच के प्रदेशाध्यक्ष विजय बंसल एडवोकेट ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व प्रदेश सरकार द्वारा झूरीवाला में डंपिंग ग्राउंड बनाने के फैसले को नियमो की अवेहलना बताते हुए माननीय पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवमानना बताया है।मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने नियमो को ताक पर रखकर यह आदेश दिए है जबकि इस डंपिंग ग्राउंड के बनने से जहां तो एक तरफ आमजन व स्थानीय लोग परेशान है वही पर्यावरण को भी खतरा है।बंसल ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति जताई है और फैसला न बदले जाने पर पुनः हाईकोर्ट की शरण लेने की बात कही है।2011 में भी माननीय हाईकोर्ट में पंचकूला के सेक्टर 23 स्थित अस्थाई डंपिंग ग्राउंड को शहर से बाहर पंजाब बॉर्डर के नजदीक गांव भानु में शिफ्ट करने के लिए विजय बंसल एडवोकेट ने बतौर याचिकाकर्ता जनहित याचिका न 16951/2011 दायर की थी।विजय बंसल ने 2010 में इस डंपिंग ग्राउंड को पंजाब बॉर्डर पर शिफ्ट करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा था जिसमे कहा गया था कि सेक्टर 23 में बने अस्थाई डंपिंग ग्राउंड से सेक्टर 23-24-25-26-27-28 के निवासियों को बदबू का सामना करना होगा तथा पर्यावरण प्रदूषित होगा।हरियाणा के हुडा विभाग ने पंचकूला एक्सटेंशन के अंतर्गत बरवाला तक सेक्टर विकसित करने की योजना है।झुरीवाला के आसपास भी आबादी है ,झुरीवाला वन क्षेत्र में आता है और  यहां भारतीय वन अधिनियम 1927,पीएलपीए 1900,वन संरक्षण एक्ट 1980 आदि लागू है।झुरीवाला खोल ही रायतन वाइल्ड लाइफ सेंचरी के अंतर्गत है व इको सेंसिटिव जॉन में है।पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 12 मार्च 2013 को आदेश पारित करते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एनजीटी)नई दिल्ली को स्थानांतरित करते हुए कार्यवाही करने के आदेश दिए थे।अस्थाई डंपिंग ग्राउंड के निरीक्षण हेतु 2 जस्टिस सहित अनेक सदस्यों ने निरीक्षण किया। 

हाईकोर्ट के निर्देशानुसार एनजीटी की टीम ने याचिकाकर्ता विजय बंसल समेत सभी सदस्यों को सलाह देने के लिए बुलाया था जिसमे विजय बंसल ने सुझाव देते हुए कहा था कि इस अस्थाई डंपिंग ग्राउंड से स्थानीय निवासियों को अनेको दिक्कत का सामना करना पड़ता है जिसमे गंदी बदबू व पर्यावरण प्रदूषण से अनेको बीमारियों का खतरा आदि रहता है।साथ ही यदि इसे झुरीवाला शिफ्ट किया जाएगा तो उसके आसपास भी आबादी है व वन क्षेत्र है।एनजीटी टीम ने विजय बंसल के सुझावों पर सहमति जताई थी परन्तु 2014 में भाजपा की सरकार आने के बाद शहरी स्थानीय निकाय विभाग व नगर निगम के अफसरों ने डंपिंग ग्राउंड को झुरीवाला में लगाने का निर्णय लिया जोकि जनहित में नही है तथा जनविरोधी है जबकि पंजाब बॉर्डर पर गांव भानु खाली क्षेत्र है व उसके नजदीक पंजाब का भी डंपिंग ग्राउंड है परन्तु भाजपा की जनविरोधिनीतियो के कारण इसे आबादी देह एरिया में लगाया जा रहा है। 

चंद्रमोहन ने कहा कि झूरीवाला साइट पर ठोस कचरे के डंपिंग के लिए नगर निगम पंचकूला द्वारा पर्यावरण विभाग से कोई मंजूरी व एनओसी प्राप्त नहीं की गई है।दिनांक 01.03.2013 की पूर्व मंजूरी के बाद से केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से कोई नई मंजूरी नही है जोकि पहले ही समाप्त हो चुकी है। चूंकि झुरीवाला साइट के वन क्षेत्र में पहले से ही घने पेड़ हैं, इसलिए सभी पेड़ों को एमसी पंचकूला द्वारा काटा जाएगा और एमसी पंचकूला द्वारा वन विभाग की कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई है।केंद्र व प्रदेश सरकार पर्यावरण दिवस पर अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील कर रही हैं लेकिन वर्तमान निर्णय से झूरीवाला में इतने सारे पेड़ कटेंगे जिसकी गिनती करना असंभव है।यह नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश दिनांक 02.08.2013 के उल्लंघन का स्पष्ट मामला है जिसमें झुरीवाला साइट पर ठोस अपशिष्ट नहीं डालने का निर्देश दिया गया है।इसके साथ ही यह माननीय चंडीगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 25.10.2018 को जारी आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है। 

शशि शर्मा ने कहा कि झुरीवाला साइट और सेक्टर 25 पंचकूला की आवासीय आबादी के बीच दूरी 500 मीटर से भी कम है तो मोरनी वन्य जीव अभ्यारण्य झूरीवाला स्थल से मात्र 140 मीटर की दूरी पर है और वन्य जीव विभाग के निर्देशानुसार पास के वन्य जीव अभ्यारण्य में प्रजातियों की रक्षा के लिए आठ फीट ऊंचाई की सुरक्षा चारदीवारी का निर्माण किया जाना है लेकिन इस पर ऐसी कोई दीवार नहीं बनाई गई।साइट भूजल के संरक्षण के लिए वन्य जीव विभाग द्वारा आगे निर्देश दिया गया था कि पहले पूरे भूमि स्थान पर पॉलिथीन की एक परत लगाई जाए और उसके बाद दो फीट भूमि को भर दिया जाए और उसके बाद पूरे भूमि स्थान पर फिर से पॉलीथीन की एक नई परत लगाई जाए।एमसी पंचकुला द्वारा ऐसा कोई अनुपालन नहीं किया गया है।चूंकि झुरीवाला साइट एनएच 73 के निकट स्थित है, इसलिए एमसी पंचकूला द्वारा एनएचएआई प्राधिकरण की स्वीकृति प्राप्त नहीं की गई है।केंद्र सरकार के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016 के अनुसार, ऐसा कोई भी संयंत्र राष्ट्रीय उच्च मार्ग से दो सौ मीटर से अधिक दूरी पर होना चाहिए जबकि प्रस्तावित झुरीवाला साइट इस मानदंड को पूरा नहीं करती है।इस राष्ट्रीय राजमार्ग 73 पर 10 कचरा वाहन भारी यातायात के सुचारू प्रवाह में बाधा डालेंगे और इस व्यस्त राजमार्ग पर यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा साबित होंगे। 

रविन्द्र रावल ने बताया कि पर्यावरण वन जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी अंतिम स्वीकृति के दौरान ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र नियम 2016 लागू नहीं थे।प्रस्तावित झुरीवाला साइट वाणिज्यिक क्षेत्रों के ठीक विपरीत है।23 ए और 25 भाग 2 यहां ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्र की स्थापना से यहां वाणिज्यिक भूखंडों की बिक्री प्रभावित होगी।घग्गर पार सेक्टरों में आवासीय भूखंडों की बिक्री करते समय एचएसवीपी ने झूरीवाला में एक एसडब्ल्यूएमपी स्थापित करने का खुलासा नहीं किया था एचएसवीपी द्वारा अपनी बिक्री ब्रोशर में एचएसवीपी द्वारा सार्वजनिक किए जाने की स्थिति में मौजूदा निवासियों ने घग्गर पार सेक्टर में अपने भूखंड नहीं खरीदे होंगे।घग्गर पार सेक्टरों में रहने वाले बीस हजार से अधिक परिवार पिछले दस वर्षों से अधिक समय से झुरीवाला में प्रस्तावित एसडब्ल्यूएमपी का विरोध कर रहे हैं।हेमन्त किगंर ,वरिष्ठ कांग्रेस नेता,देवीनदरं शर्मा बी डी ऐस मैबरं, कांग्रेस पार्षद पद की उमीदवार रहीं प्रियंका हुड्डा, अमन दत्त शर्मा जिला चेयरमेन कांग्रेस (लीगल डिपार्टमेंट), वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री,सुषमा खन्ना, कांग्रेस पार्षद पद के उम्मीदवार रहै ओम शुक्ला एनएसयूआई आरटीआई सेल राष्ट्रीय कन्वीनर,दिपाशु बासलं,ध्रुव सुद,दिनेश साहनी, चारु,राजु धिमान,

Online Book launch event at PU

Chandigarh June 19, 2021

Panjab University Alumni Association (PUAA) organised an event to launch a book named “Kavita to kahi nahi” written by Prof. Archana Singh, Professor, School of Communication Studies on June 18, 2021. This event was in continuation with the events organized by PUAA to celebrate the success and accomplishments of illustrious alumni of Panjab University.

 Prof. VR Sinha, Dean University Instruction presided over the event. He described the majesty of Hindi literature and said that literary persons are different from other persons. Poetry is the most versatile form of literary works and writing poetry is the strongest form of art. He gave numerous examples of popular poets like Kabir Das, Mahadevi Verma, Sumitranandan Pant, Suryakant Tripathi ‘Nirala’ and celebrated novelists like Munshi Prem Chand who had uncanny ability to potray Indian ethos and human behaviour. He admired Prof. Archana for her maiden venture and said that she is a possessor of unusual sensitivity and insight. She is able to express things in a attractive way with an astounding capacity.Prof Archana as a poet, idealizes reality and represents the things, rouses our admiration and feeling of nostalgia as we can empathise with most of her expressions. Prof. Sinha congratulated Prof. Archana and unveiled the book.

Special guests of the evening RJ Mehak, Dr. Anu Dua Sehgal, Ms. Soumya Joshi and Ms. Renuka Salwan, Director Public Relations, PU recited selected verses from the book.

Prof. Anupama Sharma, Dean, Alumni Relations welcomed the Chief Guest, special guests and alumni of PU, senior faculty members from Panjab University and participants. Speaking about the book, Prof. Sharma highlighted that the book is a beautiful compilation of poems and is true reflection of multifarious personality of Prof. Archana. It not only give the participants a window into the heart of the poet, but they also compel us to explore our own inner worlds and longings. Rave reviews by learned persons bear testimony to high literary content. 

Prof. Archana recited some verses of her book and said that compilation of this book was not easy but lockdown gave her time to assemble it. The poems were written over a span of few decades which were compiled in form of this book. She exquisitely described the logic for the title of the book “Kavita to kahi nahi”. She said that she has poured forth her life experiences in the form of poetry over the years. The collection contains 58 poems of varying lengths put together under 6 chapter headings. Each chapter caters to one type of mood such as Life, Family, Politics, Mother tongue and Womanhood.

Ms. Renuka Salwan recited a poem “Betiyan” from the book and specified that she can well relate to the poem beautifully penned down by Prof. Archana as she is herself mother of two daugheres who are staying away from her now. Dr. Anu Dua Sehgal, Ms. Soumya Joshi and RJ Mehak also to recited poems of their choice from Prof. Archana’s book, specifically choosing the theme which is close to their hearts.

Earlier, highlighting the importance of book reading, Dr. Monika Aggarwal, UIAMS introduced the theme of the event to all the participants. She also read the reviews of book by Bollywood actor Ayushman Khurana and Jyoti Kapoor on the book and invited Prof. Archana Singh to highlight about the book and her journey from academician to a poet. 

The audience found the session engrossing, splendid, and enthralling. At the last, Prof. Monika Aggarwal presented the vote of thanks and concluded the meeting.

नहीं रहे उड़न सिक्ख मिलखा सिंह

मिल्खा सिंह 20 मई को कोविड सककरण को कोविड संक्रमण के चलते तीन जून को पीजीआईएमईआर के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। वे 13 जून तक आईसीयू में भर्ती रहे और इस दौरान उन्होंने कोविड संक्रमण को हरा दिया। 13 जून को कोविड टेस्ट में निगेटिव होने के बाद कोविड संबंधी मुश्किलों के चलते उन्हें फिर से आईसीयू में दाख़िल कराना पड़ा. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी चिकित्सकों की टीम उन्हें बचा नहीं सकी।

  • कॉमनवेल्थ गेम्स में ट्रैंक ऐंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय
  • 1958 के तोक्यो एशियन गेम्स में 200 मीटर और 400 मीटर में गोल्ड मेडल
  • 200 मीटर की दौड़ में मिल्खा ने पाकिस्तान के अब्दुल खालिद को हराया

खेल और स्वस्थ्य डेस्क : चंडीगढ़

भारत के महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार को निधन हो गया। उन्होंने शुक्रवार रात 11:30 बजे अस्पताल में अंतिम सांस ली। 13 जून को उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था. पद्मश्री मिल्खा सिंह 91 वर्ष के थे. उनके परिवार में उनके बेटे गोल्फर जीव मिल्खा सिंह और तीन बेटियां हैं। ‘फ्लाइंग सिख’ के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनकड़, पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण समेत कई हस्तियों ने उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दी।

200 मीटर और 400 मीटर के नैशनल रेकॉर्ड
मिल्खा सिंह ने 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक में बिलकुल रॉ टैलंट के रूप में पहुंचे। उस साल उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। लेकिन आने वाले वर्षों में मिल्खा ने न सिर्फ खुद को निखारा और तराशा बल्कि कई रेकॉर्ड भी अपने नाम किए। 200 मीटर और 400 मीटर के नैशनल रेकॉर्ड मिल्खा के नाम थे। हालांकि मिल्खा सिर्फ रोम ओलिंपिक के कारण ही महान नहीं थे। भारतीय ट्रैंक ऐंड फील्ड में मिल्खा की उपलब्धियां काफी अधिक हैं।

एशिया में चलता था मिल्खा का सिक्का
मिल्खा सिंह की पहचान एक ऐसे ऐथलीट के रूप में थी जो बेहद जुनूनी और समर्पित ऐथलीट के रूप में थी। 1958 के तोक्यो एशियन गेम्स में उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर में गोल्ड मेडल हासिल किया। मेलबर्न ओलिंपिक में मिल्खा फाइनल इवेंट के लिए क्वॉलिफाइ नहीं कर पाए थे। लेकिन उनमें आगे बढ़ने की तलब थी। उन्होंने अमेरिका के चार्ल्स जेनकिंस से बात की। जेनकिंस 400 मीटर और 4×400 मीटर रिले के गोल्ड मेडलिस्ट थे। उन्होंने जेनकिंस से पूछा कि वह कैसे ट्रेनिंग करते हैं। उनका रूटीन क्या है। जेनकिंस ने बड़ा दिल दिखाते हुए मिल्खा के साथ सारी बातें साझा कीं।

एशियन गेम्स में बनाया था नैशनल रिकॉर्ड
मिल्खा की उम्र तब 27 साल थी। अगले दो साल वह बड़ी शिद्दत के साथ जेनकिंस के रूटीन पर चले। इसका फायदा भी हुआ। मिल्खा ने 1958 के एशियन गेम्स में नैशनल रेकॉर्ड बनाया। मिल्खा सिंह को 400 मीटर की दौड़ बहुत भाती थी। यहां उन्होंने 47 सेकंड में गोल्ड मेडल हासिल किया। सिल्वर मेडल जीतने वाले पाब्लो सोमब्लिंगो से करीब दो सेकंड कम वक्त लिया था मिल्खा सिंह ने।

चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के अब्दुल खालिद को हराया
दूसरा गोल्ड मेडल और खास था। 200 मीटर की दौड़ में मिल्खा ने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के अब्दुल खालिद को हराया था। खालिद ने गेम्स के नए रेकॉर्ड के साथ 100 मीटर में गोल्ड मेडल जीता था। खालिद को एशिया का सर्वश्रेष्ठ फर्राटा धावक कहा जाता था। मिल्खा, लेकिन शानदा फॉर्म में थे। उन्होंने महज 21.6 सेकंड में गोल्ड मेडल जीतकर एशियन गेम्स का नया रेकॉर्ड बना दिया। फिनिशिंग लाइन पर टांग की मांसपेशियों में खिंचाव आने की वजह से गिर गए थे। वह 0.1 सेकंड के अंतर से जीते और लोगों ने मान लिया कि इस ऐथलीट ने काफी मुकाम हासिल करने हैं।

कॉमनवेल्थ गेम्स में रचा था इतिहास
एशियन गेम्स में दो गोल्ड मेडल जीतने के बाद मिल्खा के हौसले बुलंद थे। अब बारी थी कॉमनवेल्थ गेम्स की। यहां मिल्खा ने वह मुकाम हासिल किया जो आज तक भारतीय ऐथलेटिक्स की दुनिया के सबसे यादगार लम्हों में दर्ज है। एशियन गेम्स में उनकी उपलब्धि कमाल थी। लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स, जिन्हें उस समय ‘एम्पायर गेम्स’ कहा जाता था, में मिल्खा के पास दुनिया के कुछ बेहतरीन ऐथलीट्स के सामने खुद को साबित करने का मौका था।

गोल्ड मेडल जीत का नहीं था यकीन
मिल्खा ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को कई साल बाद दिए एक इंटरव्यू में कहा था, ‘मुझे यकीन नहीं था कि मैं कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीत पाऊंगा। मुझे यकीन इसलिए भी नहीं था क्योंकि मैं वर्ल्ड रेकॉर्डधारी मेलकम स्पेंस के साथ दौड़ रहा था। वह 400 मीटर के बेस्ट धावक थे।’मिल्खा के अमेरिकी कोच डॉक्टर आर्थर हावर्ड ने स्पेन्स की रणनीति पहचान ली थी। उन्होंने देखा था कि वह आखिर में तेज दौड़ता है। और ऐसे में उन्होंने मिल्खा से पूरी रेस में दम लगाकर दौड़ने को कहा। मिल्खा की यह चाल कामयाब रही। और 440 गज की दौड़ में मिल्खा शुरू से अंत तक आगे रहे। इस दौरान उन्होंने 46.6 सेकंड का समय लेकर नया नैशनल रेकॉर्ड भी बनाया।

52 साल तक कायम रहा मिल्खा का रिकॉर्ड
मिल्खा कॉमनवेल्थ गेम्स में ट्रैंक ऐंड फील्ड में गोल्ड मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बने। उनका यह रेकॉर्ड 52 साल तक कायम रहा। डिस्कस थ्रोअर कृष्णा पूनिया ने 2010 के गेम्स में गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद विकास गौड़ा ने 2014 में सोने का तमगा हासिल किया। मिल्खा सिंह के सोने के तमगे का खूब जश्न हुआ। उनके अनुरोध पर तब के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने एक दिन का राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया था।

एक बार फिर एशियन गेम्स में जलवा
1958 मिल्खा के करियर का सर्वश्रेष्ठ साल रहा। इसके बाद 1959 में उन्होंने कई यूरोपियन इवेंट्स में जीत हासिल की। वह 1960 के रोम ओलिंपिक के लिए तैयार हो रहे थे। यहां वह जीत तो नहीं सके लेकिन 45.73 सेकंड का समय निकालकर उन्होंने 400 मीटर का नया राष्ट्रीय रेकॉर्ड बनाया। यह इवेंट मिल्खा की पहचान के साथ जुड़ गया।

जब मिल्खा सिंह को मिली थी चुनौती
1960 की इस घटना के बाद मिल्खा सिंह ने एक बार फिर जोश दिखाया। और 1962 के जकार्ता एशियन गेम्स में दो और गोल्ड मेडल जीते। मिल्खा के लिए बड़ी चुनौती उभरता हुआ सितारा माखन सिंह था। माखन ने उस साल नैशनल चैंपियनशिप में मिल्खा को हराया था। मिल्खा ने बाद में कहा भी था, ‘अगर ट्रैक पर मुझे किसी से डर लगता था तो वह माखन था। वह शानदार ऐथलीट था। उसने मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाया।’

मिल्खा के नाम 10 एशियन गोल्ड
हालांकि एशियन गेम्स के 400 मीटर के फाइनल के दिन मिल्खा ने फिर सोने का तमगा जीता और युवा साथी को आधे सेकंड के अंतर से मात दी। यह जोड़ी 4×400 मीटर की टीम में साथ आई। इनके साथ दलजीत सिंह और जगदीश सिंह बी थे। इन्होंने एशियन गेम्स का रेकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल जीता। उन्होंने 3:10.2 सेकंड का समय लिया। इस तरह मिल्खा के नाम कुल 10 एशियन गोल्ड मेडल हो गए।

ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा की बली चढ़ रहे भावी राष्ट्र निर्माता

कोरोना की मार से प्रभावित शिक्षा जगत के हालात यह हैं कि प्रदेश भर में स्कूल कॉलेज बंद हैं, विद्यार्थी एक प्रकार से बिना परीक्षा दिये ही उत्तीर्ण हो रहे हैं। होनहार छात्र भी परले दर्जे के नालायक छात्रों के समकक्ष डाल दिये गए हैं। जहां एक ओर :कम मेहनती छात्र अति उत्साहित हैं वहीं कर्मठ विद्यार्थी इस पूरे प्रकरण से आहत हैं। इनहि समस्याओं से जूझ रहे शिक्षा जगत के भविष्य को तलाशती हमारी संवाददाता ‘पुरनूर’ कोरल का छोटा सा प्रयास शायद नीति निर्धारकों तक गुरुजनों – विद्यार्थियों की बात पहुंचा सके।

पंचकुला, 19 जून:

कोरोना ने सबसे अधिक प्रभावित किया है तो शिक्षा जगत को, करोना की ही वजह से पिछले 2 साल से सभी स्कूल बंद है बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन चल रही है और तो और काफी जगह परीक्षा तक ऑनलाइन नहीं गई है। इस बात से कोई भी अनभिज्ञ नहीं कि आखिर ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा कैसे हो रही है और यही नहीं दसवीं बारहवीं की तो परीक्षा रद्द कर दी गई है। अब प्रश्न यह उठता है कि विद्यार्थी की काबिलियत का किसी को भी कैसे पता चलेगा, विद्यार्थी को किस और जाना है यह बात कोई कैसे जान पाएगा तो इसी से जुड़े कुछ सवाल लेकर आज हमने शहर के कुछ अध्यापक व विद्यार्थियों से बात की। हमने बच्चों के पेरेंट्स से भी बात करनी चाही पर जिनसे हमारी मुलाकात हुई उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। दूसरी ओर जिन अध्यापक व विद्यार्थियों से हमारा मिलना हुआ उन्होंने सीधी सटीक बात करते हुए इस विषय पर चर्चा की।

जब हम जैनेंद्र पब्लिक स्कूल पंचकूला की प्रधानाध्यापिका श्रीमती रेनू शर्मा से मिले तो उन्होंने बताया की बच्चा घर पर बैठकर ऑनलाइन कम ही पढ़ेगा क्योंकि उसे किसी अध्यापक की जरूरत है, अपनी मर्जी से कभी भी किताब नहीं उठाएगा और घर पर रहकर उसके ऊपर किसी की भी निगरानी नहीं होगी, क्योंकि बच्चा कभी भी अपने माता-पिता से उस तरह से नहीं डरता जिस तरह से वह अपने अध्यापक से डरता है। उन्होंने अपने विद्यालय से संबंधित यह समस्या बताइ कि उनके विद्यालय में कुछ माता-पिता ऐसा कहते हैं कि उनके फोन में नेटवर्क इश्यू आता है या फिर उनका डाटा खत्म हो जाता है इसलिए वह बच्चों को अपना फोन नहीं दे सकते इसीलिए बच्चों ऑनलाइन पढ़ना बिल्कुल व्यर्थ ही जा रहा है।

उन्होंने कहा कि माता-पिता अभी तो इस बात से खुश हैं कि उनका बच्चा प्रमोट हो रहा है ,लेकिन वे यह नहीं जानते कि उनके बच्चे ने जो पढ़ाई नहीं की है उसका नतीजा आने वाले समय में उनको भुगतना पड़ सकता है । पूछे जाने पीआर कि उन बच्चों का क्या जिन्होंने अभी बस सकूल में दाखिला लिया है वह कैसे पढेंगे क्योंकि इतना छोटा बच्चा है टिकता ही नही फ़ोन पर ऑनलाइन क्लास लगाना तो उसकी तरफ से हो ही नही पायेगा , इस बात पर हामी भरते हुए अन्य अधियापिकाओं ने कहा कि उनके लिए सबसे ज्यादा कठिन समय होगा आने वाला क्योंकि उनको न तो पढ़ना आएगा न लिखना उन्होंने खाकी घर बैठे बैठे अच्छे विद्यार्थियों ने लिखना कम कर दिया है तोह यह तोह वो विद्यार्थी होंगे जिन्होंने अभी बस शुरुआत करनी है।

विद्यार्थियों से मिले तो उन्होंने भी यही कि उनको यह ऑनलाइन पढाई ठीक नही लग रही क्योंकि घर पर बैठ कर अन्य काम आ जाते हैं । ऑनलाइन पढाई में कभी टेक्निकल समस्या होती हैं की नही लग पाती। जब भी क्लास लगती है तो आधा उनको समझ नही आता और परीक्षा में अगर नम्बर कम आएं तोह घरवालो से सुनना उनको पड़ता है। वह भी तब जब उनकी कोई गलती है नही उन्होंने इतना भी कहा कि भविष्य में हो सकता है हमें कोई भी यह कह दे कि तुम्हे क्या ही पता तुम तो बस यूं ही परीक्षा सफल करके आगे पहुँचे हो लेकिन किसी को क्या ही पता होगा कि को पढ़ा है और कौन नही पढ़ा क्योंकि किसी ने भी उनको उनके घर आकर तो देखा नहीं है और जिस प्रकार से हर विद्यार्थी एक समान अंक हासिल कर रहा है तो उनके लिए कम्पटीशन और बढ़ रहा है जिसके कोई मायने ही नही होंगे।

छात्राओं ने कहा कि वह डबल मास्क लगाकर और सामाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए स्कूल आकर पढ़ने को तैयार है और यह लोग स्कूल खोलें तो सही रहेगा।

सचिन की चुप्पी, माकन का बयान और गहलोत की बेपरवाही सचिन की बढ़ती मुश्किलें

राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान के बीच अजय माकन ने बयान दिया है। माकन ने शुक्रवार को कहा कि सचिन पायलट पार्टी के वरिष्ठ एवं मूल्यवान नेता हैं। यह हो नहीं सकता है कि उन्होंने पार्टी के किसी नेता से मिलने के लिए समय मांगा हो और उन्हें समय न दिया गया हो। माकन ने कहा कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उनसे बात की है। प्रियंका के अलावा केसी वेणुगोपाल सहित पार्टी के कई नेता उनसे बातचीत कर रहे हैं। बता दें कि पायलट दिल्ली में छह दिन तक रहे। इस दौरान उनकी मुलाकात प्रियंका गांधी से नहीं हो पाई। पायलट पार्टी के आलाकमान से मिले बगैर बुधवार को वापस जयपुर चले गए।  

सारिका तिवारी, जयपुर/नयी/दिल्ली :

राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी बवाल के बीच पूर्व डिप्टी CM सचिन पायलट 6 दिन दिल्ली में रहने के बाद बुधवार को बिना हाईकमान से मिले ही जयपुर लौट आए हैं। पहले उनके प्रियंका गांधी से मिलने की चर्चा थी, लेकिन ​उनसे भी मुलाकात नहीं हो सकी। पायलट शुक्रवार शाम को दिल्ली पहुंचे थे, तब से ही उनके समर्थक विधायकों और CM अशोक गहलोत खेमे के बीच तीखी बयानबाजी का दौर जारी है।

सचिन पायलट को 6 दिन दिल्ली रहने के बावजूद हाईकमान से बिना मिले लौटने के लेकर कई तरह की सियासी चर्चाएं हैं। कांग्रेस के जानकारों के मुताबिक फिलहाल नंबर गेम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास होने की वजह से सचिन खेमे की मांगों को तरजीह नहीं दी जा रही है।

पूरे सियासी विवाद के बीच अब तक मुख्यमंत्री गहलोत और सचिन पायलट ने कुछ नहीं बोला है। केवल समर्थक विधायकों के बयान आ रहे हैं। सचिन पायलट के जयपुर लौटने के साथ ही अब सियासी हलचल फिर दिल्ली से जयपुर शिफ्ट हो गई है। पिछले शुक्रवार को सचिन पायलट दिल्ली गए थे, तब से दिल्ली पर सबकी निगाहें टिकी हुई थीं।

सचिन पायलट कैंप को अब तक प्रियंका गांधी या गांधी परिवार के किसी नेता से कोई पॉजिटिव संकेत नहीं मिला है। बीच में अजय माकन ने सब कुछ ठीक होने का बयान जरूर दिया था।

पायलट-गहलोत खेमों में और बढ़ेगी खींचतान
सचिन पायलट की दिल्ली यात्रा को लेकर कयास थे कि पायलट खेमे की मांगों को पंजाब की तर्ज पर सुना जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। अब सचिन पायलट और गहलोत खेमे के बीच खींचतान और बढ़ने के आसार बन गए हैं। गहलोत खेमे की रणनीति पायलट कैंप को छकाने की है। बताया जाता है कि पायलट की दिल्ली यात्रा में उन्हें कोई आश्वासन नहीं मिलने से अब आगे विवाद लंबा खिंचने के आसार बन गए हैं।

गहलोत की इग्नोरेंस थ्योरी से गतिरोध
पायलट खेमा पिछले साल अगस्त में बगावत के बाद हुई सुलह के वक्त तय हुई बातों को लागू करने की मांग कर रहा है। पायलट गुट मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों में बराबर की हिस्सेदारी मांग रहा है। इसके अलावा पायलट समर्थक विधायकों के क्षेत्र में अफसरशाही का उनकी बात नहीं मानने का भी आरोप है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे मानने को तैयार नहीं है, गतिरोध की सबसे बड़ी वजह यही है।

पंजाब की तर्ज पर समाधान की उम्मीद थी लेकिन कुछ नहीं हुआ
पायलट खेमे को उम्मीद थी कि जिस तरह पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को सुना गया उसी तर्ज पर सचिन पायलट की बात को भी सुना जाएगा, लेकिन अभी तक कांग्रेस हाईकमान की तरफ से किसी तरह के संकेत नहीं मिले हैंं। अब इस पूरे मसले पर सचिन पायलट के रुख का इंतजार है। पायलट अब जयपुर में समर्थक विधायकों से मिलकर आगे रणनीति बनाएंगे।

जादू की जफ्फी है कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास…. बाजवा भी कैप्टन के हक में टीम का कप्तान एक ही होता है नवजोत सिंह सिद्धू को उलटा दे डाली नसीहत

नरेश शर्मा भारद्वाज, जालंधर/चंडीगढ़ :

पंजाब कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और राज्‍यसभा सदस्‍य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह हमारी पार्टी के मुख्‍यमंत्री हैं और टीम का एक ही कप्‍तान होता है। ऐसा लगता है कि कैप्टन ने बाजवा को जफ्फी डाल ली है, जो जादू की जफ्फी से अधिक कारागर है पंजाब कांग्रेस में वर्षों से एक-दूसरे के विरोधी माने जाने वाले बाजवा की कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के साथ मुलाकात की चर्चाओं से राज्‍य की सियासत गमाई हुई है। इसके बाद बाजवा ने आज मीडिया से बात कर पूरे मामले में अपनी सफाई दी। बाजवा शुक्रवार को पत्रकारों के साथ बातचीत कर रहे थे। उन्होंने पुनः दोहराया कि उनकी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ कोई बैठक नहीं हुई है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि बाजवा हमारी पार्टी के मुख्यमंत्री है और टीम में एक ही कप्तान होता है और 10 खिलाड़ी होते हैं।

बाजवा ने पुनः दोहराया कि सरकार को चुनाव के दौरान जो वायदे किए थे उसे पूरा करना चाहिए। खास तौर से गुरु से जुड़े हुए जो वायदे किए है, उसे पूरा ही करना चाहिए। सरकार ने बेअदबी और गोलीकांड के मामले में इंसाफ दिलवाने का वायदा किया था। बाजवा ने इस बात से तो इंकार किया कि उनकी मुख्यमंत्री के साथ कोई बैठक हुई।

बाजवा ने कहा, मैं इस बात से इन्‍कार करता हूं कि वह (सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह) मेरे घर पर आए। ऐसी कोई मुलाकात या मीटिंग नहीं हुई है। अगर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह मेरे घर आना चाहें तो उनका स्‍वागत है। मेरा कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कोई भी व्‍यक्तिगत मसला नहीं है, बस विचाराें का अंतर है। सांसद, मंत्री, विधायक और पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि उनको (कैप्‍टन अमरिंदर सिंह) को अपने चुनावी वादे पूरे करने चाहिए।

कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा ने कहा है कि पार्टी को नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब में अहम भूमिका देनी चाहिए। इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा कि अभी नवजोत सिद्धू पार्टी में आए हैं टॉप पोस्ट पर पहुंचने के लिए कुछ समय भी तो बिताना चाहिए। वहीं, सिद्धू को लेकर उन्होंने कहा कि जब 2017 में सिद्धू कांग्रेस पार्टी में आ रहे थे तो पंजाब के कई सीनियर नेता इसका विरोध कर रहे थे। जबकि मैंने पार्टी हाईकमान को भी यह कहा था कि सिद्धू हमारी पार्टी के लिए संपत्ति हो सकते हैं। इस बात के गवाह खुद विधायक परगट सिंह भी है।

अलबत्ता उन्होंने यह जरूर कहा कि अगर मुख्यमंत्री उनके पास आना चाहते है तो वह आ सकते है। अगर वह आएंगे तो समूह मीडिया को बुलाया जाएगा। क्योंकि मुख्यमंत्री के साथ हमारी कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। यह विचारों का मतभेद है। बाजवा ने कहा, मुझे जो लगाता है कि सरकार सही दिशा में नहीं जा रही है तो मैं इस पर विरोध दर्ज करवाता हूं और करवाता रहूंगा।

पंजाब चुनावों में विजय सांपला होंगे भाजपा का चेहरा

पंजाब में 34 आरक्षित सीट हैं, जिनमें रविदासिया समाज, भगत बिरादरी, वाल्मीकि भाईचारा, महजबी सिख की भारी संख्या में वोट हैं। खासकर दोआबा में रविदासिया समाज बहुसंख्या में है और करीब 35 फीसदी आबादी दलितों की है। भाजपा हाईकमान ने पंजाब में दलित सीएम बनाने की घोषणा की हुई है। पार्टी के पास केंद्रीय राज्य मंत्री सोमप्रकाश रविदासिया समाज से हैं जबकि राष्ट्रीय एससी/एसटी आयोग के चेयरमैन विजय सांपला भी इसी बिरादरी से हैं। भगत चुन्नी लाल काफी बुजुर्ग हो चुके हैं और 2017 में ही उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था। पार्टी के पास दो ही कद्दावर नेता हैं, जिनको सीएम चेहरा बनाकर चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।

नरेश शर्मा भारद्वाज , जालन्धर:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में राज्यमंत्री के तौर पर काम कर चुके विजय सांपला को केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का चेयरमैन बनाया है। इसी के साथ सरकार ने 2022 में पंजाब विधानसभा चुनावों के लिए अपना तुरुप का पत्ता भी चल दिया है। वहीं राष्ट्रीय राजनीति में सांपला का कद दोबारा बड़ा कर दिया है।

विजय सांपला को राष्ट्रीय चेयरमैन की कुर्सी देकर भाजपा की ओर से पंजाब की 34 विधानसभा सीटों पर प्रभाव डालने की पूरी रणनीति तैयार की गई है। पंजाब में 2022 में भाजपा अकेले चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। राज्य में पार्टी पहले ही दलित वोट बैंक को लेकर काफी गंभीर रही है। पंजाब में 117 में से 34 विधानसभा सीटें आरक्षित हैं, जिसमें से अभी तक भाजपा पांच सीटों पर ही चुनाव लड़ती रही है। बाकी सीटों पर शिअद ने अपना कब्जा रखा था।

कृषि कानून पास होने से पंजाब का ग्रामीण वोटर केंद्र सरकार से नाराज चल रहा है।। सांपला का राजनीतिक करियर पर उस समय विराम लग गया था, जब 2019 के लोकसभा चुनावों में उनकी टिकट काटकर सोम प्रकाश को दे दी गई थी। वह अब केंद्र में मंत्री हैं। लोकसभा चुनावों में टिकट न मिलने के बावजूद विजय सांपला ने पार्टी और मैदान में अपना संघर्ष जारी रखा।

सोफी पिंड के सरपंच से अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले विजय सांपला ने 2007 में जालंधर वेस्ट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पूरी तैयारी कर रखी थी। उनका ग्राउंड वर्क भी पूरा हो चुका था लेकिन एन मौके पर उनका टिकट कट गया। टिकट भगत चुन्नी लाल ले गए। सांपला और भगत चुन्नी लाल में यहीं से सियासत की जंग शुरू हो गई। 

2012 में भी सांपला ने दोबारा जालंधर वेस्ट से टिकट लेने के लिए जोर लगा दिया। लेकिन भगत चुन्नी लाल ने उनका टिकट कटवाकर खुद हासिल कर लिया। 2014 में लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाले सांपला को पार्टी ने 2017 में पंजाब का प्रधान बनाकर उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा था।

किसान आंदोलन ने खोली दोबारा राह

इसके बाद श्वेत मलिक पंजाब के प्रधान बने और 2019 में सांपला का लोकसभा का टिकट कट गया तो उनकी विरोधी लॉबी जबरदस्त ढंग से हावी हो गई। सांपला का गुट बिल्कुल हाशिये पर चला गया। अब 2021 में सांपला का दोबारा उदय हुआ है। केंद्र सरकार ने उनको राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग का चेयरमैन बनाकर 34 विधानसभा सीटों पर उनका प्रभाव डालने की कोशिश की है। 

भाजपा की लीडरशिप तो यह भी खुलेआम कह चुकी है कि पंजाब में दलित मुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता है। पंजाब में किसानी कानून का डटकर विरोध हुआ है और पंजाब से निकला आंदोलन कई राज्यों में फैल गया है। जिसको केंद्रीय राज्यमंत्री सोम प्रकाश समेट नहीं पाए। जिससे भाजपा हाईकमान की नाराजगी पंजाब के नेताओं से काफी हो गई थी। ऐसे में हाईकमान ने दोबारा सांपला को बड़ी जिम्मेदारी देकर मैदान में उतारा है।

राज्य में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा हाईकमान जहां 45 शहरी सीटों पर हिंदू वोट बैंक पर पूरी नजर गड़ाये हैं तो वहीं, 34 दलितों सीटों पर भी अपना परचम लहराने की तैयारी कर रही है। आने वाले दिनों में भाजपा की लीडरशिप पंजाब में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर रही है। इसकी शुरुआत सांपला की ताजपोशी से हो गई है।

सांपला के निकटवर्ती अमित तनेजा का कहना है कि पार्टी के प्रति वफादारी और मेहनत का फल सांपला को मिला है। उन्होंने 2019 में लोकसभा का टिकट कटने के बावजूद पार्टी के लिए जी-जान से मेहनत की और पंजाब में संघर्ष किया। सांपला को राष्ट्रीय चेयरमैन की कुर्सी देने से हाईकमान ने पंजाब के वोटरों को यह संदेश दिया है कि छोटा प्रदेश होने के बावजूद पंजाब उनकी प्राथमिकता में है।