आज विध्यवासिनी पूजा है – मार्कंडेय पुराण के अनुसार इसके बाद माँ दुर्गा विंध्य पर्वत पर आसीन हो गईं. तभी से उन्हें विंध्यवासिनी के नाम से जाना जाता है. ज्येष्ठमास के शुक्लपक्ष की षष्ठी के दिन विंध्याचल में पूजा का आयोजन होता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण घर में ही पूजा-अर्चना करनी चाहिए. यह पूजा रात्रिकाल में होती है.
आज अरण्य षष्ठी का व्रत है. आज मां प्रकृति का पूजन किया जाता है. जंगल की देवी के रूप में पेड़ों का पूजन किया जाता है साथ ही मां विंन्ध्यवासिनी जी की विशेष पूजा की जाती है
विक्रमी संवत्ः 2078,
शक संवत्ः 1943,
मासः ज्येष्ठ,
पक्षः शुक्ल पक्ष,
तिथिः अरूणोदय काल 03.46 तक है।
वारः बुधवार,
नक्षत्रः मघा रात्रि 10.15 तक हैं,
योगः हर्ष प्रातः काल 08.08 तक,
करणः कौलव,
सूर्य राशिः मिथुन,
चंद्र राशिः सिंह,
राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक,
सूर्योदयः 05.27,
सूर्यास्तः 07.17 बजे।
नोटः आज विध्यवासिनी पूजा और अरण्य षष्ठी व्रत है।
विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।