‘देवी’ अहल्या बाई होल्कर की तुलना क्षुद्र राजनैतिक लाभ के लिए अपनी प्रजा पर अत्याचार करने वाली नेत्री से नहीं होनी चाहिए: श्रीमंत भूषण सिंह राजे
अपने भड़काऊ, बेतुके और अनर्गल ब्यान देने के लिए कुख्यात संजय राऊत के हाथ ‘सामना’ की शक्ल में एक ऐसी दोधारी तलवार लग चुकी है जिसका प्रयोग वह यदा कदा करते ही रहते हैं। स्त्री सम्मान के प्रति उनके विचार कंगना राणावत को ले कर पहले ही सोशल मीडिया में प्रसारित हो चुके हैं। स्वयं को मराठी अस्मिता का पैरोकार मानने वाली शिवसेना के मुखपृष्ठ ‘सामना’ के संपादक राऊत इतिहास के पन्नों में जातिवाचक संज्ञा का रूप बन चुकीं ‘देवी’ अहल्याबाई होल्कर, की तुलना बंगाल की उस राजनैतिक नेत्री से की जिं पर न केवल भ्रष्टाचार आपित धर्मद्रोही होने तक के आरोप लग चुके हैं। बंगाल की मुसलिम तुष्टीकरण की पुरोधा ‘ममता बेनर्जी। राऊत के इस तुलनत्म्क लेख में मोदी विरोध कम लेकिन चाटुकारिता अधिक झलकती है। संजय राउत को पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की जीत नजर आ रही है लेकिन भाजपा द्वारा 3 से बढाकर 77 सीटों तक पहुंचने का सफर दिखाई नहीं दे रहा है। भाजपा ने पूरे विपक्ष का सफाया कर उसके राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर सामने आई है। ऐसे में सवाल ये है की वे भाजपा की तुलना किससे करेंगे। राईट विंग द्वारा विपक्ष में मजबूत स्थान प्राप्त कर चुकी है, ये बात संजय राउत भूलना नहीं चाहिए।
सारिका तिवारी, चंडीगढ़:
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुलना ‘महान महिला शासक’ रानी अहिल्या बाई होलकर से किए जाने के बाद रानी के वंशजों में गुस्सा है। लेख को पढ़ने के बाद उनके एक परिजन श्रीमंत भूषण सिंह राजे होलकर ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भी लिखा है।
पत्र में राउत की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि ये बेहद शर्मनाक है कि एक राष्ट्रीय नेता की तुलना आजकल के राजनेताओं से की जाए, वो भी टुच्चे फायदों के लिए। होलकर ने बताया कि अहिल्याबाई ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और जनता की सेवा में लगाया, उनकी तुलना एक ऐसी नेत्री से नहीं हो सकती जो राजनीति के लिए अपने लोगों पर अत्याचार करे।
पत्र में उन्होंने लिखा की ऐसी तुलना सिर्फ और सिर्फ वैचारिक क्षमता उजागर करती है। किसी को भी पहले अपनी योग्यता साबित करनी चाहिए और बाद में लोगों को उसका मूल्य तय करने देना चाहिए।
संजय राउत का विश्लेषण
संजय राउत ने अपने संपादकीय में ममता बनर्जी को अहिल्याबाई होलकर के समतुल्य रखकर कॉन्ग्रेस के विपक्षी पार्टी होने पर कई सवाल उठाए थे। ऐसी तुलना करके राउत ने बताना चाहा था कि ममता बनर्जी एक उभरती हुई विपक्षी नेता है।
बता दें कि इससे पहले संजय राउत विपक्षी नेता के तौर पर शरद पवार का नाम ले चुके हैं। उनका कहना था कि यूपीए को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार अच्छे से दिशा दिखा पाएँगे।
अहिल्या बाई होलकर
उल्लेखनीय है कि शिवसेना के मुखपत्र में जिन अहिल्याबाई होलकर की तुलना तृणमूल कॉन्ग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी से की गई, वो एक महिला शासक थीं। उन्हें राजमाता या महारानी अहिल्याबाई होलकर भी कहा जाता था। वह न केवल एक योद्धा थीं, बल्कि पढ़ी लिखी, कई भाषा की जानकार और बोलियों में निपुण थीं। महेश्वर में 30 साल रहते हुए उन्होंने खुद को जनसेवा में समर्पित कर दिया था। इसके अलावा औद्योगीकरण को बढ़ावा और धर्म शब्द का प्रसार करने का काम भी रानी अहिल्या द्वारा किया गया था।
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