चंडीगढ़ में बिना संशोधन लागू होगा केंद्र का ‘आदर्श किराएदारी अधिनियम’

मॉडल किराएदारी अधिनियम के तहत मकान मालिक को घर के मुआयने, रिपेयर से जुड़े काम या किसी दूसरे मकसद से आने के लिए 24 घंटों का लिखित नोटिस अडवांस में देना होगा। रेंट अग्रीमेंट में लिखी समय सीमा से पहले किरायेदार को तब तक नहीं निकाला जा सकता, जब तक उसने लगातार दो महीनों तक किराया न दिया हो या वह प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल कर रहा हो। कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम 6 महीने का सिक्योरिटी डिपॉजिट लिया जा सकता है।

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़

केंद्रीय कैबिनेट ने मॉडल किराएदारी अधिनियम के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इससे मकान मालिक और किराएदारों को आसानी होगी।

चंडीगढ़ में केंद्र का आदर्श किराएदारी अधिनियम-2020 (एमटीए) कल मंजूरी मिल गयी पहली बार मकान मालिकों और किराएदारों के बीच लिखित अनुबंध के साथ ही किराया तय होने से लेकर हर बड़ी से छोटी जिम्मेदारी तक तय होगी। ये भी साफ रहेगा कि मकान या फ्लैट की पुताई कौन करवाएगा तो नल की टोटी से लेकर वॉश बेसिन और पंखे या खराब स्विच कौन बदलवाएगा।

इसके बाद भी मकान मालिक और किराएदार के बीच किसी भी तरह का विवाद होने पर किराया प्राधिकरण और किराया न्यायालय सुनवाई करेगा। केंद्र की मंशा है कि नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में एक साथ अधिनियम को लागू किया जाए। वहीं प्रदेश में पहले शहरी क्षेत्र में अधिनियम लाया जाएगा। केंद्र की मंशा इसे अक्टूबर में ही लागू करने की है।

यूटी प्रशासन ने अधिनियम की अधिसूचना का प्रारूप एक अक्तूबर 2020 को जारी किया था और शहरवासियों से आपत्तियां व सुझाव मांगे थे। सुझाव देने के लिए प्रशासन ने एक महीने का समय दिया था। सैकड़ों लोगों ने अपने सुझाव सौंपे थे, जिसे प्रशासन ने केंद्र को भेजा था। इस नए अधिनियम के अनुसार, मकान मालिकों और किराएदारों के बीच एक लिखित अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, जिसमें किराए से लेकर हर छोटी-बड़ी जिम्मेदारी तय की जाएगी। यहां तक कि यह भी साफ रहेगा कि मकान की पुताई कौन करवाएगा। इसके अलावा नल की टोटी से लेकर वॉश बेसिन और पंखे या खराब स्विच कौन बदलवाएगा, इसको लेकर भी अधिनियम में जिम्मेदारी तय की गई है।

सचिव उमाशंकर गुप्ता ने बताया कि केंद्र से आधिकारिक सूचना आने के बाद कुछ दिनों बाद चंडीगढ़ में इस अधिनियम की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। कानून लागू होने के बाद मकान मालिक और किराएदार के बीच किसी भी तरह कोई समस्या की सुनवाई किराया प्राधिकरण और किराया न्यायालय में की जाएगी। जानकारी के अनुसार, किराया न्यायालय में सदस्य पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के परामर्श के बाद रखे जाएंगे। राज्य उच्च न्यायिक सेवा के सदस्यों को ही किराया न्यायालय का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया जा सकता है। इसके अलावा प्रशासक शहर के जरूरत के अनुसार किराया न्यायाधिकरण का गठन कर सकते हैं।

मकान मालिक का काम और अधिकार

किराएदार अगर रेंट अग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी मकान खाली नहीं कर रहा है, तो मकान मालिक को चार गुना तक मासिक किराया मांगने का अधिकार होगा। मसौदे में कहा गया है कि अगर किराएदार रेंट अग्रीमेंट के मुताबिक समयसीमा के अंदर मकान या दुकान खाली नहीं करता है तो मकान मालिक अगले दो महीने तक उससे दोगुना किराए की मांग कर पाएगा और दो महीने के बाद उसे चार गुना किराया वसूलने का अधिकार होगा।

  • मकान, दरवाजे, खिड़की की पेटिंग।
  • नलों के पाइप की मरम्मत और बदलवाना।
  • इलेक्ट्रिक वायरिंग और बड़े बिजली से जुड़े काम।

किराएदार के अधिकार और कर्तव्य

ड्राफ्ट में कहा गया है कि बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किराएदार और मकान मालिक, दोनों ही जिम्मेदार होंगे। अगर मकान मालिक ढांचे में कुछ सुधार कराता है तो उसे रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की इजाजत होगी। हालांकि इसके लिए किराएदार की सलाह भी ली जाएगी। मकान मालिक किराएदार को जरूरी सप्लाई नहीं रोक सकता है।

  • नल वॉशर और नलों को बदलना।
  • टॉयलेट, वॉश बेसिन, गीजर, बॉथ टब, नाली सफाई जैसे कार्य।
  • इलेक्ट्रिक सॉकेट, स्विच, पंखे और छोटे बिजली उपकरणों का मेंटनेंस।

आदर्श किराएदारी अधिनियम के फायदे

  • लिखित करार के बिना कोई परिसर किराए पर नहीं दिया जा सकेगा
  • यह रिहायशी और व्यावसायिक किराएदारों पर लागू होगा
  • मकान मालिकों के साथ किराएदारों के भी हितों की भी रक्षा होगी
  • नए कानून से उम्मीद है कि मकान मालिक अपने खाली फ्लैट या मकान किराए पर देने से नहीं डरेंगे
  • भवन के ढांचे की देखभाल के लिए किराएदार और मकान मालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे
  • किसी भी झगड़े की स्थिति में किराएदार किराया प्राधिकरण से संपर्क कर सकेगा
    आदर्श किराएदारी अधिनियम के मुख्य बिंदु
  • 24 घंटे पूर्व सूचित करने के बाद ही मकान मालिक किरायेदार के परिसर में कर सकेंगे प्रवेश
  • किराएदार से विवाद होने की स्थिति में मकान मालिक बिजली-पानी की आपूर्ति नहीं काट सकता है
  • किराया अनुबंध में लिखी अवधि से पहले किराएदार को तब तक नहीं निकाला जा सकता
  • अनुबंध खत्म होने के बाद भी मकान खाली नहीं हुआ तो मकान मालिक को दोगुना मासिक किराया मांगने का अधिकार
  • किराए का तीन गुना सुरक्षा राशि लेना तब तक गैर-कानूनी होगा, जब तक इसका अनुबंध न बनवाया गया हो
  • किराएदार के घर खाली करने पर मकान मालिक को एक महीने के भीतर यह सुरक्षा राशि लौटानी होगी
  • अगर मकान मालिक ढांचे में कुछ सुधार कराता है तो उसे मरम्मत का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराया बढ़ाने की इजाजत होगी

राज्य सरकारों को मर्जी होगी तो वे यह कानून अपने यहां भी लागू कर सकेंगी। हालांकि, वहां यह कानून पिछली तारीखों से लागू नहीं होगा। यानी, दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में वैसे हजारों प्रॉपर्टी मालिकों को कोई राहत नहीं मिलेगी जिन्हें प्राइम कमर्शल लोकेशन पर भी पुराने अग्रीमेंट्स के मुताबिक बेहद कम किराया मिल रहा है। इस मुद्दे पर जो मुकदमे चल रहे हैं, वे चलते रहेंगे। केंद्र सरकार की हाउसिंग मिनिस्ट्री पहले भी इसी तरह का मॉडल ऐक्ट लाई थी, लेकिन उसे दिल्ली और मुंबई के व्यापारियों के कड़े विरोध के कारण लागू नहीं किया जा सका था। उस कानून में पुराने कॉन्ट्रैक्ट्स की समीक्षा की भी बात थी।