काँग्रेस की कथित ‘टूलकिट’ मामला पहुंचा सर्वोच्च न्यायालय

सोशल मीडिया पर मंगलवार (18 मई 2021) को एक दस्तावेज जम कर शेयर किया गया जिसके बारे में यह दावा किया गया कि ये ‘कॉन्ग्रेस का टूलकिट’ है। इसमें कुम्भ मेला को बदनाम करने, ईद का महिमामंडन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि धूमिल करने और जलती चिताओं व लाशों की तस्वीरें शेयर कर भारत को बदनाम करने का खाका था। अब कॉन्ग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने स्वीकार किया कि टूलकिट के लीक हुए दो डॉक्यूमेंट्स में से एक ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी (AICC) के शोध विभाग द्वारा तैयार किया गया है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

कांग्रेस की ओर से कथित रूप से जारी किए गए ‘टूलकिट’ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ता वकील शशांक शेखर झा ने ‘टूलकिट’ के मामले की जांच कराने की मांग की है। दूसरी ओर, बीजेपी ने ‘टूलकिट’ को लेकर बुधवार को एक बार फिर कांग्रेस पर हमला बोला और दावा किया कि कांग्रेस सांसद के दफ़्तर में काम करने वाली सौम्या वर्मा ने ही इसे बनाया है। 

बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर कहा है कि कांग्रेस ने पूछा था कि इस टूलकिट को बनाने वाला कौन है। पात्रा ने दावा किया है कि सौम्या वर्मा कांग्रेस सांसद एमवी राजीव गौड़ा के दफ़्तर में काम करती हैं। उन्होंने पूछा है कि क्या राहुल और सोनिया गांधी इस बात का जवाब देंगे कि सौम्या वर्मा कौन हैं। पात्रा ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा था कि कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि वे कोरोना के नए वैरिएंट को ‘मोदी स्ट्रेन’ या ‘इंडिया स्ट्रेन’ कह कर प्रचारित करें। 

कॉन्ग्रेस के कथित टूलकिट मामले के खिलाफ देश के शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई है। मामले को सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने और दुनिया में भारत की छवि बिगाड़ने का साजिश बताया गया है। याचिकाकर्ता वकील शशांक शेखर झा ने अंतरराष्ट्रीय साजिश का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से जाँच और दोष साबित होने पर कॉन्ग्रेस की मान्यता रद्द करने की माँग की है।

झा ने अपनी जनहित याचिका में निर्दिष्ट किया कि धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), आईपीसी की कई धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 13 के तहत किसी भी अपराध का खुलासा करने के लिए मामले की जाँच की जानी चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को निर्देश जारी होना चाहिए कि वह गाइडलाइंस बनाए कि कोई भी पार्टी, ग्रुप कोई भी ऐसा पोस्टर और बैनर नहीं लगाएगा जिसमें एंटी नेशनल सामग्री हो। साथ ही कोरोना से मरे लोगों के अंतिम संस्कार और शव न दिखाए जाएँ। साथ ही केंद्र सरकार को कोविड-19 महामारी के दौरान आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी के बारे में निर्देश जारी किया जाए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र सरकार मामले की जाँच कराए और जाँच में अगर कॉन्ग्रेस जिम्मेदार पाया जाता है और लोगों के जीवन को खतरे में डालता पाया गया और एंटी नेशनल हरकत करता पाया जाता है तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द हो। 

हालाँकि कॉन्ग्रेस ने ‘टूलकिट दस्तावेज़’ के निर्माण से स्पष्ट रूप से इनकार किया है, रिपोर्टों से पता चलता है कि लेखक वास्तव में एआईसीसी की सदस्य है। बता दें कि सौम्या वर्मा का नाम दस्तावेज़ के निर्माता के रूप में उभरा है। अब सौम्या ने लिंक्डइन सहित अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट्स को डिलीट कर लिया है।

AICC के चेयरमैन राजीव गौड़ा ने स्वीकार किया कि टूलकिट के लीक हुए दो डॉक्यूमेंट्स में से एक ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी (AICC) के शोध विभाग द्वारा तैयार किया गया है। कॉन्ग्रेस नेता राजीव गौड़ा ने ट्वीट करके यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि AICC ने ही सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर एक शोध पत्र तैयार किया। हालाँकि, गौड़ा ने कहा कि टूलकिट भाजपा द्वारा बनाया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भाजपा ओरिजिनल डॉक्यूमेंट के लेखक का डाटा दिखा रही है और उसे फेक डॉक्यूमेंट से जोड़ रही है।

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम दस्तावेजों की प्रामाणिकता पर टिप्पणी नहीं कर सकता है, वास्तव में लीक हुए मोदी विरोधी टूलकिट और सेंट्रल विस्टा ‘रिसर्च’ दस्तावेज़ दोनों के बीच समानताएँ हैं।

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