WHO को हरियाणा सरकार की चुनौती : हरियाणा में कोरोना मरीजों को पतंजलि की कोरोना किट बांटी जाएगी

योगगुरु रामदेव के एलोपैथी और डॉक्टरों के खिलाफ बयान से मचे बवाल के बाद अब हरियाणा सरकार ने कोरोना मरीजों के बीच 1 लाख कोरोनिल किट बांटेने का फैसला किया है। बता दें कि ये कोरोनिल किट रामदेव की कंपनी पतंजलि द्वारा कोरोना मरीजों के लिए तैयार की गई दवा है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने एक ट्वीट के जरिये सरकार के इस फैसले की जानकारी दी। मंत्री ने अपने ट्वीट में कहा है कि पतंजलि की कोरोनिल किट मुफ्त बांटी जाएगी। इसका आधा खर्च कंपनी और आधा राज्य सरकार वहन करेगी। 

  • हरियाणा में कोरोना मरीजों को पतंजलि की कोरोना किट बांटी जाएगी
  • गृह मंत्री अनिल विज ने इस बात की जानकारी दी
  • आधा-आधा बांटा गया कोरोनिल किट का खर्च

नरेश शर्मा भारद्वाज, जालंधर/पंचकुला:

एक तरफ बाबा रामदेव ने एक के बाद एक सिलसिलेवार बयानों से तहलका मचा रखा है वहीं दूसरी तरफ हरियाणा में सोमवार को राज्‍य के गृह एवं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज ने बड़ा ऐलान कर दिया है। हरियाणा सरकार ने काेरोना वायरस को लेकर बड़ा फैसला किया है। अनिल विज ने ट्वीट कर कहा है कि राज्य में कोरोना मरीजों को 1 लाख पतंजलि किट फ्री (One lakh Patanjali coronil kits) में बांटी जाएगी। इस ऐलान के बाद से सियासी हलकों में खलबली मचना तय है।

हरियाणा सरकार ने काेरोना वायरस को लेकर बड़ा फैसला किया है। अनिल विज ने ट्वीट कर कहा है कि राज्य में कोरोना मरीजों को 1 लाख पतंजलि किट फ्री में बांटी जाएगी। अभी तक भारत सरकार WHO के प्रोटोकॉल को फालो करती आ रही है।हरियाणा सरकार में गृह एवं स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री अनिल विज ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। उन्होंने ट्वीट करके कहा कि’ हरियाणा में कोविड मरीजों के बीच एक लाख पतंजलि की कोरोनिल किट मुफ्त बांटी जाएंगी। कोरोनिल का आधा खर्च पतंजलि ने और आधा हरियाणा सरकार के कोविड राहत कोष ने वहन किया है।हरियाणा सरकार ने कोरोनिल किट बांटने का फैसला ऐसे समय में लिया है जब योग गुरू बाबा रामदेव द्वारा ऐलोपैथिक दवाओं को लेकर की गई टिप्पणी पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने नाराजगी जताई थी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो का हवाला देते हुए शनिवार को कहा था कि रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी ‘बकवास विज्ञान’ है। हालांकि बाद में मचे बवाल के बाद रामदेव ने एलोपैथिक दवाओं पर अपने बयान को रविवार को वापस ले लिया था।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कोरोनिल से कोरोना मरीजों के ठीक होने का दावा किया जाता है। इसलिए सरकार हरियाणा के लोगों के स्वास्थ्य एवं उपचार के प्रति कृतसंकल्प है। सरकार कोरोना मरीजों के इलाज में कोई कमी नही छोड़ना चाहती, हम यथासंभव प्रयास कर रहे हैं

पंचांग 25 मई 2021

आज श्री हरी विष्णु के चौथे अवतार श्री नरसिंघ अवतार की जयंती है

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः वैशाख, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः चतुर्दशी रात्रि 08.30 तक है, 

वारः मंगलवार, 

नक्षत्रः स्वाती प्रातः 07.06 तक हैं, 

योगः वरीयान 07.12 तक, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः वृष, 

चंद्र राशिः तुला, 

राहु कालः अपराहन् 3.00 से 4.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.30, 

सूर्यास्तः 07.07 बजे।

नोटः श्री नृसिंह जयंती और श्री सत्यनारायण व्रत है।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर मंगलवार को धनिया खाकर, लाल चंदन,मलयागिरि चंदन का दानकर यात्रा करें।

Narsimha Jayanti 2021: श्री नृसिंह जयंती

  श्री नृसिंह जयंती 25 मई को मनाई जाएगी, इस तरह से पूजा कर करें भगवान नृसिंह को प्रसन्न इसी दिन भगवान श्री नृसिंह जी ने खंभे को चीरकर भक्त प्रह्लाद की रक्षार्थ अवतार लिया था। भगवान श्री नृसिंह जयंती 25 मई मंगलवार को मनाई जाएगी। भगवान श्री नृसिंह श्री हरि के चौथे अवतार माने जाते हैं।

धर्म/संस्कृति डेस्क, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम :

नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के प्रमुख अवतारों में से एक है। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधा मनुष्य व आधा शेर का शरीर धारण करके दैत्यों के राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था। धर्म ग्रंथों में भगवान विष्णु के इस अवतरण की कथा इस प्रकार है- प्राचीन काल में कश्यप नामक ऋषि हुए थे, उनकी पत्नी का नाम दिति था। उनके दो पुत्र हुए, जिनमें से एक का नाम ‘हरिण्याक्ष’ तथा दूसरे का ‘हिरण्यकशिपु’ था। हिरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने पृथ्वी की रक्षा हेतु वराह रूप धरकर मार दिया था। अपने भाई कि मृत्यु से दुखी और क्रोधित हिरण्यकशिपु ने भाई की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अजेय होने का संकल्प किया। सहस्त्रों वर्षों तक उसने कठोर तप किया। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उसे अजेय होने का वरदान दिया। वरदान प्राप्त करके उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया। लोकपालों को मारकर भगा दिया और स्वत: सम्पूर्ण लोकों का अधिपति हो गया। देवता निरूपाय हो गए थे। वह असुर हिरण्यकशिपु को किसी प्रकार से पराजित नहीं कर सकते थे।

भक्त प्रह्लाद का जन्म अहंकार से युक्त हिरण्यकशिपु प्रजा पर अत्याचार करने लगा। इसी दौरान हिरण्यकशिपु कि पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम ‘प्रह्लाद’ रखा गया। एक राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी प्रह्लाद में राक्षसों जैसे कोई भी दुर्गुण मौजूद नहीं थे तथा वह भगवान नारायण का भक्त था। वह अपने पिता हिरण्यकशिपु के अत्याचारों का विरोध करता था। हिरण्यकशिपु का वध भगवान-भक्ति से प्रह्लाद का मन हटाने और उसमें अपने जैसे दुर्गुण भरने के लिए हिरण्यकशिपु ने बहुत प्रयास किए। नीति-अनीति सभी का प्रयोग किया, किंतु प्रह्लाद अपने मार्ग से विचलित न हुआ। तब उसने प्रह्लाद को मारने के लिए षड्यंत्र रचे, किंतु वह सभी में असफल रहा। भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर संकट से उबर आता और बच जाता था।

अपने सभी प्रयासों में असफल होने पर क्षुब्ध हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर जिन्दा ही जलाने का प्रयास किया। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि अग्नि उसे नहीं जला सकती, परंतु जब प्रह्लाद को होलिका की गोद में बिठा कर अग्नि में डाला गया तो उसमें होलिका तो जलकर राख हो गई, किंतु प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। इस घटना को देखकर हिरण्यकशिपु क्रोध से भर गया।

उसकी प्रजा भी अब भगवान विष्णु की पूजा करने लगी थी। तब एक दिन हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद से पूछा कि बता- “तेरा भगवान कहाँ है?” इस पर प्रह्लाद ने विनम्र भाव से कहा कि “प्रभु तो सर्वत्र हैं, हर जगह व्याप्त हैं।” क्रोधित हिरण्यकशिपु ने कहा कि “क्या तेरा भगवान इस स्तम्भ (खंभे) में भी है?” प्रह्लाद ने हाँ में उत्तर दिया। यह सुनकर क्रोधांध हिरण्यकशिपु ने खंभे पर प्रहार कर दिया। तभी खंभे को चीरकर श्रीनृसिंह भगवान प्रकट हो गए और हिरण्यकशिपु को पकड़कर अपनी जाँघों पर रखकर उसकी छाती को नखों से फाड़ डाला और उसका वध कर दिया।

श्रीनृसिंह ने प्रह्लाद की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि आज के दिन जो भी मेरा व्रत करेगा, वह समस्त सुखों का भागी होगा एवं पापों से मुक्त होकर परमधाम को प्राप्त होगा। अत: इस कारण से इस दिन को “नृसिंह जयंती-उत्सव” के रूप में मनाया जाता है।

पूजन विधि एवं मंत्र-

* इस दिन प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में सोकर उठें।
* संपूर्ण घर की साफ-सफाई करें।
* इसके बाद गंगा जल या गौमूत्र का छिड़काव कर पूरा घर पवित्र करें।
तत्पश्चात निम्न मंत्र बोले-
भगवान नृसिंह के पूजन का मंत्र –

नृसिंह देवदेवेश तव जन्मदिने शुभे।उपवासं करिष्यामि सर्वभोगविवर्जितः॥

इस मंत्र के साथ दोपहर के समय क्रमशः तिल, गोमूत्र, मृत्तिका और आंवला मल कर पृथक-पृथक चार बार स्नान करें। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।
पूजा के स्थान को गोबर से लीपकर तथा कलश में तांबा इत्यादि डालकर उसमें अष्टदल कमल बनाना चाहिए।अष्टदल कमल पर सिंह, भगवान नृसिंह तथा लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करना चाहिए। तत्पश्चात वेदमंत्रों से इनकी प्राण-प्रतिष्ठा कर षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए।