बर्खास्त पीटीआई अध्यापकों ने लघु सचिवालय में किया जोरदार प्रदर्शन
सतीश बंसल सिरसा 1 जून:
शारीरिक शिक्षक संघर्ष समिति हरियाणा की प्रदेश कार्यकारिणी के आह्वान पर आज प्रदेश के विभिन्न जिलों में बर्खास्त शारीरिक शिक्षकों ने प्रत्येक जिले में जिला उपायुक्तों को मांग-पत्र देकर उनकी पुनर्बहाली बारे ज्ञापन सौंपा। इसी कड़ी में सिरसा में भी समिति की जिला कार्यकारिणी ने जिला उपायुक्त की अनुपस्थिति में तहसीलदार को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारी पीटीआई अध्यापकों ने मामले की संवेदनशीलता को गंभीरता से न लेने और बर्खास्त पीटीआई को स्पेशल स्कूल स्पोर्टस असिस्टेंट पदों पर समायोजित न करवाने की घोर निंदा करते हुए आक्रोश प्रदर्शन किया। इस अवसर पर सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव में बर्खास्त पीटीआई को समायोजित करने और मृतक पीटीआई की विधवाओं की बंद की गई एक्स-ग्रेसिया मासिक वित्तीय सहायता को बहाल करने की मांग की गई। शीघ्र ऐसा न होने पर समिति बैठक कर आगामी निर्णय लेने को मजबूर होगा।
यह जानकारी देते हुए समिति के समिति के जिला प्रधान कुलवन्त सिंह ने बताया कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भर्ती रद्द करने के आदेश के उपरान्त शिक्षा विभाग हरियाणा ने दस साल की सेवा पूरी कर चुके 1829 पीटीआई को 2 जून 2020 को बर्खास्त कर दिया। सरकार ने सभी संवेदनाओं को तिलांजलि देते हुए इन दस सालों में सेवा के दौरान मृत्यु हुए 52 पीटीआई की विधवाओं को मिल रही एक्स-ग्रेसिया मासिक वित्तीय सहायता तक को बंद कर उनके परिजनों को भूखा मारने के लिए छोड़ दिया था। इसी भर्ती में 57 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्होंने दूसरे विभागों से त्याग-पत्र देकर पीटीआई के पद पर ज्वाईन किया था। बर्खास्त पीटीआई में 45 एक्स सर्विसमैन हैं, जिसमें शौर्यचक्र विजेता दिलबाग जाखड़ भी शामिल हैं। कुल मिलाकर बर्खास्त पीटीआई इस पूरे में मामले में निर्दोष थे, इसलिए उन्होंने अपनी बहाली की मांग को लेकर प्रदेशभर में जबरदस्त आंदोलन किया, जिसका सभी कर्मचारी, किसान, मजदूर संगठनों ने पुरजोर समर्थन किया और इस आंदोलन को जनता का भी पूरा साथ मिला। आंदोलन के दबाव में बरोदा उपचुनाव से ठीक पहले बर्खास्त पीटीआई के प्रतिनिधि मण्डल की मुख्यमंत्री के साथ उनके चण्डीगढ़ स्थित निवास स्थान पर मुलाकात हुई, इस दौरान मुख्यमंत्री महोदय ने कहा था कि बर्खास्त पीटीआई निर्दोष हैं, इसलिए आपके घर के चूल्हे ठंडे नहीं होने दिए जाएंगे। उन्होंने इन बर्खास्त पीटीआई को शिक्षा विभाग में स्पेशल स्कूल स्पोर्टस असिस्टेंट पदों पर समायोजित करने का आश्वासन दिया था, लेकिन आठ महीने बीत जाने बावजूद भी सरकार ने अपना वादा नहीं पूरा किया, जिसे लेकर बर्खास्त पीटीआई में सरकार की वादाखिलाफी के खिलाफ भारी आक्रोश बढ़ रहा है।
सरकार की इस वादाखिलाफी के चलते ये 1606 बर्खास्त पीटीआई के परिवार भुखमरी की कगार पर आ गए हैं। ट्यूशन फीस न भर पाने से बच्चों के स्कूलों से नाम कट चुके हैं और अब तक दुकानदारों ने उधार में राशन देना भी बंद कर दिया है। जानलेवा बीमारी से ग्रस्त 42 पीटीआई दवाईयां न खरीद पाने के चलते जिन्दगी व मौत से जूझ रहे हैं। इस भर्ती में चयनित 29 महिला उम्मीदवार विधवा हो चुकी हैं। उनका रोजगार चले जाने की वजह से उनके परिवार का भरण-पोषण नहीं हो पा रहा है। बैंकों से लिए गए लोन की किस्त जमा न करने के कारण बैंकों द्वारा बनाए जा रहे दबाव से बर्खास्त पीटीआई पर मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते इनमें से 17 पीटीआई की हृदयघात से मौत हो चुकी है। पिछले एक साल से कोरोना संक्रमण के कारण बर्खास्त पीटीआई को कहीं नया रोजगार भी नहीं मिल पा रहा है, जिसके चलते इनके परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। पीडि़त पीटीआई का मानना है कि माननीय हाईकोर्ट के नाम पर बर्खास्त पीटीआई के समायोजन का मामला लटकाया जा रहा है। इस अवसर पर प्रधान भूप सिंह, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ से वीरसिंह, सर्वकर्मचारी संघ के जिला प्रधान मदनलाल खोथ, जगसोहन सिंह, महेन्द्र सिंह, रविराज, जुगल किशोर, रमेश, विनोद आदि उपस्थित थे।