जुमलों कि राजनीति में पिस रही हरियाणा की खेल प्रतिभाएं
मोदी सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के जुमले हरियाणा की भाजपा सरकार में खूब चर्चित है। खट्टर सरकार की नाक के ठीक नीचे प्रतिभा शाली बेटियों की दुर्गति किसी से छुपी नहीं है। हालिया मामला रोहतक के सीसर गांव निवासी स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की खिलाड़ी सुनीता का है। इस भारत गौरव को हरियाणा का गौरव भी नहीं मान पाये हरियाणा के राजनीतिज्ञ। गरीबी की ज़िंदगी जीने को मजबूर है कुमारी सुनीता। घर भी जर्जर हालत में है और चूल्हा भी मजदूरी से जलता है, लोगों के घरों में झाड़ू पोंछा कर अपना और परिवार का जीवन यापन कर रही सुनीता का जुझारूपन देखते ही बनता है। अपने अधिकारों के प्रति उदासीन परंतु कर्तव्यों से विमुख न होते हुए अभी भी अगले पदक की तैयारियों में जुटी है यह बालिका। । सुनीता ने मात्र तीन साल में ही 20 से अधिक मेडल जीत कर देश व प्रदेश का गौरव बढ़ाया है।
‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़:
हरियाणा प्रदेश के रोहतक जिले से सरकार को शर्मसार कर देने वाली यह खबर सामने आई रोहतक के सीसर गांव में सुनीता जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं जिन्होंने न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया बल्कि स्वर्ण पदक जीतकर भारत का नाम और भी रौशन , या वह आज अपने गुजारे के लिए लोगों के घरों में जा जाकर साफ सफाई का काम कर रही हैं, का परिवार आज आर्थिक मंदी से जूझ रहा है। उनके पिता मजदूरी करते हैं, और उनकी माता भी लोगों के घरों में काम करके अपने परिवार योग्य पैसे कमाती हैं। सुनीता के माता-पिता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए देश के सम्मान के लिए खुद को डेढ़ लाख रुपए के कर्ज में डुबा लिया ताकि सुनीता सिंगापुर जाकर ओलंपिक में भाग ले सके और वह स्ट्रेंथ लिफ्टिंग कंपटीशन जीत सके जो कि उन्होंने जीता भी अरे इतनी बड़ी जीत हासिल करने के बाद भी देश को इतना बड़ा सम्मान देने के बाद भी सुनीता को खुद क्या मिला” कुछ भी नहीं। रात में एक रोटी और वह bhi मिर्ची के साथ खा रही है। कसरत करने के लिए पेड़ की टहनी का इस्तेमाल कर प्रैक्टिस कर रही है।
तमाम द्श्वारियों के बावजूद लोगों की झाड़ पहुंच कर रही है और इनकी इस दशा के बारे में स्थानीय विधायक कुंडू और हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी पता है और इन दोनों ने सहायता प्रदान करने का वादा भी किया था लेकिन सुनीता को अभी तक कोई सहायता नहीं मिली आखिर क्यों इतनी मतलबी हो रही है हरियाणा सरकार
बेटी ने हर बार बढ़ाया है मान :
सुनीता की माता जमना व पिता ईश्वर ने कहा कि पिछले वर्ष उन्होंने ब्याज पर लाखों रुपये उठाकर बेटी को खेलने भेजा था। हालांकि बेटी ने गोल्ड जीतकर देश का मान बढ़ाया। लेकिन लाकडाउन में अब दिहाड़ी भी नहीं मिल पा रही है। पिछले ब्याज की रकम भी नहीं दी जा सकी है। सरकार से भी कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। वे मजदूरी करते हैं। सुनीता भी शादी ब्याह में मजदूरी करती है। ऐसे में उनके सामने आर्थिक संकट बना हुआ है।
अब जीत चुकी हैं ये मेडल :
- जून 2018 में 52 किलाग्राम भार में राज्य स्तर पर बहादुरगढ़ में गोल्ड मेडल।
- जून 2019 में सोनीपत में राज्य स्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।
- अक्टूबर 2019 में लोहारू में राज्यस्तरीय चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल।
- अक्टूबर 2019 में हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में हुई नार्थ इंडिया चैंपियनिशप में गोल्ड मेडल।
- फरवरी 2019 में छत्तीसगढ में हुई राष्टीय स्तर की चैंपियनिशप में भी गोल्ड मेडल।
- फरवरी 2020 में थाईलैंड के बैंकाक में हुई विश्वस्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल।
- फरवरी 2021 में लोहारू में हुई स्टेट चैंपियनशिप में 58 केजी में गोल्ड मेडल
एक से पांच अक्टूबर तक होने वाली विश्वस्तरीय चैंपियनशिप के लिए लाकडाउन में वे घर पर रहकर ही तैयारी कर रही हैं। चैंपियनशिप के लिए जुलाई में रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा। उसके लिए लगभग डेढ़ लाख का खर्च होगा। लेकिन इस बार अभिभावकों ने भी कर्ज उठाने से मना कर दिया है। 58 किलो वर्ग में भाग लेने वाली ये खिलाड़ी इसी कारण आर्थिक संकट में हैं।
यदि देखा जाय तो सुनीता के घर का कर्ज़ और उसके परिवार कि तमाम मुसीबतें खट्टर सरकार के एक दिन के विज्ञापन के खर्च से ही दूर हो जाती हैं।